मंगलवार, जुलाई 17, 2012

अफसुर्दा कर दिया

आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया
वोह फुहारें मेरी खुशी बहा ले गईं
पता नहीं क्यों फिर से एक बार
कुछ पर के लिए दिल मेरा दुःख गया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

लगता था ऐसे जैसे
रोता है आसमान भी
मेरी तरह
समझा नहीं क्या हुआ
बस आँख नम हुई
और दिल भर गया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

दिल तड़प गया
दिल मचल गया
बूंदों ने छुआ भी नहीं
और यादों से मैं
भीग भी गया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

थोडा हुआ गुमसुम
नहीं मालूम
ऐसा क्यों हुआ
हर बूद पड़ने पर
लगता था के तुमने छुआ
चौंकता था बदल की
हर गडगडाहट पर
लगता था के मानो
आसपास तुम हंस रही हो
देखा पलट कर
आसपास कहीं नहीं थी तुम
यह बात ने मुझको
अवनत कर दिया
आज बारिश ने मुझे
अफसुर्दा कर दिया

*अफसुर्दा - अवनत - dejected

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया किसी प्रकार का विज्ञापन टिप्पणी मे न दें। किसी प्रकार की आक्रामक, भड़काऊ, अशिष्ट और अपमानजनक भाषा निषिद्ध है | ऐसी टिप्पणीयां और टिप्पणीयां करने वाले लोगों को डिलीट और ब्लाक कर दिया जायेगा | कृपया अपनी गरिमा स्वयं बनाये रखें | कमेन्ट मोडरेशन सक्षम है। अतः आपकी टिप्पणी यहाँ दिखने मे थोड़ा समय लग सकता है ।

Please do not advertise in comment box. Offensive, provocative, impolite, uncivil, rude, vulgar, barbarous, unmannered and abusive language is prohibited. Such comments and people posting such comments will be deleted and blocked. Kindly maintain your dignity yourself. Comment Moderation is Active. So it may take some time for your comment to appear here.