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शनिवार, मई 09, 2015

उस रोज़












मुस्कुराते गुलाबों की महक वैसी ना होगी
तेरी शोख हंसी की खनक वैसी ना होगी

तितलियों जैसी शोख़ी तेरी वैसी ना होगी
ख्व़ाब लिए नैनों की चमक वैसी ना होगी

तेरी मीठी बोली की चहक वैसी ना होगी
अल्हड़ जवानी की छनक वैसी ना होगी

उस रोज़ तू होगी मगर ऐसी तो ना होगी

चांदी जैसे बालों से सर तेरा सजा होगा
दमकते चेहरे पर सिलवट का समां होगा

करारी इस बोली से गला तेरा रुंधा होगा
सूरज सी निगाहों पर चश्मे भी जमा होगा

तेज़ क़दमों में तेरे सुस्ती का आलम होगा
थक कर चूर पसीने में भीगा दामन होगा

उस रोज़ तू होगी मगर शायद ऐसी होगी

मगर उन सिलवटों में नूर तेरा यही होगा
ढ़लती आँखों में भी जवां इश्क यही होगा

सुस्त कदम सही मुझ तक ही आना होगा
गला रुंधा सही मुझे से ही बतियाना होगा

दिल से देखा सपना मेरा तब भी पूरा होगा
सांझ ढले मेरे हाथों में बस हाथ तेरा होगा

उस रोज़ भी तू ही होगी साथ तेरा मेरा होगा
तेरा और मेरा यह अब जन्मो का नाता होगा

--- तुषार राज रस्तोगी ---

गुरुवार, फ़रवरी 12, 2015

तेरी आँखें













बद्र-ए-बहार से सुर्ख तेरे चेहरे पर
बादः सी नशीली क़ातिलाना तेरी आँखें

मदहोश मदमस्त सूफ़ियाना नशीली
'अत्फ़-ओ-लुत्फ़ से भरी तेरी आँखें

वो पलकें उठें तो दीवाना कर दें
वो पलकें गिरें तो मस्ताना कर दें

मैं इनके करम का तालिब हूँ
मेरी तो हुब्ब-ए-वस्ल हैं तेरी आँखें

वो तड़पाती तरसाती आवारा बनाती हैं
करें कुछ तो ख़याल मेरा तेरी आँखें

हैं जीने-मरने का सबब मेरे
यह रूह-ए-घरक तेरी आँखें

आरा'इश पलकें आब-ए-आ'इना हैं
खुदा का कमाल-ओ-जमाल हैं तेरी आँखें

अक़ीदा-ए-तअश्शुक हैं अबसार तेरे
हैं काबिल-ए-परस्तिश तेरी आँखें

आशिक बहुत क़त्ल हुए होंगे 'निर्जन'
गुल-ए-हुस्न ज़रा अब संभाल तेरी आँखें

बद्र-ए-बहार - full moon glory, beauty & delight
बादः - wine & spirits
'अत्फ़ - kindness, affection
तालिब - seeker
हुब्ब - desire
वस्ल - union, meeting
रूह - spirit
घरक - drowning
आरा'इश - decorating, adoring, beauty
आब-ए-आ'इना - polish of a mirror
अक़ीदा - religion
तअश्शुक - love, affection
अबसार - eyes
परस्तिश - offering prayer
गुल - rose
हुस्न - beauty and elegance


--- तुषार राज रस्तोगी ---

सोमवार, जनवरी 20, 2014

क्या कहूँ
















अमा अब क्या कहूँ तुझे हमदम
नूर-ए-जन्नत, दिल की धड़कन 
जान-ए-अज़ीज़, शमा-ए-महफ़िल 
गुल-ए-गुलिस्तां, लुगात-ए-इश्क़
हर दिल फ़रीद, दीवान-ए-ज़ीस्त
अलफ़ाज़ होते नहीं मुकम्मल मेरे 
पुर-सुकून शक्सियत तेरी जैसे 
महकती फ़ज़ा-ए-गुलशन 'निर्जन'
हो सुबहो या शामें या रातों की बेदारी  
तुझको देखा आज तलक नहीं है
फ़िर भी 
तुझको सोचा बहुत है हर पल मैंने.... 

लुगात : शब्दकोष, dictionary
दीवान : उर्दू में किसी कवि या शायर की रचनाओं का संग्रह, collection of poems in urdu
ज़ीस्त : ज़िन्दगी, life
अलफ़ाज़ : शब्द, words
मुकम्मल : पूरे, complete
पुर-सुकून : शांत, peaceful/tranquil
बेदारी : अनिद्रा, wakefullness

मंगलवार, अप्रैल 16, 2013

ऐ बी सी डी - अमरीका में बिगड़ा कन्फ्यूज्ड देसी


कुछ हिन्दुस्तानी लोग जब अमरीका या किसी और देश चले जाते हैं और जब वहां से वापस आते हैं तो देखिये उनके तौर तरीको और रवैयों के अन्दाज़ | पेश करता हूँ..

