मंगलवार, अगस्त 21, 2012

I Want You to Fuck Me

I realized i failed at being erotic, so i wrote this monstrosity to be more blunt, yet quite amusing, not vulgar like it had the potential to become.

I don't need artistic and stylish words
To tell you that I want you to fuck me
I mean, dammit, you should know
You're fucking sexy, sensual and juicy
And I can't help but want you
Just hold me down and fuck me
As much as you want
Just one look at you
Makes me aroused than I can bear
I'll lock myself in my room
And take care of it myself
Though it's your responsibility
Gone and made me wet?
I'll let it slide this time
But, whether you like it or not,
Someday, I'll get you
And I'll fuck you and I guarantee
You'll never forget it

My Autobiography

I Lie down
Close my eyes.
And see you
Your face
Your eyes
Your nose
Your lips
Your tongue
Your cheek
But you aren't really there.

I again tried
Close my eyes.
And see you
Your body
Your boobs
Your nipples
Your stomach
Your belly button
Your thighs
Your buttocks
Your pussy
Your feet
But you really aren't there.

I have a knack
Sometimes
Occasionally
For figuring people out.
And you
And me
Are meant to be together.

How can I explain?

Once,
I thought that you were there.
I couldn't feel your body
Or anything fun like that.
But I could feel
You.
You know what I mean.

You're one of those people who can feel things, too.

I haven't put much thought into this poem.
It's been
Few minutes
Since I've started writing.
It's not
Pretty
Artistic
Stylish
Or
Freakishly Amazing.

This is not Dante's Inferno.
It is not written to be beautiful.
It is just the truth.
The naked truth of my life.
This
is not
A story.

It's an Autobiography.

I'm telling you exactly how it is,
What I've seen.

Because I know that you can see it, too.

My Heart

Somebody ask me
Whats wrong ?
So I can pour out my heart
That has been ever so accustomed to swell up

Why shouldn't it?
I've worn it on my sleeve for too long

For it is bloody and bruised 
And has been through too much
And its worn and torn
And has made me tough
Love has tangled itself up
In this mess of my swelling heart
And I couldn't ask for anything more
For this love is whats keeping me sane at any given moment
And this love, its so strong I just can't let it go
This exspression of overflowing emotion 
Has become too much
People around me don't think I'm so tough
For they see my heart fading
My pulse going out
Its finally all gotten to be too much

कहो तो सुना दूं मैं दिल की कहानी

कहो तो सुना दूं मैं दिल की कहानी
कहूँ कुछ नयन से, कहूँ कुछ ज़बानी

यह दों लाइन मैंने  फ़ेसबुक पर पढ़ी तो सोचा के कुछ मैं भी कहूँ -

कहो तो सुना दूं मैं दिल की कहानी
कहूँ कुछ नयन से, कहूँ कुछ ज़बानी
थोड़े से आंसू है, थोड़ी परेशानी
कहो तुम को दिखला दूं मैं जिंदगानी
टूटा हुआ दिल है, मंजिल है अनजानी
कुछ बिखरी यादें हैं, उसकी निशानी
वो जज्बाती लम्हे, साथ उसकी जवानी
भूला नहीं हूँ, वो शामें मस्तानी
तेरा साथ था, खून में थी रवानी
मेरा दिल तेरा था, तू थी मेरी दीवानी
बस अब कहूँगा नहीं कुछ भी आगे
दुनिया हो गयी है बहुत ही सायानी
कहो तो सुना दूं मैं दिल की कहानी
कहूँ कुछ नयन से, कहूँ कुछ ज़बानी...

रविवार, अगस्त 19, 2012

कोई होता

भर आई थी आँख लेकिन बरसी ही नहीं
दर्द तो है दिल में मगर कहते हम नहीं
कोई होता जो मुझसे भी पूछ लेता
जग रहे हो किस लिए तुम ?
अब तक सोये क्यों नहीं ?
याद करता हूँ जब भी उसे
दिल भर आता है
कभी साथ था वो
अब दीदार को दिल तरस जाता है
जिंदगी इतनी बेवफा हो गई 'निर्जन'
हर  एक अंजना भी अब
अपना ही नज़र आता है
कोई होता....

