रविवार, मार्च 10, 2013

महाशिवरात्रि की शुभकामनायें - नीलकंठ की जय


ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात् ।।

बम बम भोले शम्भु | जय कारा भोलेनाथ का | हर हर महादेव | महाशिवरात्रि के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और भोलेबाबा को कोटि कोटि चरणस्पर्श और नमन | मेरी ओर से प्रभु की वंदना में छोटा सा प्रयास |

ॐ निराकार एको देवो महेश्वरः
मृत्यु मुखाद गतम प्राणं ब्लादकक्षरक्षते

निरंजन निराकार महेश्वर ही एकमात्र महादेव हैं जो मृत्यु के मुख में गए हुए प्राण को बल पूर्वक निकाल कर उसकी रक्षा करते हैं | मार्कंड ऋषि का पुत्र मार्कंडेय अल्पायु था | ऋषियों ने उसको शिव मंदिर में जाकर महामृत्युंजय मंत्र जपने की सम्मति प्रदान की | मार्कंडेय ऋषियों के वचनों में श्रद्धा रखकर शिव मंदिर में महामृत्युंजय मंत्र का यथा विधि जाप करने लगे | समय पर यमराज आए किन्तु महामृत्युंजय की शरण में गए हुए को कौन छू सकता है | यमराज लौट गए | मार्कंडेय ने दीर्घायु पाई और मार्कंडेय पुराण की रचना भी की | 

ॐ मृत्युंजय महादेव 
त्राहिमाम शरणागतं
जन्म मृत्यु जरारोगई 
पीडितं कर्म बंधनई

हे मृत्युंजय महादेव! मैं सांसारिक दुविधाओं में फंसा हुआ हूँ | रोग और मृत्यु मेरा पीछा नहीं छोड़ रहे हैं | मैं आपकी शरण में हूँ | मेरी रक्षा कीजिये | महामृत्युंजय मंत्र महा मंत्र है | जिसके यथा विधि पारायण से, व्यक्ति, पापों से छूट कर सुख समृद्धि प्राप्त करता है | इस लोक में नाना प्रकार के कष्टों से, मृत्यु भय से, मुक्त होकर संपत्ति, रिद्धि सिद्धि प्राप्त करने का सरल उपाय महामृत्युंजय ही है |  

ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात् ।।

महामृत्युंजय मंत्र by Tushar Raj Rastogi

ॐ - हे भोलेबाबा, हे शम्भुनाथ, त्र्यच्क्शुधारी अर्थात जिनके तीन नेत्र हैं सूरज, चंद्रमा और आग, वह शिव जो स्वयं सुगन्धित हैं और जो इस समस्त श्रृष्टि का पालन पोषण करते हैं, जिनकी हम सब अराधना करते है, विश्‍व मे सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव हमें हमारे समस्त खेद, दुःख, पीड़ा, बीमारी, रोग, व्याधि, मर्ज़, दरिद्रता, दीनता, निर्धनता, अभावों, कमियों, ग़रीबी, परेशानी, बेचैनी, भय, खौफ़, आशंकाएं, डर, मृत्‍यु न की मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं | अपना आशीर्वाद आप सदैव मेरे सर पर समृद्धि, सौभाग्य, प्रताप, यश, विजय, सफलता, दीर्घायु, ज्येष्ठता, स्वस्थता तथा आरोग्यता स्वरुप में बनाये रखें | मैं आपके समस्त नतमस्तक हो दंडवत प्रणाम करता हूँ |
आपके महामृत्युंजय मंत्र के वर्णो का अर्थ सभी को सरल शब्दावली में समझाने का तुच्छ प्रयास किया है |

महामृत्युंघजय मंत्र के वर्ण पद वाक्यक चरण आधी ऋचा और सम्पुतर्ण ऋचा-इन छ: अंगों के अलग अलग अभिप्राय हैं। ओम त्र्यंबकम् मंत्र के ३३ अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठर के अनुसार ३३ देवताआं के घोतक हैं। उन तैंतीस देवताओं में ८ वसु ११ रुद्र और १२ आदित्यठ १ प्रजापति तथा १ षटकार हैं। इन ३३ देवताओं की सम्पुर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं । साथ ही वह नीरोग, ऐश्व‍र्य युक्ता धनवान भी होता है । महामृत्युंरजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है । भगवान शिव की अमृतमययी कृपा उस निरन्तंर बरसती रहती है।

