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बुधवार, जुलाई 08, 2015

तेरे इश्क़ में खो जाता हूँ













मैं महसूस करता हूँ तेरे हाथों को अपने हाथों में 
मैं महसूस करता हूँ तेरे बदन को मेरे बदन के पास
मैं महसूस करता हूँ तेरे गुलाबी होठों अपने होठों पर
मैं महसूस करता हूँ तेरी साँसों को अपनी साँसों में
मैं महसूस करता हूँ तेरे इश्क़ को अपनी रातों में 
मैं महसूस करता हूँ और तेरे इश्क़ में खो जाता हूँ

मैं सुनता हूँ तुझे कहते कि प्यार हैं मुझसे
मैं सुनता हूँ तेरी फुसफुसहटों में नाम अपना
मैं सुनता हूँ तुझे कहते एक सिर्फ मैं ही हूँ तेरे लिए
मैं सुनता हूँ तेरी धीमी आहों को अपने कानो में
मैं सुनता हूँ तेरी खामोश आवाजों को सोने के बाद
मैं सुनता हूँ और तेरे इश्क़ में खो जाता हूँ

मैं देखता हूँ तू दौड़ कर मेरी बाहों में समा जाती है
मैं देखता हूँ तू सूनेपन में उम्मीद की रौशनी लाती है
मैं देखता हूँ तू मेरे डर को कैसे दूर भागती है
मैं देखता हूँ तू कैसे मेरे आंसू पल में पोंछ जाती है
मैं देखता हूँ तू जब अपनी नज़रों से मुझे देखती है
मैं देखता हूँ और तेरे इश्क़ में खो जाता हूँ

मैं चखता हूँ तेरे नाज़ुक गुलाबी होठों का स्वाद
मैं चखता हूँ तेरी बातों की चहकती मिठास
मैं चखता हूँ तेरे बहकते जूनून का उन्माद
मैं चखता हूँ तेरी मदमस्त जवानी की आब
मैं चखता हूँ तेरे हुस्न की मदहोश पुरानी शराब
मैं चखता हूँ और तेरे इश्क़ में खो जाता हूँ

मैं महकता हूँ तेरी देह की महक के साथ
मैं महकता हूँ तेरे गेसुओं की लहक के साथ
मैं महकता हूँ तेरी हंसी की खनक के साथ
मैं महकता हूँ तेरे जोश में लिपट जाने के साथ
मैं महकता हूँ तेरे इंतज़ार भरे लम्हों के साथ
मैं महकता हूँ और तेरे इश्क़ में खो जाता हूँ

मैं बस तुझे महसूस करता हूँ
मैं बस तुझे सुनता हूँ
मैं बस तुझे देखता हूँ
मैं बस तुझे चखता हूँ
मैं बस तुझसे महकता हूँ
मैं बस इतना करता हूँ और तेरे इश्क़ में खो जाता हूँ

--- तुषार राज रस्तोगी ---