बुधवार, मार्च 20, 2013

इश्किया होली


इश्क़िया होली पर तुझे दिल पेश करूँ
इश्क़िया होली पर तुझे जां पेश करूँ
इश्क़िया होली पर तुझे जहां पेश करूँ
जो तू कहे नगमा-ए-जज़्बात तुझे 
मेरी जानिब-ए-मंजिल पेश करूँ
गर मालूम हो तेरी नियाज़-ए-इश्क 
फ़िर नगमात-ए-इश्क गाकर वही 
दिलनवाज़ दिल्साज़ मैं पेश करूँ
जो तेरी नम हसरतों को हवा दे 
जज़्बात वही सजाकर पेश करूँ 
या कोई तेरी ग़ज़ल, कविता, किस्सा 
तेरे ही अल्फाजों में तुझे पेश करूँ 
तू जो एक बार मिल जाये होली पर 
अपने नवरंग प्यार की बौछार से भिगा
सराबोर कर, तुझको तुझे ही पेश करूँ 
अबके होली....

रविवार, मार्च 17, 2013

खूब मना मिलकर तू होली

होली के दिन आए आज
खूब बजेंगे जमकर साज़
ला दिखलायें अपना दिल
होली आकर हमसे मिल
बढ़े अपनों का प्यार ज़रा
चढ़े इश्क़ का खुमार ज़रा
त्योहार गले मिलते अपने
होत हैं सच दिल के सपने
सबके दिल में रंग खिले
गले लग करें दूर गिले
लुत्फ़ बहुत ही आता है
मुफ्त मज़ा दे जाता है
छोड़-छाड़ हर शरम-वरम
खूब निभाओ छुपे करम  
होली पर मस्ती में जीना
भंग तो जमकर है पीना
रंग चढ़ता हँसते हँसते 
भुला देता सारे रस्ते
पास लाओ अपना कान
मेरी बात पर दो ध्यान
चबाओ एक बनारसी पान
लगाके उसमें केसरी किमाम
नशे की जब चढ़ती मस्ती
दुनियादारी की क्या हस्ती
अपनी धुन में डोलती है
स्वछंद विचारों की कश्ती
हल्ला गुल्ला शोर मचे
सब देख सरीखे मोर सजे
होली की जो मचती है धूम
जनता सबरी जाती झूम
होली में बनाती तकदीरें
क्या खूब संवरती तदबीरें
अबीर भरा है समस्त गगन
घर घर हो रहे लोग मगन
सब रंगे हैं ललाम लाल
सबरे गालों का एही हाल
मनवा बावरा हाले डोले
हर क्षण पगला मुझसे बोले
खूब मना मिलकर तू होली
'निर्जन' बन सबका हमजोली

शुक्रवार, मार्च 15, 2013

ज़िन्दगी से मुलाक़ात


आओ बतलाऊं दिल की बात
आज दिन था कितना खास
ज़िन्दगी से एक मुलाक़ात
बढ़ी गुफ्तगू की सौगात
कैसे सुबह से शाम हो गई
दिल की बातें आम हो गईं
जादू झप्पी से हुआ आगाज़
कितना सुन्दर रहा रिवाज़
शब्दों को भी पकड़ जकड़
दिए उलाहने अगर मगर
सवालात कुछ आम हुए
मियां मुफ्त सरनाम हुए
कुछ तस्वीरें कुछ तकरीरें
मिल बांटी हाथों की लकीरें
थोड़ी खुशियाँ थोड़े ग़म
सांझे किये कर आँखें नम
फिर आगे ये गज़र चली
कुदरत संग ये जा मिली
नदी, फूल, तितली के रंग
साथ खिले बातों के संग
गपियाने के जब दौर चले
जाने किस किस ओर चले
विचार, सुन्दरता, आकर्षण
अनावरण, भावना, विकर्षण
कर जीवंत आत्मा का मंथन
क्या खूब किया था विश्लेषण
हृदय द्वार जब खोल दिये
अस्तित्व शब्दों में बोल दिये
उन अपनेपन की बातों ने
जीवन में नवरस घोल दिए
द्रुतवाह अग्नि का खेल हुआ
बौद्धिक क्षमता का मेल हुआ
एक पड़ाव फिर ऐसा आया
पकवानों को सम्मुख पाया
शौक़ भोजन व्यंजन का
हृदय क्षुधा संबद्ध दर्शाया
हंसी ठीठोली खूब रहीं
कवितायेँ भी खूब कहीं
धारावाहिक, फिल्में, गाने
चर्चा इन पर ख़ास हुई
माज़ी से चुनकर लम्हात
शरीक हुए अब जज़्बात
वाह वाही भी खूब कही
ऐसे ही सारी शाम बही
वक़्त बिछड़ने का आया
दिल अपना मुंह को लाया
लम्हा काश ये थम जाता
जीवन यूँ ही चल पाता
कब होता है ऐसा यार
जाना लाज़मी उस पार
हाथ छुड़ा निमिष का
मिलने का वादा कर
निश्चल मन हुए जुदा
बिछडन के लम्हे पर
दागा गया कड़ा गोला
सवाल था बड़ा भोला
दिन पूरा कैसा गुज़रा ?
शब्दों में बतलाओ
भावनाओं को दर्शाओ
हमने कहा बतलायेंगे
हम भी कुछ जतलायेंगे
गौर थोडा फरमाएंगे
तब ही कुछ दिखलायेंगे
लो कहा दिनभर का सार
अब तुम करते रहो विचार
ज़िन्दगी से एक मुलाक़ात
दिन बना मेरा यह खास....