Always says, “Bless you”, whenever someone sneezes.
कोई छींक मरेगा तो तुरंत कहेंगे, 'ब्लेस यू' |

US-returned people use the word “bucks” instead of “Rs.”
अमरीका से भारत लौटे लोग 'रूपये' नहीं कहते 'बक्स' कहना शुरू कर देते हैं |

Tries to use credit cards in a road side hotel.
हाईवे के ढाबे पर खाना खाने के बाद 'क्रेडिट कार्ड' से पेमेंट करेंगे |

Drinks and carries mineral water and always speaks of being health conscious.
मिनरल वाटर पीना शुरू कर देंगे, पूछने पर बहाना बताएँगे के पेट ख़राब हो जाता है, तबियत बिगड़ जाती है |

Sprays deodorant so that he doesn’t need to take bath.
डीओडरैनट इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे जिससे नहाना पड़े |

Sneezes and says ‘Excuse me’.
छींकेंगे और कहेंगे 'एक्सक्यूज़ मी'

Says “Hey” instead of “Hi”, ”Yoghurt” instead of “Curds”, ”Cab” instead of “Taxi”, “Trunk” of “Dicky” for a car trunk, ”Candy” instead of “Chocolate”,”Cookie” instead of “Biscuit” , ”got to go” instead of “Have to go”.
'हाई' को 'हे', 'दही' को 'योगर्ट', 'टैक्सी' को 'कैब', 'गाडी की डिक्की' को 'ट्रंक', 'चॉकलेट' को 'कैंडी', 'बिस्कुट' को 'कुकी', 'हैव टू गो' को 'गौट टू गो' बोलना शुरू कर देंगे |

Says “Oh” instead of “Zero”, (for 101, he will say One O One Instead of One Hundred One)
'जीरो' को '' कहना शुरू कर देंगे ( १०१ को 'एक सौ एक' की जगह 'वन वन' ) बोलेंगे |

Doesn’t forget to complain about the air pollution. Keeps complaining every time he steps out.
जब भी बहार जायेंगे हर बार हर जगह बार बार 'एयर पोल्यूशन' की बात करते नहीं थकेंगे |

Says all the distances in Miles (Not in Kilo Meters), and counts in Millions. (Not in Lakhs)
किलोमीटर भूल जायेगे मील में दूरी नापेंगे | लाख भूल जायेगे मिलियन में गिनेंगे |

Tries to figure all the prices in Dollars as far as possible (but deep inside multiplies by 44).
हर चीज़ के दाम डॉलर में लगायेंगे और अन्दर मन में उसे ५५ से गुणा करते रहेंगे |

Tries to see the % of fat on the cover of a milk pocket.
दूध की थैली के ऊपर सबसे पहले फैट परसेंटेज देखेंगे |

When he needs to say Z (zed), he never says Z (Zed), instead repeats “Zee” several times, and if the other person is unable to get it, then says X, Y Zee(but never says Zed)
'ज़ैड' को जान बूझ कर 'ज़ी' बोलेंगे | अगर कोई नहीं समझ पायेगा तो उससे एक्स, वाई ज़ी बोल कर बताएँगे पर 'ज़ैडनहीं बोलेंगे |

Writes the date in MM/DD/YYYY. On watching traditional DD/MM/YYYY, says “Oh! British Style!!!!”
तारीख़ को मंथ/डे/ईयर फॉर्मेट में लिखेंगे | अगर कहीं पुराना डे/मंथ/ईयर फॉर्मेट देख लेंगे तो कहेंगे, “ओह! ब्रिटिश स्टाइल!!!”

 Makes fun of Indian Standard Time and the Indian Road Conditions.
मौका मिलते ही इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम और हिंदुस्तान की सड़कों का मजाक उड़ना शुरू कर देंगे |

Even after 2 months, complaints about “Jet Lag”.
आने के दो महीने बाद भी ‘जेटलैग’ से ग्रस्त रहेंगे |

Just to show off avoids eating spicy food.
दिखावे के लिए तीखा कहना खाने से परहेज़ करेंगे |

Tries to drink “Diet Coke”, instead of Normal Coke. Eats Pizza instead of Dosa.
‘नार्मल कोक’ की जगह ‘डाइट कोक’ पियेंगे | ‘डोसा’ की जगह ‘पिज़्ज़ा’ खायेंगे |

Tries to complain about anything in India as if he is experiencing it for the first time. Asks questions etc. about India as though its his first visit to India .
हिंदुस्तान की हर चीज़ के बारे में शिकायत करना शुरू कर देंगे जैसे परेशानी पहली दफा हो रही है | उट पटांग सवाल जवाब करने शुरू कर देंगे हिन्दुस्तान के बारे में जैसे पहली दफ़ा आये हों यहाँ |

Pronounces “schedule” as “skejule”, and “module” as “mojule”.
‘स्केड्यूल’ को ‘स्केज्यूल’ और ‘मोड्यूल’ को ‘मोज्यूल’ बोलना शुरू कर देंगे |

Looks suspiciously towards any Hotel/Dhaba food.
किसी भी होटल या ढाबे के खाने को शक की निगाहों से देखेंगे |

