मंगलवार, अप्रैल 19, 2011

एहसास

दिल में एहसास 
अब बदल रहे हैं
बदलते हालातों का असर है
शायद
यह सिलसिला यूँ ही हर दफा
ऐसे ही चलता रहेगा 
जब तक अंजाम  पर 
न पहुच जाये ज़िन्दगी 
अकेले बैठ कर देख रहा हूँ 
अपने हाथों की लकीरों को
कोई नहीं है यहाँ 
जो मेरी  पेशानी को चूम ले 
उस सोंधे से एहसास का 
दीदार करा दे 
कोई तो हो कहीं 
जो मेरे दिल को समझ सके 
दिलों में बदलते एहसास को 
अब क्या कहूँ 
वक़्त बदलता रहता है 
उम्र भी ढलती रहती है मुसलसल 
यह फलसफा मालूम है सबको 
मगर इस सूने से 
कमरे में बैठ कर
हर वक़्त यही सोचा करता हूँ 
यह सिलसिला कब तक और चलेगा
कोई शायद कभी तो आएगा और
फिर अपने सोच के गलियारों से 
मैं बहार आ पाउँगा
नहीं देखूंगा
अपने हाथ की रेखाओं को 
बस उसके एहसास में डूब जाऊंगा 
अपनी इस वीरान ज़िन्दगी से 
बे-परवाह हो जाऊंगा ...... 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया किसी प्रकार का विज्ञापन टिप्पणी मे न दें। किसी प्रकार की आक्रामक, भड़काऊ, अशिष्ट और अपमानजनक भाषा निषिद्ध है | ऐसी टिप्पणीयां और टिप्पणीयां करने वाले लोगों को डिलीट और ब्लाक कर दिया जायेगा | कृपया अपनी गरिमा स्वयं बनाये रखें | कमेन्ट मोडरेशन सक्षम है। अतः आपकी टिप्पणी यहाँ दिखने मे थोड़ा समय लग सकता है ।

Please do not advertise in comment box. Offensive, provocative, impolite, uncivil, rude, vulgar, barbarous, unmannered and abusive language is prohibited. Such comments and people posting such comments will be deleted and blocked. Kindly maintain your dignity yourself. Comment Moderation is Active. So it may take some time for your comment to appear here.