मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
हाँ, बहुत प्यार करता हूँ,
आज इकरार करता हूँ,
पर कम ही बता पाया हूँ,
ख्वाबों में,
तुमसे मिलने की तमन्ना लिए,
बिछाता हूँ शान से बिस्तर,
फिर,
सारी रात बदलकर करवटें,
याद करता हूँ तुम्हे,
बेचैन रहता हूँ,
आँखे मूँद रमता जोगी बन,
लगता हूँ ध्यान
पर यह अलग बात है,
सो बिलकुल नहीं पाता हूँ,
हर दफ़ा सोचता हूँ,
ना देखूं तुमको,
पर खुदा जाने ऐसा क्या है,
तुम्हारे गुलज़ार चेहरे में,
कि हर शब् बिना देखे तुम्हे,
रह नहीं पाता हूँ,
एक नज़र तुम जो देख लो,
मुझको 'निर्जन',
फिर,
बिना साँसों के जी सकता हूँ,
मैं तुमसे जितना भी,
प्यार करता हूँ,
उतना ही,
कम कह पाता हूँ...
--- तुषार राज रस्तोगी ---
अर्थगर्भित सरल रूप सुन्दर मनोहर।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शर्मा जी
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