From the luggage bag, does not remove the stickers of the Airways by which he traveled back to India , even after 4 months of arrival.
लौटने के चार महीने बाद भी लगेज बैग से एयरवेज का स्टीकर नहीं छुटाएंगे जिससे भारत वापस आये हैं |

Takes the cabin luggage bag to short visits in India and tries to roll the bag on Indian Roads.
कैबिन लगेज को छोटी-मोटी यात्राओं पर चमकाने के लिए ले जायेंगे | हिन्दुस्तानी सड़कों पर बैग को रोल करके चलने लगेंगे |

Tries to begin any conversation with “In US ….” or “When I was in US…”
हर एक वार्तालाप शुरू करने से पहले कहेंगे, ‘जब मैं अमरीका में था...’ |

अब आप ही बताएं ऐसे कार्टूनों का क्या हो सकता है | यहाँ हिन्दुस्तान में अमरीकी आकर हिन्दुस्तानी सभ्यता और ज़बान सीख रहे हैं | और वहां कुछ अकलमंद लोग बाहरी फूहड़ता अपना कर अपने देश को नीचा दिखने में लगे हुए हैं | खुदा इन्हें अक्ल बक्शे |

रविवार, अप्रैल 14, 2013

क्या कहता

ख़ुदा जाने मैं क्या कहता, जो कहता मैं क्या कहता
सही के लिए क्या कहता, ग़लत के लिए क्या कहता

रहती है दूर क्या कहता, मिलने को ही क्या कहता
मिलते रहना ही क्या कहता, क्या है दिलमें क्या कहता

सूरज और चंदा क्या कहता, दोनों हैं वीरां क्या कहता
तेरे संग दिन क्या कहता, तेरे संग रातें क्या कहता

तुझ बिन जीवन क्या कहता, तुझ बिन मौसम क्या कहता
तुझ बिन तारें क्या कहता, तुझ बिन इतवारें क्या कहता

तेरे जाने पर क्या कहता, तेरे आने पर क्या कहता
पूरब से पश्चिम क्या कहता, उत्तर से दक्षिण क्या कहता

आखरी क़दम है क्या कहता, जीवन मरण है क्या कहता
जन्नत से पृथ्वी क्या कहता, मौला और चिस्ती क्या कहता

लोग और जगहें क्या कहता, यादें और बातें क्या कहता
हंसी मजाक जब क्या कहता, ह्रदय वेदना अब क्या कहता

तुझसे कहने को क्या कहता, तुझसे सुनने को क्या कहता
कहता तो बस कहता रहता, ‘निर्जन’ दिल से दिल कहता

शुक्रिया तेरा

शुक्रिया तेरा
प्रत्येक जतन के लिए
हर पल सुनने के लिए
परवाह करने के लिए
प्यार करने के लिए
खुद को खुद की तरह
रखने के लिए

हैरान रह जाता हूँ मैं
कैसे रहती है तू
इतनी शांत
कहाँ से लाइ है
इतनी सहनशीलता
क्यों है तेरे पास
इतना धीरज

तू पास मेरे बैठ कर
बस सुनती रहती है
जब भी अनाड़ीपन से
मैं छलकाता हूँ दिल के
जज़्बात सामने तेरे और
मुस्कराती रहती है तू
आँख मूंदे मंद मंद

पर मैं भी
चाहता हूँ करूँ
तेरे लिए कुछ ऐसा ही
चल बता तू अपने डर
और बता दे जो भी
दिल में बसी हैं
चाहतें तेरी

वादा तो मैं करता नहीं
दे सकूँगा सब कुछ तुझे
आज, कल या जिंदगी भर
पर इतना कहूँगा बस तुझे
जब तक है जां में जां मेरे
कोशिश करूँगा खुश
रहे तू उम्र भर

शुक्रिया तेरा
सब कुछ है तू
मेरे लिए
शुक्रिया कहते
नहीं थकता है
'निर्जन' आज
बस तेरे लिए

शनिवार, अप्रैल 06, 2013

चाँद तारे हो गए

रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए

तुम हमेशा ही रहे, बेगुनाहों की फेहरिस्त में
तुम्हारे जो भी थे गुनाह, अब नाम हमारे हो गए

आज हम भी जुड़ गए, रोटी को निकली भीड़ में
किस्मत के मारे जो थे हम, सड़कों के मारे हो गए

बंट गया वजूद अपना, कितने ही रिश्तों में अब
तन एक ही रह गया है, दिल के टुकड़े हो गए

तैराए दुआओं के जहाज़, उम्मीदों के समंदर में
हम तो बस डूबे रहे, बाक़ी सब किनारा हो गए

कल किसी ने नाम लेकर, दिल से पुकारा था हमें
अब तक थे जो अजनबी, अब जानेजाना हो गए

कहते थे जब हम ये बातें, पगला बताते थे हमें
आज वे बतलाने वाले, खुद ही पगले हो गए

दिल के ये जज़्बात तुमको, नज़र करने थे हमें
गाफ़िल मोहब्बत में रहे, हम खुद नजराना हो गए