Here’s a word by word translation of the Mahamrityunjay Mantra in english as well:

om - "ek onkar"
tri-ambaka-m - “the three-eyed-one”
yaja-mahe - “we praise”
sugandhi-m - “the fragrant”
pusti-vardhana-m - “the prosperity-increaser”
urvaruka-m - “disease, attachment, obstacles in life, and resulting depression”
iva - “-like”
bandhanat - “from attachment Stem (of the gourd); but more generally, unhealthy attachment”
mrtyor - “from death”
mukshiya - “may you liberate”
ma - “not”
amritat - "realization of immortality"

बाबा के शिव रूप की जय,
कल्याण स्वरूपा - ॐ शिवाय नमः

बाबा के महेश्वर रूप की जय,
माया के अधीश्वर - ॐ महेश्वराय नमः

बाबा के शम्भु रूप की जय,
आनंद स्वरूपा - ॐ शम्भवे नमः

बाबा के पिनाकी रूप की जय,
पिनाक धानुष धारी - ॐ पिनाकिने नमः

बाबा के शशिशेखर रूप की जय,
शीश शशिधारी - ॐ शशिशेखराय नमः

बाबा के वामदेव रूप की जय,
अत्यन्त सुन्दर स्वरूपा - ॐ वामदेवाय नमः

बाबा के विरूपाक्ष रूप की जय,
भौंडे चक्शुधर - ॐ विरूपाक्षाय नमः

बाबा के कपर्दी रूप की जय,
जटाजूटधारी - ॐ कपर्दिने नमः

बाबा के नीललोहित रूप की जय,
नीले एवं लाल रंग धारी - ॐ नीललोहिताय नमः

बाबा के शर रूप की जय,
कल्याणकारी - ॐ शंकराय नमः

बाबा के शूलपाणि रूप की जय,
कर त्रिशुल धारी - ॐ शूलपाणये नमः

बाबा के खट्वी रूप की जय,
खाट का एक पाया रखने वाले - ॐ खट्वांगिने नमः

बाबा के विष्णुवल्लभ रूप की जय,
विष्णु प्रिय - ॐ विष्णुवल्लभाय नमः

बाबा के शिपिविष्ट रूप की जय,
सितुहा प्रवेशी - ॐ शिपिविष्टाय नमः

बाबा के अम्बिकानाथ रूप की जय,
माँ भगवती के स्वामी  - ॐ अम्बिकानाथा नमः

बाबा के श्रीकण्ठ रूप की जय,
सुन्दर कण्ठ वाले - ॐ श्रीकण्ठाय नमः

बाबा के भक्तवत्सल रूप की जय,
भक्त प्रेमी - ॐ भक्तवत्सलाय नमः

बाबा के भव रूप की जय,
सांसारिक स्वरूपा - ॐ भवाय नमः

बाबा के शर्व रूप की जय,
कष्ट प्रतिरोधक - ॐ शर्वाय नमः

बाबा के त्रिलोकेश रूप की जय,
त्रिलोक स्वामी - ॐ त्रिलोकेशाय नम:

शितिकण्ठ रूप की जय,
श्वेत कण्ठधारी - ॐ शितिकण्ठाय नमः

बाबा के शिवाप्रिय रूप की जय,
पार्वती प्रिय - ॐ शिवाप्रियाय नमः

बाबा के उग्र: रूप की जय,
अत्यन्त उग्र स्वरूपा - ॐ उग्राय नमः

बाबा के कपाली रूप की जय,
कपालधारी - ॐ कपालिने नमः

बाबा के कामारी रूप की जय,
कामदेव के शत्रु - ॐ कामारये नमः

बाबा के अन्धकासुरसूदन: रूप की जय,
अंधक दैत्य मर्दक -ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः

बाबा के गङ्गाधर रूप की जय,
गंगाधारी  - ॐ गंगाधराय नमः

बाबा के ललाटाक्षरूप की जय,
लिलार चक्शुधर - ॐ ललाटाक्षाय नमः

बाबा के कालकाल रूप की जय,
काल के काल - ॐ कालकालाय नमः

बाबा के कृपानिधि रूप की जय,
करुणामय - ॐ कृपानिधये नमः

बाबा के भीम रूप की जय,
भयंकर स्वरूपा - ॐ भीमाय नमः

बाबा के परशुहस्त रूप की जय,
फरसाधारी - ॐ परशुहस्ताय नमः

बाबा के मृगपाणी रूप की जय,
हिरणधारी - ॐ मृगपाण्ये नमः

बाबा के जटाधर: रूप की जय,
जटाधारी - ॐ जटाधराय नमः

बाबा के कैलाशवासी रूप की जय,
कैलास पर्वत निवासी - ॐ कैलाशवासिने नमः

बाबा के कवची रूप की जय,
कवचधारी - ॐ कवचिने नमः

बाबा के कठोर रूप की जय,
लौह्देहधारी - ॐ कठोराय नमः

बाबा के त्रिपुरान्तक रूप की जय,
त्रिपुरासुर मर्दक - ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः

