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शनिवार, फ़रवरी 16, 2013

जो फ़ोल्लोवेर मिल जाएँ

ब्लॉग मेरा भी देखकर, ऐसा स्नेह बरसाएँ 
लेखन सफल हो जायेगा, जो फ़ोल्लोवेर मिल जाएँ
जो फोल्लोवेर मिल जाएँ, सोचता रहता है 'निर्जन'
करता इंतज़ार, कब आयेंगे श्रोतागण

लो श्रोता भी आ गए, चक्कर काटें रोज़
सूना फिर भी पेज है, बिन मीठे का भोज
बिन मीठे का भोज, बता देता है 'निर्जन'
आए तो टिपण्णी करें, जो बन जाये बंधन 

प्रेम आपका देख, लिख डालीं कविताएँ
अब आगे क्या और कहूँ, मन में हैं दुविधाएँ 
मन में हैं दुविधाएँ, लिखता रहता है 'निर्जन'
बस खुश हो जाएँ, मिले सबसे अपना मन

ब्लॉग प्रमोशन हेतु ही, फेसबुक पेज बनाए
कुछ मित्र नए हैं ऐड किये, के अनुकम्पा मिल जाए
के अनुकम्पा मिल जाए, विनती करता है 'निर्जन'
ब्लॉग पसंद जो आए, लाइक भी कीजिए रघुनन्दन

जन मानस दिल पैठ को, अग्रीगेटर जाएँ
अनगिनत अग्रीगेटर पर, ब्लॉग रजिस्टर करवाएँ
ब्लॉग रजिस्टर करवाएँ, दिखता भी है 'निर्जन'
ब्लॉग जाग्रति हेतु ही, बैज चिपकाते है त्रिभुवन

सर्च इंजन सबमिशन है, सबसे ज़रूरी काम
चलाना है ब्लॉग अगर, और कमाना है नाम
और कमाना है नाम, जुगाड़ करता है 'निर्जन'
नित नए विजेट और कोड, अपडेट करता है हर पल

गूगल सर्किल से जोड़ कर, मेसेज करने का रूल
पढ़वाकर अपनी पोस्ट को, प्रशंसा करो वसूल
प्रशंसा करो वसूल, यही तरीका है 'निर्जन'
जो न माने प्यार से, पढ़वाओ जबरन

लिखते हो गर आप भी, ना आएगा काम
पोएम, स्टोरी, आर्टिकल, सब है एक सामान
सब है एक सामान, पते की बात है 'निर्जन'
बेचना है गर मॉल, मार्केटिंग चलेगी स्पेशल

सुनकर गुरुजन वाणी को, फ़ैसला 'निर्जन' लेत
कर्म सदा तू किये जा, मत तू हिम्मत टेक
मत तू हिम्मत टेक, पायेगा तू भी सफ़लता
होगी वाहवाही, भाग जाएगी विफ़लता

शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2013

आली रे आली बसंत ऋतु आली

आली रे आली
बसंत ऋतु आली
पीली पीताम्बरी
बदली छा ली
आली रे आली...

ध्यालीं रे ध्यालीं
माँ शारदा ध्यालीं
पीत वस्त्र, धुप दीप ले
आरती कराली
आली रे आली...

मनाली रे मनाली
पंचमी मनाली
पतंगें निकली
हवा में उड़ालीं
आली रे आली...

खालीं रे खालीं
पीली मिठाइयाँ खालीं
चावल, मेवा, चीनी, केसर, लड्डू  
मिला जी भर भर बनालीं
आली रे आली...

लहलहालीं रे लहलहालीं
फसलें लहलहालीं
सरसों और गेहूं
खेतों में सजालीं
आली रे आली...

जगालीं रे जगालीं
नई उमंगें जगालीं
साथी संग बैठ
सब उम्मीदें सजालीं
आली रे आली...

आली रे आली
बसंत ऋतु आली
मिलजुल सब यारों ने
पंचमी मनाली

सभी मित्रगण को मेरी ओर से बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें | माँ सरस्वती सभी पर अपनी कृपा का हाथ सदैव बनायें रखे |

गुरुवार, फ़रवरी 14, 2013

बेहद ज़रूरी है

दर्द में मुस्कराना बेहद ज़रूरी है
दर्द में प्रीत निभाना बेहद ज़रूरी है
दर्द में संभल जाना बेहद ज़रूरी है
दर्द में दिल लगाना बेहद ज़रूरी है
दर्द में समझ जगाना बेहद ज़रूरी है
दर्द में खुद से लड़ना बेहद ज़रूरी है
दर्द को काबू करना बेहद ज़रूरी है
दर्द को ना जताना बेहद ज़रूरी है
दर्द को पी जाना बेहद ज़रूरी है
दर्द को अपनाना बेहद ज़रूरी है
दर्द को जीत जाना बेहद ज़रूरी है
दर्द तो सिर्फ अपना है "निर्जन"
दर्द को दर्द में यह समझाना बेहद ज़रूरी है |

रविवार, फ़रवरी 10, 2013

दिल का विसर्जन हो गया

कुछ संजोये लम्हात मेरे
कुछ धुंधली सी तेरी यादें
कुछ पल साथ गुज़ारे जो
कुछ भूली बिसरी सी रातें
कुछ मीठी मीठी थीं बातें
कुछ गीत साथ में थे गाते
कुछ शिकवे थे हमने बाटें 
कुछ खटपट थीं तेरी मेरी
कुछ नाज़ुक थे अपने वादे
कुछ आँखों में गुज़रीं रातें 
कुछ नयनो की खुमारी वो
कुछ अदाएं मोहक प्यारी वो
कुछ सीने से गिरता आँचल
कुछ मदहोशी बिखरी हर पल
इन सबको साथ समेट के मैं
लहरों में स्वाह  कर आया हूँ
इस मौनी मावश को "निर्जन"
दिल का विसर्जन कर आया हूँ

वीणा

हे ईश्वर
तुम्हारी
स्नेह भरी
वीणा को
सुनकर
प्यासा मन
तृप्त हो जाता है
तृप्त हो जाती है
प्यास
जो एक
मरुस्थल पर
शीतल झरने
की तरह
बहते हैं
मेरे जीवन में
मेरी हर श्वाश में

ऐसों से साड्डी बग़ावत है

फिल्में बनाई ऐसी है क्यों
फाड़ देवांगे पोस्टर नू
बोल लिखे गाने के जो
भ्रष्ट करें दिमागां को
बंद करो कुड़ियों का बैंड
तां पावेंगे दिल दा चैन  
जो खोला तुमने है मुहं
तोड़ देवांगे दान्तं नू
लिखी किताब काहे को यूँ
जला देयांगे जद छपेगा तू
वैलेंटाइन मनायेगा क्यों
जंगलियों दे जूते खायेगा तू 
वो डायरेक्टर भद्दा है
साड्डी संस्कृति नाल धब्बा है
उसकी कलाकृति नंगी है
ओ सोच नाल फिरंगी है
कपडे वैसे पहने क्यों
हिंदी नारी अबला है तू
जात को तू तो मुल्ला है
भग पाकी रस्ता खुल्ला है
महाकुंभ में नहायेगा
राजनीति दिखलायेगा
पुतले रोज़ जलाएंगे
नौटंकी मचाएंगे
जूतों के हार चढ़ाएंगे
फूहड़ नज़रिया बतलायेंगे
घरों में घुसना जायज़ है
जद ब्रेकिंग न्यूज़ कवायत है
जड़ खरीद ग़ुलाम हैं ये
जीवन दा एही मुक़ाम है ये  
वेल्ले कितने लोग हैं वो 
जेड़े झक झक बक बक करदे यो 
फ़िजूल भौंकना आदत है
ऐसों से साड्डी बग़ावत है

