प्रत्येक जतन के लिए
हर पल सुनने के लिए
परवाह करने के लिए
प्यार करने के लिए
खुद को खुद की तरह
रखने के लिए
हैरान रह जाता हूँ मैं
कैसे रहती है तू
इतनी शांत
कहाँ से लाइ है
इतनी सहनशीलता
क्यों है तेरे पास
इतना धीरज
तू पास मेरे बैठ कर
बस सुनती रहती है
जब भी अनाड़ीपन से
मैं छलकाता हूँ दिल के
जज़्बात सामने तेरे और
मुस्कराती रहती है तू
आँख मूंदे मंद मंद
पर मैं भी
चाहता हूँ करूँ
तेरे लिए कुछ ऐसा ही
चल बता तू अपने डर
और बता दे जो भी
दिल में बसी हैं
चाहतें तेरी
वादा तो मैं करता नहीं
दे सकूँगा सब कुछ तुझे
आज, कल या जिंदगी भर
पर इतना कहूँगा बस तुझे
जब तक है जां में जां मेरे
कोशिश करूँगा खुश
रहे तू उम्र भर
शुक्रिया तेरा
सब कुछ है तू
मेरे लिए
शुक्रिया कहते
नहीं थकता है
'निर्जन' आज
बस तेरे लिए
वादा टूट जाता है
जवाब देंहटाएंकोशिश कामयाब होती है
शुभकामनायें
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनवसंवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
उत्तम भावाभ्यक्ति!
जवाब देंहटाएंअच्छे भाव
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [15.4.2013]के चर्चामंच1215 पर लिंक क़ी गई है,
अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है | सूचनार्थ..
बहुत सुन्दर भाव खुश किस्मत है वो जिसके लिए ये भाव बुने बहुत- बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें भाई-
बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंउनके लिए इतना ही काफ़ी होगा...
~सादर!!!