मंगलवार, जून 04, 2013

चाँद पूनम का

















चाँद पूनम का सियाह रात में मुकम्मल देखा
सितारों को भी चांदनी में मुज़म्मिल देखा

रात चाँद की चांदनी में सिसकता बदल देखा
मैंने रात की आँखों से पिघलता काजल देखा

काजल सी रात में तेरी बातें करता रहा खुद से
गूंजते रहे अलफ़ाज़ तेरे जुदा हो गया मैं खुद से

घुमड़ आई यादों की घटा बदली बन दिल पर
भीगता रहा रात भर मैं अपने लब सिल कर

हौसला छीन लिया मुझसे ग़म-ए-जिंदगानी ने
ख़ाक कर दिया दिल जलाकर रात तूफानी ने

आबाद हो जायेगा 'निर्जन' फिर शायद मर कर
जो फकत देख लेती तू कजरारे नयनो से मुड़ के

चाँद पूनम का सियाह रात में मुकम्मल देखा
सितारों को भी चांदनी में मुज़म्मिल देखा 

26 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर गज़ल कही यशोदा जी । बधाई !

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    1. (*_*)
      दिल बाग बाग हो गया
      उम्दा गजल पढ़ कर
      खूबसूरत अभिव्यक्ति
      सोने पे सुहागा है
      हार्दिक शुभकामनायें

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  2. शुक्रिया शास्त्री जी |

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  3. बहुत ही सुंदर...चौथा विशेष रूप से अच्छा लगा...बधाई !!

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  4. बहुत बढ़िया भाई तुषार-

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  5. बहुत सुन्दर ग़ज़ल तुषार रस्तोगी जी ... बधाई

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  6. बहुत सुन्दर गजल,,तुषार,,

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  7. लाजवाब, बहुत सुंदर.

    रामराम.

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  8. रात की आँखों में पिघलता काजल....

    वाह, बेहतरीन
    खुबसूरत गजल

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  9. बहुत खूबसूरत गज़ल है तुषार जी ! हर शेर लाजवाब है ! बहुत खूब !

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  10. बहुत बढ़िया तुषार जी, आभार।

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  11. बहुत खूब .खूबसूरत गज़ल है. हर शेर लाजवाब है !

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  12. चाँद---------
    बहुत सुंदर अनुभूति
    प्रेम का महीन अहसास
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है
    गुलमोहर------

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  13. बहुत खूबसूरत रचना .....दर्द के एहसासों को बयां करता हुआ

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