रात बिस्तर पर लेट तो गया पर नींद कहाँ ओझल हो चुकि थी मालूम ही नहीं था | आँखों ही आँखों में रात बीते जा रही थी | करवटें बदल बदल कर चादर पर सिलवटें पड़े जा रही थीं । हजारों ख़यालों से लबरेज़ यह दिमाग दिल की दस्तक को बार बार दरकिनार किये जा रहा था के चल उठ जा और लिख डाल एक और कहानी | लिखे बिना तू सोने नहीं वाला | पर हिम्मत थी के जवाब दिए जा रही थी | दिमाग में जो १००० वाट के करंट की तेज़ी से नए नए किरदार घंटी बजाये जा रहे थे उनसे कब तक बचता | आख़िरकार दिल की जीत हुई | कुछ २ या २.३० का वक्फा रहा होगा | चीते की फुर्ती से उठा और लैपटॉप ऑन कर बैठ गया | नोटपैड खोला और लग गया ख़यालात को शब्दों में उतारने |
पात्र:
शरद - नायक
सारिका - नायिका
कुछ आकर्षक बात तो होती ही है उन बेपरवाह प्यार करने वाले लोगों में, असाधारण युगल जोड़ों में, अति काल्पनिक व्यक्तियों में और करिश्माई शख़्सियत वाले किरदारों में जिसके चलते वो अपनी अंदरूनी ताक़त और शक्ति के बल पर अपनी स्नेहपूर्ण सोच और अपने विचारों का जादू चला देते हैं | अपनी अदाओं, बातों और भाव भंगिमाओं से किसी भी चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं | अपनी सशक्त वाक् शक्ति के चलते सामने वाले में आत्मविश्वास और उम्मीद की किरण का संचार कर देते हैं | कुछ लोग सच में ऐसे ही होते हैं | वो अचानक से आपकी ज़िन्दगी में कदम रखते हैं और अपना सब कुछ आपको समर्पित कर आपके हो जाते हैं | ऐसे लोगों के साथ जीवन भी जीवंत हो उठता है |
ऐसे लोग जीवन में एक ख़ास मुक़ाम रखते हैं, अच्छे लगते हैं, प्यारे लगते हैं और उन पर सब कुछ न्योछावर करने को हम सदैव तत्पर रहते हैं | आजकल की दुनिया में जहाँ स्वयं में डूबे प्राणी, वो दुनिया जहाँ देने की बनिस्बत लेने की मंशा रखने वाले लोग बसते हैं | उस संसार में हमें यदि ऐसे चाहने वाले दिलदारों से वास्ता पड़ जाये तो तुरंत ही उन्हें खुद से बाँध लें, बाहों में जकड़ लें, कसकर लिपट जाएँ, आग़ोश में समां जाएँ और ज़िन्दगी भर उनका साथ निभाएं |
आख़िरकार सारिका के जीवन में भी कोई ऐसा चाहने वाला, कोई ख़ास, उसके चेहरे पर ख़ुशी की लहर लाने वाला, उसके जीवन को सौभाग्य एवं आनंद से सराबोर करने वाला, उसके उन ख़ास पलों में जीवन के मज़े को कई गुना बढ़ने वाला उसके दिल पर दस्तक दे चुका था | शरद नाम था उसका | नाम की तरह उसका मिजाज़ भी एक दम माकूल था | हमेशा हँसता और मुस्कराता रहता और इश्क़ के मामले में अव्वल नंबर था | अब सारिका का सारा जीवन शरद और उसके प्यार के नाम लिखा जा चुका था | सारिका के दिल की हर धड़कन हर सांस सिर्फ उसके प्यार के लिए ही थी |