गुरुवार, मार्च 14, 2013

मैं और मेरी तन्हाई

मैं और
मेरी तन्हाई
बस यही है
अब मेरी अपनी
इस तन्हाई में
मैं कितने
मौसम सजाता हूँ
सब कुछ
भूल कर मैं
तुझसे मिलने
आता हूँ
तेरी यादें
तेरी बातें
तेरे सपने
सजाता हूँ
फिर जब
आँख खुलती है
मुस्करा कर
सर हिलाता हूँ
तेरे ख्वाबों को
दिल से
लगाकर मैं
मुड़कर तन्हाई
में अपनी वापस
लौट जाता हूँ
मैं इस तन्हाई से हूँ
और मेरा
जादू ये तन्हाई
बस अब एक
तनहा मैं
और फ़कत
मेरी ये तन्हाई.....

जीवन चक्र

एक को तेरा मरण
तेरह दिन में
मिले नए सम्बन्ध
छूटे रिश्ते वो सब
जो तेरे अपने
जाने और अनजाने थे
क्यों मानव इस
चक्रव्यूह में
घूमता है
ये, अजीब सा सत्य
हे ईश्वर
एक, तीन का मिश्रण
शुन्य सा हुआ
हर मानव
कब तक
आता जाता
रहेगा
पृथ्वी की तरह
चाँद सूरज के पीछे
सुबह शाम
घूमता रहेगा
एक घर
एक परिवेश से
दुसरे परिवेश में
कभी जब
पुराने सम्बन्धी
आयेंगे यादों में
तब तू अपने
जन्म की
अनंत पीड़ा से
अपनी मृत्यु की
वेदना का अनुभव
करते हुए क्या
सुख की सांस भी
ले पायेगा ......

बुधवार, मार्च 13, 2013

आयो होरी को त्यौहार

आयो होरी को त्यौहार
लायो रंगों की बौछार
भीजी चुनरी तुम्हार
सुलगे जियेरा हमार
आओ मिल बांटे प्यार
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
फागुन सुलगाये सांस
आयो देखो मधुमास
मारे हिलोरे आस
बसंत जिलावे प्यास   
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
खिलती कली कली
अरमानो में खलबली
गीत गावे मनचली
चली मैं पिया गली
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
कोकिला कूक लगाये
अमिया बौरायी जाये
अंतर्मन अग्न जगाये
प्रिये संग नेह बनाये
आयो होरी...

