शुक्रवार, सितंबर 06, 2013

एक दिन देश के नाम - स्वराज मार्ग (स्वयं सेवी संस्था) द्वारा समर्पित एक दिवस देश और देश वासियों के नाम


























































स्वराज मार्ग की छटा नई
एक शाम देश के नाम रही
हर दिल से धारा बही वहीं
जन जन हैं कहता खूब रही

बस जन सेवा की इच्छा से
हर एक व्यक्ति जुड़ा कहीं
बूँद बूँद से बन कर साग़र
नव चेतना सब में लीन हुई

पुरषार्थ से है किया सृजन
जन मानस हो रहे मगन
निशुल्क चिकित्सा सेवा से
मानव ह्रदय में लगी लगन

मित्र वकील भी खूब आये
जनता को अपनी ये भाये
काले सफ़ेद ने नाम किया
लोगों से मिल काम किया

संध्या बेला फिर घिर आई
नव क्रांति स्वराज की लाई
नव अंकुरित शिशुओं ने भी
अपनी प्रतिभा जब दिखलाई

ज्यों ही संध्या विस्तार हुआ
कवि कटार को धार दिया
आगाज़ कवि सम्मेल्लन का
फिर शंखनाद के साथ हुआ

कविता की 'निर्जन' बात करे
रसीले हास्य से शुरुवात करें
वीर, देश प्रेम, श्रृंगार, व्यंग
सभी रसों का रसपान किया

समापन समय जब आया
खुशियाँ और ग़म था लाया
विदा सब को सप्रेम किया
दिल में चित्रों को फ्रेम किया

जन स्वराज फिर लायेंगे
हम लौट के वापस आयेंगे
स्वराज मार्ग पर चलकर
हम देश भविष्य बनायेंगे 

4 टिप्‍पणियां:

  1. यह बात विचारणीय है कि स्‍वराज मार्ग पर चल कर ही हम देश का भविष्‍य अच्‍छा बना सकेंगे।

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  2. एक अच्छी शुरुआत , सराहनीय कदम बधाई आपको तुषार जी ।

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  3. आप सभी मित्रों का आदर सहित शुक्रिया |

    जवाब देंहटाएं

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