शुक्रवार, फ़रवरी 22, 2013

कुंडलियाँ

मट्टी चाक धराये के, तेज़ घुमावत आप
निराकार माटी को, देती आकार है थाप
देती आकर है थाप, सृजन अँगुलियों से करते
आकृति देकर प्राण, जीवन कण कण में भरते

परवरिश चाक समान है, शिशु माटी के तुल्य
ममता प्राण समान है, सबसे है अमूल्य
सबसे है अमूल्य, जड़ तत्व है मानवता का
रीढ़ बने मज़बूत, यदि त्रुटिहीन हो ख़ाका

अपनों के सानिध्य में, शुद्ध शिक्षा ग्रहण कराये
मानुष के संस्कार से, सामाज है तरता जाए
सामाज है तरता जाए, प्रार्थना करता है ‘निर्जन’
नाज़ुक प्रवृत्ति को सींचिये, कर भविष्य अवलोकन 

12 टिप्‍पणियां:

  1. मट्टी चाक धराये के, तेज़ घुमावत आप।
    निराकार माटी को, थाप देती आकर है थाप।।
    --
    अरे वाह!
    ये कैसी कुण्डलिया है!
    माटी चाक धराये के, तेज़ घुमावत आप।
    बनता सुन्दर पात्र है, जब पड़ती है थाप।।
    --
    लिखो मगर सुथरा लिखो!
    किसी को गुरू बना लो भइया...!
    आपका लिंक आज के चर्चा मंच पर भी है!

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    1. जी डाक्टर साब | आपने सही कहा अरे वाह ! ये कैसी कुंडलियाँ है | गलती इंसान से ही होती है | आपसे सविनय अनुरोध है के यदि आपको कोई त्रुटी दिखाई दी है तो कृपया आप ही गुरु बन सुधार कर दीजिये | अभी अभी तो सीखना शुरू किया है मैंने धीरे धीरे आप सरीखे गुरुजन के सानिध्य में पारंगत भी हो जाऊंगा :) | परामर्श के लिए बहुत बहुत आभार | जय श्री राम |

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    2. तुसार जी,

      १ - कुण्डली का पहला शब्द छटवे लाइन का आख़री शब्द होता है
      २ - कुण्डली की पहली दो लाइन दोहा कहलाती है जिसमे १३-११, १३-११ की मात्राए होती है
      ३- शेष चार लाइनों में ११ - १३, ११ - १३ मात्राओं की होती है
      ४ - ये ६ लाइने मिलकर कुण्डलियाँ कहलाती है ,,,,ज्यादा जानकारी के लिए अरुण निगम,या रविकर जी से संम्पर्क कर ले ,,,,

      Recent post: गरीबी रेखा की खोज

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    3. बहुत बहुत आभार और शुक्रिया गुरूजी :) | आपने सीखने में बहुत सहायता की | कृपया ये और बताएं के ये मात्राएँ क्या होती हैं १३-११, १३-११ और दूसरी ११-१३, ११-१३ | मुझे कुछ समझ नहीं है | बहुत ही मोटी बुद्धि दी है भगवान् ने | आप थोडा खुल कर समझाने के प्रत्यन करे तो कृपा होगी | आप आप ही गुरु बन गए हैं तो कृपया उदाहरण सहित समझाने का प्रयास करें | बहुत बहुत आभार |

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  2. वाह! ममता प्राण समान ....बेहतरीन...

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  3. बढ़िया प्रयास-
    शुभकामनायें-

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    1. गुरूजी आपसे निवेदन है के क्या आप मुझे कुंडलियों के बारे में थोडा ज्ञान देने की कृपा कर सकेंगे ?

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  4. प्रिय तुषार जी बहुत अच्छा होगा कि आप पहले छंद विधा से पूर्णतः परिचित हो जाएँ तब कहीं भी पोस्ट करें आप ओ बि ओ पर भी हैं वहां सनातन छंद समूह ज्वाइन करें आपको दोहा रोला आदि का ज्ञान हो जायेगा और आप बेहतरीन त्रुटि रहित कुण्डलिया लिख पायेंगे आपमें कुछ छंद बद्ध लिखने की लगन को देखते हुए ये परामर्श दे रही हूँ आशा है इस बात को अन्यथा न लेंगे माँ सरस्वती का आशीर्वाद आपको प्राप्त हो मंगल कामना करती हूँ

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    1. आपका बहुत बहुत शुक्रिया राजेश जी | त्रुटियाँ तो होंगी ही | प्रथम प्रयास जो है | यदि आपको कोई गलती नज़र आती है तो उसे कृपा कर सुधार कर प्रस्तुत करें | आभार

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  5. जो भी हो भाव तो हैं आपके पास अर्थ भी बस मीटर मात्रा /मात्रिक छंद चाहिए .गणित का खेल है भैया ,अपने पल्ले भी कभी नहीं पड़ा .

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    1. यही तो दिक्कत है शर्माजी |मैं कभी गणित में सही नहीं रहा | हमेशा दिल से ही सोचा और कार्य किया | दिमागी गणित अपने पल्ले भी नहीं पड़ता | आगे भी ऐसा ही करूँगा फिर चाहे गलत हो या सही :) |

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