आसमां में उड़े हुए लोग
हवा से भरे हुए लोग
संतुलन की बातें करते हैं
सरकार से जुड़े हुए लोग
भीड़ में खड़े हुए लोग
अन्दर तक सड़े हुए लोग
जीवन की बातें करते हैं
मरघट में पड़े हुए लोग
मुद्रा पर बिके हुए लोग
सुविधा पर टिके हुए लोग
बरगद की बातें करते हैं
गमलों में उगे हुए लोग
भोग में लिप्त हुए लोग
चरित्र से बीके हुए लोग
पवित्रता की बातें करते हैं
गटर से उठे हुए लोग
'निर्जन' मिले जो भी लोग
धरती पर झुके हुए लोग
देशभक्ति की बातें करते हैं
दिल से जुड़े हुए लोग
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज शुक्रवार (09-08-2013) को मेरे लिए ईद का मतलब ग़ालिब का यह शेर होता है :चर्चा मंच 1332 ....में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया शास्त्री साहब
हटाएंआज की बुलेटिन काकोरी कांड की ८८ वीं वर्षगांठ और ईद मुबारक .... ब्लॉग बुलेटिन में आपकी पोस्ट (रचना) को भी शामिल किया गया। सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया छोटे :)
हटाएंलोग तो कुछ न कुछ कहेंगे ... करेंगे ...
जवाब देंहटाएंकिस्म किस्म के लोग .... बहुत उम्दा प्रस्तुति ...
देश की वस्तुस्थिति पर कितनी बढ़िया कविता करी है!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत लिखा है आपने , शानदार अभिवयक्ति
जवाब देंहटाएंस्वंत्रता-दिवस की कोटि कोटि वधाइयां !अतियथार्थवादी रचना हेतु रचना के लिये साधुवाद !!
जवाब देंहटाएंस्वंत्रता-दिवस की कोटि कोटि वधाइयां !बहुत सुन्दर रचना के लिये साधुवाद !!
जवाब देंहटाएंbahut badiya likha aapne
जवाब देंहटाएंदिल से जुड़े लोग ही सबसे अच्छे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, आभार !