जाड़े जा रहे थे | गर्मियों का आगमन होने को था | दिन के सूरज से काफी तेज़ी छलक रही थी | वाष्पयुक्त फूटपाथ के फर्श पर हलचल करते और हड़बड़ी मचाते खुशनुमा लोगों की भीड़, सैलानीयों की भरमार और मसरूफ़ समुद्र-तट | यही नज़ारा था गोवा की उस शाम का | सारिका की पसंदीदा जगह | अपने प्यार के साथ वो भी इन पलों के आनंद में भाव विभोर हुए जा रही थी | उसके मुताबिक इस जगह से सुन्दर और कोई भी जगह पूरे संसार में नहीं थी | यहाँ का आकर्षण ही कुछ ऐसा है के जो एक बार आया वो यहीं का हो कर रह गया | इस सबके बीच सबसे सुन्दर बात ये थी के उसके साथ दुनिया का सबसे खूबसूरत, कामाकर्षक, जवां और रोबीला मर्द था | जो उस पर जान छिड़कता था | वो भी उसपर ऐसे ही मरती थी ।
हालाँकि ये ट्रिप किसी प्लान के तहत नहीं बना था | बस बैठे बैठे अचानक से ही शरद के दिमाग में कीड़ा उठा और साथ में समय व्यतीत करने का दिल हुआ और ऑनलाइन टिकटें बुक करवा दीं | सारिका के लिए ये बहुत पड़ा सरप्राईज़ था | दोनों को साथ समय गुज़ारे एक अरसा बीत चुका था | और वो दोनों साथ में कुछ रूमानी पल गुज़ारना चाहते थे | तो गोवा से अच्छी जगह और क्या होती | सारिका की ख़ुशी का ठिकाना न था |
वहां के जादुई समुंद्री तट, गीली रेत में रातों को साथ लेटना, खुली आँखों से हाथ में हाथ लिए सपने देखना, पानी के बहती लहरों से तलवों का भीगना, ठन्डे भीगे तलवों को एक दुसरे के पैर पर लगाना, भीगे जिस्म से निकलती गर्मी का एहसास महसूस करना, रात के चाँद की परछाई का समुन्द्र की लहरों में खो जाना, धीमी धीमी पुरवाई का चलना, हलकी मध्यम ठण्ड से रोंगटे खड़े हो जाना, एक दुसरे की बाहों में सिमट जाना, बाजारों का शोर, नए नए चेहरों का दीदार, जल क्रीड़ा का आनंद, मोटरसाइकिल पर चिपक कर बैठना, गलियों और बाजारों में एवई चक्कर लगाना, समुन्द्र में नावों और जहाजों का आना जाना देखना, नारियल पानी पीना, अच्छा खाना खाना, विंडो शौपिंग करना और भी ऐसे अनेकों उल जुलूल काम करने का आनंद साथ में एक्सपीरियंस करना | ऐसा सुन्दर, प्यार करने का, एक दुसरे को करीब से जान पाने का समय, माहौल तथा मौका इससे बेहतर कहाँ मिलेगा |
दिनभर तट पर गर्म हवाएं चलती रहीं | सूरज भी नाक चिढ़ता हुआ अपनी चिलचिलाती गर्मी बिखेरता रहा | सारिका और शरद दोनों ही बीच क्लोथिंग में घूमते रहे | गर्मी कुछ ज्यादा ही थी | पसीने से दोनों लथ पथ हो रहे थे | फिर भी अटखेलियों से बाज़ नहीं आ रहे थे | एक दुसरे को बाहों में भरे, चूमते और मस्ती करते घूम रहे थे | फिर थक कर निढ़ाल होकर वही लेट गए और सन टैनिंग के मज़े लेने लगे | शरद भी चुटकी लेने से बाज़ नहीं आता था, कहता,
"डार्लिंग, इतना सन टैनिंग करोगी तो काली हो जाओगी"
सारिका भी चिढ़ कर जवाब पकड़ा देती के, "काली हो भी गई तो क्या हुआ, दिलवाली तो ऐसी ही रहूंगी | तुम्हे काली होने से परहेज़ है क्या ? काली से प्यार में कमी आ जाएगी क्या?"
