सही के लिए क्या कहता, ग़लत के लिए क्या कहता
रहती है दूर क्या कहता, मिलने को ही क्या कहता
मिलते रहना ही क्या कहता, क्या है दिलमें क्या कहता
सूरज और चंदा क्या कहता, दोनों हैं वीरां क्या कहता
तेरे संग दिन क्या कहता, तेरे संग रातें क्या कहता
तुझ बिन जीवन क्या कहता, तुझ बिन मौसम क्या कहता
तुझ बिन तारें क्या कहता, तुझ बिन इतवारें क्या कहता
तेरे जाने पर क्या कहता, तेरे आने पर क्या कहता
पूरब से पश्चिम क्या कहता, उत्तर से दक्षिण क्या कहता
आखरी क़दम है क्या कहता, जीवन मरण है क्या कहता
जन्नत से पृथ्वी क्या कहता, मौला और चिस्ती क्या कहता
लोग और जगहें क्या कहता, यादें और बातें क्या कहता
हंसी मजाक जब क्या कहता, ह्रदय वेदना अब क्या कहता
तुझसे कहने को क्या कहता, तुझसे सुनने को क्या कहता
कहता तो बस कहता रहता, ‘निर्जन’ दिल से दिल कहता
दिल-दिमाग शांत कर लो
जवाब देंहटाएंजो कहना है बाद में कह लेना
शुभकामनायें .......
जी माँ अब तो दिल शांत है :)
हटाएंबेहतरीन सार्थक ग़ज़ल की प्रस्तुतीकरण,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति,सुंदर गजल ,,,आभार
जवाब देंहटाएंRecent Post : अमन के लिए.
प्रश्न प्रश्न ही बना रहता है ...
जवाब देंहटाएंपर जब बोल दो सब कुछ कहा जाता है ...
वाह तुषार जी!
जवाब देंहटाएंआज आपका ब्लाग पहली बार देखा,इतना अच्छा लगा कि मन कहता तो क्या कहता!
सुन्दर शिल्प के लिए बधाई स्वीककारें।
बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति!!!
जवाब देंहटाएंपधारें "आँसुओं के मोती"
बहुत सही कहा, लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वैसे लोग कहते हैं कि दिल की बात कह देनी चाहिए .... बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसबके पास कहने को है -कोई सुने भी तो !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें भाई-
हंसी माजक जब क्या कहता ह्रदय वेदना क्या कहता.......जबर्दस्त।
जवाब देंहटाएंक्या कहना ।
जवाब देंहटाएंगजब कि पंक्तियाँ हैं ...सार्थक ग़ज़ल
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