अंतर्मन चीत्कार कर
बहिर्मन प्रतिकार कर
प्रघोष महाघोष कर
निनाद महानाद कर
नाद कर नाद कर
'स्वराज' का प्रणाद कर
साम, दाम, दण्ड, भेद
ह्रदय में रह न जाये खेद
भुलाकर समस्त मतभेद
सीना दुश्मनों का छेद
प्रहार कर प्रहार कर
'स्वराज' की दहाड़ कर
मुल्क अब भी गुलाम है
चाटुकारी आम है
काट चमचो का सर
धरती को स्वाधीन कर
उद्घोष कर उद्घोष कर
'स्वराज' की हुंकार भर
कदम रुकेंगे नहीं
कदम डिगेंगे नहीं
अटल रहे अडिग रहे
सर उठा कर कहे
बढ़ चले बढ़ चले
'स्वराज' पथ पर चढ़े
रणफेरी की ललकार है
मच रहा हाहाकार है
रावणों की फ़ौज है
भक्षकों की मौज है
मार कर मार कर
'स्वराज' का वार कर
.प्रेरणादायक .बेहतरीन अभिव्यक्ति . आभार इमदाद-ए-आशनाई कहते हैं मर्द सारे आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -5.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात
जवाब देंहटाएंउद्घोष कर उद्घोष कर
'स्वराज' की हुंकार भर
कदम रुकेंगे नहीं
कदम डिगेंगे नहीं
अटल रहे अडिग रहे
तथास्तु
हार्दिक शुभकामनायें
आजकल यही हो रहा है. सटीक और सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सच्चाई की तरफ ले जाती कविता
जवाब देंहटाएंपधारिये और बताईये निशब्द
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार
प्रिय तुषार-
सार्थक प्रस्तुति ,बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआप सभी गुणीजन का हार्दिक अभिनन्दन, आभार और शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंवाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब सार्थक प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: गुजारिश,
बहुत ही सुन्दर रचना,आभार।
जवाब देंहटाएंचेताती हुई प्रभावशाली अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंसुंदर सटीक और सार्थक कविता......
जवाब देंहटाएंWell written.
जवाब देंहटाएंVinnie
सार्थकता को समर्थन है।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक, सार्थक और ओजस्वी रचना...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना ,बहुत लाजवाब लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंअटल जी की कविताओं की याद आ गई। बहुत अच्छी प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने..
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
साथक ओजस्वी रचना ...
जवाब देंहटाएंहर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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