इश्क जो करते हो तुम, आज बतला दो हमें
अब तलक बस हम थे अपने, अब से तुम्हारे हो गए

नींद भी गायब है अपनी, चैन भी टोके हमें
अश्क जो रातों में बहे थे, जुल्फों में अटके रह गए

है अधूरी ये ग़ज़ल, मुकम्मल तुम करदो इसे
वो चंद जो आशार थे, बहर से भटके रह गए

रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए

यह  ग़ज़ल शैली नामक कविता श्रद्धोन्मत्त के साथ मिलकर सम्पूर्ण की गई | 

बुधवार, मार्च 20, 2013

इश्किया होली


इश्क़िया होली पर तुझे दिल पेश करूँ
इश्क़िया होली पर तुझे जां पेश करूँ
इश्क़िया होली पर तुझे जहां पेश करूँ
जो तू कहे नगमा-ए-जज़्बात तुझे 
मेरी जानिब-ए-मंजिल पेश करूँ
गर मालूम हो तेरी नियाज़-ए-इश्क 
फ़िर नगमात-ए-इश्क गाकर वही 
दिलनवाज़ दिल्साज़ मैं पेश करूँ
जो तेरी नम हसरतों को हवा दे 
जज़्बात वही सजाकर पेश करूँ 
या कोई तेरी ग़ज़ल, कविता, किस्सा 
तेरे ही अल्फाजों में तुझे पेश करूँ 
तू जो एक बार मिल जाये होली पर 
अपने नवरंग प्यार की बौछार से भिगा
सराबोर कर, तुझको तुझे ही पेश करूँ 
अबके होली....

गुरुवार, मार्च 14, 2013

मैं और मेरी तन्हाई

मैं और
मेरी तन्हाई
बस यही है
अब मेरी अपनी
इस तन्हाई में
मैं कितने
मौसम सजाता हूँ
सब कुछ
भूल कर मैं
तुझसे मिलने
आता हूँ
तेरी यादें
तेरी बातें
तेरे सपने
सजाता हूँ
फिर जब
आँख खुलती है
मुस्करा कर
सर हिलाता हूँ
तेरे ख्वाबों को
दिल से
लगाकर मैं
मुड़कर तन्हाई
में अपनी वापस
लौट जाता हूँ
मैं इस तन्हाई से हूँ
और मेरा
जादू ये तन्हाई
बस अब एक
तनहा मैं
और फ़कत
मेरी ये तन्हाई.....

मंगलवार, मार्च 12, 2013

शाद-ए-हबल्ब

फवाद-ए-फुर्सत की दुआ तू है 
अबसार-ए-मसरूर फरोग तू है  
देख तुझे दीदार-ए-दुनिया हासिल है 
शाइ तू जो दिलों जहाँ गाफ़िल है  
ख़ामोशी बयां करती अफ़साने है
लफ़्ज़ों में शामिल शोख नजराने हैं
जाकिर शोखियाँ तेरी तनहा रातों में 
क़माल जादू मयस्सर तेरे हाथों में 
घुंचालब कहते आलि-आलिम बातें 
याद है तुझसे आक़िबत वस्ल  
बहकी दिलकश मदहोश सियाह रातें 
उम्मीद-ए-फ़र्दा फ़कत तू है मेरी 
शाद-ए-हबल्ब तू ही है बस 
अब बज़्म-ए-यार में....

फवाद-ए-फुर्सत - स्वस्थ होते दिल / रिकवरिंग  हार्ट / recovering heart
अबसार - आँखें / आईज / eyes
मसरूर - आनन्दित / चीयर्फुल / cheerful
फरोग - रौशनी / लाइट / light
शाइ - गुम / लॉस्ट / lost
अफ़साने - किस्से / स्टोरीज / stories
शोख - शरारती / मिसचीविअस / mischevious
जाकिर - ख्याल करना / रेमेम्बेरिंग / remembering
शोखियाँ - शरारतें /  प्रैंक्स / pranks
मयस्सर -  मौजूद / अवेलेबल / available
घुंचालब - कली जैसे होठ / बड लिप्स / lips like bud  
आलि - अवर्णनीय / सबलाइम / sublime
आलिम - समझदार / इंटेलीजेंट / intelligent
आक़िबत - अंतिम / फाइनल / final
वस्ल - मुलाकातें / मीटिंग्स / meetings 
उम्मीद - आशा / एक्स्पेक्ट / expect 
फ़र्दा -  कल / टुमौरो / tomorrow
शाद - छाया / शैडो / shadow
हबल्ब - दोस्त / फ्रेंड / friend
बज़्म-ए-यार - दोस्तों के महफ़िल / ग्रुप ऑफ़ फ्रेंड्स / group of friends

