चाँद पूनम का सियाह रात में मुकम्मल देखा
सितारों को भी चांदनी में मुज़म्मिल देखा
रात चाँद की चांदनी में सिसकता बदल देखा
मैंने रात की आँखों से पिघलता काजल देखा
काजल सी रात में तेरी बातें करता रहा खुद से
गूंजते रहे अलफ़ाज़ तेरे जुदा हो गया मैं खुद से
घुमड़ आई यादों की घटा बदली बन दिल पर
भीगता रहा रात भर मैं अपने लब सिल कर
हौसला छीन लिया मुझसे ग़म-ए-जिंदगानी ने
ख़ाक कर दिया दिल जलाकर रात तूफानी ने
आबाद हो जायेगा 'निर्जन' फिर शायद मर कर
जो फकत देख लेती तू कजरारे नयनो से मुड़ के
चाँद पूनम का सियाह रात में मुकम्मल देखा
सितारों को भी चांदनी में मुज़म्मिल देखा
बहुत सुंदर गज़ल कही यशोदा जी । बधाई !
जवाब देंहटाएंयशोदा जी ??????
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हटाएंदिल बाग बाग हो गया
उम्दा गजल पढ़ कर
खूबसूरत अभिव्यक्ति
सोने पे सुहागा है
हार्दिक शुभकामनायें
शुक्रिया शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंkhoobshurat gazal
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर...चौथा विशेष रूप से अच्छा लगा...बधाई !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया भाई तुषार-
जवाब देंहटाएंसुन्दर !!
जवाब देंहटाएंवाह !!!बहुत सुंदर रचना ,,,तुसार जी बधाई
जवाब देंहटाएंrecent post : ऐसी गजल गाता नही,
बहुत सुन्दर ग़ज़ल तुषार रस्तोगी जी ... बधाई
जवाब देंहटाएंbahut achhi abhivyakti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल,,तुषार,,
जवाब देंहटाएंbahut sundar .....
जवाब देंहटाएंलाजवाब, बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तुषार जी बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट
क्या आपको अपना मोबाइल नम्बर याद नहीं
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंरात की आँखों में पिघलता काजल....
जवाब देंहटाएंवाह, बेहतरीन
खुबसूरत गजल
बहुत खूबसूरत गज़ल है तुषार जी ! हर शेर लाजवाब है ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी
जवाब देंहटाएं!
बहुत बढ़िया तुषार जी, आभार।
जवाब देंहटाएंबढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .खूबसूरत गज़ल है. हर शेर लाजवाब है !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल ...
जवाब देंहटाएंचाँद---------
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अनुभूति
प्रेम का महीन अहसास
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है
गुलमोहर------
बहुत खूबसूरत रचना .....दर्द के एहसासों को बयां करता हुआ
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