होठों पे हंसी, दिल में ग़म है
हम ही हम हैं, तो क्या हम हैं
होठों पे हंसी, दिल में ग़म है
कहीं ज्यादा है, कहीं पर कम है
होठों पे हंसी, दिल में ग़म है
मुस्कान भी है, आँखे नम हैं
होठों पे हंसी, दिल में ग़म है
पास तो है, पर क्या दूरी कम है
होठों पे हंसी, दिल में ग़म है
क्या व्हिस्की और क्या रम है
होठों पे हंसी, दिल में ग़म है
कुछ चलता सा, कुछ कुछ थम है
होठों पे हंसी, दिल में ग़म है
हम ही हम हैं, तो क्या हम हैं
बहुत खूब तुषार जी !
जवाब देंहटाएंlatest post केदारनाथ में प्रलय (भाग १)
होटों पे हंसी तो क्या गम है ,जितने भी गम है वो कम है !!
जवाब देंहटाएं.विचारणीय प्रस्तुति . आभार आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है .आप भी पूछें कैसे करेंगे अनुच्छेद 370 को रद्द ज़रा ये भी बता दें शाहनवाज़ हुसैन .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,
जवाब देंहटाएंsahi baat....
जवाब देंहटाएंहम ही हम हैं तो हम हैं, सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
सुन्दर....
जवाब देंहटाएंहम ही हम हैं तो फिर क्या गम हैं..हँसते रहें.ये क्या कम हैं ?शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन ,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ....: नीयत बदल गई.
हंसी तो क्या गम है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती स वयक्त किया है मन के भावो को....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़ियाँ...
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत खूब..
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