कमाल है धमाल है
लोकतंत्र बेमिसाल है
जनता का बुरा हाल है
ये सरकारी चाल है
भूखे गरीब मर रहे
धनवान तिजोरी भर रहे
महंगाई से लोग डर रहे
पप्पू मज़े हैं कर रहे
क़ुदरत भी आज ख़िलाफ़ है
कुकर्मों का अभिश्राप है
विपदा जो सर पर आई है
सरकार ही इसको लाई है
गिद्ध और बाज़ वो बन रहे
आसमान से दौरा कर रहे
लाशों के मंज़र देख रहे
चील सी आँखे सेंक रहे
प्रशासन बदहाल है
चांडालों की ढाल है
ज़ुल्मों से बेज़ार है
आम जनता ज़ार-ज़ार है
कुछ करोड़ हैं खर्च रहे
दिखावा चमचे कर रहे
मरने वाले हैं मर रहे
वो विदेशों में ऐश कर रहे
सवाल मेरा बस इतना है
घुट घुट कब तक मरना है?
कब तक हमको डरना है?
आज समय है हमको लड़ना है
आवाज़ बुलंद अब करना है...
आवाज़ बुलंद अब करना है...
भावनात्मक अभिव्यक्ति . आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक रचना !!
जवाब देंहटाएंआवाज़ बुलंद अब करना है... सार्थक और सुन्दर रचना तुषार भाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति... आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
सुंदर रचना तुषार जी
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना है , यह आवाहन आवश्यक हैं ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसच समय पर आवाज बुलंद कर जागे रहने होगा सबको ..हिसाब किताब के लिए ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
Very well written.
जवाब देंहटाएंvinnie