मंगलवार, फ़रवरी 05, 2013

वर्षा

बांधे हाथ, खड़ा 'निर्जन' मैं
मांगू सब की खैर
भीग चुका, वर्षा से तन मन
बह गया सारा बैर

कोई छतरी, रोक सके न
पीड़ा तनहा दिल की
भीगा दी जिसने आत्मा मेरी
चुभन है जीवन भर की

तेज़ तूफानी हवाएं मेरे
दिल को भेदती जातीं
मौन खड़ी उम्मीदें मेरी
फ़कत देखती जातीं

गिरता है वर्षा का पानी
बन खारा आँखों से
दुविधा सारी दूर हो गई
आने वाली राहों से

खोले बाहें बुला रहा है
नया सवेरा मुझको
कहता है मुझसे ये हर पल
आगे बढ़ना है तुझको

निकल अँधेरे भूत से तू अब
भुला दे पिछली बातें
घुट घुट कर काटीं हैं तूने
न जाने कितनी रातें

बांधे हाथ, खड़ा 'निर्जन' मैं
मांगू सब की खैर
भीग चुका, वर्षा से तन मन
बह गया सारा बैर

मंगलवार, जनवरी 29, 2013

भक्ति

भक्ति
जबकि स्वयं
स्त्री स्वरुप है
फिर भी
भक्ति को
क्यों तलाश है
किसी बुत की
जो की
स्वयं में
एक अथाह सागर है
फिर क्या
उसे प्यास है
किसकी
चिरकाल में
अनंत समय तक
क्यों
कोई नहीं जानता

रविवार, जनवरी 27, 2013

रिश्ते

आज एक बंधू से कुछ बात चीत हो रही थी | मेरे बहुत ही अभिन्न मित्रों में से एक हैं वो | मित्र क्या भाई के समान ही हैं | उनकी बातों के बाद जो कुछ भी एहसास मेरे दिल में उमड़े और जो जीवन के निष्कर्ष सामने आए वो मैंने यहाँ आप सबके सम्मुख शब्दों में प्रस्तुत करने का प्रयास कर दिया  | बहुत ही सुलझी सोच रखने वाले मेरे मित्र को मैं इस कविता के मध्यम से धन्यवाद करना चाहूँगा के ऐसे वक़्त में उन्होंने मेरा साथ दिया, मेरी पीड़ा को समझा, मेरा मार्गदर्शन किया और मुझे सँभलने में मदद की  | बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त |

जीवन एक जंजाल है भैया
मानवता बेहाल है भैया
रिश्तों की छोड़ों तुम बातें
इनका पैसों में तोल है भैया
इनका कोई मोल नहीं है
इनका तो राहू काल है भैया
नया ज़माना आया है भैया
प्रायोरिटी संग लाया है भैया
रिश्तों को अगर निभाना है भैया
तो प्रायोरिटी वाईस चलाना है भैया
किसका कितना करना है भैया
किसका कितना भरना है भैया
ये प्रीडीसाएडिड गोल है भैया
स्वार्थ का बोल बाला है भैया
शादी के रश्ते को इसमें
सबसे ऊपर डाला है भैया
छोटी छोटी सी बातों पर
बस मोल भाव होता है भैया
मतलब का बस राज है भैया
देता कौन किसी का साथ है भैया
जोर से तुम जो बोलोगे भैया
दिमाग की दही कर लोगे भैया
बच्चे को जो धमकाओगे भैया
बदले में बगलें झांकवाओगे भैया
गर बीवी के बाप का नाम लिया
तो महाभारत छिड़वाओगे भैया
सास ससुर ने कुछ बोल दिया तो
फौरेन घर छोड़ दिया रे भैया
जेठ जेठानी जो कुछ बोलें तो
टाँगे उनकी क्यों तोडें न भैया
बीवी का भाई वाह जी वाह भैया
मियां की बहना न जी न भैया
अगर गौर से देखो तो भैया
बस एक ही दिल में प्यार है भैया
हाँ सारा संसार है भैया
जो बिन मांगे देता है सब सुख
वो 'माँ' का रिश्ता है भैया
देता जीवन भर दुलार है भैया
बिन मांगे बिन पूछे करता
जीवन भर तुमसे प्यार है भैया
जीवन भर तुमसे प्यार है भैया

गुरुवार, जनवरी 17, 2013

सफ़ेद कपड़ों वाली परी


दिल्ली की एक मस्त शाम । महरौली का इलाका । मौसम-ए-बरसात चल रहा था | माध्यम बारिश की फुहार पड़ रही थी | सारा आसमान हलके संतरी रंग से सराबोर हो रहा था | सूरज अपनी काली रॉयल एनफ़ील्ड बुलेट से उतरा और सड़क पार कर के फूटपाथ पर जाकर खड़ा हो गया | सामने वाली बिल्डिंग पर लगे शीशे की तरफ नज़रे गडा दीं | फिर इधर उधर का मुआएना करने के बाद अन्दर झाँकने लगा | अब तो उसके लिए ये रोज़ का रूटीन बन गया था | रोजाना शाम को आना और उसे उन सफ़ेद शफाक कपड़ों में नाचते हुए देखना |

बस एक वही थी जो इस भीड़ भरी दुनिया में उसकी नज़रों में समां गई थी | वही थी जिसे वो बेहद पसंद करने लगा था | जिसने उसके बेज़ार दिल को धड़कने पर मजबूर कर दिया था | जिसकी एक झलक से वो मंत्रमुग्ध हो जाता और उसके चेहरे पर एक हलकी से मुस्कराहट आ जाती थी | उसको डांस स्कूल में नाचते देखना ऐसा लगता मानो कोई मोर बारिश में थिरक रहा हो | दूसरी नर्तकियों बीच वो ऐसे लगती जैसे सूरज के इर्द गिर्द चाँद और तारे | उसका हर एक भाव और भंगिमा ऐसे प्रतीत होती थी जैसे आकाश में हवा में कोई पंख धीरे धीरे लहरा रहा हो और हिचकोले लेता इधर उधर डोल रहा हो | किरन उसके लिए आसमां थी और उसकी घरती भी | उसकी झलक पाते ही उसका दिन बन जाया करता था | उसका समस्त जीवन उस एक पल थम जाया करता था |

किरन हर लिहाज़ से बेहद खूबसूरत थी | बेहतरीन सुन्दरता | अदभुत कलापूर्ण व्यक्तित्व | ऊँचा लम्बा कद, सुडौल गठीला बदन, तीखे नयन नक्षक | लम्बे काले घने नागिन जैसे बाल | गहरी और मोहित कर देने वाली भूरी आँखें | बनानेवाले की बेजोड़ कलाकृति की मिसाल थी वो | देखने में एक दम गोरी फिरंग लगती थी पर थी सौ प्रतिशत हिन्दुस्तानी |

संभवतः वो भी अपनी ज़िन्दगी में किसी ख़ास व्यक्ति का इंतज़ार कर रही थी | और सूरज बहार खड़ा यही सोच रहा था के काश वो खुशकिस्मत इंसान वो हो |

संगीत शुरू हुआ, और उसने बड़े ही मनमोहक तरह से नाचना आरम्भ किया | डांस फ्लोर पर उसके शांतचित्त, उसकी प्रतिभा, उसके आकर्षण और उसके बला के जलवे को देख कोई भी अचंभित क्यों न हो जाये | वो दूसरी डांसर्स से एक दम अलग थी | सबसे जुदा | किरन का आत्मविश्वास, उसकी मनोहरता, उसके लुभावने अंदाज़, उसकी जिंदादिली और उसकी नैसर्गिक सुन्दरता के अभिलक्षण उसके नृत्य के हर कदम में उसके इख़्तियार की झलक दिखला रहे थे |

