मिलता है रोज़ मगर दिल तनहा रहता है
पास है जो उसे दुनिया बुरा ही कहती है
देखा नहीं जिसे उसने उसे ख़ुदा कहती है
नफरत अपनों से अपनों को छुड़ा देती है
फासला दिलों में यह कितना बढ़ा देती है
बस चंद मासूम से शब्दों का लहू है 'निर्जन'
दुनिया जिसे मेरे ज़ख्मों की दवा कहती है
शुभप्रभात
जवाब देंहटाएंविजया दशमी की हार्दिक शुभकामनायें
वाह ! बहुत ही उम्दा रचना ...!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
वाह ! बहुत ही उम्दा सुंदर रचना ..!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
क्या............बात है। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, विजयादशमी की हार्दिक मंगलकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ .
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