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सोमवार, जुलाई 27, 2015

स्वर्गीय चाचा कलाम को शत-शत नमन और हृदयतल से श्रद्धांजलि














अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम
जन्म : १५ अक्टूबर १९३१ - २७ जुलाई २०१५
स्थान : रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
इन्हें डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है।
भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात हैं।
स्वर्गीय चाचा कलाम को शत-शत नमन और हृदयतल से श्रद्धांजलि
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वो शक्सियत है ख़ास
पर इंसा बेहद आम हैं
भारत माता के सपूत  
हिन्दुस्तान की शान हैं 

मातृभूमि सेवा में सदा
अग्रसर, अविराम हैं
कर्मयोगी, कर्मठ वो
देश का अभीमान हैं 

जीवन उनका हमेशा
ख़ुद में एक संग्राम है
शिक्षा उनसे मिली जो
बहुमूल्य वरदान है

प्रेरणा के स्रोत हर पल
वो ज्ञान के भण्डार हैं
दे जीवन दान अपना
वैज्ञानिको का मान हैं

प्रेम जनता के दिलों में
करते सभी सम्मान हैं 
भारत-रत्न, युगपुरुष वो  
अमर अब्दुल कलाम हैं

#तुषारराजरस्तोगी  #भारतरत्न #डाअब्दुलकलाम  #श्रद्धांजलि  

गुरुवार, सितंबर 18, 2014

ऐ जान अभी ना जा

ऐ जान अभी ना जा,
ज़रा कुछ देर तो ठहर "निर्जन",
अक्सर साथ तेरा पाया है मैंने,
तन्हाई मेरी मिटाने को,
अकेलेपन के इस विराने मे,
हक अपना जतलाने को,
गम से निजात दिलाने को,
इन होठों को हंसाने को,
दोस्ती अपनी निभाने को,
प्यार से गले लगाने को,
अपना कोई कहलाने को।

--- तुषार राज रस्तोगी ---

मंगलवार, सितंबर 16, 2014

मानव - मानवता



















बढ़ा हाथों को अपने झुका दो आसमां धरती पर
चीर सीना पाषाण का नदियाँ बहा दो पृथ्वी पर
थरथरा दो सब दिशाएं तुम्हारी एक हुंकार पर 
प्राणों की आहुति सजा दो माटी की पुकार पर

प्रतिरोध कोई आड़े ना आए राह में बढ़ने पर
पाठ मुश्किलों को पढ़ा दो ठोकरों की मार पर
सफलता कभी मिलती नहीं है यारों मांगने पर
जीत को महबूबा बना लो खेल अपने मान पर

कोई हँसे ना अमन और शांति की बातों पर
दुश्मनों को ये बता दो एक ही ललकार पर
डरना फितरत में नहीं है शांति के नाम पर
डर को आईना दिखा दो क्रान्ति के दाम पर

फूल बंजर में खिला दो पृथ्वी के हर कोने पर
मेहनत कर सोना उगा दो खेतों की छाती पर
अब तो ज़रा मरहम लगा दो देश के ज़ख्मो पर
अब तो भरोसा जगा दो इंसानों का इंसानों पर

भेद-भाव को त्याग भाईचारे को अपनाने पर
जनता के ह्रदय में प्यार का भाव जगाने पर
जाति,ऊँच,नीच,भाषा,धर्म की बेडी तोड़ने पर
'निर्जन' देता ज़ोर मानव को मानवता से जोड़ने पर

--- तुषार राज रस्तोगी ---

गुरुवार, अप्रैल 24, 2014

रे मुसाफ़िर














रे मुसाफ़िर चलता ही जा -

नहीं तो राहों से चूक जायेगा
पहुंचेगा कहाँ, वहाँ जहाँ तू
अपने आप को भूल जाएगा
तू तनहा राह में रह जायेगा

जीवन है काँटों की झाड़ी
उलझ अटक रह जायेगा
आधी को संजोने खातिर
तू पूरा जीवन गंवाएगा