बाबा के वृषांक रूप की जय,
वृषभ चिन्ह झ्ण्डाधारी - ॐ वृषांकाय नमः

बाबा के वृषभारूढ रूप की जय,
वृषभ सवार - ॐ वृषभारूढाय नमः

बाबा के भस्मोद्धूलितविग्रह रूप की जय,
भस्म लेपक - ॐ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः

बाबा के सामप्रिय रूप की जय,
सामगान प्रेमी - ॐ सामप्रियाय नमः

बाबा के स्वरमय रूप की जय,
सातो स्वरों निवासी - ॐ स्वरमयाय नमः

बाबा के त्रयीमूर्ति रूप की जय,
वेदरूपी विग्रह ज्ञाता - ॐ त्रयीमूर्तये नमः

बाबा के अनीश्वर रूप की जय,
स्वयंभू स्वामी - ॐ अनीश्वराय नमः

बाबा के सर्वज्ञ रूप की जय,
सर्वज्ञता - ॐ सर्वज्ञाय नमः

बाबा के परमात्मा रूप की जय,
सर्वोच्च आत्मा - ॐ परमात्मने नमः

बाबा के सोमसूर्याग्निलोचन रूप की जय,
चन्द्र, सूर्य और अग्निरूपी नेत्रधारी - ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः

बाबा के हवि रूप की जय,
आहुति रूपी द्रव्यधारी - ॐ हवये नमः

बाबा के यज्ञमय रूप की जय,
यज्ञस्वरूपधारी - ॐ यज्ञमयाय नमः

ॐ नमः शिवाय | मेरे सभी मित्रगण, प्रियेजन, अप्रियजन,  दुश्मन, शुभचिंतक, अशुभचिंतक और समस्त संसार के पशु, पक्षी तथा प्राणियों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें | भोलेनाथ सभी पर अपनी कृपा सदैव बनाये रखें |

बम बम भोले नाथ....जय जय शिव शम्भू....जयकारा वीर बजरंगी का....हर हर महादेव

13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात :)
    उम्दा सोच की अद्धभुत प्रस्तुती !!
    ॐ नाम: शिवाय ! हर-हर महादेव !!
    शुभकामनायें !!

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  2. बहुत सुंदर.....हार्दिक शुभकामनायें

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  3. बहुत ही सार्थक प्रस्तुति.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. भोलेनाथ आपके ऊपर भी अपनी कृपादृष्टि बनाये रखे.

    महाशिवरात्रि की शुभकामनायें.

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  5. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकानाएं !!

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  6. बहुत सुंदर सामयिक रचना
    http://guzarish66.blogspot.in/2012/10/blog-post_16.html

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  7. सार्थक ... आज तो बहुत कुछ है ब्लॉग पर ... पूरा जाप, शिव का ताप ...
    महास्तुती ... सार्थक प्रस्तुति ...
    आपको बधाई महाशिवरात्रि की ...

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  8. तुषार जी सर्वप्रथम महाशिवरात्रि की आपको अनेकों मंगलकामनाएं। शिव के बारे में इतना कुछ बताने के लिए धन्‍यवाद। बहुत अच्‍छा लगा। आपकी पोस्‍ट पढ़ने से पूर्व मैं दुखी था। शिवमय पोस्‍ट देख कर मन पुलकित हो गया। संसार सारम भुजगेन्‍द्र हारम सदा वसंत ह्रदयराविंदे की जय हो।

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  9. शिवमय आलेख , महाशिवरात्रि की बधाई ।

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  10. बिल्कुल शिवमय पोस्ट, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. ओह ! मैं तो यहां पहली बार आया हूं। बढिया
    हर हर महादेव,

    अच्छा लगा

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  12. very nice post and presentation aur sath hi tumhari aawaj mei jaap sunne ko mil gaya ..bahut achha laga ...aur om ki jo varsha ki tumne apne blog par bahut hi sukhad ehsaas hua shivratri par yaha aakar :-)

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