वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
इसके फ़रेब की आंधी में उजड़ जाओगे
वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
झूठ और धोखे की फितरत का ये बाशिंदा है
ये तो बस जनता है हर हाल में भी जिंदा है
काम क्यों कर दे वो कल जिस पर शर्मिंदा हो
तुम जो शर्मिंदा हुए देश को भी झुकाओगे
वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
क्यों कोई चोर अब देश का मेहमान रहे
घूस खाना है इमां इसका ये बदनाम बड़े
राजनीति में ये उम्रभर तो बेईमान रहे
सर पे बैठाओगे इसको तो पछताओगे
वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
एक ये क्या अभी बैठे हैं लुटेरे कितने
अभी गूंजेंगे गुनाहों के फ़साने कितने
पार्टियाँ तुमको सुनाएंगी तराने कितने
क्यों समझते हो बदलाव ये कल लायेंगे
वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
इसके फ़रेब की आंधी में उजड़ जाओगे
वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंnice poem
जवाब देंहटाएंवोट किसी भी को दे कष्ट माध्यम श्रेणी की जनता को सहना पड़ता है ...!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
वोट किसी को भी दो कष्ट माध्यम श्रेणी की जनता को होता है ...!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
वोट की शक्ति तो जनता को पहचानने ही होगी। बढ़िया खूब।
जवाब देंहटाएंwah sahi kaha, kise de or kise na de
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर समसामयिक प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
सुंदर और सटीक।
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