बुराई को अच्छाई से
अकडू को सुताई से
महंगाई को सस्ताई से
क्लीन कर दीजिये
भूख को तृप्ति में
आशा को मुक्ति में
भोग को युक्ति में
तल्लीन कर दीजिये
उंचाई को गहराई में
अँधेरे को परछाई में
कसाव को ढिलाई में
लीन कर दीजिये
दिल की रैम से
टेंशन के स्पैम को
री-साईकल बिन में
विलीन कर दीजिये
किस्मत के मारों के
आत्मा के गार्डन को
पॉजिटिव विचारों से
ग्रीन कर दीजिये
अमीरी और गरीबी के
भेद को मिटाइये
सारे समाज को
मिस्टर बीन बनाइये
प्रसारण 'निर्जन' का
सीधा दिखलाइये
रूकावट कहीं भी हो
पर खेद ना बतलाइये
समस्या की
मिडिल फिंगर पर
सोलियुशन की रिंग डाल
मीन बन जाइए
ट्रॉमा को भगाईये
हाथ अपना बढ़ाईये
बाबाजी की बूटी का
एंजोयमेंट आज़माइए
ग़म भूल जाइए
लाइफ को सजाइए
सुपरमैन बन जाइए
हवा में उड़ते जाइए
सुपरमैन बन जाइए
हवा में उड़ते जाइए...
समय का उवाच।
जवाब देंहटाएंaap ne bilkula sacha kahaa hai.
जवाब देंहटाएंVinnie
बहुत सुन्दर बनी है यह रचना तुषार जी |
जवाब देंहटाएंवाह !!! सुंदर सृजन ! बेहतरीन प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बिखरे स्वर.