कल कहीं पढ़ा था मैंने
कुछ लिखा किसी ने
ऐसा भी
बड़ा हुआ एक बच्चा
सच्ची बहुत बड़ा बच्चा
पाता है शादी कर के
पत्नी रूप में एक ग़च्चा
अम्मा बन सर बैठती है
झेलती है वो जीवन भर
नाज़ और नखरे अपने
अपना अस्तित्व
अरमान और सपने
स्वाह चूल्हे चौके में करती है
खुद सदा चुप रहकर वो
बच्चे के कसीदे पढ़ती है
पालती है वो मुन्ना को
लल्ला लल्ला करती है
'निर्जन' कहता
कलयुग में
क्या ?
सच्ची ऐसा होता है
उस अम्मा को सब ने झेला है
वो हिटलर की छाया रेखा है
वो भी बड़ी हुई बच्ची है
हाँ! बहुत बड़ी बच्ची है
माता पिता परेशां होकर
जो मुसीबत दान में देते हैं
सुख से न जीने देती है
न ख़ुशी से मरने देती है
सुबह सवेरे उठते ही
ऍफ़ एम् चालू करती है
लेडी वैम्पायर बन कर वो
जीवन के सब रस पीती है
भूल कभी कुछ हो जाये
दहाड़ मार कर रोती है
चुप करने में उसको फिर
जेब भी ढीली होती है
चैन नहीं तब भी आता
सर आसमान पर लेती है
बहस अकड़ के करती वो
है नहीं किसी से डरती वो
गलती चाहे बच्ची की हो
फिर भी है अम्मा बनती वो
उस बच्ची रुपी अम्मा में
अहम किसी से कम नही
आये कोई झुकाए मुझको
ऐसा किसी में दम नही
योगदान जो जीवन में
वो बच्चे के देती है
सही समय आने पर वो
ब्याज समेत वसूल लेती है
कम ना समझें बच्ची को
ये शातिर ख़िलाड़ी होती है
हत्थे इसके जो चढ़ जाओ
ये पटक पटक कर धोती है
कल कहीं....
श्रीमान जी, लेबल में हास्य जोडिये या कोई डिस्क्लेमर वगैरह लगा लीजिये, मौसम सही नहीं है :)
जवाब देंहटाएंसंजय भाई अगर इतना डरना है तो लिखना ही छोड़ देता हूँ |
हटाएंअरे नहीं दोस्त, लिखना क्यों छोड़ना एक कमेंट के कारण? खूब लिखिये, शुभकामनायें साथ हैं, वो तो मैं थोड़ा मजाक कर रहा था।
हटाएंवाह! कमाल की अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंसब का अपना-अपना अनुभव होता है उसी के आधार पर अभिव्यक्ति होती है
जवाब देंहटाएंकड़वी अनुभूति की व्यंगात्मक अभिव्यक्ति लाजबाब है
हार्दिक शुभकामनायें ....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (17-04-2013) के चर्चामंच - बुधवारीय चर्चा ---- ( 1217 साहित्य दर्पण ) (मयंक का कोना) पर भी होगी!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
गज़ब हास्य ... मज़ा आया बहुत ही ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब जी, आनंद आगया.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...
जवाब देंहटाएंआभार
कमाल का हास्य। :)
जवाब देंहटाएंनये लेख : भारतीय रेलवे ने पूरे किये 160 वर्ष।
वाह तुषार जी!क्या व्यंग किया है आपने!
जवाब देंहटाएंवैसे एक बात कहूंगी जितनी अद्भुत आपकी प्रोफाइल फोटो है उतनी ही अद्भुत आपकी लेखनी है।
सादर बधाई स्वीकारें।
सच बहुत मजेदार रचना .....अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंha ha ha :-)
जवाब देंहटाएंसभी मित्रगण जिन्होंने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है उन्हें हाथ जोड़ कर प्रणाम और दिल से सभी का धन्यवाद् करना चाहूँगा के आपने मेरी रचना को पढ़ा और उस पर अपने विचार प्रकट किये |
जवाब देंहटाएंआपको विचारों को सादर नमन
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये क़पया एक बार अवश्य देंखें
MY BIG GUIDE
Free Webcam Motion PC Games like xbox
Now your eyes will run from your computer
Harddisk, will store in 1 billion Data
face recognition software
A display mode that you can put in pocket
Similar to some other interesting articles to read and learn something new, just click
बहुत ही सुन्दर कविता |आभार रस्तोगी साहब |
जवाब देंहटाएंतुषार जी काफी समय पहले जब मै आपके ब्लॉग पर आया था ,उस समय यहाँ कुछ भी नही था ,लेकिन आज आपकी मेहनत और लगन ने इसे कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया। मेरी शुभकामना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मियां |
हटाएंपटक-पटक के धोने के बाद, टीनोपोल लगाया या नहीं ? :)
जवाब देंहटाएंसहानुभूति युक्त आभार :)
टिनोपाल तक तो नौबत ही ना पहुंची जी .... अल्लाह को प्यारे हो गए पटकी खाने के बाद :)
हटाएंबहुत बढ़िया है भाई तुषार-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
sarthak prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंवाह तुषार भाई बहुत ही सुंदर रचना है
जवाब देंहटाएंवाकई बिटिया अम्मा जैसा हड़काती है
सहज पर गहन अनुभूति की रचना
बधाई
ठहरो ज़रा ...
जवाब देंहटाएंशिखा को बुलाती हूँ...फिर निबटते है आपसे...
:-)
अनु
हा हा हा हा हा .... ज़रूर अनु... :)
हटाएंबहुत बढ़िया मजेदार व्यंग रचना .....
जवाब देंहटाएंतुषार जी.....आभार....
Bahut Hi Badhiya.... :)
जवाब देंहटाएंजिस के प्रत्युत्तर में आपने छक्का मारा है, वो चौकायनी कहीं नजर नहीं आई अभी तक।
जवाब देंहटाएंआनंद को आनंद आ गया .....दिलचस्प रचना |
जवाब देंहटाएंविचित्र रस? रोचक !!
जवाब देंहटाएंNice one. Interesting creation.
जवाब देंहटाएंकहीं शातिर,कहीं बेज़ुबान, कहीं हौसला - बच्चा हो या बच्ची - मामला एक सा कहीं नहीं होता
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने रश्मि दी | ब्लॉग पर आने और प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए बहुत बहुत आभार |
हटाएंअब क्या कहें - अपने-अपने अनुभव हैं ,आगे-आगे देखिये होता है क्या !
जवाब देंहटाएंआभार भाई |
जवाब देंहटाएंबहुत ही मजेदार रचना तुषार जी ।
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आये सभी दोस्तों का बहुत बहुत शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंbahut mazedaar...
जवाब देंहटाएं