कुछ शब्द
अटपटे से
चटपटे से
खट्टी अंबी से
चटकीले नींबू से
काट पीट कर
बीन बटोर कर
धो धा कर
साफ़ कर के
धुप लगा कर
हवा में सुखा कर
मसालों में मिलकर
तेल में भिगोकर
मर्तबान में भरकर
ताख पर रख दिए हैं
जब पक जायेंगे
फिर निकालूँगा
शब्दों का नया अचार
सबको चखाऊंगा
चटखारे दिलवाऊंगा
क्योंकि 'निर्जन' अनुसार
शब्दों के अचार का भी
अपना ही मज़ा होता है
वैसे भी अचार तो
हर मौसम में स्वाद देता है
कितने ही रंग और अर्थ लिए शब्द .....
जवाब देंहटाएंशब्दों का अचार बनाने की बहुत उम्दा विधि बताई है आपने |आपका observationदेख कर तारीफ के लिए शब्द कम पड़ रहे हैं |
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति पर बधाई
शब्दों का अचार पद कर ही इतना स्वादिष्ट लग रहा है तो खाने का स्वाद क्या होगा |आपका ऑब्जरवेशन
जवाब देंहटाएंदेख तारीफ के लिए शब्द कम पड़ रहे हैं |
आशा
शब्द शक्ति है,शब्द भाव है.
जवाब देंहटाएंशब्द सदा अनमोल,
शब्द बनाये शब्द बिगाडे.
तोल मोल के बोल,
नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
बढ़िया, खूब।
जवाब देंहटाएंवाह .. स्वाद आ गया आपके शब्दों को चखने में
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट रचना ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in पर कल दिनांक 6 अक्तूबर को लिंक की जा रही है .. कृपया पधारें ...
साभार सूचनार्थ
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएंजीवन का स्वाद बढ़ जाता है ऐसे अचारों से :-)
जवाब देंहटाएंसुन्दर बिम्ब....
अनु