कल 'लफ़्ज़ों का जूनून ग्रुप' की एडमिन अंजू वर्मा द्वारा आयोजित ऑनलाइन एक्सटेमपोर मुशायरा में भागीदारी करने का अवसर प्राप्त हुआ | बहुत ही बढ़िया तजुर्बा रहा मुशायरे में शिरकत करने काम, अपने जैसी सोच वाले दुसरे गुणीजन से मिलने का, उनके विचार और शेर पढने का | कार्यक्रम तकरीबन एक घंटा चला शाम ७.०० बजे से ८.०० बजे तक और सच कहूँ हो मौसम बहुत ही खुशमिजाज़ रहा | मैं शुक्रगुजार हूँ अंजू वर्मा का जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दावत दी और मेरा मान बढ़ाया | कार्यक्रम में सहभागिता लेने वाले अन्य व्यक्तियों के नाम हैं नीना शैल भटनागर, और विशाल शुक्ला | मुशायरे का आगाज़ अंजू वर्मा के मिसरा-ए-सानी देने के साथ हुआ जो था -
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली....
कार्यक्रम में मेरे द्वारा लिखे कुछ क्षणिक शेर आपकी नज़र कर रहा हूँ |
लक्ष्मी माँ करें कृपा तब मिट जाती बदहाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
संग साथ में रहें सभी सजाएँ पूजा की थाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
सुख और दुःख भूल मनाओ रात मतवाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
प्रेम प्रसंग को तड़पाती आई रात यह काली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
दिल में जब झंकार उठे गाए दिल क़व्वाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
भर कर सितारे मांग में झूमती है घरवाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
तीख़े बाण चलायें दिल पर बतियाँ तेरी मतवाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
खूब लगाओ पेड़ और पौधे करो ज़रा हरियाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
अन्ताक्षरी चले धमाधम बैठे हों जीजा साली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
बालक बूढ़े खूब हँसे खिलखिला बजाएं ताली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
ह्रदय की नदिया से बहे प्रेम की धार निराली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
अगरबत्तियों से महकाए आज रात यह काली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
छोड़ धमाके रिश्तों में चलाओ प्रेम दुनाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
कड़वाहट सब दूर करें खाएं मीठी सुआली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
नशा, मसाले सब बंद करें त्यागो ये जुगाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
जुआ-जुआरी से कहो न करो जेब तुम खाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
लक्ष्मी माँ को नमन करो पाओ अनुकंपा लाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
द्वेष भाव को त्याग कर खिलाओ भूखे को थाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
मेरी बातों पर गौर करें बन जाएँ खुद सवाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
पटाखों में आग लगा करते रात क्यों काली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
बंद करो पटाखे दिये से करो रात उजियाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
एक दूजे को समझ कर बजाएं साथ में ताली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
बज गए हैं आठ अब गएँ मिल सब क़व्वाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
सिलसिले चलते रहें यूँ ही,
चमके कलम की धार निराली,
मन से मन के दीप जलें,
तब होती है दीवाली ....
मन से मन के दीप जले तब होती है दीवाली---बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट हम-तुम अकेले
"महफ़िल - ए - मुशायरा" काफी रोचक रहा,,, भईया।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : भारत के महान वैज्ञानिक : डॉ. होमी जहाँगीर भाभा
"प्रोजेक्ट लून" जैसे प्रोजेक्ट शुरू होने चाहिए!!
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय -
अच्छा समय व्यतीत किया आपने। शुभकामनाएं आपको।
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