गुरुवार, फ़रवरी 14, 2013

हे प्रभु

हे प्रभु
तुम्हारे ध्यान में
एक
अपूर्व शक्ति है
पर
स्वासों में
तुम्हारे स्वरुप
की
एक अजीब
और
शांत सी
सिहरन
जो
स्मृतिमात्र से
तन मन दोनों को
रोमांचित
किये जाती है

13 टिप्‍पणियां:

  1. गहन भाव पूर्ण अभिव्यक्ति |
    आशा

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  2. गहन भाव पूर्ण अभिव्यक्ति

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  3. सीधी साधी पंक्तियाँ, भाव दिखे हैं गूढ़ |
    साधुवाद स्वीकारिये, देता रविकर मूढ़ |

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  4. आशाजी,रविकरजी,यशवंत भाई आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया | मेरी लेखनी को सराहने के लिए बहुत बहुत आभार | लिंक-लिक्खाड़ पर मेरी कविता का चयन करने हेतु धन्यवाद् |

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  5. कभी लिंक-लिक्खाड़ पर भी दर्शन दें-
    सादर अनुरोध-

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  6. बहुत सुन्दर रचना तुषार जी ईश्वर के धयन से ही ऐसी अनुभूति हुई होगी आपको ...

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  7. पंखुड़ी बहुत बहुत धन्यवाद् |

    यशवंत भाई आपको भी और बाकि समस्त मित्रगण को भी मेरी ओर से बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें | आप सभी ने मेरी लेखनी को सराहा और इतना मान दिया उसके लिए शुक्रिया | उम्मीद करता हूँ आगे भी आप मेरा हौसला ऐसे ही बढ़ाते रहेंगे |

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  8. भाव पूर्ण अभिव्यक्ति...

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  9. स्मृतिमात्र से
    तन मन दोनों को
    रोमांचित
    किये जाती है----sunder anubhuti

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  10. बहुत सुंदर ,दिव्य रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.
    सुन्दर प्रस्तुति. आपको होली की हार्दिक शुभ कामना .



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