रविवार, मई 26, 2013

किसकी सज़ा है ?
















ऐ वादियों
मैं तुम से पूछता हूँ
झरनों में भी देखता हूँ
नदियों में ढूँढता हूँ
ये नयन न जाने
किसे खोजते हैं
किसकी सज़ा है
ये किसकी सज़ा है
प्रभाकर जब आएगा
चमक उठेगा मन
डोल उठेगी आत्मा
पर्वतों पर कूदती
झरनों को लूटती
सरिता से फूटती
रौशनी समेटे
तब 'निर्जन'
दूंगा अंधियारे को सज़ा
किसकी सज़ा है
ये किसकी सज़ा है

20 टिप्‍पणियां:

  1. अंधियारे को सज़ा
    किसकी सज़ा
    कैसी सज़ा
    आकुल क्यूँ हो

    जवाब देंहटाएं
  2. कभी न कभी प्रभात की किरने हमारी जिंदगी में फूटेगी ही,बहुत ही सुन्दर रचना.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर एंव बेहतरीन रचना तुषार जी थैंक्स।

    जवाब देंहटाएं
  4. जिंदगी की खुशबु से भरी बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर तुषार जी! बधाई आपको!

    जवाब देंहटाएं

  6. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खूब ... ये सजा किसी की नहीं बस खेल है प्राकृति का ...

    जवाब देंहटाएं
  8. कब शब्दों में बहुत कहने को बैचेन फिर बात कहने में सफल सुन्दर रचना |

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह बहुत खूबबहुत सुन्दर रचना..

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर व सार्थक रचना।

    जवाब देंहटाएं
  11. ये किसकी सजा है
    बहुत सुंदर रचना
    मन को छूती हुई
    बधाई


    आग्रह हैं पढ़े
    तपती गरमी जेठ मास में---
    http://jyoti-khare.blogspot.i

    जवाब देंहटाएं

कृपया किसी प्रकार का विज्ञापन टिप्पणी मे न दें। किसी प्रकार की आक्रामक, भड़काऊ, अशिष्ट और अपमानजनक भाषा निषिद्ध है | ऐसी टिप्पणीयां और टिप्पणीयां करने वाले लोगों को डिलीट और ब्लाक कर दिया जायेगा | कृपया अपनी गरिमा स्वयं बनाये रखें | कमेन्ट मोडरेशन सक्षम है। अतः आपकी टिप्पणी यहाँ दिखने मे थोड़ा समय लग सकता है ।

Please do not advertise in comment box. Offensive, provocative, impolite, uncivil, rude, vulgar, barbarous, unmannered and abusive language is prohibited. Such comments and people posting such comments will be deleted and blocked. Kindly maintain your dignity yourself. Comment Moderation is Active. So it may take some time for your comment to appear here.