सूरज की आँखें लगातार उसका और उसकी हर एक गतिविधि का क्रमवीक्षण कर रही थीं | कुछ घंटों के लिए उसकी ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत जो हो गई थी | शीशे से चिकने और चमकते डांस फ्लोर पर किरन का अक्स साफ़ नज़र आ रहा था | उसके लम्बे काले बालों की गुथी हुई चोटी और सफ़ेद ड्रेस में उसकी विशिष्टता और निखर कर आ रही थी |

सूरज उसकी तरफ नज़रे जमाये चुपचाप खड़े सोच रहा था के काश मैं इस भीड़ के बीच से रास्ता बनाकर किरन तक पहुँच सकता | और उसका हाथ थाम कर उसके साथ कुछ पल बिता सकता । तभी अचानक से संगीत बजना बंद हो गया | डांस खत्म हो गया था | किरन धीरे से आगे बढ़ी तौलिया उठा कर पसीना पोंछती हुई डांस फ्लोर पार कर के सीधा मुख्य द्वार पर आकर रुक गई | उसके रुकते ही ऐसा लगा मानो बसंत आ गया हो | उसने हाथ बढाकर दरवाज़े का हैंडल पकड़कर दरवाज़ा खोला | हाथ आगे बढाकर हथेली बहार निकाल कर देखा | बारिश अभी भी बरस रही थी | सूरज मन्त्र मुग्ध खड़ा उसकी ओर तंकता रहा | अचानक उससे लगा की उसकी नज़रें सीधा उसे ही देख रही हैं | दिल रेल के इंजन सा भक भक करने लगा | पैर जड़ हो गए । होश के होते उड़ गए । गला खुश्क हो गया । तलवों तले ज़मीन खिसक गई | सोचने लगा के अपने एहसास उसके सामने कैसे बयाँ करूँगा ?

तभी फिर से संगीत बजना शुरू हो गया और जो लोग अन्दर थे वो एक बार फिर से शुरू हो गए | किरन ने उसकी तरफ़ मुड़कर देखा और पास आकर बोली

"आप मेरे साथ डांस नहीं करेंगे ?"

सूरज शुतुरमुर्ग की तरह खड़ा भौंचक्का सा किरन की आँखों में देखता रह गया | उसके संगुप्त शब्द उसके दिल की गहराईयों में ही दबे रह गए |

"जिसकी रमणीयता, मनमोहक और अतुलनीय थी और जिसके आज तक वो सपने ही देखा करता था, उसके साथ नाचना, अत्यंत आनंदप्रद और सम्मान की बात थी |"

धीरे से लड़खड़ाती जुबान से शब्द बहार आये | अब तक जो सिर्फ सोच रहा था आज वो बोल दिया गया था | किरन सर झुकाकर मुस्कराई और चमकदर चेहरा लाल हो गया | सूरज घुटनों पर बैठ गया, सर झुका कर धीरे से हाथ आगे बढ़ा दिया | फिर दोनों बारिश में साथ नाचने लगे |

वो सोच रहा था के ये सच नहीं हो सकता | जो भी हो रहा है एक सपना है | पर सच वही था के ये लम्हा उसके जीवन में आ गया था, वो उस लम्हे को जी रहा था | वो नहीं चाहता था के ये खत्म हो | ये साथ कभी न छूटे | ये डांस यूँ ही चलता रहे | उसे अब किसी और चीज़ की कोई परवाह नहीं थी |

बारिश की बूंदों का संगीत सुना जा सकता था | रिमझिम बूँदें धरती पर गिरकर जलतरंग बजा रही थीं | जैसे जैसे बारिश तेज़ हो रही थी वैसे वैसे उनके नाच की लय भी बढ़ रही थी | उसने आगे बढ़कर धीरे से अपने गालों को सूरज के गालों के पास लाकर कान में कुछ फुसफुसाया | उसके सुन्दर चेहरे पर कृतज्ञता और करुणा से भरे भाव थे |

वो दोनों पुर्णतः जीवंत थे, परिपूर्ण थे और आनन्दित थे | चाँद मुंह झुकाए उसके काले बालों की भीगी लटों को निहार रहा था | बरसात का पानी भी उनके क़दमों की हरकतों को पहचान रहा था | बारिश के पानी में और उस पर पड़ते उसके क़दमों में तालमेल था | उसके पैरों से पानी की छपछपाहट भी छनछनाहट सी सुनाई दे रही थी | उसकी पैनी नज़रों में गज़ब की चमक थी और फिर वो ख़ुशी के मारे जोर से हंस पड़ी |

उसकी हंसी से चाँद की चमक और ज्यादा बढ़ गई | उसके सफ़ेद कपडे पूरी तरह से भीग चुके थे | भीगने के बावजूद भी वो पीछे हटने का नाम नहीं ले रही थी | बेपरवाह बस नाचती रही और सूरज उसका साथ देता गया | फिर वो थोडा पीछे हटी और स्वछंद पंछी की भांति उड़ने लग गई | सूरज की नज़रें हर जगह उसका पीछा कर रहीं थीं इस डर से के कहीं उसका ये सपना टूट न जाए | तभी अचानक वो रुकी, सूरज की ओर मुड़ी और सामने आकर खड़ी हो गई |

उसकी सासें तेज़ बहुत तेज़ चल रही थी | ऐसी आवाज़ लग रही थी जैसे इंजन की चिमनी से धुआं निकल रहा हो | उसके चेहरे पर विश्वास था | नज़रों में निश्चल प्यार था | और दोनों के दिल ख़ुशी के मारे जोर जोर के धड़क रहे थे |

"इतनी देर क्यों लगाई?" उसने धीरे से मुस्कराते हुए पुछा

"माफ़ कीजिये" सूरज ने असमंजस भरे स्वर में जवाब दिया

उसने मोतियों जैसी आँखें मूँद लीं | लम्बा सा सांस लिया | आगे बढ़ी और सूरज के गालों को चूम लिया | उसके होटों का स्पर्श किसी कोमल कलि की भांति नाज़ुक था | फिर उसने सूरज को गले लगा लिया और दोनों कुछ देर के लिए कहीं खो गए |

"मुझे और कितनी देर तुम्हारे डांस के लिए पूछने का इंतज़ार करना चाहियें था?" वो फुसफुसाई

सूरज ने अपना जैकेट उतरा और उसे पहना दिया के कहीं बारिश में उसे ठण्ड न लग जाये | फिर धीरे से उसके माथे को चूमा और उसे गले से लगा लिया | प्यार से उसकी कमर पर हाथ फेरा और फिर उसकी गीली लटों को उँगलियों से सुलझाने लगा |

"मैं मरते दम तक तुम्हारा इंतज़ार करता" सूरज ने जवाब दिया

माहौल में शांति और सुकून का वातावरण बन गया | अब सारी सच्चाई साफ़ हो चुकी थी | दोनो एक दुसरे के चेहरों पर अनुराग के भावों को पढ़ चुके थे | दोनों की आत्माएं एक हो चुकी थीं | दोनों वहीँ खड़े भीगते रहे | दोनों सोच रहे थे, के वो एक दुसरे को हद्द से ज्यादा चाहते हैं और हमेशा चाहते रहेंगे |

यकायक बिजली कौंधी | सन्नाटे की चुप्पी टूट गई | दोनों को एहसास हो गया था, दोनों ही एक दूसरे के कहने का इंतज़ार कर रहे थे |

सूरज ने किरन का हाथ थामा और कहा, "चलें?"

"हाँ", उसने जवाब दिया

और इस तरह सूरज को अपनी सफ़ेद कपड़ों वाली परी, अपने सपनो की रानी मिल गई और दोनों अपनी नई दुनिया की तरफ बढ़ चले |

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इस ब्लॉग पर लिखी कहानियों के सभी पात्र, सभी वर्ण, सभी घटनाएँ, स्थान आदि पूर्णतः काल्पनिक हैं | किसी भी व्यक्ति जीवित या मृत या किसी भी घटना या जगह की समानता विशुद्ध रूप से अनुकूल है |

All the characters, incidents and places in this blog stories are totally fictitious. Resemblance to any person living or dead or any incident or place is purely coincidental.

