शनिवार, अप्रैल 18, 2020

ग़ज़ल

ग़ज़ल
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शब-ए-हिज्र तो किसी तौर गुज़र जाएगी
रात गहरी है तेरी याद बहुत आएगी //१
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मेरे होठों पे तेरा इश्क़ दहकता है अभी
इन सांसों में तेरा लमस महकता है अभी //२
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मेरे सीने में तेरा नाम धड़कता है अभी
इन बाहों में तेरा हुस्न भड़कता है अभी //३
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तेरी आवाज़ का एजाज़ है सिर्फ़ मेरे लिए
तेरे मल्बूस की ख़ुशबू है सिर्फ़ मेरे लिए //४
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तेरी बाहें तेरा सू-बा-सू है सिर्फ़ मेरे लिए
तेरे गेसू तेरा गुल-रू है सिर्फ़ मेरे लिए //५
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जान करने को मेरे पास बहुत कुछ है अभी
यूँ तो कहने के लिए ख़ास बहुत कुछ है अभी //६
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इश्क़ हैरां है सर-ए-सहर-ए-सबा क्या होगा
मेरे क़ातिल तेरा अंदाज़-ए-वफ़ा क्या होगा //७
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आज की रैन तो किसी तरह बीत जाएगी
कल की सुबह इक नया रंग-ए-वफ़ा लाएगी //८
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सोचता हूँ कल तुझ से मुलाक़ात के बाद
हौसला-ओ-उम्मीद मेरी और संवर जाएगी //९
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हुस्न आएगा और बस आके ठहर जाएगा
जीत होगी जब यार आग़ोश में आ जाएगा //१०
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आह! ये लील तो जैसे-तैसे गुज़र जाएगी
कल यक़ीनन बराए नाम मेरे लिखी जाएगी /११
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लमस - स्पर्श
एजाज़ - जादू, आदत
मल्बूस - लिबास, कपड़े
गेसू - ज़ुल्फ़
सू-बा-सू - यहाँ और वहाँ
गुल-रू - गुलाबी चेहरा
लील- रात

- तुषार रस्तोगी 'निर्जन'

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सोमवार, अप्रैल 13, 2020

ग़ज़ल

ग़ज़ल
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करते हैं इश्क़ मगर मेरा नाम नहीं लिख सकते
वो कौन हैं मेरे ये सर-ए-आम नहीं लिख सकते //१
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यूँ तो रोज़ करते हैं गुफ़तगू कई-कई घंटो मुझसे
इक ज़रा सा वक़्त वो मेरे नाम नहीं लिख सकते //२
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उन की अदायें कभी मेरी समझ में नहीं आतीं
वो क्या आंखों को कभी जाम नहीं लिख सकते //३
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कहते हैं तुम गर चाहो तो मेरा जहाँ ख़रीद लो
कहते हैं सब मगर बस दाम नहीं लिख सकते //४
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सोच रहा हूँ क्यों न अब मैं भी भुला दूँ उनको
वो तो चाह कर भी अंजाम नहीं लिख सकते //५
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जितना इस इश्क़ ने मुझे कर दिया है अब तक
ख़ैर उतना भी मुझे बदनाम नहीं लिख सकते //६
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- तुषार रस्तोगी 'निर्जन'
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ग़ज़ल

ग़ज़ल
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ये दुनिया के लोगों से, क्यों आस लगाए रहता हूँ
अपनी मर्ज़ी का मालिक, मैं रौब जमाए रहता हूँ //१
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महफ़िल में शामिल रह कर, मैं रंग जमाता रहता हूँ
गुज़रे माज़ी के पन्नो पर, मैं ख़क उड़ाता रहता हूँ //२
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ये रस्ता मुझ से वाक़िफ़ है, मैं आता-जाता रहता हूँ
हाल सुनाना मुश्किल है, मैं शेर सुनाता रहता हूँ //३
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ये रस्म-ए-दुनिया-दारी है, मैं हाथ मिलाता रहता हूँ
ये आलम एक छलावा है, मैं जान छुड़ाता रहता हूँ //४
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परेशां होना बिमारी है, मैं फ़िकर जताता रहता हूँ
आने वाले हर लम्हे का, मैं जश्न मनाता रहता हूँ //५
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- तुषार रस्तोगी 'निर्जन'
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मंगलवार, अप्रैल 07, 2020