रविवार, जुलाई 22, 2012

तुमने भी तो

तुमने भी तो
मेरी तरह ही
जीवन की दौड़ में
बहुत फ़ासले
तय किए होंगे

तुमने भी तो
मेरी तरह ही
कल के साए
आज की स्याही में
दफ़ना दिए होंगे

तुमने भी तो
मेरी तरह ही
स्याह हुआ
मेरा अक्स
दिल के आईने में
अब देखा नही होगा

तुमने भी तो
मेरी तरह ही
हुमारी दोस्ती की
किताब पर बुना
मकड़ी का जाला
हटाया नहीं होगा

और

मेरी तरह ही
तुमने भी तो
पलट कर कभी
उस दरख़्त को
नही देखा होगा
जो दिल के कोने में
मायूस और तनहा खड़ा है
टूटी ज़ख़्मी उसकी दीवारें
आज भी हमारे
दोस्ती के दिनों को
अपने आगोश में समेटे खड़ी हैं

तुम्हे शायद याद हो

उस दरख़्त पर कभी
हुमारी दोस्ती के बीज से 
मीठे फल हुआ करते थे
आज वहाँ बरगद का
एक सूखा सा ठूँथ खड़ा है....

मंगलवार, जुलाई 17, 2012

क्या पेश करूँ?

दिल अपना पेश करूँ
या जान अपनी पेश करूँ
हालात  अपने पेश करूँ
या कोई नगमा-ए-जज़्बात
तुझे पेश करूँ
पता तो चले कुछ
क्या पसंद है तुझको
ताकि फ़िर चीज़ वही
दिलनवाज़ तुझे पेश करूँ
जो तेरे दिल को दुख दे
वो अलफ़ाज़ मालूम नहीं मुझको
क्यूँ न फ़िर तेरे ही कोई
अलफ़ाज़ तुझे पेश करूँ.

कभी कहीं यूँ भी होता

कभी कहीं यूँ भी होता है
दिल के शहर बनाने वाले
जाब्त आज़माने वाले
दूर कहीं खो जाते हैं
फिर ख्वाब चुप की
चादर ओढ़े
ख़ामोशी से
सो जाते हैं ....

अफसुर्दा कर दिया

आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया
वोह फुहारें मेरी खुशी बहा ले गईं
पता नहीं क्यों फिर से एक बार
कुछ पर के लिए दिल मेरा दुःख गया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

लगता था ऐसे जैसे
रोता है आसमान भी
मेरी तरह
समझा नहीं क्या हुआ
बस आँख नम हुई
और दिल भर गया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

दिल तड़प गया
दिल मचल गया
बूंदों ने छुआ भी नहीं
और यादों से मैं
भीग भी गया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

थोडा हुआ गुमसुम
नहीं मालूम
ऐसा क्यों हुआ
हर बूद पड़ने पर
लगता था के तुमने छुआ
चौंकता था बदल की
हर गडगडाहट पर
लगता था के मानो
आसपास तुम हंस रही हो
देखा पलट कर
आसपास कहीं नहीं थी तुम
यह बात ने मुझको
अवनत कर दिया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

*अफसुर्दा - अवनत - dejected

रविवार, जुलाई 15, 2012

इतवार

फुर्सत ने दस्तक दी आज इतवार के दिन
पुरानी यादों का बस्ता झोले में लाया था
गुज़रे लम्हों की गर्द हटा कर अंदर झाँका
मेरे रिश्तों का बहीखाता पहले हाथ आया

पुरानी आदत है हिस्साब शुरू से रखता हूँ मैं
पीले पड़े पहले पन्ने पर जा हाथ थम गया
एक सिहरन सी उठ गई अंदर तक
जग उठा सोया दिल भी और अरमान बोल पड़े
दर्ज था उस पहली मुलाकात का किस्सा वहाँ

कितना मासूम था अपना रिश्ता तब
गुलाब की अनछुई अधखिली कली की तरह
न रिश्ते थे न नाते थे और न कोई गुस्ताख पल
तुम से शुरू मुझ पर सिमटता था दायरा अपना

आखिर ज़माने की रवायत ने कर दिया हमको जुदा
पन्ने पलटता रहा, हर्फ़ बढते, चाहतें घटती रहीं
दुनिया, रुतबा, शोहरत, पैसे से पीछे रह गया मैं
साथ साथ फासले भी बढ़ गए थे दरमियां

पुरानी आदत है मुड कर कल देखता नहीं कभी
फुर्सत को माज़ी के हवाले कर आज को कहा
कह दो, फुर्सत को,
के दिल के दर्द को लेकर यहाँ से चली जाए
आज इतवार है मैं छुट्टी मानाने जा रहा हूँ
कॉकटेल रिलीज़ हुई है वही देखने जा रहा हूँ...

बुधवार, जुलाई 11, 2012

जो और वो ....

