रविवार, अप्रैल 14, 2013

शुक्रिया तेरा

शुक्रिया तेरा
प्रत्येक जतन के लिए
हर पल सुनने के लिए
परवाह करने के लिए
प्यार करने के लिए
खुद को खुद की तरह
रखने के लिए

हैरान रह जाता हूँ मैं
कैसे रहती है तू
इतनी शांत
कहाँ से लाइ है
इतनी सहनशीलता
क्यों है तेरे पास
इतना धीरज

तू पास मेरे बैठ कर
बस सुनती रहती है
जब भी अनाड़ीपन से
मैं छलकाता हूँ दिल के
जज़्बात सामने तेरे और
मुस्कराती रहती है तू
आँख मूंदे मंद मंद

पर मैं भी
चाहता हूँ करूँ
तेरे लिए कुछ ऐसा ही
चल बता तू अपने डर
और बता दे जो भी
दिल में बसी हैं
चाहतें तेरी

वादा तो मैं करता नहीं
दे सकूँगा सब कुछ तुझे
आज, कल या जिंदगी भर
पर इतना कहूँगा बस तुझे
जब तक है जां में जां मेरे
कोशिश करूँगा खुश
रहे तू उम्र भर

शुक्रिया तेरा
सब कुछ है तू
मेरे लिए
शुक्रिया कहते
नहीं थकता है
'निर्जन' आज
बस तेरे लिए

7 टिप्‍पणियां:

  1. वादा टूट जाता है
    कोशिश कामयाब होती है
    शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
    नवसंवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छे भाव
    आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [15.4.2013]के चर्चामंच1215 पर लिंक क़ी गई है,
    अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है | सूचनार्थ..

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर भाव खुश किस्मत है वो जिसके लिए ये भाव बुने बहुत- बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया -
    शुभकामनायें भाई-

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर!
    उनके लिए इतना ही काफ़ी होगा...
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं

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