ग़ज़ल १

ग़ज़ल
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रौशन हुआ है आज अक्स माहताब का
उतरा है मेरी रूह में जलवा शबाब का //१

उसकी अदाएँ मेरी नज़रों में बस गईं
आग़ाज़ था ये इश्क़ की पहली बहार का //२

बेनूर हो गया था जो तूफ़ानी बयार में
शबनम गिरी तो खिल उठा चेहरा दयार का //३

मुस्करा के 'निर्जन' इश्क़ की राह चल दिया
मंज़र जो देखा फ़लक़ पर उस आफ़ताब का //४

बीती हुई फ़स्ल की तक़लीफ़ों को भूल जा
अब आया है देख मौसम वस्ल-ए-यार का //५

- तुषार रस्तोगी 'निर्जन'















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सोमवार, अप्रैल 06, 2020

नज़्म: चाहता हूँ मैं

चाहता हूँ मैं 
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नज़रों के समंदर का ठिकाना चाहता हूँ मैं 
मुझे तुझ से मोहब्बत है बताना चाहता हूँ मैं //१

अब ज़ाया लगती है हर मौसम की शादाबी
तुझे अपनी सांसो में बसाना चाहता हूँ मैं //२

ये दिल धड़कता है मेरे दम से लेकिन 
तेरे इश्क़ से दुनिया सजाना चाहता हूँ मैं //३

ख़ुद से भी ज़्यादा तुझ में अक़िदत है
तेरे क़रीब आने का बहाना चाहता हूँ मैं //४

आशिक़ी जताने का ये मौक़ा अच्छा है
तुझे फ़क़्त इतना ही बताना चाहता हूँ मैं //५

शादाबी - सरसब्ज़, हरियाली
अक़ीदत - भरोसा

 - तुषार रस्तोगी 'निर्जन'

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शुक्रवार, अक्तूबर 11, 2019

गुरुवार, जून 28, 2018

अर्ज़ किया है



















...
ज़िक्र करते हैं तेरा इस कदर अलफाज़-ए-'निर्जन'
दुनिया शायरी को मेरी जुनूँ-ए-इश्क़ कहती है आज

Zikr karte hain tera iss qadr alfaaz-e-'nirjan'
Duniya shayari ko meri junu-e-ishq kehti hai aaj

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मंगलवार, नवंबर 28, 2017

शर अर्ज़ है

तुमसे लफ्ज़ों का नहीं 'निर्जन'
रूहानी-रूमानी रिश्ता है मेरा
तुम तो तहलील हो सांसो में
इबादत की ख़ुशबू की तरह


रविवार, नवंबर 19, 2017

हास्य-व्यंग्य अर्ज़ है

सिग्रेट, शराब, चरस, अफ़ीम, रम
नशा ज़िंदगी में कभी नहीं था कम
कुछ इस तरह 'निर्जन' निकला दम
एक हाथ में लोटा दूसरे हाथ में बम

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क़समें वादे प्यार वफ़ा सब

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शनिवार, नवंबर 18, 2017

O Saathi Re Tere Bina Bhi Kya Jeena

[tusharrastogi] sings O Saathi Re Tere Bina by Kishore Kumar, what an incredible voice on StarMaker! StarMaker, 40,000,000+ music lovers are singing here! 