रविवार, जनवरी 13, 2013

खुशियाँ

खुशियाँ एक शब्द - बस शब्द ही रह गया था मेरे लिए -
इसका मतलब और इसकी परिभाषा मैं भूल चूका था

कभी यादों के किसी कोने में झाँक कर देखूं
तो याद पड़ता है के शायद इस शब्द के मायने
मेरे लिए क्या हुआ करते थे ;
चॉकलेट, साहसी खेल कूद, तैराकी, जिमख़ाना, सबसे मिलना जुलना, बातें करना, खिलखिलाना, गाना बजाना, नाचना और अच्छा खाना

फिर एक दिन अचानक कुछ ऐसा हुआ
मेरा बचपन, उमीदें और खुशियाँ सब टुकड़ों में चूर चूर हो गईं
और बाकि बचा मेरे पास कुछ बिखरी, विदीर्ण, लुप्त, टूटी फूटी यादें
एक नकली हंसी और एक मुखौटा जो चेहरे पर लगाये मैं घुमने लग गया 

उस दिन से मैं अन्दर से मर गया था
अपरिवर्तनीय रूप से हमेशा के लिए बदल गया था
और मुझे पता नहीं था के मैं कभी इस ख़ुशी के मीठे स्वाद को कभी फिर से चख पाउँगा

अचानक फिर
एक दिन
एक  इंसान मिला
उससे मिलकर मानो जैसे
एक अपनेपन का एहसास हुआ
एक लगाव, एक आस
एक उम्मीद जगी 

मुलाकातें बढीं
सोहबत का असर हुआ
सोच में सुधर होना शुरू हो गया
हालत में सुधार होना शुरू हुआ है
मिलकर ख़ुशी का एहसास जागने लगा
आज की मुलाकात के बाद से
अपने आप से प्यार करना शुरू किया है
चेहरे पर मुस्कान छलकने लगी है
ज़िन्दगी फिर से चहकने लगी है
अरमान महकने लगे हैं

अग्रगमन थोडा सख्त और मुश्किल है
पर मैं कर रहा हूँ
कोशिश जारी है
शनै शनै
लौटने लग गया हूँ
उसी मोड़ पर
जहाँ ज़िन्दगी छूट गई थी
फिर से उसका हाथ थमने
और अपने नए व्यक्तित्व से
उसका तार्रुफ़ करवाने

ख़ुशी का आगमन हो रहा है
नई नवेली दुल्हन की भांति
अलता लगाये जीवन में
धीरे धीरे कदम बढ़ा कर
प्रवेश कर रही हैं और उसके साथ
सकारात्मक सोच और ओज
का स्रोत भी मिल चुका है

सहर्ष और आदरपूर्वक
स्नेहपूर्वक और ससम्मान
सादर सत्कारपूर्वक
कोटि कोटि धन्यवाद है
भाई आपका 

बस इतना कहूँगा के -

जब तुमसे से हो गई बंदगी
खुशियों से भर गई ज़िन्दगी
मिट जाएगी  मांदगी
ख़त्म समझो शर्मिंदगी
अब नई होगी छंदगी
अब नई होगी छंदगी...

खुशनुमा ज़िन्दगी जीने के कुछ आसान तरीके

आज मेरे एक बहुत ही अज़ीज़ मित्र, भाई, बंधू, भ्राता ने कहा के ज़िन्दगी में हमेशा खुश रहो | खुद को इतना मज़बूत रखो के कोई तुम्हे ग़मगीन न कर पाए । ज़िन्दगी ये सोच कर जियो के तुम ही तुम हो और तुम हर गम से ऊपर हो । यदि गम आये भी तो उससे ख़ुशी के साथ जीना सीखो | लिखो तो ख़ुशी के लिए लिखो | ऐसा लिखो जो मरते हुए मैं प्राण फूँक दे, सोते को उठा दे, रोते को हंसा दे, लंगड़े को भगा दे, अंधे को दिखा दे, दुबले को फुला दे और दुखी को सुखी कर दे | तभी लेखनी में जान आएगी | लेखन में वज़न की बहुत अहमियत है । तो वज़न लाना बहुत ज़रूरी है । तो आज से और अभी से ज़िन्दगी में यही कोशिश रहेगी के ख़ुशी का दामन थामे मस्ती की लहरों में गोते लगते हुए जीवन रुपी समुन्द्र को हंसी मजाक में तैर कर पार करूँ | लेखनी में और जान फूँक दूं और जो भी लिखूं वो आनंद देने वाला हो और दिलों को हर्षित करने वाला हो |

"भाई नुक्ते जो बतलाये थे वो दिल में नोट कर लिए हैं | और आगे भी ऐसे ही हिदायतों का और विचारों के आदान प्रदान का इंतज़ार रहेगा | जल्दी ही मिलते हैं | और जो कुछ भी आप मेरे लिए कर रहे हैं और किया है उसके लिए दिल से शुक्रिया | एक बड़े भाई की कमी हमेशा खली है मुझे | बजरंगबली ने आवाज़ सुनकर आज वो पूरी कर दी | और बजरंगबली के साथ उसमें किसी और का भी बहुत बड़ा योगदान है | आप भलीभांति जानते हैं जिन्हें मैं संबोधित कर रहा हूँ - फूपी-सा ;)  | एक बार फिर बहुत बहुत धन्यवाद् आप सब को | "

तो नुक्से कुछ इस प्रकार से हैं :
  1. अपने ज़िन्दगी को दूसरों की ज़िन्दगी के साथ तोलना बंद कर दें | जितना है उतने में संतुष्ट रहें |
  2. मेहनत करें, कोशिश करें, उपाय करें और सकारत्मक सोच के साथ जीवन व्यतीत करें |
  3. ज़िन्दगी में परेशानियों को ढूंढना छोड़ दें और जीवन में जो चीज़ें गज़ब है अदभुत है उन्हें देखने आरम्भ कर दें | 
  4. पूजा पाठ, हवन आदि घर में ज़रूर करें ।
  5. तनाव देने के लिए बहुत कुछ मिलेगा | अपना समय उन पर बर्बाद न करें | उन्हें ज़िन्दगी से जाने दें |
  6. दूसरों की तरक्की और ख़ुशी में खुश रहिये भले ही आप उनसे इर्षा करते हों |
  7. ज़िन्दगी सम्पूर्ण नहीं है | इस बात को स्वीकार करें |
  8. आप अनोखे और खूबसूरत है | इस पर विश्वास कीजिय | आप जैसे हैं वैसे ही अपने आप को प्यार करना सीखिए |
  9. ख़ुद की मदद करने का सबसे आसान तरीका है दूसरों की मदद करना |
  10. दूसरों से दिल खोल कर मिलें | नए रास्ते बनते जायेंगे |
  11. दूसरों की बात को सुनना सीखें |
  12. बुरी से बुरी समस्या में भी कम से कम, दिल में एक सकारात्मक ख्याल ज़रूर लायें |
  13. समस्याओं का समाधान भद्रता से करें | अभद्रता केवल आग में घी का काम करेगी |
  14. अपनी ऊर्जा  लड़ाई लड़ने में प्रयोग न करें | अपितु उससे अपने मनपसंद कार्य में उपयोग करें |
  15. एक के बाद एक गलती का नाम ही जीवन है | इसलिए अपने आप पर इतने सख्त न हों |
  16. जो लोग आपसे शालीनता की अपेक्षा रखते हैं उनके साथ शालीन रहें |
  17. ख़राब मिज़ाज में धैर्य से काम लें | अच्छे मिज़ाज के आने का इंतज़ार करें |
  18. अपना गुस्सा, तनाव, कुंठा, निराशा, निष्फलता को खेलकूद और व्यायाम कर के निकलें |
  19. अपने जीवन का अच्छा पहलू सदा यार रखें | उन लम्हों को अपने साथ अपनी डाईरी, डेली जर्नल, ब्लॉग या कहीं भी लिख कर सुरक्षित रखिये |
  20. तकनीक हमेशा साथ नहीं रहती इसे कबूल करें |
  21. किसी भी कार्य को भरपूर उत्साह के साथ करें |
  22. सड़क पर चलते समय राहगीरों को, अनजान चेहरों को देख कर मुस्कराएँ और दोस्तों और अपनों से फौली भरकर मिलें |
  23. कम बोलें | आलोचना तथा अप्रिय शब्दों का प्रयोग न करें |
  24. तनावपूर्ण स्तिथि में दिमाग ठंडा रखें | शांत दिमाग में जवाब आसानी से आ जायेंगे |
  25. जल्दबाजी न करें | जो भी कार्य करें बहुत सोच समझकर और अपना समय लेकर करें |
  26. हमेशा जीवन में अच्छाई के बारे में सोचें | बुराई के बारे में सोच कर अपना दिन नष्ट न करें |

