दिल में एहसास
अब बदल रहे हैं
बदलते हालातों का असर है
शायद
यह सिलसिला यूँ ही हर दफा
ऐसे ही चलता रहेगा
जब तक अंजाम पर
न पहुच जाये ज़िन्दगी
अकेले बैठ कर देख रहा हूँ
अपने हाथों की लकीरों को
कोई नहीं है यहाँ
जो मेरी पेशानी को चूम ले
उस सोंधे से एहसास का
दीदार करा दे
कोई तो हो कहीं
जो मेरे दिल को समझ सके
दिलों में बदलते एहसास को
अब क्या कहूँ
वक़्त बदलता रहता है
उम्र भी ढलती रहती है मुसलसल
यह फलसफा मालूम है सबको
मगर इस सूने से
कमरे में बैठ कर
हर वक़्त यही सोचा करता हूँ
यह सिलसिला कब तक और चलेगा
कोई शायद कभी तो आएगा और
फिर अपने सोच के गलियारों से
मैं बहार आ पाउँगा
नहीं देखूंगा
अपने हाथ की रेखाओं को
बस उसके एहसास में डूब जाऊंगा
अपनी इस वीरान ज़िन्दगी से
बे-परवाह हो जाऊंगा ......
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