O Saathi Re Tere Bina Bhi Kya Jeena

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सोमवार, नवंबर 13, 2017

अर्ज़ किया है

जुगनुओं से क्या मिले हम भी चराग हो गए 
नाज़नीन दिलरुबा के दिल का ख्व़ाब हो गए 
यूँ तो अता किये उन्होंने नज़राने कई 'निर्जन'
कातिलाना इनायत से उनकी आबाद हो गए

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शनिवार, नवंबर 11, 2017

अर्ज़ किया है

तिश्नगी अपनी दानिस्ता नाआश्ना 'निर्जन' हुआ 
नुक्तादानी करके भी नाशिनास साबित हुआ 

तिश्नगी : लालसा, अभिलाष
दानिस्ता : जानते हुए
नाआश्ना : अजनबी
नुक्तादानी : बुद्धिमानी
नाशिनास= अज्ञानी

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गुरुवार, नवंबर 09, 2017

अर्ज़ किया है

बेबस, बेकस, बेकार, बेकरार ऐसे क्यों हैं
ये लोग कुछ ज्यादा ही होशियार क्यों हैं
हर एक चेहरे पर एक मुखौटा है 'निर्जन'
इन लोगो के ज़हर में बुझे किरदार क्यों हैं

#तुषाररस्तोगी #निर्जन #तमाशा_ए_ज़िंदगी #लोग #मुखौटा #ज़हर #yqdidi 

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बुधवार, नवंबर 08, 2017

ये ज़मी गा रही है

ये ज़मीं नहीं हम गा रहे हैं ;)

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शुक्रवार, नवंबर 03, 2017

अर्ज़ किया है

इश्क़ परखने का हुनर, हम बख़ूबी जानते हैं
कौन है आशिक़-ए-बुताँ, हम बख़ूबी जानते हैं
आशिक़-ए-बे-दिल के, बैत-ए-आशिक़ाना में
कौन है फ़र्द-ए-बशर, हम बख़ूबी जानते हैं

आशिक़-ए-बुताँ - beauty lover
आशिक़-ए-बे-दिल - heartless lover
बैत-ए-आशिक़ाना - temple of love
फ़र्द-ए-बशर - unique human being

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गुरुवार, नवंबर 02, 2017

अर्ज़ किया है

अबस बैठना बन गया अफ़सुर्दा होने का सबब 'निर्जन'
क़िस्मत भी कितनी बेरहम है इसने कहाँ लाकर पटका

अबस = बेकार
अफ़सुर्दा = उदासी
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अर्ज़ किया है

तेरी नादानीयों की इन्तेहा क्या ख़ूब है हमदम
तेरी इरफ़ान से 'निर्जन' यहाँ मौसम बदलते हैं

नादानियों : बचपना
इन्तेहां : सीमा
इरफ़ान : प्रतिभा

शुक्रवार, सितंबर 22, 2017

ज़रा सोचें

















मेरी एक फेसबुक मित्र ने यह व्यंग चित्र साँझा करते हुए इसका विरोध किया था और उनकी बात का समर्थन करते हुए मैं भी माता रानी का आहवान जोर से नहीं प्रेम और श्रद्धा के साथ करता हूँ। इसी के साथ राजू राजेश शुक्ल के बनाये इस व्यंग्य चित्र पर अपनी पुरज़ोर आपत्ति दर्ज करवाता हूँ और विरोध करता हूँ। मेरी बात शायद बहुत से लोगों को बुरी लग जाए, हो सकता है कई लोगों की जल जाए और वो राकेट बन जाएँ तथा कुछ लोग तो इस लेख के लिए मुझे धिक्कारने भी लग जायेंगे। शायद भाग्वाकरणी, धर्मांध और कट्टरवादी जैसी उपाधियों से सम्मानित भी करने लग जायेंगे। विपरीत राजनैतिक सोच वाले शायद यहाँ भी मोदी साहब को इस से जोड़ कर टीका टिपण्णी करने से बाज़ नहीं आयेंगे या अंधभक्त या कुछ और कहने लग जायेंगे तो कोई अचरज ना होग। आपने कबीरदास जी का ये दोहा तो पढ़ा-सुना ही होगा -