शनिवार, जनवरी 12, 2013

मैं चाहता हूँ


मैं तुम्हे चाहता हूँ | तुम्हारे प्यार में पड़ना चाहता हूँ | तुम्हे पूरी शिददत से अपनी ज़िन्दगी में शामिल करना चाहता हूँ | हर तरफ तुम ही तुम हो | मेरी सोच के हर दायरे में तुम्हारा दखल चाहता हूँ | तुम्हारा हाथ पकड़ तुम्हारे साथ खड़ा रहना चाहता हूँ | तुम्हारी ज़िन्दगी में उठे तूफ़ान और बवंडरों का सामना करना चाहता हूँ | तुम्हारी जीत में, मैं भी खुशियाँ मानना चाहता हूँ | शुरू से आखिर तक मैं तुम्हारा साथ चाहता हूँ | तुम्हारी ज़िन्दगी में मैं वो शक्श बनना चाहता हूँ जिसपर तुम आँख मूँद कर ऐतबार कर सको और इस ज़िम्मेदारी के लिए मैं कोई भी कीमत चुकाने को तयार हूँ | मैं कभी भी तुम्हे धोखा नहीं देना चाहता; मैं हमेशा पूर्ण रूप से तुम्हारे साथ ईमानदार और विश्वसनीय बना रहना चाहता हूँ |

मैं वो कन्धा बनना चाहता हूँ जिस पर तुम सर रखकर सो सको | मैं वो छोटी और नर्म बाहें बनना चाहता हूँ जो तुम्हे सीने से लगा सकें जब तुम्हे उनकी ज़रुरत हो | मैं वो इंसान बनना चाहता हूँ जिसे तुम दिल से याद कर सको जब तुम्हे अनुरक्ति की ज़रुरत महसूस हो | मैं तुम्हारे जाने पर तुम्हारा इंतज़ार करना चाहता हूँ | मेरी आरज़ू है के मैं कहीं भी चला जाऊं पर वापस लौट कर तुम्हारे पास ही आऊँ | मैं तुम्हे सब कुछ देना चाहता हूँ जो भी मेरे पास है, मेरा दिल, मेरा प्यार, मेरी आत्मा, मेरा शरीर, मेरी शक्ति, मेरी भक्ति और मेरा अनुराग | मैं चाहता हूँ के तुम मेरे दिल को देखो और समझो और मुझे अपना प्यार दो | मुझे तुम्हारी कमियों और ख़ामियों से कभी कोई फर्क नहीं पड़ा | अगर मेरी नज़र से देखो तो वो कमियां तुम्हे परिपूर्ण बनती हैं | मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता के तुम्हारा को माज़ी है या था | मैं हमेशा तुम्हारे साथ चलने के लिए तयार हूँ और इन सब को साथ लेकर चलने के लिए | फिर चाहे इनकी गहराई में संसार डूब जाये या फिर मैं |

मैं तुम्हारे साथ रातों को झगड़ना चाहता हूँ | तुम्हारी टी-शर्ट की खुशबू में मदहोश होकर तुम्हे अपने करीब ला अपनी बाहों में जकड़ना चाहता हूँ | मैं तुम्हे अपने से दूर जाने नहीं देना चाहता | तुम्हारे नर्म नाज़ुक गालों को कोमल हाथों में लेकर मैं धीरे से चूमना चाहता हूँ | तुम्हारी सोई पलकों पर में धीमे से अपने अंगूठे को फेरना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे खर्राटों से परेशां होकर जब तक जागना चाहता हूँ जब तक तुम मेरा नाम लेकर न बुदबुदाने लग जाओ | तुम्हारे बर्फ से ठन्डे नाज़ुक पैर जो मुझे रात को छूते हैं मैं उनकी शिकायत तुमसे करना चाहता हूँ | मैं तकियों को लेकर तुमसे लड़ना चाहता हूँ | मैं तुम्हे हर उस तरह से प्यार करना चाहता हूँ जितनी मूर्तियाँ खजुराहो में हैं | मैं तुम्हारे हर एक कण को रेशे को प्यार करना चाहता हूँ क्योंकि वही तुम्हे बनाते हैं जो आज तुम हो | मैं तुम्हारी बाहों में रहना चाहता हूँ जब भी मैं उदास होता हूँ या आहत होता हूँ | मुझे उन बाहों में एक सुकून और महफ़ूज़ होने अहसास होता है | मैं चाहता हूँ जब भी मैं रोऊँ, कमज़ोर पड़ जाऊं या कभी मेरा दिल टूट जाये तो तुम्हे वो इंसान हो जो मुझे संभाले और मेरे कानो में धीरे से फुसफुसा कर कहें "डरो मत सब ठीक है, मैं हूँ" | मैं तुम्हे दिली अमन, चैन और सुकून अदा करना चाहता हूँ |

मैं तुम्हारे अंदाज़ और हरकतों पर जोर से हँसना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे घट्ठेदार चुटकुले और अकथनीय रूप धारण करने पर हँसना चाहता हूँ क्योंकि वो वास्तव् में बहुत ही मज़ाकिया होते हैं ये बात अलग है मैंने आज तक तुमसे इसके मुतालिक कभी खुलासा नहीं किया है | मैं तुम्हे मक्कारी वाली हंसी के साथ मुझे अजीब अजीब नामो से पुकारते हुए देखना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ बैठ कर अपनी और तुम्हारी ज़िन्दगी के बारे में नए नए विचार और सोच बांटना चाहता हूँ | जिन्हें याद कर कर के मैं आखरी दम तक हँसता और मुस्कराता रहूँ | मैं दिनभर तुम्हे अनगिनत सन्देश भेजना चाहता हूँ जो की सिर्फ तुम और मैं ही समझ सकें और जिनका मतलब भी हम दोनों के सिवा कोई और न जान सके | मैं चाहता हूँ तुम उन संदेशों को पढ़कर तब तक हंसती रहो जब तक तुम्हारी आँखों में पानी न छलक जाये और आस पास सभी तुमसे सवाल करने लगें "क्या हुआ, क्या हो गया, इतना मज़ेदार क्या है ?" और तुम उन्हें कुछ भी बयां न कर पाओ और जोर जोर से हंसती रहो जब तक वो यह न समझें के तुम बावली हो गई हो | मैं तुम्हारी मुस्कराहट बनना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ राजनीती, कूटनीति, देश, समाज, घटनाएँ, सुख, दुःख, मान, सम्मान, बड़ी, छोटी, प्यार, ज़िन्दगी, दिन, रात, आकर्षण, जीवन, प्रेम, मरण और भी न जाने क्या क्या, इसका अर्थ समझना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे और अपने बीच प्यार का एक नया फ़लसफ़ा इजाद करना चाहता हूँ | मैं तुम्हे साथ जीवन के कुछ बहुत ही महत्त्व और ज़िन्दगी बदलने वाले फ़ैसले लेना चाहता हूँ |