रविवार, फ़रवरी 10, 2013

दिल का विसर्जन हो गया

कुछ संजोये लम्हात मेरे
कुछ धुंधली सी तेरी यादें
कुछ पल साथ गुज़ारे जो
कुछ भूली बिसरी सी रातें
कुछ मीठी मीठी थीं बातें
कुछ गीत साथ में थे गाते
कुछ शिकवे थे हमने बाटें 
कुछ खटपट थीं तेरी मेरी
कुछ नाज़ुक थे अपने वादे
कुछ आँखों में गुज़रीं रातें 
कुछ नयनो की खुमारी वो
कुछ अदाएं मोहक प्यारी वो
कुछ सीने से गिरता आँचल
कुछ मदहोशी बिखरी हर पल
इन सबको साथ समेट के मैं
लहरों में स्वाह  कर आया हूँ
इस मौनी मावश को "निर्जन"
दिल का विसर्जन कर आया हूँ

मंगलवार, जनवरी 29, 2013

याद तेरी दिलाते हैं

गीली घास पर चलना
नंगे पावों फिरना
घंटो बातें करना
हर एक बात पे लड़ना 
याद तेरी दिलाते हैं

पराठों पर मक्खन डलना  
आइसक्रीम का मिलना
गर्म चाय की प्याली से
पपड़ाए होठों का जलना
याद तेरी दिलाते हैं

किताबों की मचानें
कुछ भूले बिसरे से गाने
नए नए स्वादिष्ट खाने
बाक़ी सब कुछ बेमाने
याद तेरी दिलाते हैं

जीवन से तमगे पाना
चेहरे का खिलखिलाना
बालक का मुस्कराना
अपनों से दर्द छिपाना 
याद तेरी दिलाते हैं

हाथों में थामे हाथ
अमर बेला का वो साथ
निर्भर एक दूजे पर हम 
आँखों से बहते ग़म
याद तेरी दिलाते हैं

शाम का मध्यम सूरज 
अर्श पर छनती चांदनी
गमलों में नन्ही कोपलें 
सन्नाटे की रागनी
याद तेरी दिलाते हैं

हुज़ूमि दुनिया की भीड़
सियाह रात सी तस्वीर
जुगनू से टिम टिम तारे
चमकते नैन कजरारे
याद तेरी दिलाते हैं

शमां की महक
झींगुरों की चहक
इश्क़िया दहक 
ख़ुदाया रहक
याद तेरी दिलाते हैं

भूरिया सर्द पत्तियाँ
कुरकुरी हवा की मस्तियाँ
इस कविता की पंक्तियाँ
शाम-ए-जीवन की झलकियाँ
याद तेरी दिलाते हैं
याद तेरी दिलाते हैं

गुरुवार, जनवरी 17, 2013

सफ़ेद कपड़ों वाली परी


दिल्ली की एक मस्त शाम । महरौली का इलाका । मौसम-ए-बरसात चल रहा था | माध्यम बारिश की फुहार पड़ रही थी | सारा आसमान हलके संतरी रंग से सराबोर हो रहा था | सूरज अपनी काली रॉयल एनफ़ील्ड बुलेट से उतरा और सड़क पार कर के फूटपाथ पर जाकर खड़ा हो गया | सामने वाली बिल्डिंग पर लगे शीशे की तरफ नज़रे गडा दीं | फिर इधर उधर का मुआएना करने के बाद अन्दर झाँकने लगा | अब तो उसके लिए ये रोज़ का रूटीन बन गया था | रोजाना शाम को आना और उसे उन सफ़ेद शफाक कपड़ों में नाचते हुए देखना |

बस एक वही थी जो इस भीड़ भरी दुनिया में उसकी नज़रों में समां गई थी | वही थी जिसे वो बेहद पसंद करने लगा था | जिसने उसके बेज़ार दिल को धड़कने पर मजबूर कर दिया था | जिसकी एक झलक से वो मंत्रमुग्ध हो जाता और उसके चेहरे पर एक हलकी से मुस्कराहट आ जाती थी | उसको डांस स्कूल में नाचते देखना ऐसा लगता मानो कोई मोर बारिश में थिरक रहा हो | दूसरी नर्तकियों बीच वो ऐसे लगती जैसे सूरज के इर्द गिर्द चाँद और तारे | उसका हर एक भाव और भंगिमा ऐसे प्रतीत होती थी जैसे आकाश में हवा में कोई पंख धीरे धीरे लहरा रहा हो और हिचकोले लेता इधर उधर डोल रहा हो | किरन उसके लिए आसमां थी और उसकी घरती भी | उसकी झलक पाते ही उसका दिन बन जाया करता था | उसका समस्त जीवन उस एक पल थम जाया करता था |

किरन हर लिहाज़ से बेहद खूबसूरत थी | बेहतरीन सुन्दरता | अदभुत कलापूर्ण व्यक्तित्व | ऊँचा लम्बा कद, सुडौल गठीला बदन, तीखे नयन नक्षक | लम्बे काले घने नागिन जैसे बाल | गहरी और मोहित कर देने वाली भूरी आँखें | बनानेवाले की बेजोड़ कलाकृति की मिसाल थी वो | देखने में एक दम गोरी फिरंग लगती थी पर थी सौ प्रतिशत हिन्दुस्तानी |

संभवतः वो भी अपनी ज़िन्दगी में किसी ख़ास व्यक्ति का इंतज़ार कर रही थी | और सूरज बहार खड़ा यही सोच रहा था के काश वो खुशकिस्मत इंसान वो हो |

