आभा ! जैसा नाम वैसा ही स्वरुप और बहुत ही आभामय जीवन शैली का यापन करने वाली गुलाब के फूल सी कोमल युवती | हर हाल में, हर रूप में, हर स्वरुप में, सुख में, दुःख में, धुप में, छाँव में, ठंडी में, गर्मी में, पतझड़ में, बारिश में, और हर छोटे बड़े उतार चढ़ाव दर्शाती परिस्थिति में जीवन का ख़ैर मक़दम करने वाली बहुत ही जिंदादिल युवती है "आभा" | उसके नाम के अनुरूप ज़िन्दगी के प्रति उसका दृष्टिकोण भी आभायमान रहता था | जिंदादिल, खुश मिजाज़, ख़ुर्शीद से दमकते रूप, सौंदर्य से परिपूर्ण नफीस कुदरत का करिश्मा जिसे अल्लाह मियाँ ने किसी खास व्यक्ति के लिए चुन कर संसार में भेजा था | जीवन के बीस सावन पार कर अब वो आगे आने वाले सावन के इंतज़ार में थी | उसके चेहरे की तस्कीं, मीलों दूर फैले सहराओं का एहसास देती है | काली घनी नागिन सरीखी लहराती जुल्फें दिन में काली बदली लाने का माद्दा रखती हैं | शम्स की आग सा ताबिंदा पेशानी का नूर देखने वालों की नज़रों को झुकाने का सामर्थ्य रखता है | चाँद जैसे रौशन गुलज़ार रुखसारों के साथ गेज़ाल मदभरी आँखों पर कौन ना दिल हार बैठे और दिलों जान से मर ना मिटे | सुर्ख होटों पर शबनम सी बरसती हंसी किसी के भी दिल में इश्क के तूफ़ान कैसे न पैदा कर दे | ऐसी दिलफ़रेबी गुलफ़ाम से भला कौन बच सकता था |
अपनी ज़िंदगनी की पहली पारी में आभा अपने प्रेमी सूरज से बहुत ज्यादा वाबसता थी | उसके इश्क का जादू आभा के सर पर चौबीस घंटे चढ़ा रहता | दिन रात सोते जागते बस एक ही नाम ज़हन में समाये जाता, सूरज! सूरज! सूरज! | वो दोनों एक दुसरे के इश्क में गिरफ्तार आलम से बेखबर, एक दुसरे के हाथ में हाथ लिए, आँखों में आँखे डाल महशर की रात के सपने सजाते और आग़ोश में बैठे साथ जीने मरने की कसमें खाते | पर ऐसा हो ना सका कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था | आभा के वालिद बहुत ही संजीदा इंसान थे | मिजाज़ से बहुत ही कड़क, हठी और गुस्सैल | जो उनके जी में आती वही करते | किसी की हिम्मत नहीं थी उनके सामने ज़बान खोल सकता और उफ़ तक कर सकता | अपने सैकड़ों ख़ैरख़्वाहों के मुख़्लिस मशवरों का हमेशा इस्तक़्बाल करते पर अंजाम सिर्फ अपनी सोच को ही दिया करते |
ऐसे में उन्हें एक दिन मालूम चलता है के उनकी बेटी आभा किसी के इश्क की गिरफ्त में है | मालूम चलने पर गुस्सा तो बहुत आया पर फिर लाल पीला होने की बजाये उन्होंने चुप रहकर एक राजनैतिक खेल खेला और ऐसे हालात पैदा कर दिए के आभा को शादी करने के लिए रज़ामंदी देनी पड़ी | उसका निकाह उन्होंने अपने पुराने लंगोटिया के साहबज़ादे के साथ पढ़वा दिया | हालाँकि आभा आज भी सूरज के गल्बा-ए-इश्क़ में मशगूल थी पर चूंकि पिताजी की इज्ज़त भी की लाज भी निभानी थी तो जैसे तैसे उसने अपने इस नए जीवन के आगाज़ का ख़ैर मक़दम कर लिया |
पिता के प्रति अकीदे की बहुत भारी कीमत अदा कर आभा आज बिना किसी टिल्ले-नवीस के अपनी पुरानी ज़िन्दगी को टिल्ला के आगे बढ़ चुकी थी | अकेली हिज़्र की तपिश में स्वाह होती रहती पर अपनों के आय’जाज़ के लिए अपने माज़ी को टिली-लिली देती | अब उसकी यादों में सिर्फ गुज़रे वक़्त के अफसाने ही थे और कुछ अश्क जो उसने सबसे छिपा कर संजो रखे थे | उसके आने वाले जीवन में नया रंग भरने वाला मुसाविर अब उसका पति था और वो अपने इस नए परिवेश में फकत आसिरान बनी आने वाले वक़्त का तमाशा देख रही थी | इसका महासल यह हुआ के खिलखिलाती आभा हमेशा के लिए ख़ामोशी की चादर में लिपटी, लफ़्ज़ों को सिये अपनी ज़िन्दगी की तनहाइयों में गम हो गई |