मैं हर पल में तुम्हारा साथ देना चाहता हूँ, तुम्हारे लिए फेवर करना चाहता हूँ पर ये कहते हुए के, "ओके...बट यू ओ में," इसलियें नहीं के इसकी एवज़ में मुझे कुछ चाहियें, अपितु इसलिए के इसके बदले में मुझे तुम्हारे साथ और ज्यादा वक़्त बिताने का मौका मिल जायेगा | मैं कभी कभी तुम पर इतना गुस्सा करना, झल्लाना चाहता हूँ के अंत में मुझे वो शर्म वाली भावना आये और मैं तुमसे अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगूं | और मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करो | मैं चाहता हूँ के तुम अपनी बड़ी बड़ी आँखों को गोल गोल घुमाकर मेरी तरफ़ा देखकर मुझे कहो के "यार, माफ़ करो, मेरा पीछा छोड़ो" जब मैं तुम्हे हद्द से ज्यादा परेशान करूँ और बदले में मैं तुम्हारे पास आकर धीरे से तुम्हे चुटकी काट लूं | मैं चाहता हूँ के तुम भी वापस मुझे चुटकी काटो | मैं चुटकी काटने की एक छोटी से जंग लड़ना चाहता हूँ | मैं चाहता हूँ के तुम मुझसे कहो के मैं गलत कर रहा हूँ जिससे मैं दोबारा से चुटकी काट सकूँ और यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहे | मैं तुम्हारे साथ बैठक में कुश्ती लड़ना चाहता हूँ और तुम्हे चित्त कर ज़मीन पर गिराकर मैं तुम्हे बड़ी चाह से देख कर चिढाना चाहता हूँ "मैं जीत गया, मैं जीत गया" | जबकि ये हुम दोनो जानते हैं के ये तुमने मुझे सिर्फ इसलिए करने किया जिससे हम साथ में ज़िन्दगी का एक और प्यारा सा नज़ारा ज़िन्दगी भर के लिए अपनी स्मृतियों में याद रखें |

मैं अपना सर तुम्हारे कंधे पर रखना चाहता हूँ इसलिए नहीं के मुझे नींद आ रही है पर इसलिए के मैं चुपचाप से तुम्हारे करीब आना चाहता हूँ | मैं चाहता हूँ के तुम मुझे पीछे से आकर अचानक पकड़ लो और मोहकता से लुभाते हुए मेरे कंधे को चूम लो | मैं तुम्हारी गर्दन के पीछे अपना चेहरा छिपाकर अचानक से अपनी पलकों से तुम्हे गुदगुदाना चाहता हूँ | मैं चाहता हूँ तुम मेरी इस हरकत के लिए तुम मुझे "बेवक़ूफ़" कहो और फिर धीरे से कहो, "पर इन सभी हरकतों के लिए मैं तुम्हे चाहती हूँ और तुमसे बेंतेहा बेशुमार प्यार करती हूँ" | मैं सारा शनिवार और इतवार तुम्हारे साथ एक चादर में एक ही आधार में बिताना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ अच्छी, बुरी, मीठी, खट्टी, बेतुकी, मज़ेदार, हस्याद्पद, उपहास योग्य, मूर्खतापूर्ण, विचित्र, बदमाश, नटखट, नाज़ुक, और न जाने कैसी कैसी यादें बनाना चाहता हूँ जिन्हें हम आपस में अपने अकेले समय में बाँट सकें और अपनी अपनी प्रतिक्रिया एक दुसरे से कह सकें |

तुम्हारे न होने पर मैं दर्द में तड़पना चाहता हूँ; अपने दिल की गहराई में उस पीड़ा को महसूस करना चाहता हूँ | तुम्हारे चले जाने पर में अपने आपको इस दुनिया का सबसे अकेला इंसान होना कैसा लगता है वो महसूस करना चाहता हूँ | और तुम्हारे वापस आने की वो बेक़रारी मैं ख़ुशी से महसूस करना चाहता हूँ | मुझे यह अच्छी तरह से जानकारी है के मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरी हो | और मैं तुम्हे ये बताना चाहता हूँ के मैं हमेशा तुम्हारे पीछे हूँ जिसे तुम कभी भी मुड़कर देख सकती हो और हमेशा अपने पास पाओगी | अगर किसी को हमारा साथ पसंद न भी हो तब भी मैं तुम्हारा हाथ थामे रहूँगा | मुझे हर वो तनाव, निराशा और कुंठा चाहियें जो मुसीबत के समय में एक रिश्ते में होती हैं क्योंकि इनसे पता चलता है के आप संबद्ध है | मैं चाहता हूँ तुम हमेशा मेरे साथ रहो बावजूद इस कारण के कुछ लोग हमारे खिलाफ खड़े है | मैं उन सब स्तिथियों का सामना तुम्हारे साथ मिलकर करना चाहता हूँ | मैं अपनी बाकि की सारी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ पर मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे साथ अपने भविष्य के बारे में सोचो | मैं तुम्हे ज़िन्दगी में आगे बढ़ते देखना चाहता हूँ | न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि मैं तुम्हे जीवन को खुल के पूरी तरह से ख़ुशी के साथ जीते हुए देखना चाहता हूँ | मैं ये आश्वासन चाहता हूँ के तुम अपनी संभावित ज़िन्दगी खुल कर अपनी शर्तों पर जियो और मुझे उस पर गर्व हो जिस तरह मुझे तुम पर गर्व है |

मैं तुम्हारे साथ युवा प्रेम का अनुभव करना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ हाथ में हाथ डाल कर लोगों के बीच घूम कर उन वयोवृद्ध जोड़ों को सुनना और देखना चाहता हूँ जो जवानों के बारे में बातें करते हैं और उनकी खामियां निकलते रहते हैं | मैं चाहता हूँ के तुम मुझ खूब पर जोर से हंसो जब मैं तुमसे कहूँ, "देखो कभी हम दोनों भी इनकी जगह होंगे और ऐसे ही बातें करेंगे" | मैं चाहता हूँ के मैं और तुम मिलकर एक पूरा दिन अपनी गाडी धोने से शुरू करें और मैं पानी के पाइप से तुम्हारे चेहरे पर पानी छिड़क दूं और तुम्हे गीला कर दूं और तुम मेरे पीछे भागो और मुझे ज़मीन पर गिरा दो और साबुन की बाल्टी मेरे सर पर उंडेल दो | मैं चाहता हूँ हम साथ में बैठ कर हॉरर मूवी देखने और जब तक देखने मैं मशगूल रहें जब तक हमें एहसास न हो के अब डर के मरे सोयेंगे कैसे | मैं चाहता हूँ के तुम मेरे पास चुपचाप बैठो और मुझे गिटार बजाते हुए वो गीत और कवितायेँ गाते देखो जो मैंने तुम्हारे लिए लिखे हैं | मैं चाहता हूँ के तुम ऐसा सोचो के मेरे से अच्छा तुम्हारे लिए कोई और लिख नहीं सकता | मैं चाहता हूँ के मेरे गीत, मेरे बोल तुम्हे रुला दें और मैं धीरे से तुम्हारे आंसू पोछ दूं | मैं चाहत हूँ के इसके बाद मैं तुम्हारा फ़ायदा उठाऊं और मैं चाहता हूँ के तुम भी यही चाहो के मैं तुम्हारा फायदा उठाऊं | और बदले में मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरा फायदा उठाओ |

