आज एक
ख्वाबों की दुनिया में बुने एक अलसाये मन के भाव, विचार, सोच, कहानियाँ, किस्से, कवितायेँ....|
शनिवार, जून 08, 2013
घुंघरू
आज एक
14 टिप्पणियां:
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ये आवाज़ हर कोई कहाँ सुन पाता है
जवाब देंहटाएंईश्वर का स्वर स्वयं
जवाब देंहटाएंबजना है
वो मूक बना
उस स्वर का
आनंद लेता है
इस लिए ईश्वर को
पाने वाला ही
उस घुंघरू की
ताल और लय
सुन पायेगा
very nice.
ईश्वर को पाना सबके वश की बात है ?
जवाब देंहटाएंफिर
कोई कैसे सुने
prabhavshali rachna,aastha ke aayam ko disha deti behatareen prastuti
जवाब देंहटाएंउससे तालमेल बिठाना सरल कहाँ. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंसुर, ताल और लय मूक और स्वर सब कुछ उसमें ही समाहित है.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
बहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,आभार।
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 10/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
बहुत बढ़िया.....
जवाब देंहटाएंअनु
बेहद सुन्दर रचना तुषार जी आभार।
जवाब देंहटाएंinner voices lead us to truth.
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर कविता ..
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर कविता ..
जवाब देंहटाएंहर किसी के बस में नहीं ये आवाज़ सुनना ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिखा है ...