छूट जायेगा अपने से तू
भूल जायेगा जीवन को तू
रे मुसाफ़िर मंज़िल को भी
तू, फिर छोड़ कर जायेगा

इस दुनिया से तू बेगाना सा
तेरे ख्वाबों के रंग उड़ जायेंगे
सब राहे होंगी अनजानी तब
सबसे छूटेगा अपने से टूटेगा

मंजिल कभी खत्म ना हो तेरी
मंजिल से कभी तू भटके ना
यही प्रार्थना करता हूँ मैं
लिए हाथों में यह दीपशिखा

राह में जब अंधियारा छाएगा
निर्भय होकर तू चलता चल
यह दीपशिखा तुझको पल पल
तेरा मार्ग दिखलाएगी

रे मुसाफ़िर तू चलता चल
नहीं तो राह में रह जायेगा
पीछे मुड़कर ना देख ज़रा
वरना जीवन में पछतायेगा

रे मुसाफ़िर चलता ही जा....

शुक्रवार, फ़रवरी 21, 2014

तू साथ दे तो












तू कहती हैं तेरे लिए ये ग़ज़ल लिख दूं
तू साथ दें तो शब्दों का कँवल लिख दूं

गालों की सुर्खी से तेरी किरण लिख दूं
तू साथ दें तो आसमां पर सनम लिख दूं

आँखों के काजल से तेरे ये रात लिख दूं
तू साथ दें तो सितारे भी मैं साथ लिख दूं

दिल कहे है कागज़ पर गुलाब लिख दूं
तू साथ दें तो इश्क़ का गुलदस्ता लिख दूं

'निर्जन' तेरी आरज़ू इस दिल पर लिख दूं
तू साथ दे तो ज़िन्दगी भर आदाब लिख दूं 

शुक्रवार, फ़रवरी 14, 2014

सनम














इज़हार-ए-इश्क़ का आया मौसम
अरमां मचलते इस दिल में सनम

महफूज़ मुद्दत से रखा हमने इन्हें
आज क्यों ना कह दें तुमसे सनम

मालूम है फ़र्क पड़ता नहीं तुमको
हम जियें या मर जाएँ ऐसे ही सनम

हसरत दिल की दिल में ना रह जाये
यही सोच लिख बयां करते हैं सनम

तुम कब समझोगी ये अंदाज़-ए-बयां
हो ना जायें हम फनाह इश्क़ में सनम

सोचता 'निर्जन' थाम हाथ मेरा भी कभी
कहेगा हूँ मैं साथ तेरे यहाँ हर पल सनम

--- तुषार राज रस्तोगी ---

रविवार, फ़रवरी 02, 2014

तुम्हारे लिए





















मेरी कविता, मेरे अलफ़ाज़
मेरी उम्मीद, मेरे उन्माद
मेरी कहानी, मेरे जज़्बात
मेरी नींद, मेरे ख्व़ाब
मेरा संगीत, मेरे साज़
मेरी बातें, मेरे लम्हात
मेरा जीवन, मेरे एहसास
मेरा जूनून, मेरा विश्वास
सब तुम्हारे लिए ही तो है
फिर क्या ज़िन्दगी में
तुमसे कह नहीं सकता
मेरे जीवन का हर क्षण
तुम्हारे लिए ही तो है
तुम भी अपनी साँसों में
मेरी हर एक सांस को
बसा सकते हो क्या ?
इस ज़िन्दगी में तुम
हर पल हर क्षण यही
गीत गा सकते हो क्या ?

एक गीत एक कविता
फिर कहानी सुनाएगी
कहेगी, बतलाएगी
मेरी मस्ती में तुम भी
शामिल हो जाओगी
निश्छल निर्मल
अनोखी सरल
शरारती दिल्लगी
तुम्हारे जीवन में
संचार करेगी तिश्नगी
जब तुम पा जाओगे
इश्क की मंजिल वही
ज़िन्दगी के हर लम्हे में
हर मोड़ पर हल पल में
फैल जाएगी सुगन्ध
महक मेरे पागलपन की
तसव्वुर में तुम्हारे
तब बेचैन हो उठोगे
अपने आप को
मेरी पहचान में
शामिल करने को.....

