वो यादें गुज़रे लम्हों की
जिस पल यारों साथ रहे
वो अनजानी दुनिया थी
खुशियों से आबाद रहे
वो उम्र गुज़ारी थी हमने
जब रोते रोते हँसते थे
बस कहते थे न सुनते थे
हम तुम जब मिलते थे
वो अपने चेहरे खिलते थे
पुर्लुफ्त वो आलम होता था
जब रातों को बातें करते थे
मैं सोच के कितना हँसता हूँ
उन बातों पर बचपन की
बस यही पुरानी याद बनी
'निर्जन' बातें उन लम्हों की
लड़ लड़ कर हम साथ रहे
ये यादें है उस अपनेपन की
वो यादें गुज़रे लम्हों की ....
v nc sr
जवाब देंहटाएंखूबसूरत यादें !
जवाब देंहटाएंयादों का समंदर लहराता है प्रतिपल!
जवाब देंहटाएंnishchhal .nirbhay baten hain ye baten hain us bachpan ki ..bahut badhiya ......shandar prastuti ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंअपने मन की बात कही है कायदे से !
जवाब देंहटाएंपुराने दिनों की खुशनुमा यादें। सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंपुर्लुफ्त वो आलम होता था
जवाब देंहटाएंजब रातों को बातें करते थे
मैं सोच के कितना हँसता हूँ
खूबसूरत अभिव्यक्ति
हार्दिक शुभकामनायें
मैं सभी मित्रों का दिल से स्वागत करता हूँ और आभार व्यक्त करता हूँ | आपने अपनी व्यस्त जीवन शैली से थोडा सा समय मेरे इस ब्लॉग को पढने के लिए निकला और अपनी टिप्पणियों का बहुमूल्य योगदान देने की कृपा की | सभी मित्रों का दिल से शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकोमल भाव लिए सुन्दर रचना..:-)
जवाब देंहटाएंलड़ लड़ कर हम साथ रहे
जवाब देंहटाएंये यादें है उस अपनेपन की
वो यादें गुज़रे लम्हों की ....
वाह !!!बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,,,
RECENT POST : समझ में आया बापू .
सुंदर !
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद्
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