कंकर पत्थर जोड़ कर, मस्जिद लई बनाये
ता चढ़ मुल्ला बांग दे, क्या बहिरा हुआ खुदाय

तो बांग देने की ये प्रथा यहाँ से शुरू हुई और देखा-देखि हिन्दूओं ने भी मंदिरों में, पंडालों में, धर्म स्थलों में, गली मोहल्लों में ध्वनिविस्तारक यंत्रों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। हालाँकि इनके प्रयोग पर कोई आपत्तिजनक बात नहीं थी जब तक इनकी कर्णफोडू आवाज़ से आम जनता को किसी तरह का कोई नुक्सान नहीं था परन्तु समय के साथ गली मोहल्लों के आवारा, निकम्मों और नाकारा मुर्गों ने इन आयोजनों को अपनी बेहूदगी की बांग और टांग दोनों देना शुरू कर डाला। हर एक त्यौहार होली, दिवाली, गणपति पूजन, नवरात्रे आदि जैसे श्रद्धा के मौकों पर अपनी बेहयाई का नंगा नाच शुरू कर दिया। तेज़ आवाज़ में डीजे बजने लगे, लाउडस्पीकर चलने लगे, छिछोरे गानों की तर्ज़ पर भजन-गीत-संगीत बजने लगे और मदिरापान कर लफ़नडर नाचने लगे। यहाँ तक की कुछ तो अपनी ख़ुद की फटी आवाज़ में माइक पर चिल्ला-चिल्ला कर जनता का खून पीने लगे। तो भाई मैं तो इतना ही कहना चाहूँगा के खरबूज़े को देखकर ही खरबूज़ा रंग बदलता है पर यदि किसी सड़े हुए खरबूज़े को देखकर रंग बदलोगे तो तुम भी सड़ोगे ही मेह्कोगे नहीं। सनातन धर्म में हाथ जोड़ श्रद्धा और शांति के साथ प्रार्थना करना सिखाया गया है चिल्ला चिल्ला कर आसमान सर पर उठाना नहीं।

परन्तु एक बात तो सर्वव्याप्त और सर्वविदित है इंसान भले ही इस कुकृत्य से विचलित हो जाये, आग बबूला हो जाएं, आपा खो दें परन्तु यह सब आँखों के सामने होता देखते हुए भी प्रभु की स्थापित प्रतिमा के चेहरे पर नितांत प्रसन्नता के भाव ही होते हैं। उनके होठों पर सदैव मुस्कान ही छलकती रहती है और इतना सहकर भी उनके आशीर्वाद का हाथ सभी प्रकार के झंडूपंचारिष्टों पर समान बना रहता है। फिर क्यों इनके जैसे कलाकार अभिव्यक्ति की छूट की आड़ में ऐसे वाहियात व्यंग चित्र बनाकर ख़ुद अपने ही धर्म का अपमान करने में लगे रहते हैं। एक तरफ़ तो घटिया मानसिकता वाले सेक्युलर वादी/वामपंथी/दो कौड़ी के मानवाधिकारवादी/ छद्म दिखावेबाज़ देश और धर्म दोनों की हर तरफ़ से ख़ूब बजाने पर तुले हुए हैं और उसपर छौंक लगाने का काम ऐसे कलाकार करते हैं। धिक्कार है ऐसी मानसिकता पर जो मातारानी को इतना असहाय दर्शाती है। मातारानी शक्ति की प्रतीक हैं। ऐसी छोटी-मोटी बातों से यदि वो विचलित होने लग गईं तो उन्हें माँ दुर्गा कौन कहेगा। वो जगत जननी हैं इससे ज्यादा पीड़ा और दर्द का एहसास तो माताएं प्रसव के समय बर्दाश्त करती हैं। यहाँ कलाकार ने माता के साथ नारी का भी मखौल बना कर रख दिया है। यदि उन्होंने ज़रा सी फूँक भी मार दी तो समझो विश्व में प्रलय आ जाएगी। लगता है ये महाशय चण्डिका और माँ काली को भूले बैठे हैं। 