मंगलवार, जनवरी 07, 2014

दिल का पैगाम





















उनकी आमद से हसरतों को, मिले नए आयाम
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

दिल दरिया है, रूप कमल है, सोच है आह्लम
हंसी ख़ियाबां, नज़र निगाहबां, ऐसी हैं ख़ानम
ख़ुदाई इबादत, इश्क़ की बरकत, जैसे हो ईमान
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

दिल अज़ीज़ है, अदा अदीवा है, मिजाज़ है शबनम
खून गरम है, बातें नरम हैं, शक्सियत में है बचपन
लड़ती रोज़ है, भिड़ती रोज़ है, जिरह उनका काम
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

जब से मिला हूँ, तब से खिला हूँ, बनते सारे काम
मुस्कुराहटें, सरसराहटें, रहती सुबहों और शाम
दुआ रब से, मांगी है कब से, मिल जाये ये ईनाम
सोच रहा है 'निर्जन' उनको दे, कैसे दिल का पैगाम

आमद : आने
आह्लम : कल्पनाशील
ख़ियाबां : फूलों की क्यारी
निगाहबां : देख भाल करने वाला
ख़ानुम(ख़ानम) : राजकुमारी
अज़ीज़ : प्रिय
अदा : श्रृंगार, सुन्दरता
अदीवा : लुभावनी
शबनम : ओस
जिरह : बहस

गुरुवार, जनवरी 02, 2014

नज़र उसकी











अदा उसकी
अना उसकी
अल उसकी
आब उसकी
आंच उसकी

रह गया फ़कत
अत्फ़ बाक़ी 'निर्जन'
बस वो तेरा, फिर तेरी

जान उसकी
चाह उसकी
वफ़ा उसकी
क़ल्ब उसकी
ग़ज़ल उसकी

जो कुछ बाक़ी
रहा हमदम
गोया मुस्कुराते
कर देगा

नज़र उसकी
नज़र उसकी ...

*अदा : सुन्दरता, अना : अहं, अल : कला, आब : चमक, आंच : गर्मी, अत्फ़ : प्यार, क़ल्ब : आत्मा, नज़र : समर्पण

सोमवार, दिसंबर 30, 2013

मेरा रहबरा














ओ रे मितवा, तू है मेरा रहबरा
बन रहा है, तुझसे मेरा राबता

दिल से मेरे है अब, तेरा वास्ता
तू ही दिखा दे अब, आगे रास्ता

तू रहगुज़र-ए-दिल-ए-खुशखीरां
लग रहा है तू ही, मेरा कहकशां

खुदा हो रहा 'निर्जन' पर मेहरबां
मिलते हैं उसकी रहमत से कद्रदां

गुरुवार, दिसंबर 26, 2013

यह किसकी दुआ है
















ऐ मेरी तकदीर बता
किसकी दुआ है
दिल में उमंग
जिगर में तरंग
यह किसकी दुआ है

मेरे जीवन की
मेरे मन की
चमक दमक तो
संवर गई अब
जुगनू सा
प्रकाशमय जीवन
जगमग सितारों सी
रौशनी है
यह किसकी दुआ है

मन को मोड़ा
तन को जोड़ा
साँसों की तारों
को झकझोरा
यह किसकी दुआ है

एक आवाज़
ह्रदय को हर्षाती
प्रार्थना को भेदती है
आत्मा के यौवन को
खुशियों से प्राणों
से जोड़ती है
यह किसकी दुआ है