आयो होरी को त्यौहार
भंग लाओ मेरे यार
रंग चढे अब के बार
आई टेसू की फुहार
हुडदंग होवे सर पार
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
ढोल मंजीरे बजाएं ताल
नाचें बाल, बाला, गोपाल
नभ उड़े अबीर-ओ-गुलाल
गरे डारे बइयाँ माल
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
शायरी, नज़्म, पान
कविता, शेर, पीकदान  
साहेबान, मेहरबान
क़द्रदान, खानदान
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
पकवान मज़ेदार
कांजी-बड़ा ज़ोरदार
आलू पोहा मिर्चमार  
ठंडाई चढ़ी नशेदार
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
राजमा-चावल मांडमार
छोले भठूरे ज़ायकेदार
कढ़ी पकोड़ी झोलदार
पिंडी छोले हवादार
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
सैंडविच, टिक्की, भेल, पापड़ी
स्नैक्स, उपमा, चकली, फाफ्ड़ी
नगौरी, ढोकला, मठरी, कचौड़ी
मेथी चटनी, भल्ले, समोसा, पूड़ी
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
मिष्ठानों से भरते थाल    
रसगुल्ला, गुंजिया, लड्डू, बर्फ़ी,
खीर, जलेबी, हलवा, कतली
सबरों देसी घी को माल
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
ज़न्खी बेरंगी सरकार
निगोड़ी से न दरक़ार
किसी की न वफ़ादार
बेमानी, चोर और बेकार
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
मज़हबी दंगे फसाद
सुसरे सब अवसरवाद
नफरत बारूदी खाद
हमरी नस्ल हुई बर्बाद
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
खून से ललाम लाल
मचा कैसा है बवाल
पिचकारी गोला हाथ
गुब्बारा बम के साथ
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
नशेड़ियों की होती मांग
दारू, सुलफ़ा, चरस, अफीम,
बीडी, सिगरेट, गांजा, भांग
हाई हो देते सीमा लांघ
आयो होरी.....

आयो होरी को त्यौहार
लाल प्रेम का गुलाल
पीली मित्रता की धार
नीली सौभाग्य की फुहार
बैंगनी खुशियाँ अपार
आयो होरी.....

शहीद सरदार उधम सिंह को मेरा शत शत नमन



भारत की आज़ादी की लड़ाई में पंजाब के प्रमुख क्रान्तिकारी सरदार उधम सिंह का नाम अमर है। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि उन्होने जालियाँवाला बाग हत्याकांड के उत्तरदायी जनरल डायर को लन्दन में जाकर गोली मारी और निर्दोष लोगों की हत्या का बदला लिया, लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उन्होंने माइकल ओडवायर को मारा था, जो जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब का गर्वनर था | ऐसा भी माना जाता है के ओडवायर जहां उधम सिंह की गोली से मरा, वहीं जनरल डायर कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर मरा।

२६ दिसंबर १८९९  को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में जन्मे ऊधम सिंह अनाथ थे। सन १९०१  में ऊधम सिंह की माता और १९०७  में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। ऊधम सिंह के बचपन का नाम शेर सिंह और उनके भाई का नाम मुक्ता सिंह था, जिन्हें अनाथालय में क्रमश: ऊधम सिंह और साधु सिंह के रूप में नए नाम मिले। अनाथालय में ऊधम सिंह की जिंदगी चल ही रही थी कि १९१७ में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया और वह दुनिया में एकदम अकेले रह गए। १९१९ में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। डा. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी तथा रोलट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में लोगों ने १३ अप्रैल १९१९ को बैसाखी के दिन एक सभा रखी जिसमें ऊधम सिंह लोगों को पानी पिलाने का काम कर रहे थे।

इतिहासकार डा. सर्वदानंदन के अनुसार ऊधम सिंह सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे और इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद आजाद सिंह रख लिया था जो भारत के तीन प्रमुख धर्मो का प्रतीक है। अमर शहीद उधम सिंह उर्फ राम मुहम्मद सिंह आजाद १३ अप्रैल, १९१९ को घटे जालियाँवाला बाग नरसंहार को अपनी आँखों के सामने होते देखा । कुछ घटिया राजनेताओं की साजिश के कारण जलियाँवाला बाग़ में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई परन्तु इस काण्ड से हमारे वीर उधमसिंह घायल शेर की भांति खूंखार हो गए और गुस्से से आग बबूला हो गए | तकरीबन १८०० लोग जो शहीद हुए थे उन्होंने मन ही मन उनके लिए लड़ने की ठानी और प्रतिशोध की अग्नि में जलने लगे |  ऊधम सिंह ने जलियाँवाला बाग़ की मिटटी को हाथ में ले और माथे से लगा प्रण लिया के वो इस दुष्कर्म के लिए ज़िम्मेदार माइकल ओ डायर को सबक ज़रूर सिखायेंगे |

देशप्रेम का यह सच्चा सपूत संकल्पित था ब्रटिश दुर्दांत हुकूमत द्वारा किये गए पाप और अपने देशवासियों के क्रूर अपमानजनक मौत का बदला लेने के लिए | अपनी इस मुहीम को अंजाम देने हेतु उन्होंने अलग अलग नामों से अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की। सन् १९३४ में हमारे उधम सिंह लंदन पहुंचे और वहां ९, एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे। यहाँ वहाँ यात्रा करने के लिए उन्होंने एक गाड़ी भी ख़रीदी | उसके साथ उन्होंने एक ६ गोलियों वाली पिस्तौल भी खरीद के रखी |

