शुक्रवार, जनवरी 31, 2014

रात के आगोश में





















रात के आगोश में...

छा रहीं मदहोशियाँ
धीमी सरसराहटें
कर रहीं सरगोशियाँ
ख़ामोशी की ज़बां
कहती है कहकशां
तेरी वो गुस्ताखियाँ
जाज़िब बदमाशियाँ

रात के आगोश में...

बातें बस यूँ ही बनीं
उसने जो कुछ कही
उन बंद होटों से सही
दिल से इबादत यही
कर जज्बातों को बयां
जुस्तजू-ए-ज़ौक़ रही
मौन रह सब मैंने सुनी

रात के आगोश में...

चलती मुझसे गुफ़्तगू
छोड़ कर सोने चली
भूल ख्वाबों से मिली
'निर्जन' बे कस बैठा
बे क़द्र रातें कोसता
लफ़्ज़ों को सोचता
ज़ह्मत को परोसता

रात के आगोश में...

जाज़िब : मनमोहक, आकर्षक
जुस्तजू : खोज, पूछ ताछ, तलाश
ज़ौक़ : स्वाद
बे कस : अकेला, मित्रहीन
बे क़द्र : निर्मूल्य
ज़ह्मत : मन की परेशानी, विपदा, दर्द

सोमवार, जनवरी 20, 2014

क्या कहूँ
















अमा अब क्या कहूँ तुझे हमदम
नूर-ए-जन्नत, दिल की धड़कन 
जान-ए-अज़ीज़, शमा-ए-महफ़िल 
गुल-ए-गुलिस्तां, लुगात-ए-इश्क़
हर दिल फ़रीद, दीवान-ए-ज़ीस्त
अलफ़ाज़ होते नहीं मुकम्मल मेरे 
पुर-सुकून शक्सियत तेरी जैसे 
महकती फ़ज़ा-ए-गुलशन 'निर्जन'
हो सुबहो या शामें या रातों की बेदारी  
तुझको देखा आज तलक नहीं है
फ़िर भी 
तुझको सोचा बहुत है हर पल मैंने.... 

लुगात : शब्दकोष, dictionary
दीवान : उर्दू में किसी कवि या शायर की रचनाओं का संग्रह, collection of poems in urdu
ज़ीस्त : ज़िन्दगी, life
अलफ़ाज़ : शब्द, words
मुकम्मल : पूरे, complete
पुर-सुकून : शांत, peaceful/tranquil
बेदारी : अनिद्रा, wakefullness

बुधवार, जनवरी 15, 2014

देखे होंगे


















मेरी तरह उसने भी तो रातों में
चाँद से लिपटते तारे देखे होंगे
चांदनी के आगोश में सिमटते
वो मदहोश नज़ारे देखे होंगे
रात के आसमान में धीरे से
खिसकते बादल देखे होंगे
छत की मुंडेर को थामे वो
रातों में मुझे ढूँढ़ते तो होंगे
सियाह रात के सर्द कुहरे में
बंद होठ धीरे से मुस्कुराते होंगे
अनकहे अनछुए एहसास उसके
दिल में भी धड़कते मचलते होंगे
बस कह नहीं पाता है वो
दिल की बात 'निर्जन' तुझसे
ये बात दीगर है कि सपने तो
उसने भी वही देखे होंगे...

मंगलवार, जनवरी 07, 2014

दिल का पैगाम





















उनकी आमद से हसरतों को, मिले नए आयाम
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

दिल दरिया है, रूप कमल है, सोच है आह्लम
हंसी ख़ियाबां, नज़र निगाहबां, ऐसी हैं ख़ानम
ख़ुदाई इबादत, इश्क़ की बरकत, जैसे हो ईमान
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

दिल अज़ीज़ है, अदा अदीवा है, मिजाज़ है शबनम
खून गरम है, बातें नरम हैं, शक्सियत में है बचपन
लड़ती रोज़ है, भिड़ती रोज़ है, जिरह उनका काम
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

जब से मिला हूँ, तब से खिला हूँ, बनते सारे काम
मुस्कुराहटें, सरसराहटें, रहती सुबहों और शाम
दुआ रब से, मांगी है कब से, मिल जाये ये ईनाम
सोच रहा है 'निर्जन' उनको दे, कैसे दिल का पैगाम

आमद : आने
आह्लम : कल्पनाशील
ख़ियाबां : फूलों की क्यारी
निगाहबां : देख भाल करने वाला
ख़ानुम(ख़ानम) : राजकुमारी
अज़ीज़ : प्रिय
अदा : श्रृंगार, सुन्दरता
अदीवा : लुभावनी
शबनम : ओस
जिरह : बहस

गुरुवार, जनवरी 02, 2014

बना करते हैं

















तेरी ज़ुल्फ़ के साए में जब आशार बना करते हैं
बाखुदा अब्र बरस जाने के आसार बना करते हैं

तेरे आगोश में रहकर जब दीवाने बना करते हैं
अदीबों की सोहबत में अफ़साने बना करते हैं

तेरी नेकी की गौ़र से जब गुलिस्तां बना करते हैं
ख्व़ार सहराओं में गुमगश्ता सैलाब बना करते हैं

तेरी निगार-ए-निगाह से जब नगमें बना करते हैं
अदना मेरे जैसे नाचीज़ तब 'निर्जन' बना करते हैं

आशार : शेर, ग़ज़ल का हिस्सा
अब्र : मेघ, बादल
आगोश : आलिंगन
अदीबों : विद्वानों
सोहबत : साथ
अफ़साने : किस्से
नेकी : अच्छाई
गौ़र : गहरी सोच
गुलिस्तां : गुलाबों का बगीचा
ख्व़ार : उजाड़
गुमगश्ता :  भटकते हुए
निगार : प्रिय
निगाह : दृष्टि
नज़्म : कविता
नगमा : गीत
अदना : छोटा
नाचीज़ : तुच्छ

नज़र उसकी











अदा उसकी
अना उसकी
अल उसकी
आब उसकी
आंच उसकी

रह गया फ़कत
अत्फ़ बाक़ी 'निर्जन'
बस वो तेरा, फिर तेरी

जान उसकी
चाह उसकी
वफ़ा उसकी
क़ल्ब उसकी
ग़ज़ल उसकी

जो कुछ बाक़ी
रहा हमदम
गोया मुस्कुराते
कर देगा

नज़र उसकी
नज़र उसकी ...

*अदा : सुन्दरता, अना : अहं, अल : कला, आब : चमक, आंच : गर्मी, अत्फ़ : प्यार, क़ल्ब : आत्मा, नज़र : समर्पण