गुरुवार, जनवरी 03, 2013

पराजय, नुकसान, असफलता, द्वेष, इर्ष्या के लक्षण

वो सर्वप्रथम स्मरण शक्ति को प्रभावित करता है | आप भूल जाते हैं आप क्या कर रहे थे, क्या किया था तथा क्या करने वाले थे | विचार शीघ्रगामी तरीके से मस्तिष्क छोड़ने लगते हैं जब तक खालीपन की प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देने लगती | फिर सपने | फिर विलम्ब, सम्मिश्रण, प्रतिगम - परिवर्तन | फिर अनुभव | फिर भाषा | फिर सन्तुलन | और इसके पश्चात आपकी मृत्यु |

आपका मस्तिष्क कुतूहलपूर्ण ढंगे से जल्दी जल्दी आपको विचलित करेगा | अलगाव की भावना सामान्यतः प्रारम्भिक प्रतीक है: आपने अपने आप को बिसूरना प्रारंभ कर दिया है | जैसे जैसे मर्ज़ अग्रगमन करता है, आप नुक़सान करने लगेंगे और पराजित होने लगेंगे | आप मुलाक़ात और मेल मिलाप में असफल होने लगेंगे जो आपकी ज़िन्दगी की तरक्क़ी में अहमियत रखती हैं | आपक निजी जीवन अस्त व्यस्त होने लगेगा | आपका मंजन आपके घर की चाबी और चाबियाँ आपकी बीवी और बीवी आपकी दुश्मन और दुश्मन आपके माता पिता बन जायेंगे |

इस परिस्थिति की सम्पूर्णता एक अनाम वियोग के इन्द्रियज्ञान से अधिकृत होगी | आप संभवतः समझेंगे और प्रतीत होगा जैसे आप भूतग्रस्त, आत्मसात्, अपहृत, मृत, बदले हुए इंसान हैं | आपके ज़िन्दगी के ज़ायके पुनर्भिविन्यासित होंगे | आप नई उत्कट इच्छाओं, अधिहृषता, अंधभक्ति की उधारना करेंगे | इसी समय आपकी अरुचि विसर्जित होने लगेगी | समस्त संसार से विच्छेद होने लागेगा | आपके विचार स्वयं प्रभावशून्य होते प्रतीत होंगे |

प्रारंभिक आसार अहानिकर होंगे; सामान्य परिणाम जैसे तनाव और हार्मोनल असंतुलन: हलकी अन्यमनस्कता, एकाग्रता में कठिनाई, स्तब्ध भावनाएं, कुत्सित स्मृति | लपस के लिए आकस्मिक उत्तेजना | काल्पनिक विचारधारा का सत्याभास होना | ख्वाबों का अत्यंत आक्रामक होना और सपनो को स्मरणशक्ति द्वारा याद करने में क्षीर्ण होना | अनिश्चितता के भाव द्वारा अनुसरण अन्यथा प्रत्यक्ष वस्तुएं के लिए जैसे स्पष्ट सरूपता | संदेह, सामान्य स्तिथि में सभी वस्तुओं पर |

सनकीपन - ज़बर्दस्त प्रवृत्ति उत्पन्न होना | विश्वास, क्रियापद्धति तथा अन्य ज्ञानरहित आचरण - जिसमें बढ़ी हुई आध्यात्मिकता - असामान्य नहीं है | संभवतः आप अंतर्निहित दिमाग़ी संवेदना से त्रस्त - खाना, पीना, सोना, करना, धोना सभी निष्फल होंगे |

आप प्रायः तुच्छ तथा निरर्थक वस्तुओं से, सम्भावित वस्तुओं से और पूर्वकालिक वस्तुओं से भयभीत होंने लगेंगे | आपके विचार जो अपने दिमाग में दौड़ रहे होंगे - ऐसे प्रतीत होंगे जैसे किसी बंद परिपथ पर रफ़्तार से दौड़ रहे हों | और समय के साथ वो विचार अस्पष्ट, अस्पृश्य और सहभागी करने योग्य नहीं रहेंगे | आपकी चित्त वृत्ति का प्रकृति प्रत्यक्षीकरण का भी यही हाल होगा जब तक वो गूढ़ नहीं होते और फिर बाद मे वह धुंधले पड़ने लग जायेंगे |

ध्यान केन्द्रित करने, तर्क सिद्ध निष्कर्ष निकलने, संचारण करने, जानकारी ग्रहण करने में कठिनाई उत्पन्न होगी | दूसरों के सुझाव, वार्तालाप, व्याख्यान सभी व्यर्थ लगेंगे | आपको कुछ भी याद नहीं रहेगा | आपकी सोचने, समझने, सुनने, देखने, जानने की क्षमता कुंद हो जाएगी | आप रंग भेद का फर्क भी अलग दिखने लगेगा | ये भी हो सकता है के इस स्तिथि में आप पढ़ना-लिखना, चेहरे पहचानना भूल जाएँ | यह भी मुमकिन है और सत्याभास है के आप मतिभ्रम हो जाएँ या आगे जाकर पूर्ण रूप से दृष्टिहीन हो जाएँ | आप दूसरों पर चढ़ने लगें, उन्हें गिराने लगें, ठोकरें खाने लगें तथा आखिर में पूर्ण रूप से ध्वस्त हो जाएँ |

अंत में वो घूम फिर कर आपकी याददाश्त में वापस आता है | आप भूल जाते हैं आप कौन हैं | आप किस तरह ज़िन्दगी जीते हैं | किस तरह कार्य करने में विश्वास रखते हैं | इस बीमारी के कुछ विशेष निर्धारित लक्षण होते हैं जो अच्छे से अच्छे व्यक्ति की स्मृति, प्रवीणता, कौशल, विवेक, निपुणता, विद्या, हुनर तथा गुण को नष्ट कर देते है | आपको जकड़ लेते हैं | यदि आप इसकी ओर ध्यानाकर्षित करते हैं, इसका इंतज़ार करते हैं तो समझिये आप ख़त्म और उसके आगे, उसके बाद कुछ नहीं है |

अतः इन लक्षणों से सदा ही बच कर जीवन जियें |

1 टिप्पणी:

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