मंगलवार, अप्रैल 12, 2011

ज़ख़्म

कहते हैं 
समय हर ज़ख़्म 
को भर 
देता है 
पर, क्या ?
समय 
उस ज़ख़्म के 
निशानात को 
मिटा भी देता है ?
ऐसा 'निर्जन'
नहीं सुना है 
समय
तू अगर 
ज़ख़्म भरता है 
तो उस पर
एक एहसान 
और कर 
उसके निशानात 
को भी 
मिटा दे 
तब सब कहेंगे 
समय बलवान 
ही नहीं 
ग़मसार भी है .....

2 टिप्‍पणियां:

  1. जख्म को मत छेड़ो
    सूखते समय
    बैचैनी होती ही है
    नाखून लगाने से
    निशान रह जाते हैं ....
    God Bless U ....

    जवाब देंहटाएं
  2. सच कहा आपने
    समय जख्म तो भर देता है मगर कितना भी हो उन जख्मों को भुलाया नहीं जा सकता
    बहुत खूब, बढ़िया !

    जवाब देंहटाएं

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