मैं चाहता हूँ के हम दोनों चुपचाप के स्वच्छंद, सुविधापूर्ण, आरामदायक ख़ामोशी में बैठे रहे | वहां मैं चुपचाप बिना तुम्हारे जाने तुम्हारा एक चित्र बनाऊं | मैं चाहता हूँ के तुम्हे मालूम हो के मैं क्या कर रहा हूँ पर फिर भी तुम ख़ामोश रहो ताकि वो पल ख़त्म न हो जाए | मैं तुमसे घंटो बैठ कर फ़िज़ूल की बातें करना चाहता हूँ और तुम्हारी उलूल जुलूल बातें सुनकर उन पर धीरे से मुस्कराना चाहता हूँ | अख़बार में आये क्रॉसवर्ड पजल सोल्वे करना चाहता हूँ और कार्टून स्ट्रिप देख देख कर मजाक करना चाहता हूँ | मैं तुम्हे हँसते और मुस्कराते देखना चाहता हूँ क्योंकि इसी एक कारण की वजह से मैं बार बार तुम्हारे इश्क में गिरना चाहता हूँ | मैं अपनी आँखों से तुम्हे अनाभूषित और असज्जित होते देखना चाहता हूँ |

मैं चाहता हूँ के तुम मुझे समझाओ के तुम्हे शृंगार की ज़रुरत नहीं है क्योंकि तुम बिना उसके भी बेहद खूबसूरत दिखती हो | ये बात दीगर है के तुम्हारी उस ख़ूबसूरती को देखकर बहार बच्चे डर के मारे खाना पीना छोड़ देते हैं | मैं चाहता हूँ के तुम मुझे बताओ के जब तुमने अपनी नाक छिदवाई थी और कान छिदवाए थे तब तुम्हे कितना दर्द हुआ था | और मुझसे पूछ के टैटू बनवाते वक़्त मुझे कैसा लग रहा था | मैं तुमसे छोटी छोटी चीज़ों पर झगड़ना चाहता हूँ जैसे कौन सा फ.म रेडियो चैनल सुनना है या फिर टीवी पर कौनसी पिक्चर देखनी है | मैं तुम्हारे साथ बहस करना चाहता हूँ के डोमिनोस का पिज़्ज़ा खाने चला जाये या फिर मकडोनालड का बर्गर जब तलक हम दोनों एकमत न हो जाएँ के आज तो लोटन के छोले कुलचे खाने चलते हैं क्योंकि हम दोनों में से किसी को भी अंग्रेजी खाना पसंद नहीं है | मैं चाहता हूँ के तुम मेरे साथ विडियो गेमस खेलो जिस तरह मैं तुम्हारे साथ घर के काम में हाथ बंटाता रहता हूँ | मैं चाहता हूँ के मैं तुम्हे अपने पसंदीदा खेल खेलना सिखाऊं और तुम अचानक एक दिन मुझे उसमें हरा दो | और मैं चाहता हूँ के तुम इसके बारे में शेखी बघारना शुरू कर दो और कहो के, "यह कोई नौसिखिये का लक नहीं है ये तो मेरी मेहनत से मिली सफलता है" | और फिर मैं तुम्हारे साथ मुक़ाबला करना शुरू कर दूं | और मैं तुम्हारे साथ नई नई चीज़ों पर शर्तें लगाना शुरू कर दूं |

मैं चाहता हूँ के तुम्हे साथ एक बढ़िया सा सालसा डांस करूँ | बार मैं बैठकर तुम्हारे साथ मदिरा पान करूँ और यह देख कर खुश हो जाऊं के तुम मेरे लिए ज़रुरत से ज्यादा फिक्रमंद हो के कहीं मुझे कुछ हो न जाए | मैं चाहता हूँ के हमारी इस बात को लेकर बहुत नोकझोंक हो और हम फ़िज़ूल की बातों पर बहस करें जिनका कोई मतलब नहीं हो | फिर घर आकर तुम्हे मानाने के लिए मैं तुम्हे प्यार करूँ | मैं चाहता हूँ के तुम्हारे दोस्त मुझे पसंद करें | मैं चाहता हूँ के मैं तुम्हे रोज़मर्रा के काम करते देख निहारता रहूँ | मूल रूप से स्वभावतः मैं हर पल तुम्हारे साथ व्यतीत करना चाहता हूँ | मैं सिर्फ तुम्हारे साथ रिश्ता बनाना चाहता हूँ और किसी के साथ नहीं | मुझे मालूम है के मैं अक्सर मीन मेख नीकालता हूँ और मेरे में बहुत सी कमियां है पर तुमने मेरे दिल को कुछ इस तरह से छुआ है जैसे पहले कभी किसी ने नहीं छुआ और अब तुम्हारे प्यार में जो मैं गिर पड़ा हूँ तो अब उठ नहीं सकता और सिर्फ तुमसे ही प्यार कर सकता हूँ | मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे इस सच को स्वीकारो और अपने प्यार का इज़हार मेरे से कुछ ऐसे ही अंदाज़ में करो | मैं हमेशा तुम्हे ऐसे ही चाहूँगा बिना किसी शर्त के क्योंकि अब तो बस तुम हो और तुम्ही हो दूसरा कोई नहीं | मैं सोचता हूँ के जीवन में हर एक को तुम्हारे जैसा प्यार मिलना चाहियें क्योंकि तुम सिर्फ तुम हो और तुम मेरी हो सिर्फ मेरी |

मैं चाहता हूँ के मैं तुम्हे अपने इस प्यार का एहसास इस तरह से करवाऊं के तुम उससे स्वीकार करो, समझो, और सबसे बड़ी बात जो खास है वो ये के तुमने कभी ख्वाबों में ही ऐसे प्यार की परिकल्पना नहीं की होगी इसलिए मैं चाहता हूँ के तुम भी मुझे ऐसे ही शिददत से चाहो और अपना लो |

इन्ही सभी उपमाओं, विचारों और प्रेमालाप से भरी सोच के सपने देखता लोटन अपनी खाट पर पैर पसारे घोड़े बेच कर सो रहा था के तभी अचानक मालिक ने आकर एक ज़ोरदार और झन्नाटेदार लात उसके पिछवाड़े पर जमा दी और कहा के, "हरामखोर आज क्या सोता ही रहेगा, काम पर नहीं जायेगा क्या? देख कितना दिन चढ़ आया है, सूरज सर पर नाच रहा है और तू सपनो में बकड़ बकड़ का कर रहा है और फिलम बना रहा है" |

लोटन बेचारा आधी खुली और आधी बंद भौंचक्की और अलसाई आँखों से तुरंत उठ खड़ा हुआ और लडखडाता, डगमगाता, बडबडाता जी मालिक.. जी मालिक करता हुआ रसोई की ओर निकल गया |

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ये कहानी लेखन का मेरा प्रथम प्रयास था । उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगा और आशीर्वाद प्राप्त होगा । कोई त्रुटी हो गई हो तो क्षमा चाहूँगा और आपके सुझाव और विचार सादर आमंत्रित हैं । 

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इस ब्लॉग पर लिखी कहानियों के सभी पात्र, सभी वर्ण, सभी घटनाएँ, स्थान आदि पूर्णतः काल्पनिक हैं | किसी भी व्यक्ति जीवित या मृत या किसी भी घटना या जगह की समानता विशुद्ध रूप से अनुकूल है |

All the characters, incidents and places in this blog stories are totally fictitious. Resemblance to any person living or dead or any incident or place is purely coincidental.