मेरे अनुसार यहाँ देवी माँ के स्थान पर कोई प्रताड़ित साधारण मनुष्य होना चाहियें था और देवी माँ उस पर अपना आशीर्वाद बनाते हुए मुस्कुरा रही हैं ऐसा होना चाहियें था। मैं तो राजू से कहूँगा कि वो अपनी इस त्रुटी को सही करें और इस व्यंग चित्र को इन्टरनेट और सभी जगहों से हटा लें। आप ख़ुद ही अपने आराध्य का ऐसे अपमान क्यों कर रहे हैं? सवाल बस यही है - मातारानी ऐसी सोच वालों को सद्बुद्धि प्रदान करें, ऐसी मेरी मनोकामना है, बाकी तो सब मोह-माया है...ख़ुद की अक्ल लगाओ और ख़ुद ही जवाब पाओ। यदि आप समझदार हैं, तो समझे तो ठीक समझे। नहीं समझे तो समय आने पर समझ जाओगे, और यदि समझने की गुंजाइश शेष बची ही नही हो तो ज़ोर से बोलो जय माता दी - वो सबका भला करती हैं तुम्हारा भी करेंगी।

#जय_माता_दी
#तुषाररस्तोगी
#क्रन्तिकारी_सनातन_विचारधारा
#क्रोधितविरोध
#हर_हर_हर_महादेव
#कट्टर_हिन्दू
#व्यंगचित्र_हटाओ
#आलोचना

शुक्रवार, अगस्त 11, 2017

एक शेर


उनके अलफ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला
इश्क़ उनसे है 'निर्जन' का यही अब फैसला
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे इश्क़ की इंतहा
हम अभी से क्या बताएं जो हमारे दिल में है

#वन्देमातरम #जीवन #तुषार #रस्तोगी #निर्जन #तमाशा_ए_जिंदगी #हिंदी #उर्दू #शायरी #इश्क़ #जज़्बात #वक्त #मोहब्बत #tamashaezindagi #tushar #rastogi #nirjan #life #hindi #urdu #shayari #YQbaba #YQdidi























बुधवार, जुलाई 26, 2017

उत्कंठा
























मैं, हर कविता को, एक प्रेमी की तरह,
अपने साथ मुलाक़ात करने ले जाता हूँ,
अपने शयनकक्ष में, अपने बिस्तर पर...

बड़ी आतुरता सुकून से रसपान करता हूँ,
व्याकुल अतिलोलुप की भाँती तेज़ी से,
उसके चेहरे को छू हथेलियों से थामता हूँ...

शब्दों की दरारों को, गले लगाता हूँ,
भावनाओं की हर स्नेही और उष्ण सांस,
'निर्जन', के कानों को उग्र सुनाई देती है...

बदन की ख़ुशबू जैसे, मंद बहते पन्ने,
गुनाहगार, स्वादिष्ट हस्तलिपि की,
मिठाई को चाटते रसीले पापी होंठ...

कोमल जीवन के, स्वाद से भरपूर,
जो कभी किसी को, पर्याप्त नहीं मिलता,
बेहद सरल, स्पष्ट, शालीनतापूर्वक वर्णित...

#तुषाररस्तोगी #निर्जन #उत्कंठा #हिंदी #कविता #ज़िन्दगी

एक शेर

सोमवार, मार्च 27, 2017

मोहब्बत होने लगी है



















लगता है मोहब्बत होने लगी है
ज़िन्दगी ये उनकी होने लगी है

चलते हैं साथ जिस रहगुज़र पर
जानिब-ए-गुलिस्ताँ होने लगी है

गुल-ऐ-विसाल है मुस्कान उनकी 
उफ़! जादा-ए-हस्ती होने लगी है

इश्क़ में उनके असीर हो गया हूँ
तौबा नज़र भी उनकी होने लगी है 

ख्वाबों में ही चाहे नींद मेरी अब
आगोश में उनके सोने लगी है

'निर्जन' है साहिल मंजिल वही है
ख़ुशबू में उनकी रूह खोने लगी है

लगता है मोहब्बत होने लगी है...

रहगुज़र - पथ
जानिब-ए-गुलिस्ताँ  - गुलाबों के बगीचे की तरफ़
गुल-ऐ-विसाल - मिलन के फूल
जादा-ए-हस्ती - ज़िन्दगी की राह
असीर - बन्दी
आग़ोश - आलिंगन

#तुषाररस्तोगी

सोमवार, फ़रवरी 06, 2017

सन्देश सदा ही देता है


















तृष्णा से बड़ा, कोई भोग कहाँ
सब पाने का लगा है, रोग यहाँ
अपने अपनों से क्या, बात करें
ख़ुदगर्ज़ हो गए, सब लोग यहाँ
पाषाणों में, जीवन को भरने की
कोशिश में, 'निर्जन' रहता है
हर पल जीवन, जी भर जीने का
सन्देश सदा ही देता है...