फिर वो सही समय का इंतज़ार करेने लगे | सिंह साब सही मौका मिलते ही कमीने माइकल ओ डायर को मारने की फ़िराक में थे और उचित वक़्त की बाट जोह रहे थे | १९४० में उन्हें जलियाँवाला बाग़ में शहीद हुए अपने सैकड़ों भाई, बहन, माताओं और देशवासिओं की मौत का बदला लेने का मौका मिला | उस काण्ड के २१ साल बाद १३ मार्च १९४० को | ब्रिटिश अख़बारों में प्रकाशित हुआ की लन्दन के कैक्सटन हाल में एक गोष्ठी आयोजित होने वाली है जिसमे ओ डायर के अलावा पूर्व भारत सचिव लार्ड जेटलैंड भी पहुंचेगा | दिन में दो बजे एक वकील की वेशभूषा में सज्जित उधम सिंह हाँथ में एक मोटी पुस्तक लिए पहुँच गए | मूलतः उसी किताब को भीतर से पिस्तौल के आकर में काट कर एक लोडेड पिस्तौल उसी में सुरक्षित रख दी थी | निश्चित समय पर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ | हाल खचाखच भरा हुआ था | ओ डायर ने यहाँ भी अपना भारत विरोधी जहर उगला | तालियों की गडगडाहट से पूरा हाल गूंज उठा | लेकिन तभी गोलियों की तडतडाहट ने तालियों की गडगडाहट को खामोश कर दिया | दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर गोलियां दाग दीं। दो गोलियां माइकल ओ डायर को लगीं । सूअर ओ डायर जमीन पर पड़ा तड़फ रहा था और उसकी तत्काल मौत हो गई | जेटलैंड के हिस्से की गोली भी उसे  मिल चुकी थी | पिस्तौल खाली हो चुकी थी किन्तु उधम सिंह का चेहरा संकल्प पूर्ण होने की दैवी आभा से चमक रहा था | बैठक के बाद उधमसिंह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर दुनिया को संदेश दिया कि अत्याचारियों को भारतीय वीर कभी बख्शा नहीं करते। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। उन पर मुकदमा चला । अदालत में जब उनसे पूछा गया कि वह डायर के अन्य साथियों को भी मार सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। उधम सिंह ने जवाब दिया कि वहां पर कई महिलाएं भी थीं और भारतीय संस्कृति में महिलाओं पर हमला करना पाप है।

१ अप्रेल १९४० को केन्द्रीय आपराधिक ओल्ड बेयले मुकद्दमे की औपचारिता निभा कर ४ जून १९४० को उन्हें फांसी की सजा सुना कर उसी ब्रिक्सटन जेल भेज दिया गया जहाँ अमर शहीद मदन लाल धींगरा को भेजा गया था | जेल में उन्होंने गुरु ग्रन्थ साहिब, कुरान और हिन्दू धर्म की पुस्तकों का अध्यन करने की कोशिश की किन्तु क्रूर ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें दस दिन में एक बार नहाने की छुट दी थी | अतः इन पवित्र पुस्तकों को स्नान कर छूने की भारतीय परम्परा के चलते उन्होंने इसमें आंशिक सफलता ही प्राप्त की | ३१ जुलाई को पेंटोंन विले जेल में फांसी का फंदा चूम कर उन्होंने जुलाई के महीने को पवित्र कर दिया | उनकी अंतिम क्रिया भी ब्रिटिश हुकूमत ने गुप्त रूप से कर दी | १९ जुलाई १९७४ को उधम सिंह के अवशेष भारत लाये जा सके और उन अवशेषों को हिन्दू-मुस्लिम-सिख समुदाय ने उधम सिंह की इच्छानुसार हरिद्वार में गंगा, फतेहगढ़ मस्जिद के साथ लगे कब्रिस्तान में और सिख भाइयों ने उनकी अंत्येष्टि आनंद साहिब में पूर्ण की | देशप्रेम के इस सच्चे सपूत को देशभक्तों का हार्दिक-हार्दिक अभिनन्दन अनिवार्य है | इस तरह यह क्रांतिकारी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में अमर हो गया |

