मंगलवार, अप्रैल 16, 2013

बड़ी हुई बच्ची














कल कहीं पढ़ा था मैंने
कुछ लिखा किसी ने
ऐसा भी
बड़ा हुआ एक बच्चा
सच्ची बहुत बड़ा बच्चा
पाता है शादी कर के
पत्नी रूप में एक ग़च्चा
अम्मा बन सर बैठती है
झेलती है वो जीवन भर
नाज़ और नखरे अपने
अपना अस्तित्व
अरमान और सपने
स्वाह चूल्हे चौके में करती है
खुद सदा चुप रहकर वो
बच्चे के कसीदे पढ़ती है
पालती है वो मुन्ना को
लल्ला लल्ला करती है
'निर्जन' कहता
कलयुग में
क्या ?
सच्ची ऐसा होता है
उस अम्मा को सब ने झेला है
वो हिटलर की छाया रेखा है
वो भी बड़ी हुई बच्ची है
हाँ! बहुत बड़ी बच्ची है
माता पिता परेशां होकर
जो मुसीबत दान में देते हैं
सुख से न जीने देती है
न ख़ुशी से मरने देती है
सुबह सवेरे उठते ही
ऍफ़ एम् चालू करती है
लेडी वैम्पायर बन कर वो
जीवन के सब रस पीती है
भूल कभी कुछ हो जाये
दहाड़ मार कर रोती है
चुप करने में उसको फिर
जेब भी ढीली होती है
चैन नहीं तब भी आता
सर आसमान पर लेती है
बहस अकड़ के करती वो
है नहीं किसी से डरती वो
गलती चाहे बच्ची की हो
फिर भी है अम्मा बनती वो
उस बच्ची रुपी अम्मा में
अहम किसी से कम नही
आये कोई झुकाए मुझको
ऐसा किसी में दम नही
योगदान जो जीवन में
वो बच्चे के देती है
सही समय आने पर वो
ब्याज समेत वसूल लेती है
कम ना समझें बच्ची को
ये शातिर ख़िलाड़ी होती है
हत्थे इसके जो चढ़ जाओ
ये पटक पटक कर धोती है
कल कहीं....

38 टिप्‍पणियां:

  1. श्रीमान जी, लेबल में हास्य जोडिये या कोई डिस्क्लेमर वगैरह लगा लीजिये, मौसम सही नहीं है :)

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    उत्तर
    1. संजय भाई अगर इतना डरना है तो लिखना ही छोड़ देता हूँ |

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    2. अरे नहीं दोस्त, लिखना क्यों छोड़ना एक कमेंट के कारण? खूब लिखिये, शुभकामनायें साथ हैं, वो तो मैं थोड़ा मजाक कर रहा था।

      हटाएं
  2. वाह! कमाल की अभिव्यक्ति....

    जवाब देंहटाएं
  3. सब का अपना-अपना अनुभव होता है उसी के आधार पर अभिव्यक्ति होती है
    कड़वी अनुभूति की व्यंगात्मक अभिव्यक्ति लाजबाब है
    हार्दिक शुभकामनायें ....

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (17-04-2013) के चर्चामंच - बुधवारीय चर्चा ---- ( 1217 साहित्य दर्पण ) (मयंक का कोना) पर भी होगी!
    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  5. गज़ब हास्य ... मज़ा आया बहुत ही ...

    जवाब देंहटाएं
  6. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह तुषार जी!क्या व्यंग किया है आपने!
    वैसे एक बात कहूंगी जितनी अद्भुत आपकी प्रोफाइल फोटो है उतनी ही अद्भुत आपकी लेखनी है।
    सादर बधाई स्वीकारें।

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  8. सच बहुत मजेदार रचना .....अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी मित्रगण जिन्होंने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है उन्हें हाथ जोड़ कर प्रणाम और दिल से सभी का धन्यवाद् करना चाहूँगा के आपने मेरी रचना को पढ़ा और उस पर अपने विचार प्रकट किये |

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  10. आपको विचारों को सादर नमन
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  11. बहुत ही सुन्दर कविता |आभार रस्तोगी साहब |

    जवाब देंहटाएं
  12. तुषार जी काफी समय पहले जब मै आपके ब्लॉग पर आया था ,उस समय यहाँ कुछ भी नही था ,लेकिन आज आपकी मेहनत और लगन ने इसे कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया। मेरी शुभकामना।

    जवाब देंहटाएं
  13. पटक-पटक के धोने के बाद, टीनोपोल लगाया या नहीं ? :)
    सहानुभूति युक्त आभार :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. टिनोपाल तक तो नौबत ही ना पहुंची जी .... अल्लाह को प्यारे हो गए पटकी खाने के बाद :)

      हटाएं
  14. बहुत बढ़िया है भाई तुषार-
    शुभकामनायें-

    जवाब देंहटाएं
  15. वाह तुषार भाई बहुत ही सुंदर रचना है
    वाकई बिटिया अम्मा जैसा हड़काती है
    सहज पर गहन अनुभूति की रचना
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  16. ठहरो ज़रा ...
    शिखा को बुलाती हूँ...फिर निबटते है आपसे...
    :-)


    अनु

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  17. बहुत बढ़िया मजेदार व्यंग रचना .....
    तुषार जी.....आभार....

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  18. जिस के प्रत्‍युत्‍तर में आपने छक्‍का मारा है, वो चौकायनी कहीं नजर नहीं आई अभी तक।

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  19. आनंद को आनंद आ गया .....दिलचस्प रचना |

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  20. कहीं शातिर,कहीं बेज़ुबान, कहीं हौसला - बच्चा हो या बच्ची - मामला एक सा कहीं नहीं होता

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    उत्तर
    1. बिलकुल सही कहा आपने रश्मि दी | ब्लॉग पर आने और प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए बहुत बहुत आभार |

      हटाएं
  21. अब क्या कहें - अपने-अपने अनुभव हैं ,आगे-आगे देखिये होता है क्या !

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  22. बहुत ही मजेदार रचना तुषार जी ।

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  23. ब्लॉग पर आये सभी दोस्तों का बहुत बहुत शुक्रिया |

    जवाब देंहटाएं

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