संगीत शुरू हुआ, और उसने बड़े ही मनमोहक तरह से नाचना आरम्भ किया | डांस फ्लोर पर उसके शांतचित्त, उसकी प्रतिभा, उसके आकर्षण और उसके बला के जलवे को देख कोई भी अचंभित क्यों न हो जाये | वो दूसरी डांसर्स से एक दम अलग थी | सबसे जुदा | किरन का आत्मविश्वास, उसकी मनोहरता, उसके लुभावने अंदाज़, उसकी जिंदादिली और उसकी नैसर्गिक सुन्दरता के अभिलक्षण उसके नृत्य के हर कदम में उसके इख़्तियार की झलक दिखला रहे थे |

सूरज की आँखें लगातार उसका और उसकी हर एक गतिविधि का क्रमवीक्षण कर रही थीं | कुछ घंटों के लिए उसकी ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत जो हो गई थी | शीशे से चिकने और चमकते डांस फ्लोर पर किरन का अक्स साफ़ नज़र आ रहा था | उसके लम्बे काले बालों की गुथी हुई चोटी और सफ़ेद ड्रेस में उसकी विशिष्टता और निखर कर आ रही थी |

सूरज उसकी तरफ नज़रे जमाये चुपचाप खड़े सोच रहा था के काश मैं इस भीड़ के बीच से रास्ता बनाकर किरन तक पहुँच सकता | और उसका हाथ थाम कर उसके साथ कुछ पल बिता सकता । तभी अचानक से संगीत बजना बंद हो गया | डांस खत्म हो गया था | किरन धीरे से आगे बढ़ी तौलिया उठा कर पसीना पोंछती हुई डांस फ्लोर पार कर के सीधा मुख्य द्वार पर आकर रुक गई | उसके रुकते ही ऐसा लगा मानो बसंत आ गया हो | उसने हाथ बढाकर दरवाज़े का हैंडल पकड़कर दरवाज़ा खोला | हाथ आगे बढाकर हथेली बहार निकाल कर देखा | बारिश अभी भी बरस रही थी | सूरज मन्त्र मुग्ध खड़ा उसकी ओर तंकता रहा | अचानक उससे लगा की उसकी नज़रें सीधा उसे ही देख रही हैं | दिल रेल के इंजन सा भक भक करने लगा | पैर जड़ हो गए । होश के होते उड़ गए । गला खुश्क हो गया । तलवों तले ज़मीन खिसक गई | सोचने लगा के अपने एहसास उसके सामने कैसे बयाँ करूँगा ?

तभी फिर से संगीत बजना शुरू हो गया और जो लोग अन्दर थे वो एक बार फिर से शुरू हो गए | किरन ने उसकी तरफ़ मुड़कर देखा और पास आकर बोली

"आप मेरे साथ डांस नहीं करेंगे ?"

सूरज शुतुरमुर्ग की तरह खड़ा भौंचक्का सा किरन की आँखों में देखता रह गया | उसके संगुप्त शब्द उसके दिल की गहराईयों में ही दबे रह गए |

"जिसकी रमणीयता, मनमोहक और अतुलनीय थी और जिसके आज तक वो सपने ही देखा करता था, उसके साथ नाचना, अत्यंत आनंदप्रद और सम्मान की बात थी |"

धीरे से लड़खड़ाती जुबान से शब्द बहार आये | अब तक जो सिर्फ सोच रहा था आज वो बोल दिया गया था | किरन सर झुकाकर मुस्कराई और चमकदर चेहरा लाल हो गया | सूरज घुटनों पर बैठ गया, सर झुका कर धीरे से हाथ आगे बढ़ा दिया | फिर दोनों बारिश में साथ नाचने लगे |

वो सोच रहा था के ये सच नहीं हो सकता | जो भी हो रहा है एक सपना है | पर सच वही था के ये लम्हा उसके जीवन में आ गया था, वो उस लम्हे को जी रहा था | वो नहीं चाहता था के ये खत्म हो | ये साथ कभी न छूटे | ये डांस यूँ ही चलता रहे | उसे अब किसी और चीज़ की कोई परवाह नहीं थी |

बारिश की बूंदों का संगीत सुना जा सकता था | रिमझिम बूँदें धरती पर गिरकर जलतरंग बजा रही थीं | जैसे जैसे बारिश तेज़ हो रही थी वैसे वैसे उनके नाच की लय भी बढ़ रही थी | उसने आगे बढ़कर धीरे से अपने गालों को सूरज के गालों के पास लाकर कान में कुछ फुसफुसाया | उसके सुन्दर चेहरे पर कृतज्ञता और करुणा से भरे भाव थे |

वो दोनों पुर्णतः जीवंत थे, परिपूर्ण थे और आनन्दित थे | चाँद मुंह झुकाए उसके काले बालों की भीगी लटों को निहार रहा था | बरसात का पानी भी उनके क़दमों की हरकतों को पहचान रहा था | बारिश के पानी में और उस पर पड़ते उसके क़दमों में तालमेल था | उसके पैरों से पानी की छपछपाहट भी छनछनाहट सी सुनाई दे रही थी | उसकी पैनी नज़रों में गज़ब की चमक थी और फिर वो ख़ुशी के मारे जोर से हंस पड़ी |

