सोमवार, मार्च 28, 2011

बातें

चल बातें करें इतनी 
चल बातें करें कितनी 
चल बातें करें उतनी 
के 
फलक की गोद में सिमटे सितारें थक के सो जाएँ 
ज़मीन पर बिखरे मंज़र सब फकत हैरान रह जाएँ 
उतरती अप्सराएँ शोर करना ही भुला बैठें 
हवाएँ चलती थम जाएँ  
झरने बहते रुक जाएँ
चल बातें करें इतनी ...
बिना मकसद बिना मतलब
चल बस बोलते जाएँ 
तू कहती रह मैं सुनता हूँ
और यूँ वक़्त भी थम जाये
चल बातें करें इतनी ....
उठ कर बस चलूँ अब तो 
तेरे लिए 
यह सोचना दुश्वार  हो जाये 
और ऐसे में अचानक से 
तेरे हसींन लबों से यों 
मोहब्बत का इकरार हो जाये
चल बातें करें इतनी 
के तुझको प्यार हो जाये 
के तुझको प्यार हो जाये.....

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