जो अल्फाज़ कभी किसी से कह नहीं पाए
वो कलम से यहाँ सामने मेरे उतर आये

जो जज़्बात कभी किसी से मिल नहीं पाए
वो आंसुओं में डूब कर शब्द बन आये

जो हालात कभी किसी को नज़र नहीं आये
वो सपना बन सामने चलते नज़र आये

जो आगाज़ तेरे दिल से बन नहीं पाए
वो हिम्मत यहाँ देख ले बैठी है सर उठाये

अबाउट मी / मेरे बारे में

१. मेरा जन्म हुआ १९७९ में |

२. मेरी पैदाइश दिल्ली की है |

३. मैं कर्म से, धर्मं से और मर्म से पूरी तरह हिन्दुस्तानी हूँ |

४. हिंदी मेरी मातृभाषा है |

५. मुझे चिंता होती है आजकल के नौजवानों के रवैये से जिन्हें हिंदी समझ नहीं आती |

६. अंग्रेजी के विरूद्ध मैं कभी नहीं था | मुझे अंग्रेजी भाषा भी पसंद है |

७. मैं जिंदगी में जल्दी सेवा-निवृत्त होना चाहता हूँ |

८. सेवा-निवृत्त से मेरा तात्पर्य है के मैं "जीने के लिए बहुत लंबे समय तक कार्य नहीं करना
चाहता"
|

९. मुझे घूमना भी बहुत पसंद है |

१०. मैं बहुत घूमना चाहता हूँ | दूर दराज़ के देश विदेश देखना चाहता हूँ | नई संस्कृतियों को जानना चाहता हूँ | उनको जीना चाहता हूँ |

११. नए लोगों के साथ मिलना जुलना और बातें करना चाहता हूँ नए दोस्त बनाना चाहता हूँ |

१२. नई नई जगहों पर रहना चाहता हूँ |

१३. नई नई भाषाएँ सीखना, पढना, लिखना चाहता हूँ |

१४. मैं नाचना सीखना चाहता हूँ | खास तौर पर मैं ज़ुम्बा और सालसा सीखना चाहता हूँ |

१५. मुझे गाने का भी शौक है | गुनगुनाना पसंद है पुराने नए गाने जो दिल को भा जाएँ |

१६. मुझे गिटर बजाना पसंद है और ड्रूम बजाना भी सीखना चाहता हूँ पर समय के साथ ये शौक भी ज़िन्दगी से गायब हो गए हैं |

१७. मुझे लिखने का भी शौक है | मैं अच्छा कविताकार और लेखक शायद बन सकता हूँ |

१८. तसवीरें खींचना और खिंचवाना भी पसंद है मेरी पर अब नही हो पाता | एक्सीडेंट के बाद से कुछ झिझक सी होती है |

१९. मुझे कसरत करना पसंद है | पॉवर लिफ्टिंग मेरा पसंदीदा खेल है | मुझे साहसी और खतरनाक खेल बहुत पसंद हैं जिसमें मौत का खतरा ज्यादा हो |

२०. मेरे सीधे हाथ की आधी बाजू पर बजरंगबली का टट्टू बनवाने का भी मन है |

२१. मैं आशावादी जीवन जीने में विश्वास रखता हूँ |

२२. मुझमें बहुत संयम है |

२३. पर मुझे गुस्सा भी बहुत आता है |

२४. मुझे सच्चा प्यार क्या होता है मालूम है परन्तु मैंने उसे अभी तक महसूस नहीं किया है |

२५. मैं सदा मुस्कराते रहना चाहता हूँ | मरते वक्त भी मेरे चेहरे पर मुस्कराहट हो बस |

२६. मेरी मुस्कराहट हमेशा सच्ची हो |

२७. मुझे स्वाभाविक रहना पसंद है |

२८. झूठ, दिखावे और झूठे आडम्बर से मुझे नफरत है |

२९. मुझे पढ़ना पसंद है और लिखना भी |

३०. मैं सब कुछ पढता हूँ |

३१. मुझे संगीत भी पसंद है | मेरा पसंदीदा संगीत है फ़िल्मी, गज़ल, रोमांटिक इंग्लिश गाने |

३२. पसंदीदा कलाकार हैं रफ़ी, किशोर, मुकेश, मन्नाडे, ब्रयां अदाम्स, बेकस्ट्रीट बोयस, सलीन डियोन, शकीरा, बेयोंसे और भी हैं ... |

३३. फिल्में देखना मुझे बेहद पसंद है | पसंदीदा फिल्में हैं एक्शन और रोमांस |

३४. मैं सभी लोगों की इज्ज़त करता हूँ | मेरा जिंदगी जीने का फलसफा है इज्ज़त करोगे तो इज्ज़त मिलेगी |