उसकी हंसी से चाँद की चमक और ज्यादा बढ़ गई | उसके सफ़ेद कपडे पूरी तरह से भीग चुके थे | भीगने के बावजूद भी वो पीछे हटने का नाम नहीं ले रही थी | बेपरवाह बस नाचती रही और सूरज उसका साथ देता गया | फिर वो थोडा पीछे हटी और स्वछंद पंछी की भांति उड़ने लग गई | सूरज की नज़रें हर जगह उसका पीछा कर रहीं थीं इस डर से के कहीं उसका ये सपना टूट न जाए | तभी अचानक वो रुकी, सूरज की ओर मुड़ी और सामने आकर खड़ी हो गई |

उसकी सासें तेज़ बहुत तेज़ चल रही थी | ऐसी आवाज़ लग रही थी जैसे इंजन की चिमनी से धुआं निकल रहा हो | उसके चेहरे पर विश्वास था | नज़रों में निश्चल प्यार था | और दोनों के दिल ख़ुशी के मारे जोर जोर के धड़क रहे थे |

"इतनी देर क्यों लगाई?" उसने धीरे से मुस्कराते हुए पुछा

"माफ़ कीजिये" सूरज ने असमंजस भरे स्वर में जवाब दिया

उसने मोतियों जैसी आँखें मूँद लीं | लम्बा सा सांस लिया | आगे बढ़ी और सूरज के गालों को चूम लिया | उसके होटों का स्पर्श किसी कोमल कलि की भांति नाज़ुक था | फिर उसने सूरज को गले लगा लिया और दोनों कुछ देर के लिए कहीं खो गए |

"मुझे और कितनी देर तुम्हारे डांस के लिए पूछने का इंतज़ार करना चाहियें था?" वो फुसफुसाई

सूरज ने अपना जैकेट उतरा और उसे पहना दिया के कहीं बारिश में उसे ठण्ड न लग जाये | फिर धीरे से उसके माथे को चूमा और उसे गले से लगा लिया | प्यार से उसकी कमर पर हाथ फेरा और फिर उसकी गीली लटों को उँगलियों से सुलझाने लगा |

"मैं मरते दम तक तुम्हारा इंतज़ार करता" सूरज ने जवाब दिया

माहौल में शांति और सुकून का वातावरण बन गया | अब सारी सच्चाई साफ़ हो चुकी थी | दोनो एक दुसरे के चेहरों पर अनुराग के भावों को पढ़ चुके थे | दोनों की आत्माएं एक हो चुकी थीं | दोनों वहीँ खड़े भीगते रहे | दोनों सोच रहे थे, के वो एक दुसरे को हद्द से ज्यादा चाहते हैं और हमेशा चाहते रहेंगे |

यकायक बिजली कौंधी | सन्नाटे की चुप्पी टूट गई | दोनों को एहसास हो गया था, दोनों ही एक दूसरे के कहने का इंतज़ार कर रहे थे |

सूरज ने किरन का हाथ थामा और कहा, "चलें?"

"हाँ", उसने जवाब दिया

और इस तरह सूरज को अपनी सफ़ेद कपड़ों वाली परी, अपने सपनो की रानी मिल गई और दोनों अपनी नई दुनिया की तरफ बढ़ चले |

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इस ब्लॉग पर लिखी कहानियों के सभी पात्र, सभी वर्ण, सभी घटनाएँ, स्थान आदि पूर्णतः काल्पनिक हैं | किसी भी व्यक्ति जीवित या मृत या किसी भी घटना या जगह की समानता विशुद्ध रूप से अनुकूल है |

All the characters, incidents and places in this blog stories are totally fictitious. Resemblance to any person living or dead or any incident or place is purely coincidental.

मंगलवार, जनवरी 08, 2013

मैंने सोचा

मैंने सोचा
मैं रो दूंगा
तुम्हारे जाने पर
पर नहीं

मैंने सोचा
मैं मर जाऊंगा
तुम्हारे जाने पर
पर नहीं

पर अब
मैं सोचता हूँ
उन खुशनुमा
पलों के बारे में
जो कभी साथ बिताये थे
मैं रोता हूँ

मैं रोता हूँ
क्योंकि
मुझे पता है
हम कभी खुश थे

मैं रोता हूँ
क्योंकी
मुझे पता है
अब कभी
नहीं मिलेंगे

मैं रोता हूँ
क्योंकि
मुझे पता है
अब एक दुसरे को
कभी देख नहीं पाएंगे

अब दर्द
धीरे धीरे
कम हो रहा है
दिल भी
मेरे और
ज़िन्दगी से साथ
मर गया है

शनिवार, दिसंबर 22, 2012

Friendship

This quote comes from my old school days diary. May be i must have noted it down in around 90's. 

Friendship is the only 'Ship' with which one can reach other's thoughts and dreams. It is a two way street; if it 's not fed from both sides, it will atrophy. To dissolve loneliness we need friends and to have friends we need humility. A friend is not an object to be possessed but a subject to be cherished.

