नमाज़ में वो थी, पर ऐसा लगा कि
दुआ हमारी, कबूल हो गई
सजदे में वो थी, पर ऐसा लगा कि
खुदा हमारी, वो रसूल हो गई
आयतों में वो थी, पर ऐसा लगा कि
ज़िन्दगी हमारी, नूर हो गई
तज्बी में वो थी, पर ऐसा लगा कि
मुख़्लिस हमारी, हबीब हो गई
मदीने में वो थी, पर ऐसा लगा कि
तसव्वुफ़ हमारी, मादूम हो गई
ज़िन्दगी में वो थी, पर ऐसा लगा कि
'निर्जन' ज़िन्दगी, ज़िन्दगी से
महरूम हो गई, महरूम हो गई
मुख़्लिस - दिल की साफ
हबीब - दोस्त
तसव्वुफ़ - भक्ति
मादूम - धुंदली हो गई
सुभानाल्लाह
जवाब देंहटाएंबे-मिसाल
ख़ुदा खैर करे
bdiya likha tushar ji
जवाब देंहटाएंविंडो 7 , xp में ही उठायें विंडो 8 का लुफ्त
विंडो 7 को upgrade करने का तरीका
bahut khoob, behatareen
जवाब देंहटाएंवाह !!! बहुत खूब सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,
बढ़िया,माफी चाहता हूँ उर्दू नहीं आती।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर