भरोसा क्या है ?
एक पल
वह मन्दता भरा क्षण
जिसमें कोई अपने सभी कवच
उतार फेंकता है
अपनी सभी अरक्षितता को
किसी के समक्ष खोलता है
पर ऐसा कोई क्यों चाहता है ?
ऐसा मैं क्यों चाहता हूँ ?
क्या यह संभव है
बारम्बार प्रहार के बाद
भरोसा बनाये रखना
दिल में, दिमाग में और पीठ पीछे
उन से जिन्हें बेहद चाहा
पर ऐसा कोई क्यों चाहेगा ?
ऐसा मैं क्यों चाहता हूँ ?
क्या ऐसा संभव है
इस पृथ्वी पर कोई ऐसा एक
प्राणी हो जिस पर
जो भरोसे के काबिल हो
जो जीवन भर दूसरों की भांति
मेरे भरोसे का क़त्ल न करे
पर ऐसा कोई क्यों चाहेगा ?
ऐसा 'निर्जन' क्यों चाहता है ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (04-10-2013) लोग जान जायेंगे (चर्चा -1388) में "मयंक का कोना" पर भी है!
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शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया जनाब :) आपको भी नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाएं | जय मां अम्बे
हटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति...! बधाई ,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच दोहे,
जो भरोसे के काबिल हो
जवाब देंहटाएंजो जीवन भर दूसरों की भांति
मेरे भरोसे का क़त्ल न करे,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति.!
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