अपनों के बंधन
सच्चे और मीठे
साँसों का
हर कतरा झूमा है
यह किसकी दुआ है

पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा
एक-एक करके
मेरे मन मस्तिष्क में
हर क्षण, हर पल
कुछ ना कुछ
गाता है, गुनगुनाता है
पूछता है कहता है
'निर्जन'
यह किसकी दुआ है

यह किसकी दुआ है 

बुधवार, दिसंबर 18, 2013

तेरा ही रहेगा













तेरे आने की जब खबर चहके
तेरी महक से सारा घर महके
तेरे रौशन चेहरे से दिन लहके
तेरी आहों से मेरा दिल बहके
तेरे होठों से मेरे अरमां दहके
तेरी बोली से ये जीवन कहके
कहता है 'निर्जन' रह रह के
तेरा ही रहेगा कुछ भी सहके....

सोमवार, दिसंबर 16, 2013

ज़िन्दगी इनसे बर्बाद है











कुछ महके हुए ख्व़ाब
कुछ बिछड़े हुए अंदाज़
कुछ लफ़्ज़ों के एहसास
कुछ लिपटे हुए जज़्बात
ज़िन्दगी इनसे बर्बाद है

कुछ बातों में शरारत
कुछ नखरों में अदावत
कुछ इश्क़ में बनावट
कुछ जीवन में दिखावट
ज़िन्दगी इनसे बर्बाद है

कुछ लम्बी तनहा राहें
कुछ सुलगी चुप आहें
कुछ कमज़ोर वफाएं
कुछ उलझी जफाएं
ज़िन्दगी इनसे बर्बाद है

कुछ बेगाने अपने
कुछ अनजाने सपने
कुछ मुस्कुराते चेहरे
कुछ ग़म भी हैं गहरे
'निर्जन' इनसे आबाद है 

शनिवार, दिसंबर 14, 2013

शाम तनहा है


















शाम तनहा है
रात भी तनहा
चाँद मिलता है
अब यहाँ तनहा
शाम तनहा है...

टूटी हर आस
थम गया लम्हा
कसमसाता रहा
ये दिल तनहा
शाम तनहा है...

इश्क भी क्या
इसी को कहते हैं
लब तनहा है
जिस्म भी तनहा
शाम तनहा है...

साक़ी ग़र कोई
मिले भी तो क्या
जाम छलकेंगे
दोनों तनहा
शाम तनहा है...

जगमगाती
चांदनी से परे
सूना सूना है
एक जहाँ तनहा
शाम तनहा है...

याद रह जाएगी
दिलों में मेरी
जब चला जायेगा
'निर्जन' तनहा
शाम तनहा है...

मुक़म्मल इंसान हो तुम














गैरों के एहसास 
समझ सकते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

लोगों की परख 
रखते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

बेबाक़ जज़्बात 
बयां करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

आँखों से हर बात 
कहा करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

क़ल्ब* को साफ़ 
किये चलते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

दिल से माफ़ी 
दिया करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

आशिक़ी बेबाक 
किया करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

लबों पर मुस्कान 
लिए रहते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

खुल कर बात 
किया करते हो, तो   
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

क़त्ल बातों से 
किया करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

क़ौल* का पक्का 
रहा करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

क़ायदा* गर्मजोशी
का रखते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

ज़बां पर ख़ामोशी
लिए रहते हो, तो  
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

आफ़त को बिंदास
हुए सहते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

गुज़ारिश दिल से 
किया करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

ग़म को चुप्पी से 
पिया करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

जिगर शेर का  
रखा करते हो, तो 
मुक़म्मल इंसान हो तुम 

जज़्बा बचपन सा 
लिए जीते हो, तो 
'निर्जन' हो तुम...

