शनिवार, दिसंबर 08, 2012

मैं भी शायद जल्द ही गिर जाऊँगा

इन सर्दियों की सियाह रातों में
आज
मैं देख सकता हूँ
अपने अतीत के अवशेषों को
आंसू बह कर गिरते हैं
मेरे गालों से
वैसे मैं भी शायद
जल्द ही गिर जाऊँगा

अगरचे केवल तकदीर ने
मेरे लिए यह चुना है
तो एक बार फिर
मैं तकदीर से लडूंगा
और फिर से एक
आज़ाद मौत मर जाऊंगा
अपनी ख्वाइशों को
बंदिशों में बांध कर
और सिसक सिसक कर
जिंदगी बिताना 
क्या इस तरह जीने को
जिंदगी कहते हैं ?
क्या इस तरीके से
जीवन जीना मैंने चुना है ?
अपने सपनो के लिए
अपनों के लिए
मर मिटना
और दिल मैं कोई
अफ़सोस न रखना
यही मेरे जीने का मकसद है
कोई भी इस उत्साह
कोई इस उमंग को
मुझ से छीन नहीं सकता
मेरे मज़बूत इरादों को
अब कोई तोड़ नहीं सकता
चाहे अरमानो के
खून की नदियाँ बह जाएँ
चाहे मुस्कराहटों पर
अँधेरा छा जाये 
चाहे जिंदगी तीरों की बौछार करे
या फिर गोलियों की बारिश
अपनी जिंदगी की आखरी जंग
मैं मरते दम तक लड़ता रहूँगा
जब तक सांस में सांस है
जिंदगी
तेरे से ऐसे ही भिड़ता रहूँगा
पर आज
आंसू बह कर गिरते हैं
मेरे गालों से
वैसे मैं भी शायद
जल्द ही गिर जाऊँगा

गोकि हारने का गम
अब दिल से जाता रहा
जिसपे रोता हूँ
वो हालात नज़र आता रहा
वो लोग जिन पर
दिल-ओ-जां लुटाए थे कभी
वो नासूर बनकर चोट करते हैं अभी
फिर भी लड़ना तो मुझे है
आखरी दम तक मेरे
इसलिए मैं, मैं हूँ
और यही है तरीका मेरा
हथियार डालूँगा नहीं
है खुद सी ही
यह वादा मेरा
पर आज
आंसू बह कर गिरते हैं
मेरे गालों से
वैसे मैं भी शायद
जल्द ही गिर जाऊँगा

अगर कभी मैं स्वर्ग पाउँगा 
तो उन लम्हों को जीना चाहूँगा
जिंदगी के वो पल
जो कहीं खो गए हैं
जिनमें मेरे मिजाज़ के अनुकूल
लम्हे हुआ करते थे
जिन्हें मैं जीता था
और
हमेशा जीना चाहता था
पर अब वो पल
शायद ही वापस आयेंगे
पर सोचने में क्या जाता है
कोई न कोई तो है
जो उन्हें
खुद ही वापस लौटाएगा 
पर आज
आंसू बह कर गिरते हैं
मेरे गालों से
वैसे मैं भी शायद
जल्द ही गिर जाऊँगा

आखरी दरवाज़ा सिर्फ एक ही है
वो सिर्फ जीत की दस्तक देता है
आगे आने वाली पीढ़ी को
यह बात दीगर है के पीढ़ी
मेरी हो या किसी और की
खुद से लड़ कर
खड़े होने की प्रेरणा देता है
आज मेरे सपने शायद हार जाएँ
मेरी उम्मीदें ध्वस्त हो जाएँ
मेरे होंसलें पस्त हो जाएँ
पर अंत में तो विजय ही है
विचारधारा कभी हार नहीं सकती
पर आज
आंसू बह कर गिरते हैं
मेरे गालों से
वैसे मैं भी शायद
जल्द ही गिर जाऊँगा

कल कुछ लोग देख्नेगे
मेरी जीत के जश्न को
वो एक बेहतरीन पल होगा
जब मैं जीतूंगा और
वो हार जायेंगे
मैं खड़ा रहूँगा सामने
स्वाभिमान
आत्मसम्मान
गौरव
और मानसम्मान
के साथ
वो वक्त तो ज़रूर आएगा
इतना तो मालूम है मुझे
बेशक मैं गिर जाऊंगा
पर मेरे होसलों को कोई
छु भी नहीं पायेगा
पर आज
आंसू बह कर गिरते हैं
मेरे गालों से
वैसे मैं भी शायद
जल्द ही गिर जाऊँगा

इन सर्दियों की सियाह रातों में
आज
मैं देख सकता हूँ
अपने अतीत के अवशेषों को
आंसू बह कर गिरते हैं
मेरे गालों से
वैसे मैं भी शायद
जल्द ही गिर जाऊँगा

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