अभी हाल ही में अमृतसर जाने का अवसर प्राप्त हुआ | अगर दुसरे शब्दों में बयां करूँ तो अचानक ही बैठे बैठे 'दरबार साहब- हरमिंदर साहिब' से बुलावा आ गया | तो बस उठे और चल पड़े कदम 'वाहे गुरु' को सीस नावाने | 'दरबार साहब' के समक्ष अपने को जब खड़ा पाया तो एह्साह हुआ के जीवन में सब कुछ कितना छोटा है, बेमानी है और मिथ्या है | कुछ एक ऐसी परिस्थितियां जिनमे इंसान अपने को कमज़ोर महसूस करने लगता है, हालातों का गुलाम होने लगता है और उस पर एक नकारात्मक सोच काबिज़ होने लगती है ये सब 'हुज़ूर साहब' के सामने कुछ भी नहीं हैं | उनके दर्शन करते ही एक नई स्फूर्ति, नया जोश, नई सोच, नया विश्वास, नई उमंग, नए विचार और जीवन संतुलन के प्रति नया दार्शनिक नजरिया उनके आशीर्वाद से आपके समक्ष दिव्यज्योति बन कर आपके आसपास के वातावरण को प्रकाशित करता है और जीवन जीने की नई शक्ति प्रदान करता है | 'सच्चे बादशाह' के दरबार के कोई कभी खाली हाथ नहीं जाता | मैंने भी अपने जीवन के कुछ क्षण उनके साथ वार्तालाप करने में और 'श्री गुरु ग्रन्थ साहिब' के दर्शन करने में व्यतीत किये और उनका जो जवाब मुझे मिला वो मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ | मुझे लगा उन्होंने मेरे सवालों के जवाब कुछ इस प्रकार से दिए :
पुत्र
अपनी भटकन
मुझे
क़र्ज़ रूप में
ही दे दो
अपने
मन मस्तिष्क
का वो शून्य
जिसमें तुम खो कर
अपने आप को
अस्तित्वहीन सा
पाते हो
जीवन की एक
गौरव भरी
सजीव शक्ति
उस क़र्ज़ के बदले
मैं तुम्हे देता हूँ
जिस को
स्वीकारने पर
तुम स्वयं
एक नई दिशा
बनाओगे
चेतना स्फूर्ति
कर्म भरा जीवन
तुम पाओगे
एक निश्चित धरातल
जिसमें भटकन का
कोई स्थान नहीं होगा
सिर्फ
अथाह कर्म का सागर
यश और
समृद्धि का एक रत्न
उज्जवल आकाश
निर्मल धारा
सूर्या का तेज
चन्द्र की शीतलता
तब तुम्हारा मेरा ऋण
पूरा होगा
एक कुशल
व्यापारी की भांति
हम एक दुसरे के
सच्चे मित्र होंगे
बस इतना सा कहा उन्होंने मुझसे और मैं माथा टेक कर उनका शुक्रिया अदा कर मुस्कराता हुआ उनसे मिलकर प्रसादी और लंगर ग्रहण कर वापस चला आया |
वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फ़तेह | जो बोले सो निहाल 'सत श्री आकाल' |
जैसे गुरु साहब ने मेरे ऊपर मेहर रखी वैसे ही सभी पर कृपा करते हैं |
सादर नमन-
जवाब देंहटाएंगुरूजी की सब पर मेहर बनी रहे, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही अच्छी व्याख्या और कविता आपने लिखी है। वाकई हरमिंदर साहब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के दर्शन करने से बहुत ही नया विचार प्राप्त होता है। हिन्दू धर्म का बहुत ही उन्नत और परिष्कृत रुप है सिख धर्म। पर इसके प्रतिनिधि मुझे हिंदू धर्म से ज्यादा अच्छे व संस्कारी लगते हैं। बाबा धंद्रियां और संत मसकीन जी के शबद मुझे बड़े ही आध्यात्मिक लगते हैं। बहुत बढ़िया अनुभव रहा आपका।
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर आलेख तुषार जी, अच्छे अनुभव शेयर किये आपने आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये एक बार अवश्य देंखें माई बिग गाइड
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बहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों का शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंरोचक
जवाब देंहटाएंश्रद्धा अनमोल है ..
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