वक़्त का वकफ़ा कैसे गुज़ारा कुछ मालूम नहीं दिया | आज जब कि वो बहुत खुश है अपनी शादीशुदा ज़िंदगी मे, हर बात का ख्याल रखने वाले पति और दो प्यारे बच्चो के साथ, बीस वर्ष बाद अचानक सफाई करते समय पूर्व प्रेमी सूरज के ख़त पर नज़र पड़ती है | एक पुरानी किताब सफाई के दौरान नीचे गिर पड़ती हैं और ज़िन्दगी के पुराने सफों को खोल कर सामने ला खड़ा करती है | उस ख़त को पढने के बाद उसके सामने पुराना मंज़र एक बार फिर दौड़ जाता है | उसे अपना पहला प्यार याद आता है जिसकी हसरत-ए-दीदार के लिए कभी वो बेतहाशा तरसा और तड़पा करती थी | कुछ मजबूरियों की वजह से जिससे जुदा होना पड़ा था वो एक बार फिर से यादों की कब्र से उठ कर बहार आ खड़ा होता है | अब वो भावुक हो उठती है और आँखें नाम किये ख़त को सीने से लगाये खड़ी सोचती रहती है | एक बार पुराने प्रेमी को देखना चाहती है | अब उसे क्या करना चाहिए? क्या उस खत को फाड़ कर फेंक देना चाहिए? जला देना चाहियें? ख़त हाथ में संभाले बीता वक़्त याद कर रोमांचित और रूमानी होते हुए उसके दिल में यही विचार उथल पुथल मचा रहे थे | इन्ही सब विचारों जूझते और खुद से लड़ते उसके कपडे पसीने से तर-ब-तर हुए जा रहे थे और उसके रोंगटे खड़े हो रहे थे | दिमाग पुराने अफ्सानो की रेलगाड़ी में सवार था और दिल सूरज से मिलने जाने की कवायद को दस्तक दिए जा रहा था | वो अपने आप से सवाल किये जा रही थी और जवाब भी खुद ही तलाशने की कोशिश कर रही थी | क्या मुझे एक बार सूरज से मिलने जाना चाहियें? या अपने पुराने प्रेमी से मिलकर मैं कोई गुनाह तो नहीं करुँगी? क्या वो मुझे याद करता होगा या भूल गया होगा?
इन्ही अटकलों के साथ ना जाने कब समय बीत गया पता भी नहीं पड़ा | अचानक पीछे से कंधे पर किसी ने दस्तक दी तो हडबडाकर आभा अपने तसव्वुर के फ़लक से नीचे उतर कर ज़मीन से मिलने आई और मुड़कर देखा तो सामने शोहर को पाया | उसका चेहरा देखते ही सारे ख़यालात और सवालात ना जाने कहाँ मुश्त-ए-गुबर में गुम हो गए | जो कुछ समय पहले ख़ाक-ब-सर गरीबां-ए-मुहब्बत बनी ख़ाना-बरअंदाज़-ए-चमन ख्वाब बुन रही थी अब वो एक दम शांत थी | उसके सारे सवालों का जवाब उसके सामने मौजूद था |
उससे बेतहाशा इश्क फरमाने वाला, बे-रिया, वफ़ा-शि'आर उसका शौहर जो गाहे-गाहे आश्कार अपने प्यार का इज़हार भी कर दिया करता है | जिसकी मुनफ़रिद शक्सियत ने इन बीस सालों में उसके पुराने प्यार को भुला देने में मदद की और आज जिसकी दिल-कुशा मुस्कराहट पर आभा मर मिटती है | जिसकी बे-सूद उल्फ़त और रफ़ाकत ने उसकी नई जिंदगानी को परवाज़ दी थी | जिसके सलीक़े की आज वो क़ायल है | जिसकी सादगी और रानाई की इबादत करते आज आभा थकती नहीं थी | जिसने उसकी अफ़सुर्दा और खामोश जिंदगी में मेहताब की नफीस रौनक भर दी थी | जिसके वस्ल की कस़क, जिसके एहतराम के लिए आज आभा मुद्दतों तक इंतज़ार कर सकती है | जिसके प्यार की खातिर आज आभा को क़िस्तों में मौत भी मंज़ूर है | आज वो उसका सच्चा हबीब है जिसके साथ वो दहर तक जीवन जीना चाहती है |
वो साहिर जो उसके जीवन में खुशियों का क़ासिद बनकर आया था उसके सामने आते ही आभा ने ख़त को हथेली में दबोच लिया और डबडबाती आँखों से दो गाम आगे बढ़कर कर सीने से चिपट उसके गले लग गई और धीरे से कान में फ़ुसफ़ुसाया,
"महबूब! ओह महबूब! अच्छा हुआ तुम आ गए | मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, अपनी जान से भी ज्यादा | तुम्हारे बिना जीने की मैं सोच भी नहीं सकती"
