बुधवार, जनवरी 23, 2013

एक कोना खाली दिल का मेरे












एक कोना खाली दिल का मेरे
याद तुझे फिर करता है...

तेरी मंद मंद मुस्कानों पर
दिल मेरा आज भी मरता है
तेरी शोख अदाओं की 'चुहिया'
दिल आज भी तारीफ़ करता है

तेरे इतराने इठलाने पर
दिल बाग़ बाग़ हो उठता है
बुलबुल सी तेरी चहक को ही
सुनने को दिल तरसता है

दौड़ के आकर लगना गले
और कहना धीरे से 'पापा'
फिर चूमना मेरे गालों को
और आँखों से शरारत करना
अब कब ये सपना सच होगा
इंतज़ार दीवाना करता है

चिपक के सीने से मेरे
तेरा सपनो में खो जाना
पर आज इन काली रातों में
दिल हर पल धड़कन गिनता है

तेरे नाज़ुक नाज़ुक हाथों से
गालों को सहलाना मेरे
तेरे छोटे छोटे हाथों को
फिर चूमने का दिल करता है
कहाँ खो गई मेरी चिड़िया
दिल तुझसे मिलने को करता है

एक कोना खाली दिल का मेरे
याद तुझे फिर करता है...

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