कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे
कुछ इस तरह मेरी यादों
का हर लम्हा तू जलादे
कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे
कुछ इस तरह मेरी यादों
का हर लम्हा तू जलादेएक कतरा भी मेरे ख्याल का बाकी न रहे
चांदनी शब् में मेरे निशानात भी बाकी न रहे
मेरा हर रोज़ तेरे ख्वाबों में आना न रहे
हर तरफ प्यार के अपने तू दीवारें उठा दे
कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे
कुछ इस तरह मेरी यादों
का हर लम्हा तू जलादेआज की रात तू मुझको अपनी यादों से भुला दे
इश्क की वोह महकती खुशबू भी मिटा दे
मेरे लफ़्ज़ों में है जो दर्द वोह कभी नहीं दिखता
सुन मेरी तू गुज़ारिश इस दर्द की दावा दे
कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे
कुछ इस तरह मेरी यादों
का हर लम्हा तू जलादे....
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