मुक़म्मल - पूर्ण / Complete 
क़ल्ब - दिल
क़ौल - बात
क़ायदा - तरीका 

गुरुवार, दिसंबर 05, 2013

ज़िन्दगी












रज़ाई ओढ़े सर्दी में अलाव सेकती ज़िन्दगी
ठंडी भोर की बेला में बात सोचती ज़िन्दगी
देसी घी और मेवा का स्वाद देती ज़िन्दगी
बच्चों की ज़िद के जैसी है जिद्दी ये ज़िन्दगी

सुबह महकते एहसासों में लिपटी ज़िन्दगी
दिसम्बर की ठण्ड में कड़कड़ाती ज़िन्दगी
लोई ओढ़ बिस्तर में आराम करती ज़िन्दगी
सोच से सृजन बनाती है आज मेरी ज़िन्दगी

मुश्किलों को प्यार से गले लगाती ज़िन्दगी
तन्हाई में अपने ग़म का जश्न मानती जिंदगी
चुप्पी साधे खड़ी रही मज़बूत बन ये ज़िन्दगी
मुस्कान बनकर जीती है होटों पर ये ज़िन्दगी

खुशियों के सैलाब में गोते लगाती ज़िन्दगी
सनम जैसा प्यार मुझ पर लुटाती ज़िन्दगी
खिलती रही बेबाक सी हंसा कर ज़िन्दगी
मासूम बन मचलती रही बेहिसाब ज़िन्दगी

दिल की वादियों में खिलता गुलाब ज़िन्दगी
जवान धड़कनो में जलती आग है ज़िन्दगी
सावन में बरसती मीठी आग जैसी ज़िन्दगी
तपते सेहरा में जीने की आस भर ज़िन्दगी

खुद की पहचान की ललक लिए ज़िन्दगी
वादों में इरादों पर ऐतबार करती जिंदगी
जी रहा है 'निर्जन' जीने को तो ये ज़िन्दगी
तुझसे मिलने की फ़रियाद है यह ज़िन्दगी 

शुक्रवार, नवंबर 22, 2013

वोट करोगे, वोट करोगे, वोट करोगे....???











कांग्रेस 
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महंगाई की इसकी मार, 
जनता झेल रही हर बार, 
कभी न पाती इससे पार 
तो बोलो क्या करोगे, 
कांग्रेस को वोट करोगे,
वोट करोगे, वोट करोगे....???

भ्रष्टाचारी नेता सब यार,
घोटालों का मुखिया सरदार, 
विदेशी एजेंट के हथियार  
तो बोलो क्या करोगे, 
कांग्रेस को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

बढ़ते बिजली-पानी के बिल, 
रहती घर में किल किल, 
जनता का दहला है दिल 
तो बोलो क्या करोगे, 
कांग्रेस को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

भाजपा 
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महापुरुष सब इसमें आए, 
विपक्ष की बड़ी पार्टी बनाये, 
बैठे ठाली गाल बजाए , 
तो बोलो क्या करोगे, 
भाजपा को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

चुप्पी साधे बैठे हर बार  
घोटालों पर नहीं की मार 
भ्रष्टाचार से इन्हें भी प्यार 
तो बोलो क्या करोगे, 
भाजपा को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

टैक्स लगाने में सबसे आगे 
नोटिस ले घर घर में भागे 
जाने जनता अब तो जागे 
तो बोलो क्या करोगे, 
भाजपा को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

आम आदमी पार्टी
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ईमानदारी करे इनकी हैरान, 
इलज़ाम लगाना इनका काम, 
बिना सबूत ये करते हर काम 
तो बोलो क्या करोगे, 
आम आदमी पार्टी को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

इमानदार कमिश्नर आया 
बेईमान अपने उमीदवार लाया 
मूर्ख जनता को खूब बनाया 
तो बोलो क्या करोगे, 
आम आदमी पार्टी को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

इनके मुंह में राम बगल में छुरी 
घटिया राजनीति करते यह पूरी 
हिन्दू मुसलमान पर घूमे धुरी 
तो बोलो क्या करोगे, 
आम आदमी पार्टी को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

पार्टी यह बेईमानो की जाई 
करतूत इनकी अब सामने आई
अरमां जनता के बेच ये खाई 
तो बोलो क्या करोगे, 
आम आदमी पार्टी को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

आलाकमान की खुल गई पोल 
न्यूज़ चैनल पर बज गया ढ़ोल
हो गया पार्टी का डब्बा गोल 
तो बोलो क्या करोगे, 
आम आदमी पार्टी को वोट करोगे, 
वोट करोगे, वोट करोगे....???