बुधवार, दिसंबर 12, 2012

महक

ये संकरी गलियां
क्यों
मुग़ल उद्यान की
सुगंध की तरह
अपने में
खींचे चली
जाती है
नहीं जानता था
जब तक
तब भी
एक शराबी
के बहके
क़दमों की
भांति
उस पर दौड़ा
चला जाता था
वो अपरिचित
सुगंध
किसकी है
वो मेरे
बिछुडे हुए
अतीत के
गुलिस्तान की
महक है

तू ही है

आब-ए-चश्म भी तू ही है
दरीचा-ए-फ़िरदौस भी तू ही है
मेरे दिल-ए-बेहेश्त की हूर भी तू ही है
तूने मेरे जज्बातों की सदाक़त को न पहचाना
अब मेरी रफ़ाक़त को तरसती भी तू ही है
इश्किया मफ्तूनियत से गुज़र किसका हुआ है 'निर्जन'
चांदनी शब् में
सितारों से सजी
पालकी में झूमते अरमान लिए
तू मेरे और करीब आ जाएगी
महकते जज़बातों के फरमान लिए
रहीम-ओ-करीम तू ही है
दिल-ए-हबीब तू ही है
तेरे अबसार वही हैं
आरिज़ भी वही हैं
तेरे सिफ़त भी वही हैं
तेरी खराबे भी वही हैं
तेरी लफ्फाज़ी का लहज़ा-ए-तरीक़ा भी वही है
जो अलफ़ाज़ कहे थे मेरी तन्हाई पे तूने
मेरे फ़वाद पे आज तलक नक्श वही हैं
तू ही है जिसने दिए दर्द-ए-दिल्दोज़ मुझे
विसाल-ए-यार-ए-इज्तिरात में बन आब-ए-तल्ख़
दीद से मेरे बरसा भी वही है....

[आब-ए-चश्म - tears;
दरीचा-ए-फ़िरदौस - window to paradise;
दिल-ए-बेहेश्त - hearty paradise and heaven;
हूर - beautiful woman of paradise;
जज्बातों - feelings;
सदाक़त - sadness;
रफ़ाक़त - closeness;
इश्किया - love and excessive passion;
मफ्तूनियत - madness;
चांदनी -  moonlight;
शब् -  night;
गुज़र - a living;
रहीम-ओ-करीम - kind and generous;
दिल-ए-हबीब - heartly beloved;
अबसार - eyes;
आरिज़ - lips;
सिफ़त - talents;
खराबे - craziness;
लफ्फाज़ी - talktiveness;
लहज़ा - accent, tone;
तरीक़ा - manner, style;
अलफ़ाज़ - words;
फ़वाद - heart;
नक्श - mark;
दर्द-ए-दिल्दोज़ - heart piercing pain;
विसाल-ए-यार - meeting/union with beloved;
इज्तिरार - helplessness;
आब-ए-तल्ख़ - tears;
दीदः - eyes;]

गुरुवार, दिसंबर 06, 2012

In My Dreams

I hear her whispers in my ears in my dreams
I hear her murmuring my name when i love her in my dreams
I hear her moans and groans in my dreams
I hear her saying make love to me in my dreams
I hear her telling me that i am the only one for her in my dreams
I hear her everyday and i love it so much

I see her falling into my arms in my dreams
I see her glowing face lightning up my darkness in my dreams
I see her fighting my problems in my dreams
I see her wiping off my tears in my dreams
I see her facing my fears in my dreams
I see her everyday and i love it so much

I smell her body fragrance, as i hold her in my dreams
I smell her hair conditioner, as i hug her in my dreams
I smell her mouthwash, as i kiss her in my dreams
I smell her excitement, as she cuddle in me in my dreams
I smell her aroma, as she looses herself in my arms in my dreams
I smell her everyday and i love it so much

I feel her fingers in my hair in my dreams
I feel her hot breath on my neck in my dreams
I feel her body pressed so close to mine in my dreams
I feel her lips on my throat in my dreams
I feel her hands move on my body in my dreams
I feel her everyday and i love it so much

I taste her lips in my dreams
I taste her tongue in my dreams
I taste her moistness in my dreams
I taste her salts in my dreams
I taste her love, passion and kisses in my dreams
I taste her everyday and i love it so much

I hear her in my dreams
I see her in my dreams
I smell her in my dreams
I feel her in my dreams
I taste her in my dreams
I do all this everyday and i love it so much

I am finally with her
She is finally with me
I love this so much
I love her all my life
Till i die, Till i die.

रविवार, नवंबर 18, 2012

What do you want ?

She once asked me
What do you want?


Today i found the answer
...What do I want?

I want to hug you

I want to kiss you
I want to miss you
I want to love you
Like you say you love me.

I want to please you,
as I am a beauty pleaser.
How could I possibly say no?
You're here in my thoughts,
hurting & fighting with your life.

I don't know who I am -
God knows who I am.
If only he could reign his truth
upon my soul.

If only, then I could tell you
what I truly want.