सोमवार, अप्रैल 08, 2013

जय सियाराम

दिन ढल जाये, हाय
रात जो आये
शाम के आँचल में
तारे छिपाए
रात काली और अँधियारा गहराए
पूछूँ मैं खुद से, अब
कैसे जिया जाए
चाँद पास आए, और
मुझे समझाए
ज़िन्दगी के फलसफे
मुझे बतलाए
सुन बस दिल की
और दे अंजाम
बिगड़े हुए हैं जो
बनेंगे तेरे
जीवन के काम
हँस के गुज़ार तू
सुबह हो या शाम
ख़ुशी से तू मिल सबसे
ले प्रभु का नाम
ज़िन्दगी में पा जायेगा
सुख फिर तमाम
जीतेगा हर बाज़ी तू
कोई हो मैदान
डर ना किसी से अब
साथ हैं तेरे राम
बोलो सियावर रामचन्द्र
की जय!!!
बोलो बजरंगबली

की जय!!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बेहतरीन भक्ति कविता,जय बजरंग बली की.

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  2. बढ़िया अभिव्यक्ति-
    शुभकामनायें स्वीकारें -

    जवाब देंहटाएं
  3. खुशी से मिल तू सबसे
    ले प्रभु का राम
    जय सियाराम
    बहुत ही अच्‍छा विचार। विचारों की कविता। और कविता के भाव।

    जवाब देंहटाएं
  4. डर ना किसी से अब साथ हैं तेरे राम
    बोलो सियावर रामचन्द्र की जय!!!
    बोलो बजरंगबली की जय!!!

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छी रचना....
    ईश्वर कृपा बनी रहे......

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ... जय सियाराम ..
    मस्त रचना है ...

    जवाब देंहटाएं

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