तेरी मुस्कराहट में मेरा अक्स झलकेगा
नज़रें झुकेंगी तेरी तब अश्क छलकेगा
पलट के देखेगी सरे राह मुझको पायेगी
तू जो छोड़ेगी मेरा साथ बहुत पछताएगी
हर एक आहट एहसास मेरा करवाएगी
मेरी साँसों की हवा दिल तेरा छु जाएगी
बहते दरिया रोज़ किस्सा मेरा सुनायेंगे
तू ना चाहेगी तब भी मेरी याद आएगी
आज ग़म है तो कल ख़ुशी भी आएगी
रोते रोते ज़िन्दगी कभी तो मुस्कराएगी
आज हालात हैं तू भीड़ में भी है तनहा
कहता है दिल जुदा तू भी जी न पायेगी
तेरे दिल में रहूँगा मैं बस यादें बनकर
तेरे होटों पर रहूँगा मैं मुस्कान बनकर
तू रोकेगी फिर भी मैं आ ही जाऊंगा
तेरे सपनो को आसमान बन सजाऊंगा
सियाह रातों में मैं चाँद बन कर देखूंगा
अपनी चांदनी को तेरे दिल तक भेजूंगा
मोहब्बत 'निर्जन' सोच कर नहीं करता
दिल मेरा यूँ ही तो तुझ पर नहीं मरता
बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना ... बधाई !
जवाब देंहटाएंतेरे सपनों को आसमान बन सजाऊंगा। अपनी चांदनी को तेरे दिल तक भेजूंगा। अच्छी,सुन्दर पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन सुंदर मुक्तक ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : समझ में आया बापू .
वाह!!!बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंअच्छी है
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंदिल की ज़िद!
जवाब देंहटाएंdil ko chhoo gyi aapki bhawnayen
जवाब देंहटाएं