रविवार, जनवरी 06, 2013

पुत्र मोह या मोक्ष मोह

हे पुत्र तुम्हारे कंदन में
शायद
किसी के
सहारे की
या
किसी को
कर्त्तव्य एहसास
करने की
शक्ति थी
तभी तो
मैं
अपनी समृद्धि
के बाद भी
न भूल
पायी
वो आँखें
वो सपना
वो घर
जिसका खोजना
शायद
भगवन के
लिए भी
मुश्किल था
जहाँ
सूरज को भी
आते जाते
शाम हो जाती है
पर उस
उत्तम घर का
स्वामी एक
रत्न है
जिसकी चमक शायद
सूरज से
ज्यादा भी
तभी तो, मैं
अनजाने
परिवेश में
उस को पा गई
तुम्हारे कंदन में
मेरे हृदय की धड़कन
मानो खुद भी
कंदन करने
लगती है
आँखे पथराई सी
धड़कन को
देखना चाहती हैं
सुनना चाहती हैं
पर पुत्र वो
चाहती हैं, अपना
छोड़ा हुआ, वो
सलोना सा मुखड़ा
जिसमें मेरे
दोनों जहाँ थे
अब अपने
कंदन को
कर्म बना डालो
दे दो मुक्ति
मेरे ह्रदय की
धड़कन को
जो शरीर के
रहते भी
उसको विचलित
किये रखती है
मन मस्तिष्क को
मैं तुम्हें
अपार स्नेह स्वरुप
उपहार में देती हूँ
क्योंकि ये शरीर
तुम्हारी ममतामयी का नहीं है

बुधवार, जनवरी 02, 2013

नव वर्ष की शुभकामनायें


नया साल

मतलब

नयी आकंशायें
उन सभी चीज़ों के लिए
जिनकी मैंने कामना की है
और जो मुझे चाहियें

अपने हर सपने
अपनी हर सुखद धारणा
को बिना डरे प्रवाहित करना

ज़िन्दगी को एक बार फिर से
नयी उमंगों से भर कर
जीने का मौका देना

उन सभी गलतियों को
फिर से न दोहराना
जो मैंने अपने जीवन के
अब तक के अनुभवों से
सीखी हैं

अपने समाज को
सुरक्षित महसूस करवाना
और किसी भी अनहोनी का
मिलकर सामना करना

थोडा और बुद्धिमान
थोडा और सुदृढ़
बनकर जीवन के
नए पथ पर चलना

नव वर्ष
आरम्भ हो चुका है
अब समय है
पीछे मुड़कर न देखने का
केवल आगे देखकर
विजय पथ पर बढ़ने का
इस सोच के साथ के
ये साल मेरी ज़िन्दगी में
सर्वश्रेष्ठ समय लेकर आएगा

मेरी ओर से
मेरे सब मित्रगण
मेरे सभी शत्रुगण
मेरे सभी सहयोगी
मेरे सभी असहयोगी
मेरे सभी परिचित
मेरे सभी अपरिचित
मेरे सभी ज्ञानियों
मेरे सभी अज्ञानीयों
मेरे सभी चाहनेवाले
मेरे सभी नाचाहनेवाले
मेरे सभी देशवासियों
मेरे सभी विदेशवासियों
को नव वर्ष की
शुभकामनायें

आप सभी का नया साल मंगलमय हो ...!

गुरुवार, दिसंबर 27, 2012

भारतीय नारी

ये कविता लिखी गई थी मेरे शुरुवाती शिक्षा के दिनों में | स्कूल मैगज़ीन के लिए मेरा छोटा सा प्रयास था यह उम्मीद भी नहीं थी के यह प्रकाशित होगी परन्तु करिश्मा हुआ और मेरी कविता को छपने का मान मिला | इसलिए आपके साथ आज इसे साँझा कर रहा हूँ |

मुझसे पुछा किसी ने
क्या बताओगे तुम मुझे
मेरी कविता का क्या है विस्तार ?
मेरी कविता का कौन है आधार ?
व्यक्तित्व सम्मोहक
स्वाभाव में शीतलता
अस्तित्व जिसका ममतामयी
छवि भावनात्मक
हृदय में केवल प्रेम, प्यार और दुलार है
काया जिसकी कोमल
एहसास जिसका निर्मल
अपने में परिपूर्ण
चाहत और स्नेह का
जिसके पास भंडार है
जो औरों को समर्पित
जिसके अंचल में बचपन
बाहों में सुन्दर जवानी
जीवन के अंतर्गत में
इन आँखों का मायावी संसार है
क्रोध में ज्वाला
आंसू में शक्ति है
गरिमा मन सम्मान बनाये रखने के लिए
जो हर एक क्षण तलवार है
संसार में इतनी उत्क्रष्ट छवि
जो सचमुच ही महान है
बलिदानों की मूरत है
सत्य का पर्याय है
वो सिर्फ भारतीय नारी है
ऐसा मेरा विचार है 

What are you ?

On the walls of many American walls hangs a plaque commemorating the statement of the late President John F. Kennedy: 

"Ask not what your country can do for you, But ask what you can do for your country"

This statement appeared in an article written by Khalil Gibran in Arabic, over fifty years ago. The heading of this article can be translated either as " The New Deal" or "The New Frontier". Gibran's words when translated from Arabic into English are as follows: 

"Are you a politician asking - What your country can do for you or A zealous one asking What you can do for your country".

If you are the first, then you are a Parasite;
If you are the second, then you are an Oasis in Desert. 

शर्मा से शर्मना नहीं

परीक्षा में नक़ल करते एक छात्र को
अध्यापक ने पकड़ा
हाथों में जकड़ा
फिर घुर्रा कर कहा
बदमाश नकल करता है
शर्म नहीं आती
पढाई के वक्त मरता है
हाथों से कापी ली झपट
लिखने लग गए रपट
छात्र ने पहले अपना नाम
फिर अपने पिताजी का नाम
बतलाया
अध्यापक चूँकि था शर्मा
इसलिए
पीछे शर्मा लगाया
शर्मा सुनकर
पहले अध्यापक घबराये
फिर
मुस्कराए और बोले
अरे तो तुम्ही हो
उन शर्माजी के लाल
जिनके हैं
दो कारखाने
तीन फक्ट्रियां
और
चार हैं निजी अस्पताल
तुमने मुझे
पहले क्यों नहीं बताया
माफ़ी चाहूँगा बहुत
समय गंवाया
लो बेटा किये जाओ नक़ल
अब न दूँगा मैं कोई दखल
कुछ चाहियें तो बतला देना
हिचकिचाना नहीं
शर्मा होकर
शर्मा से शर्मना नहीं...


मंगलवार, दिसंबर 18, 2012

Life Is

Life is a 'Goal', reach it
Life is a 'Promise', fulfill it 
Life is a 'Opportunity', utilize it 
Life is a 'Journey', complete it
Life is a 'Game', play it
Life is a 'Duty', perform it
Life is a 'Struggle', accept it
Life is a 'Challenge', meet it
Life is an 'Adventure', dare it
Life is a 'Mystery', unfold it
Life is a 'Dream', realize it
Life is a 'Song', sing it
Life is a 'Flower', smell it
Life is a 'Beauty', worship it 
Life is a 'Love', enjoy it
Life is a 'Bliss', taste it
Life is a 'Battle', fight it
Life is a 'Test', pass it
Life is a 'Horrible', fear it
Life is a 'Problem', solve it
Life is a 'Trouble', face it
Life is a 'Joke', laugh on it
But still.....
Life is Life, so Live it.

ममत्व

इस रसहीन जगत में
इस मरुस्थल  जैसे जगत में
एक ममत्व का रस
शोरगुल में
खोया जाता है
माँ से या बच्चे से ?
नहीं जानती मैं
नहीं जानती
अधिकारों में
या
कर्त्तव्य की बेदी
पर मैं
खुद भी
आंसू लिए
खोजती हूँ
अपने ममत्व को
आशीर्वाद भरे
उस आलिंगन को
ममता के
उस हाथ को
जो फेरा था
कभी उसके सर पर
उस सिहरन को
जो मेरे लाल के
पास होने से
आती थी
उस चाँद को
जिसकी याद में
ये जीवन एक तड़प
एक प्यास ही रह जायेगा
कोई प्रश्न कोई उत्तर
किसी के पास
नहीं है
क्योंकि ममता
एक सपना तो नहीं
संतान का मोह
कहीं मोक्ष का
द्वार तो नहीं
नहीं जानती, नहीं जानती