भाइयों सभी पार्टियाँ चोर हैं, भ्रष्टाचारी हैं, घूसखोर और धोखेबाज़ हैं | इसलिए इस दफ़ा 'नाटो' - 'NATO' का बटन दबाएँ और दिखा दें के जनता कितनी जागरूक है | 

जय हिन्द | भारत माता की जय | हर हर महादेव | जय बजरंगबली महाराज

मंगलवार, नवंबर 12, 2013

Love












Love is existance
Love is life
Love dear being
Is the way to paradise
Deep it with your heart
Deep it with your soul
Devote it to the one
And believe it as your pride
Love means to care
Love means to share
Caring for the Love
With your prime sacrifice
Take it as my word
Even God is with Love
The Love that is pure
Honest True and Divine
So Love but with purity
Devotion and sincerity
Surly God is with you 'nirjan'
Never never let him chide

बुधवार, नवंबर 06, 2013

दिल ये गया दिल वो गया














दिल वहाँ गया दिल कहाँ गया
बस जाने यह अहमक जहाँ गया
अरे पुछा जब उसने मुझसे ऐसे
दिल फिसल गया हाय संभल गया

कोयल बनकर दिल चहक गया
पपीहा मन के भीतर उतर गया
चहका बैठ मुंडेर पर जाकर ऐसे
दिल किधर गया हाय उधर गया

चिमटी बनकर दिल अटक गया
गेसुओं में छिपकर सिमट गया
झटका उसने जुल्फों को कुछ ऐसे
दिल लटक गया हाय चटक गया

आतिश बनकर दिल दहक गया
खलल एक दिमाग में पनप गया
हवा जो दी हसरतों को जोर से ऐसे
दिल सुलग गया हाय धधक गया

काजल बनकर दिल सज गया
नयनो में सियाही सा रच गया
मूंदी पलकें ज़ालिम ने फिर ऐसे
दिल मचल गया हाय बिखर गया

मोम बनकर दिल पिघल गया
जुगनू सा चम् चम् चमक गया
'निर्जन' वो जीवन में आया ऐसे
दिल सुधर गया हाय बिगड़ गया 

शुक्रवार, नवंबर 01, 2013

कैसी अधूरी यह दीवाली












जो बसते परदेसों में हैं
घर उनके आज हैं खाली
धनतेरस, दिवाली पर
सबकी रातें बस हैं काली

घर आँगन तुम्हे बुलाता है
दिल मिलने को कर जाता है
माँ जाये अपनों की चिंता में
दिल माँ का रो-रो भर आता है

दिल को कितना समझती है
पर चिंता से मुक्ति ना पाती है
वो अपने आँचल के पंखे से
नयनो के आंसू सुखाती है

तू भी कितना खुदगर्ज़ हुआ
पैसों की खातिर खर्च हुआ
अपनों का दिल दुखाने का
तुझको ये कैसा मर्ज़ हुआ

दिल तो तेरा भी करता है
वापस जाने को मरता है
क्यों व्यर्थ तू चिंता करता है
मजबूरी की आहें भरता है

अब दिवाली के धमाको में
एक सन्नाटा सा परस्ता है
कैसे कहे दिल उसका भी
मिलने को बिलखता है

आँखें नम हैं यह सुबह से
हाथ भी दोनों हैं खाली
घर से दूर इस जीवन की
कैसी अधूरी यह दिवाली

माँ, मेरा आँगन भी सूना है
आँखों में मेरे भी है लाली
बस हाथ तेरा सर पर है तो
हर दिन जीवन में है दिवाली