ख्वाबों की दुनिया में बुने एक अलसाये मन के भाव, विचार, सोच, कहानियाँ, किस्से, कवितायेँ....|
बुधवार, मई 08, 2013
कर्म की मिठास
15 टिप्पणियां:
कृपया किसी प्रकार का विज्ञापन टिप्पणी मे न दें। किसी प्रकार की आक्रामक, भड़काऊ, अशिष्ट और अपमानजनक भाषा निषिद्ध है | ऐसी टिप्पणीयां और टिप्पणीयां करने वाले लोगों को डिलीट और ब्लाक कर दिया जायेगा | कृपया अपनी गरिमा स्वयं बनाये रखें | कमेन्ट मोडरेशन सक्षम है। अतः आपकी टिप्पणी यहाँ दिखने मे थोड़ा समय लग सकता है ।
Please do not advertise in comment box. Offensive, provocative, impolite, uncivil, rude, vulgar, barbarous, unmannered and abusive language is prohibited. Such comments and people posting such comments will be deleted and blocked. Kindly maintain your dignity yourself. Comment Moderation is Active. So it may take some time for your comment to appear here.
सर्वोत्त्कृष्ट, अत्युत्तम, रचना कर्म की मिठास
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये इसे एक बार अवश्य देखें,
लेख पसंद आने पर टिप्प्णी द्वारा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें, अनुसरण कर सहयोग भी प्रदान करें
MY BIG GUIDE
सुन्दर प्रस्तुति .अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंकर्म की मिठास ही
जवाब देंहटाएंजीवन को सतरंगी
बनाती है
बिलकुल सच !!
हार्दिक शुभकामनायें
कर्म की
जवाब देंहटाएंझंकार ही ने
मीरा को
बाध्य किया
नाचने पर,,,
वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST: नूतनता और उर्वरा,
बहुत खूबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम
छन्द मुक्त काव्य-धारा की जीवन्तता के लिये वधाई !
जवाब देंहटाएंAti utam
जवाब देंहटाएंकर्म ही जीवन है तो जीवन में मीठास तो होनी ही चाहिए...शुभकामनाएं तुषार..
जवाब देंहटाएंमीरा की भक्ति को कर्म से जोड़ता हुआ खूबसूरत प्रयास!
जवाब देंहटाएं-Abhijit (Reflections)
बहुत ही बेहतरीन कर्म की मिठास है यह प्रस्तुति। और हां चित्र तो अत्यन्त सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंकर्म फल ही था मीरा का जो मुग्धा भाव की भक्ति में अभिव्यक्त हुआ था .अभिनीत हुआ था .न्रत्य बना था भाव नृत्य .हम तो सदैव ही आपके अनुगामी हैं .रोज़ फोलो करते हैं आपको .
जवाब देंहटाएंsach hi hai karm hi jeevan hai..
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण, जीवंत रचना
जवाब देंहटाएंकमाल की कविता लिखी है.. दिल को छू गयी..
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना..
बहुत ही सुन्दर और उत्कृष्ट प्रस्तुति,बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएं