हल्ला बोल हल्ला बोल
आईपीएल की खुल गई पोल
अन्दर खाने कित्त्ते हैं झोल
हो रही सबकी सिट्टी गोल
ये मैच नहीं ये फिक्सिंग है
लगता मुझको तो मिक्सिंग है
बीमारी है अड़ियल अमीरों की
ये नसल है घटिया ज़मीरों की
नैतिकता ताख पे रक्खी हैं
ये खिलाड़ी हैं या झक्की हैं
जो चंद करोड़ पर नक्की हैं
लगते गोबर की मक्खी हैं
नारी गरिमा पर धुल पड़ी
आधी नंगी हो फूल खड़ी
चीयर गर्ल बन इतराती है
मैदान में कुल्हे मटकाती है
बस संत इनमें श्रीसंत हैं जी
आईयाश बड़े महंत हैं जी
फिक्सिंग में पकड़े जाते हैं जी
रंगरलियाँ खूब मनाते हैं जी
फ़िल्मी बकरे भी जमकर के
आईपिएल में मटर भुनाते हैं
विन्दु सरीखे पूत यहाँ पर
पिता की लाज गंवाते है
मैच के बाद की पार्टी में
आईयाशियों के दौर चलते हैं
दारु, लड़की, चिकन, कबाब
हर एक के साथ में सजते हैं
जीजा, साले, और सुसर यहाँ
एक दूजे की विकेट उड़ाते हैं
सट्टेबाजी के बाउंसर पर
बेटिंग अपनी दिखलाते हैं
मोहब्बत, जंग और राजनीति में
कहते हैं सबकुछ जायज़ है
आईपीएल की नई दुनिया में
सुना है खेल में सबकुछ जायज़ है
मैं पूछता हूँ अब आपसे यह
क्या जायज़ है ? क्या नाजायज़ है ?
जनता करेगी यह फैसला अब
कौन लायक है ? कौन नालायक है ?
बल्ला बोल बल्ला बोल
हल्ला बोल हल्ला बोल
आईपीएल की खुल गई पोल
आईपीएल की खुल गई पोल
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआईपीएल की तो वाकई पोल खुल गई
सुंदर अवलोकन ....जबर्दस्त
जवाब देंहटाएंयह तमाशा तो चलता ही रहेगा ?
जवाब देंहटाएंजितनी रचना रचनी है रच लो
जवाब देंहटाएंगैंडे के खाल में लिपटे हैं सब
सार्थक सामयिक रचना
हार्दिक शुभकामनायें
खुल गई पोल!!!
जवाब देंहटाएंक्या बात है तुषार जी ..क्या पोल खोली है आपने ..बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही तस्वीर खींची है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
धीरे धीरे सभी बेनकाब होते जा रहे है ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: ओ प्यारी लली,
ज़बरदस्त हल्ला बोला है
जवाब देंहटाएंफिक्सिंग करने वाले लोग अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी ही हैं, इनका बेनकाब होना बहुत जरूरी है आभार
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये एक बार अवश्य पधारें
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पोल तो खुलनी ही थी.....मेरी नई पोस्ट "ज़रा अज़मां कर देखिए "
जवाब देंहटाएंअभी न जाने कितनी ही और खुलनी बाकी हैं.
जवाब देंहटाएंसंत क्या श्रीसंत क्या
जवाब देंहटाएंसब है कनक कामिनी के
भक्त ...सटीक रचना !
जवाब देंहटाएंभरता जाए है यूं पाप का घट धीरे धीरे |
खुलते जाए है घुटालों के भी पट धीरे धीरे |
अब न खेल का इमान धरम कोई रहा-
खुलते जाये हैं आईपीएल के कपट धीरे धीरे |
बढिया बंद बजाया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बेंड बजाया
जवाब देंहटाएंअभी तो जाने कितना खेल बाकी है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
बढ़िया।
जवाब देंहटाएंmeri tippani spam me dekhiye...
जवाब देंहटाएंसट्टेबाजी और फिक्सिंग ने क्रिकेट को कितनी हानि पहुंचायी है ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य, बेहतरीन
बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंbahut khoob Tushaar ji.
जवाब देंहटाएंbahut khoob Tushaar Ji.
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