मैं अपने देश के ऐसे सच्चे वीर बेटों, सेनानियों और शहीदों को शीश झुका कर शत शत नमन करता हूँ |

आप सभी देशवासियों से एक सवाल पूछना चाहता हूँ के देश को गंदे नेताओं से बचाने के लिए हमें आज ऐसा ही आदर्श देश पुत्र चाहिए ??? "सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,  मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए" | यदि आप इस सवाल पर सहमत हैं तो कृपया अपना जवाब और मत टिपण्णी के रूप ज़रूर ज़रूर दीजिये |

भारत माता की जय | जो बोले सो निहाल सत श्री आकाल | जय श्री राम | हर हर महादेव | जय कारा वीर बजरंगी का | यलगार हो | जयहिंद !!!

समझो तब

जीवन पहेली है
ना समझो तब
जीवन कहानी है
समझो तब

जीवन अन्धकार है
ना समझो तब
जीवन दर्शन है
समझो तब

जीवन काँटा है
ना समझो तब
जीवन गुलदस्ता है
समझो तब

रिश्ते तमाशा हैं
ना समझो तब
रिश्ते ज़िम्मेदारी हैं
समझो तब

साथ दुखमय है
ना समझो तब
साथ सुखमय है
समझो तब

प्रेम मृगतृष्णा है
ना समझो तब
प्रेम अनुभूति है
समझो तब

मन निर्जीव है
ना समझो तब
मन सजीव है
समझो तब

विचार पीड़ा हैं
ना समझो तब
विचार क्रीडा हैं
समझो तब

बातें व्यर्थ हैं
ना समझो तब
बातें अर्थ हैं
समझो तब

मुलाक़ात बेमानी है
ना समझो तब
मुलाक़ात दीवानी है
समझो तब

चरित्र धोखा है
ना समझो तब
चरित्र भरोसा है
समझो तब

कसक सज़ा है
ना समझो तब
कसक मज़ा है
समझो तब

मनुष्य अज्ञानी है
ना समझो तब
मनुष्य ज्ञानी है
समझो तब

जीवन यापन अनुभव है
अलौकिक व पारलौकिक का
समझो तब, समझो तब, समझो तब...

मेरी मृगतृष्णा

मेरी मृगतृष्णा
अनंत काल की
जन्मो जन्मो से
तरसती है
मैं कौन हूँ
क्या हूँ
सब जानते हुए
हर जन्म में
नई मोह माया के
उधड़े बुने जाल में
फंसती है

मेरी मृगतृष्णा
अनंत काल से
किसी चाहत को
तड़पती है
कभी श्राप है
कभी आशीर्वाद है
नौका विहार की भांति
लहरों से मुझे
मिलाती है

गहन अन्धकार
दिव्य प्रकाश
हर जन्म में मुझे
धरोहर में मिलता है
मेरी मृगतृष्णा
अनंत काल से
कुछ ना
पाने को की
मचलती है 

जी क्यों है

कोई ये कैसे बताये, के ये 'जी' क्यों है 
वो जो अपने हैं, वही 'जी' 'जी' करते क्यों है 
यही बातें हैं,  तो फिर बातों में, 'जी' 'जी' क्यों है 
यही होता है तो, आखिर ये, 'जी' होता क्यों है 

एक ज़रा बात बढ़ा दे, तो समझ लें 'जी' को 
उसकी बातों से समझ जायेंगे, हम भी 'जी' को 
इतनी फुर्सत में हैं, समझा तो ज़रा, तू 'जी' को 

शब्द-ए-बर्बाद से,  वाबस्ता है अब तक कोई 
उम्र-ए-दर्द दिया करता है, अब तक वोई  
शब्द जो भूल गए, फिर से सुनाता क्यों है

दिल-ए-उल्फत कहो, या कहो, अफ़सुर्दा
कहते हैं 'जी' का ये रिश्ता है, कसक का रिश्ता 
है कसक का, जो ये रिश्ता, भला कहते क्यों है ...... 

वाबस्ता - get stuck/attached
उल्फत - love
अफ़सुर्दा - sad/sorry/dismal/withering

मंगलवार, मार्च 12, 2013

शाद-ए-हबल्ब

फवाद-ए-फुर्सत की दुआ तू है 
अबसार-ए-मसरूर फरोग तू है  
देख तुझे दीदार-ए-दुनिया हासिल है 
शाइ तू जो दिलों जहाँ गाफ़िल है  
ख़ामोशी बयां करती अफ़साने है
लफ़्ज़ों में शामिल शोख नजराने हैं
जाकिर शोखियाँ तेरी तनहा रातों में 
क़माल जादू मयस्सर तेरे हाथों में 
घुंचालब कहते आलि-आलिम बातें 
याद है तुझसे आक़िबत वस्ल  
बहकी दिलकश मदहोश सियाह रातें 
उम्मीद-ए-फ़र्दा फ़कत तू है मेरी 
शाद-ए-हबल्ब तू ही है बस 
अब बज़्म-ए-यार में....