शरद जोर के हंसा और बोला, "कल्लो के साथ तो और मज़ा आएगा | नज़र भी नहीं लगेगी किसी की | और काली बॉडी का तो अपना ही चार्म है ;)" वो नटखट अंदाज़ में उसकी कमर पर हाथ फेरता हुआ बोला"
"शट अप ! माइंड यौर हैंड्स मिस्टर" कहती हुई सारिका ने कामोत्तेजक मुस्कराहट के साथ शरद की बात की पुष्टि कर दी और थोडा और पास आकर लेट गई |
सूरज शिथिल पड़ रहा था और धीमे धीमे सागर की लहरों के बीच समा रहा था | समस्त सागर गुलाबी हो गया था और दूर बहती लहरें सितारों की भाँती चमकीली नज़र पड़ रहीं थी | चिड़ियाँ चेह्चाहती आसमान में उडती अपने घोंसलों को वापस लौट रही थीं | कुछ लोग सागर के किनारे पर जॉगिंग करने में लगे हुए थे | कुछ फिरंगी हाथों में हाथ डाले घूम रहे थे | कहीं कोई खोमचों पर खाने उड़ा रहे थे | तो कहीं मालिश वाले तेल लेकर घंटी बजाते आवाज़ दे रहे थे | कहीं बच्चे खेल रहे थे और कहीं अल्हड जवानियाँ अपने यौवन के शिखर पर मदहोश मदमस्त हो झूम रही थीं | सागर में उमड़ती लहरों की फुहारें दोनों के तन को भिगो रही थी | दोपहर से दोनों साथ में लेटे गर्मी, बातों, आसपास के लोगों और नज़रों का आनंद उठा रहे थे | ढलती शाम के साथ रूमानियत भी चरम पर आने लगी थी |
दोनों ने एक दुसरे की ओर देखा और नज़रों में बातचीत आरम्भ कर दी | शब्दों से ज्यादा निगाहों की भाषा समझा रहे थे दोनों एक दुसरे को |
शरद ने धीरे से पलकें बंद की और खोलीं, जानब पूछ रहे थे, होटल रूम वापस चलें क्या ?
सारिका ने नज़रें इधर उधर घुमा कर और धीरे से आँखें मूँद कर जवाब दिया, "नहीं अभी नहीं " |
फिर एक टकटकी बंधकर, शरद की आँखों में आँखें डालकर देखती रही, जैसे पूछ रही हो, "आज रातभर यहीं ऐसे ही लेटे रहते हैं, प्लीज़" |
शरद, मुस्करा दिया, आँखे मूंदी और भवें ऊपर करके हामी भर दी |
बदले में जवाब मुस्कान के साथ मिला और साथ में एक फ्लाइंग किस भी |
रात भर दोनों बीच पर ऐसे ही लेटे लेटे बातें करते रहे | कभी शब्दों में, कभी आँखों में और कभी इशारों में | दोनों बस यही सोच रहे थे के वो दोनों साथ हैं तो प्यार है , और प्यार है तभी वो दोनों आज साथ हैं | कुछ भी कहने के लिए इस पल से सुन्दर समय कोई दूसरा नहीं हो सकता था | शरद को गुमान था के उसकी लेडी लव, लेडी लक, उसकी जान और सारिका की मासूम मुस्कान उसके साथ थी | टू पीस में लेटी वो कहर बरपा रही थी | छिटकती चांदनी रात में उसकी त्वचा कोमल, मदमस्त, और चमकदार लग रही थी | जैसे किसी जाम में शम्पैन उंडेल दी गई हो और उसके सितारे टिमटिम करते उकसा रहे हों के आओ और हमें अपने गले से नीचे उतार लो | सारी रात वो दोनों एक दुसरे की आँखों से मदिरापान करते रहे और गर्म साँसों के मदिरालय में मदहोश होते रहे | एक दुसरे से ख़ामोशी में उन्होंने वो सब कह दिया जो शायद वो कभी शब्दों में भी नहीं कह पाते | दोनों एक दुसरे की बातों में इतने डूब गए के सुबह कब हो गई पता ही न चला |
शाम की फ्लाइट से दोनों वापस घर आ गए और फिर वही भागदौड़ वाले जीवन का हिस्सा बन गए | पर वो तीन दिन जो दोनों ने एक दुसरे के साथ बिताये थे वो ज़िन्दगी के सबसे यादगार और आरामदेह पलों में से थे | उन छुट्टियों के बाद वो बेहद करीब और करीब आ गए थे | उनका रिश्ता और पक्का हो गया था | दोनों को एक दुसरे पर खुद से ज्यादा विश्वास कायम हो गया था | ये पल उन्हें हमेशा याद रहेंगे और इन छुट्टियों का एहसास उम्रभर साथ रहेगा | मौके ज़िन्दगी और भी बहुत से देगी पर जो रिश्ता इन छुट्टियों बना था वो ज्यों का त्यों रहेगा | आखिर ये जो भी किया था सिर्फ "प्यार की खातिर" ही तो किया था |
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इस ब्लॉग पर लिखी कहानियों के सभी पात्र, सभी वर्ण, सभी घटनाएँ, स्थान आदि पूर्णतः काल्पनिक हैं | किसी भी व्यक्ति जीवित या मृत या किसी भी घटना या जगह की समानता विशुद्ध रूप से अनुकूल है |
All the characters, incidents and places in this blog stories are totally fictitious. Resemblance to any person living or dead or any incident or place is purely coincidental.
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