और ख़त को मोड़ कर वापस दुसरे हाथ में दबी किताब में रख दिया |
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ख़ुर्शीद - सूरज / sun
तस्कीं - शान्ति / peace
सहराओं - रेगिस्तान / desert
शम्स - सूरज / sun
ताबिंदा - प्रकाशित, जगमग / illuminated and brightened
पेशानी - माथा / forehead
नूर - रौशनी / light
गुलज़ार - लाली / bloom
रुखस़ार - ग़ाल / cheeks
गेज़ाल - हिरनी जैसी, मृगनयनी / dove eyed damsel
शबनम - ओस / dew
दिलफ़रेबी गुलफ़ाम - दिल को ठगने वाली हसीना / girlfriend
वाबसता - संलग्न, जुडी हुई / attached
ज़हन - दिमाग / mind
आलम - दुनिया / worldworld
महशर - क़यामत का दिन / judgement day
आग़ोश - गोद / lap
वालिद - पिताजी / father
ख़ैरख़्वाहों – शुभचिंतक / well wisher
मुख़्लिस - दिल का साफ / pure hearted
मशवरों - सलाह / suggestions
इस्तक़्बाल - इकराम, इज्ज़त / respect, welcome
अंजाम - परिणाम / result
रज़ामंदी - सहमति, अनुमति, अनुबंध / agree
गल्बा-ए-इश्क़ - प्यार का जूनून / passion of love
मशगूल - मसरूफ़, व्यस्त / busy
आगाज़ - शुरुवात / start
ख़ैर मक़दम - स्वागत / welcome
अकीदा = श्रद्धा / devotion
टिल्ले-नवीस - बहाने बाजी / excuses
टिल्ला - धक्का / push
हिज़्र - जुदाई / seperation
आय’जाज़ - मान सम्मान / honour
टिली-लिली - अंगूठा दिखाना / show thumb
अफ़साने - कहानियां, किस्से / stories
अश्क - आंसू / tears
मुसाविर - तस्वीर बनाने वाला / painter
आसिरान - कैदी / captive
महासल - परिणाम स्वरुप / result
हसरत-ए-दीदार - ललक , आरज़ू / longing, desire to see
कवायद - अभ्यास / drill, exercise
अफसाना - कहानी / tale
तसव्वुर- कलपना / contemplation, imagination, thought
फ़लक - आसमान / sky
मुश्त-ए-गुबर - चुल्लू भर धूल / handful of dust
ख़ाक-ब-सर - दीवाने, सर में मिट्टी डाले हुए / gaga
गरीबां-ए-मुहब्बत - अनुरागिनी, मुहब्बत के मारे लोग / lover
ख़ाना-बरअंदाज़-ए-चमन - चमन को उजाड़ने वाले / destroyer of flower garden
बे-रिया - मुख़्लिस, दिल का साफ / clear hearted
वफ़ा-शि’आर - वफ़ा करने वाला / loyal
आश्कार - सरे आम ,जाहिर / express
गाहे-गाहे - कभी-कभी / sometimes
मुनफ़रिद – मुख़्तलिफ़, अनुपम / unmatchable
दिल-कुशा - मनोहर / pretty
बे-सूद - बिना किसी स्वार्थ के / without any benefit
उल्फ़त - प्यार / love
रफ़ाकत - दोस्ती / friendship
सलीक़ा - good manner, etiquettes
रानाई - beauty
ईबादत - worship
अफ़सुर्दा - sad/sorry/dismal/withering
मेहताब - moon
नफीस - जगमगाती / illuminated
वस्ल - मुलाक़ात / meeting
कस़क - ache/longing
एहतराम - respect, courtesy
मुद्दत - a long period of time
क़िस्तों - instalments, pieces
हबीब - दोस्त / friend, beloved, lover
दहर - eternity
साहिर - magician
क़ासिद – messenger
दो गाम - दो कदम / two steps
प्यार समझौता शादी में उलझी नारी की असली तस्वीर आपकी रोचक कहानी !!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !!
विडंबना ही ये जीवन की। वैसे प्यार का परिभाषा हमेशा अस्पष्ट ही रही। बहुत बढ़िया व्याख्यान।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लगी यह कहानी ...
जवाब देंहटाएंआभार
मज़ा आया कहानी पढ़ के ... रोचक बाँधा है इसे ...
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