३५. मुझे चरम सीमा के पार प्यार करना और प्यार पाना दोनों बेहद पसंद है |

३६. मैं बहुत ही रोमांटिक इंसान हूँ | मेरे जीवन में श्रृंगार रस का खास महत्व है |

३७. मुझे अपने आप से तब जलन और नफरत भी होती है जब मुझे कोई महिला पसंद आती है और मैं उसके शरीर पर आँखें केंद्रित करता हूँ और उसके वक्षस्थल निहारता हूँ |

३८. मुझे पतली लड़कियां पसंद नही हैं | मुझे सांवली हरी भरी और हृष्टपुष्ट महिलायें अच्छी लगती है |

३९. मुझे अपनी प्रियेसी में बड़ी, गहरी गोल आँखें, गोल गाल, भरे हुए बड़े वक्षस्थल, गदराए और उत्तेजित नितम्ब और भरे हुए उरू पसंद हैं |

४०. मुझे बचपन से अपने से बड़ी और परिपक्व नारियां पसंद आती हैं | एक समय पर मैं अपनी टीचर के साथ भी रोमांस करना चाहता था | मुझे मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से परिपक्व महिलाएं हमेशा से पसंद आती हैं | उनके साथ वार्तालाप करना और उनकी शारीरिक सुन्दरता को निहारना मुझे असीम आनंद की अनुभूति देता है |

४१. मुझे राजनीती पसंद नहीं है | मुझे लगता है सभी राजनेताओं और राजनैतिक पार्टियों को खत्म हो जाना चाहिएँ अर्थात मर जाना चाहिएँ |

४२. मुझे कुछ समय नग्नतावादी होना भी पसंद है |

४३. मैं पैसे को जिंदगी में अहमियत नहीं देता | मेरे लिए वो हमेशा दूसरे दर्जे पर आती है पर ज़रूरी भी है |

४४. मुझे जिंदगी की पहली अहमियत के बारे में भी कुछ नहीं पता | पर मुझे पता है के मेरे जीवन में जो सबसे ज्यादा अहम हैं वोह है प्यार, दिमागी सुकून, तसल्ली बक्श जिंदगी, शांत मौत, जिंदगी अपनी शर्तों पर जीना, जिंदगी में वही करना जो चाहो, और जीवन जीने के लिए वो करना जिसमें आप अपना १००% दे सको |

४५. मैं अनाथ बच्चों, बेसहारा बुजुर्गों और विकलाँगों के लिए कुछ करना चाहता हूँ |

४६. मुझे कभी कभी पेंटिंग करना भी पसंद है | पर अब वो भी नहीं करता एक अरसा हो गया |

४७. शायद मेरे से कुछ लिखना रह गया है, कुछ न कुछ तो छूट गया है पर कोई नहीं समय के साथ वो भी लिख दूँगा |

४८. अरे हाँ ! अपना नाम तो बताया ही नहीं अभी तक, खैर नाम में क्या रखा है, जाने दीजिए |

४९. मैंने एक बार अपनी डेली डाईरी में लिखा था :
"हम जिंदगी में कितना कुछ करने और कहने के लिए सोचते हैं और यह भी सोचते हैं के शायद वो सब हम पूरा कर पाएंगे अपनी इस छोटी सी जिंदगी में, कितना कुछ है जिस पर हम विश्वास करना चाहते हैं और सोचते हैं हम पूरा कर पाएंगे | लेकिन फिर अचानक मृत्यु का आगमन होता है और अचानक से वो उस व्यक्ति को अपने साथ ले जाती है जिससे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, जो आपके दिल से सबसे करीब है | उसके बाद क्या ? उसके बाद कैसे ? सारे सपने बिखर जाते हैं, कोई तमन्ना बाकी नहीं रहती, कुछ पाना और खोना मायने नहीं रखता अगर कुछ बाकी रह जाता है जिंदगी में तो वो होता है - "समय" - और आपको पता नहीं होता के उससे कैसे खत्म करें |"

५०. जिंदगी में जो करें दिल से करें मेरा ऐसा मानना है और मैं जो भी करता हूँ दिल से करता हूँ | इसलिए दर्द ज्यादा है जिंदगी में |

जो जिंदगी रही तो यहाँ लिखे पोइंट्स भी आगे बढते रहेंगे । फिलहाल के लिए इतना ही |
बाकि समय के साथ जारी रखा जाएगा.....