फवाद-ए-फुर्सत - स्वस्थ होते दिल / रिकवरिंग  हार्ट / recovering heart
अबसार - आँखें / आईज / eyes
मसरूर - आनन्दित / चीयर्फुल / cheerful
फरोग - रौशनी / लाइट / light
शाइ - गुम / लॉस्ट / lost
अफ़साने - किस्से / स्टोरीज / stories
शोख - शरारती / मिसचीविअस / mischevious
जाकिर - ख्याल करना / रेमेम्बेरिंग / remembering
शोखियाँ - शरारतें /  प्रैंक्स / pranks
मयस्सर -  मौजूद / अवेलेबल / available
घुंचालब - कली जैसे होठ / बड लिप्स / lips like bud  
आलि - अवर्णनीय / सबलाइम / sublime
आलिम - समझदार / इंटेलीजेंट / intelligent
आक़िबत - अंतिम / फाइनल / final
वस्ल - मुलाकातें / मीटिंग्स / meetings 
उम्मीद - आशा / एक्स्पेक्ट / expect 
फ़र्दा -  कल / टुमौरो / tomorrow
शाद - छाया / शैडो / shadow
हबल्ब - दोस्त / फ्रेंड / friend
बज़्म-ए-यार - दोस्तों के महफ़िल / ग्रुप ऑफ़ फ्रेंड्स / group of friends

रविवार, मार्च 10, 2013

महाशिवरात्रि की शुभकामनायें - नीलकंठ की जय


ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात् ।।

बम बम भोले शम्भु | जय कारा भोलेनाथ का | हर हर महादेव | महाशिवरात्रि के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और भोलेबाबा को कोटि कोटि चरणस्पर्श और नमन | मेरी ओर से प्रभु की वंदना में छोटा सा प्रयास |

ॐ निराकार एको देवो महेश्वरः
मृत्यु मुखाद गतम प्राणं ब्लादकक्षरक्षते

निरंजन निराकार महेश्वर ही एकमात्र महादेव हैं जो मृत्यु के मुख में गए हुए प्राण को बल पूर्वक निकाल कर उसकी रक्षा करते हैं | मार्कंड ऋषि का पुत्र मार्कंडेय अल्पायु था | ऋषियों ने उसको शिव मंदिर में जाकर महामृत्युंजय मंत्र जपने की सम्मति प्रदान की | मार्कंडेय ऋषियों के वचनों में श्रद्धा रखकर शिव मंदिर में महामृत्युंजय मंत्र का यथा विधि जाप करने लगे | समय पर यमराज आए किन्तु महामृत्युंजय की शरण में गए हुए को कौन छू सकता है | यमराज लौट गए | मार्कंडेय ने दीर्घायु पाई और मार्कंडेय पुराण की रचना भी की | 

ॐ मृत्युंजय महादेव 
त्राहिमाम शरणागतं
जन्म मृत्यु जरारोगई 
पीडितं कर्म बंधनई

हे मृत्युंजय महादेव! मैं सांसारिक दुविधाओं में फंसा हुआ हूँ | रोग और मृत्यु मेरा पीछा नहीं छोड़ रहे हैं | मैं आपकी शरण में हूँ | मेरी रक्षा कीजिये | महामृत्युंजय मंत्र महा मंत्र है | जिसके यथा विधि पारायण से, व्यक्ति, पापों से छूट कर सुख समृद्धि प्राप्त करता है | इस लोक में नाना प्रकार के कष्टों से, मृत्यु भय से, मुक्त होकर संपत्ति, रिद्धि सिद्धि प्राप्त करने का सरल उपाय महामृत्युंजय ही है |  

ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माम्रतात् ।।

महामृत्युंजय मंत्र by Tushar Raj Rastogi

ॐ - हे भोलेबाबा, हे शम्भुनाथ, त्र्यच्क्शुधारी अर्थात जिनके तीन नेत्र हैं सूरज, चंद्रमा और आग, वह शिव जो स्वयं सुगन्धित हैं और जो इस समस्त श्रृष्टि का पालन पोषण करते हैं, जिनकी हम सब अराधना करते है, विश्‍व मे सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव हमें हमारे समस्त खेद, दुःख, पीड़ा, बीमारी, रोग, व्याधि, मर्ज़, दरिद्रता, दीनता, निर्धनता, अभावों, कमियों, ग़रीबी, परेशानी, बेचैनी, भय, खौफ़, आशंकाएं, डर, मृत्‍यु न की मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं | अपना आशीर्वाद आप सदैव मेरे सर पर समृद्धि, सौभाग्य, प्रताप, यश, विजय, सफलता, दीर्घायु, ज्येष्ठता, स्वस्थता तथा आरोग्यता स्वरुप में बनाये रखें | मैं आपके समस्त नतमस्तक हो दंडवत प्रणाम करता हूँ |
आपके महामृत्युंजय मंत्र के वर्णो का अर्थ सभी को सरल शब्दावली में समझाने का तुच्छ प्रयास किया है |

महामृत्युंघजय मंत्र के वर्ण पद वाक्यक चरण आधी ऋचा और सम्पुतर्ण ऋचा-इन छ: अंगों के अलग अलग अभिप्राय हैं। ओम त्र्यंबकम् मंत्र के ३३ अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठर के अनुसार ३३ देवताआं के घोतक हैं। उन तैंतीस देवताओं में ८ वसु ११ रुद्र और १२ आदित्यठ १ प्रजापति तथा १ षटकार हैं। इन ३३ देवताओं की सम्पुर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं । साथ ही वह नीरोग, ऐश्व‍र्य युक्ता धनवान भी होता है । महामृत्युंरजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है । भगवान शिव की अमृतमययी कृपा उस निरन्तंर बरसती रहती है।

Here’s a word by word translation of the Mahamrityunjay Mantra in english as well:

om - "ek onkar"
tri-ambaka-m - “the three-eyed-one”
yaja-mahe - “we praise”
sugandhi-m - “the fragrant”
pusti-vardhana-m - “the prosperity-increaser”
urvaruka-m - “disease, attachment, obstacles in life, and resulting depression”
iva - “-like”
bandhanat - “from attachment Stem (of the gourd); but more generally, unhealthy attachment”
mrtyor - “from death”
mukshiya - “may you liberate”
ma - “not”
amritat - "realization of immortality"

बाबा के शिव रूप की जय,
कल्याण स्वरूपा - ॐ शिवाय नमः

बाबा के महेश्वर रूप की जय,
माया के अधीश्वर - ॐ महेश्वराय नमः

बाबा के शम्भु रूप की जय,
आनंद स्वरूपा - ॐ शम्भवे नमः

बाबा के पिनाकी रूप की जय,
पिनाक धानुष धारी - ॐ पिनाकिने नमः

बाबा के शशिशेखर रूप की जय,
शीश शशिधारी - ॐ शशिशेखराय नमः

बाबा के वामदेव रूप की जय,
अत्यन्त सुन्दर स्वरूपा - ॐ वामदेवाय नमः

बाबा के विरूपाक्ष रूप की जय,
भौंडे चक्शुधर - ॐ विरूपाक्षाय नमः

बाबा के कपर्दी रूप की जय,
जटाजूटधारी - ॐ कपर्दिने नमः

बाबा के नीललोहित रूप की जय,
नीले एवं लाल रंग धारी - ॐ नीललोहिताय नमः

बाबा के शर रूप की जय,
कल्याणकारी - ॐ शंकराय नमः

बाबा के शूलपाणि रूप की जय,
कर त्रिशुल धारी - ॐ शूलपाणये नमः

बाबा के खट्वी रूप की जय,
खाट का एक पाया रखने वाले - ॐ खट्वांगिने नमः

बाबा के विष्णुवल्लभ रूप की जय,
विष्णु प्रिय - ॐ विष्णुवल्लभाय नमः

बाबा के शिपिविष्ट रूप की जय,
सितुहा प्रवेशी - ॐ शिपिविष्टाय नमः

बाबा के अम्बिकानाथ रूप की जय,
माँ भगवती के स्वामी  - ॐ अम्बिकानाथा नमः

बाबा के श्रीकण्ठ रूप की जय,
सुन्दर कण्ठ वाले - ॐ श्रीकण्ठाय नमः

बाबा के भक्तवत्सल रूप की जय,
भक्त प्रेमी - ॐ भक्तवत्सलाय नमः

बाबा के भव रूप की जय,
सांसारिक स्वरूपा - ॐ भवाय नमः

बाबा के शर्व रूप की जय,
कष्ट प्रतिरोधक - ॐ शर्वाय नमः

बाबा के त्रिलोकेश रूप की जय,
त्रिलोक स्वामी - ॐ त्रिलोकेशाय नम:

शितिकण्ठ रूप की जय,
श्वेत कण्ठधारी - ॐ शितिकण्ठाय नमः

बाबा के शिवाप्रिय रूप की जय,
पार्वती प्रिय - ॐ शिवाप्रियाय नमः

बाबा के उग्र: रूप की जय,
अत्यन्त उग्र स्वरूपा - ॐ उग्राय नमः

बाबा के कपाली रूप की जय,
कपालधारी - ॐ कपालिने नमः

बाबा के कामारी रूप की जय,
कामदेव के शत्रु - ॐ कामारये नमः

बाबा के अन्धकासुरसूदन: रूप की जय,
अंधक दैत्य मर्दक -ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः

बाबा के गङ्गाधर रूप की जय,
गंगाधारी  - ॐ गंगाधराय नमः

बाबा के ललाटाक्षरूप की जय,
लिलार चक्शुधर - ॐ ललाटाक्षाय नमः

बाबा के कालकाल रूप की जय,
काल के काल - ॐ कालकालाय नमः

बाबा के कृपानिधि रूप की जय,
करुणामय - ॐ कृपानिधये नमः

बाबा के भीम रूप की जय,
भयंकर स्वरूपा - ॐ भीमाय नमः

बाबा के परशुहस्त रूप की जय,
फरसाधारी - ॐ परशुहस्ताय नमः

बाबा के मृगपाणी रूप की जय,
हिरणधारी - ॐ मृगपाण्ये नमः

बाबा के जटाधर: रूप की जय,
जटाधारी - ॐ जटाधराय नमः

बाबा के कैलाशवासी रूप की जय,
कैलास पर्वत निवासी - ॐ कैलाशवासिने नमः

बाबा के कवची रूप की जय,
कवचधारी - ॐ कवचिने नमः

बाबा के कठोर रूप की जय,
लौह्देहधारी - ॐ कठोराय नमः

बाबा के त्रिपुरान्तक रूप की जय,
त्रिपुरासुर मर्दक - ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः

बाबा के वृषांक रूप की जय,
वृषभ चिन्ह झ्ण्डाधारी - ॐ वृषांकाय नमः

बाबा के वृषभारूढ रूप की जय,
वृषभ सवार - ॐ वृषभारूढाय नमः

बाबा के भस्मोद्धूलितविग्रह रूप की जय,
भस्म लेपक - ॐ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः

बाबा के सामप्रिय रूप की जय,
सामगान प्रेमी - ॐ सामप्रियाय नमः

बाबा के स्वरमय रूप की जय,
सातो स्वरों निवासी - ॐ स्वरमयाय नमः

बाबा के त्रयीमूर्ति रूप की जय,
वेदरूपी विग्रह ज्ञाता - ॐ त्रयीमूर्तये नमः

बाबा के अनीश्वर रूप की जय,
स्वयंभू स्वामी - ॐ अनीश्वराय नमः

बाबा के सर्वज्ञ रूप की जय,
सर्वज्ञता - ॐ सर्वज्ञाय नमः

बाबा के परमात्मा रूप की जय,
सर्वोच्च आत्मा - ॐ परमात्मने नमः

बाबा के सोमसूर्याग्निलोचन रूप की जय,
चन्द्र, सूर्य और अग्निरूपी नेत्रधारी - ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः

बाबा के हवि रूप की जय,
आहुति रूपी द्रव्यधारी - ॐ हवये नमः

बाबा के यज्ञमय रूप की जय,
यज्ञस्वरूपधारी - ॐ यज्ञमयाय नमः

ॐ नमः शिवाय | मेरे सभी मित्रगण, प्रियेजन, अप्रियजन,  दुश्मन, शुभचिंतक, अशुभचिंतक और समस्त संसार के पशु, पक्षी तथा प्राणियों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें | भोलेनाथ सभी पर अपनी कृपा सदैव बनाये रखें |

बम बम भोले नाथ....जय जय शिव शम्भू....जयकारा वीर बजरंगी का....हर हर महादेव