शनिवार, अगस्त 03, 2013

इंतज़ार उसका मुझे
















वो कहते हैं इश्क नहीं
होता पहली नज़र में
मैंने जिस से भी किया
आज भी निभा रहा हूँ

सुलगते जो दिल में
जज़्बात रहते हैं मेरे
आज लिखकर उन्हें
दिलसे बतला रहा हूँ

वो आया था नज़रों में
फिर दिल को भा गया
एक निगाह डाल कर
मुझे अपना बना गया

रंग ऐसा चढ़ा उसका
छुड़ाए छुट न सका
बाद मुददतों के भी
नाम मिट न सका

पतंगा बन कर रहा
आग में जलता रहा
बरसों 'निर्जन' यूँ ही
बस पिघलता रहा

इंतज़ार उसका मुझे
आज भी है ऐ दोस्त
उम्रभर इश्क को मेरे
जो बैठा परखता रहा

10 टिप्‍पणियां:

  1. ये पागल इश्क बहुत दर्द देता है

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  2. बहुत खुबसूरत...!!!इश्क़ होता ही इतना सुंदर ....

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  3. बहुत ही खूबसूरत ... इश्क की तरह !

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  4. भावो का सुन्दर समायोजन......

    जवाब देंहटाएं
  5. भावो का सुन्दर समायोजन......

    जवाब देंहटाएं
  6. इश्क दर्द भी देता है
    इश्क सुकून भी देता है
    आँखों में आँसू देता है
    दिल में खुशी भी देता है ....

    बहुत सुन्दर ....

    जवाब देंहटाएं

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