है अंत तुम्हारा, उस चिट्ठी में
जो है, ऊपर वाले की मुट्ठी में
अब मान भी जा, ज़िद पर ना आ
कोई रहा ना बाक़ी, इस मिट्टी में
फिर क्यों, लड़ने की चाहत में
तू पल-पल बलता रहता है?
हर पल जीवन, जी भर जीने का
सन्देश सदा ही देता है...

अब बाँध ज़रा, दिल को अपने
और थाम ज़रा, कल को अपने
अल्फ़ाज़ों को करके, मौन तेरे
और ढूंढ बचे यहां हैं, कौन तेरे
अब त्याग भी दे, इस अहम् को
जिसमें हर पल तू मरता रहता है
हर पल जीवन, जी भर जीने का
सन्देश सदा ही देता है...

#तुषाररस्तोगी #निर्जन #तमाशा-ए-ज़िन्दगी #हिंदी #कविता #सन्देश #जीवन #पीड़ा #तृष्णा #ख़ुदगार्ज़ #ज़िद #दिल #अल्फ़ाज़ #अहम्

गुरुवार, नवंबर 17, 2016

खुजली खांसी देश का दुश्मन























खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!

पी.एम्. और जनता - राज़ी
फिर भी ना माने - पाजी
पी.एम्. और जनता - राज़ी
फिर भी ना माने - पाजी
ये खुजली ना छोड़े, चल इसको फोड़े
ये बनने ना देगा देश को एक जुट मुकम्मल

देश को बेचे ना समझे
हाँ, ये देशद्रोही है समझे
देश के गद्दारों की ये
गोद में खेले
हाँ, मुंह जब भी खोले
ये,  घटिया ही बोले
हो जाए खुजली - हां जी
ख़ुदा को प्यारा - वाह जी
तब होगी दिल्ली की, खाना आबादी
सुलझ जाएगी पल में देश की उलझन
खुजली खांसी देश का दुश्मन
हाय! हाय!
मेरे देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी देश का दुश्मन
हाय! हाय!
मेरे देश का दुश्मन
हाय! हाय!

दैया रे दैया इसका हाल तो देखो
झूठे वादे कर, इसके सवाल तो देखो
अरे झांसे, धोखे, इसके बवाल तो देखो

अजी, कुछ बरसों में ऐसे
दाल कहाँ गलती है
अजी, कुछ बरसों में ऐसे
माल कहाँ मिलता है
सबको है मालूम, कैसे, कैसे
कैसे चंदे का ये माल जमा करता है
क्या हाल बताऊँ - अरे, हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ जी
सबूत दिखाऊं - अरे, हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ जी
पलटू है दोगला कैसा रंग गिरगिट सा बदले ऐसे
गद्दारों को ऐसे ही रुसवा करते हैं मियां खों खों

खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!

#तुषारराजरस्तोगी #खुजली #खांसी #पाजी #पैरोडी

रविवार, सितंबर 04, 2016

दिल-ए-नादां














दिल-ए-नादां देखता जा, ज़रा रुक तो सही
अभी इश्क़ होगा आबाद, ज़रा रुक तो सही

मजनू, महिवाल, फरहाद, सारे मरीज़-ए-इश्क़
आज होंगे सब कामयाब, ज़रा रुक तो सही

सजेगी डोली, महफ़िल-ए-हुस्न कद्रदां होंगे
ले देख, वो आई लैला, ज़रा रुक तो सही

सोहनी हो गई फ़िदा, मरहबा महिवाल पे 
शीरीं का होगा फरहाद, ज़रा रुक तो सही

ले वो आए रेशमा-शेरा, डाल हाथ में हाथ
ये दोनों भी हैं बेपरवाह, ज़रा रुक तो सही

देख अंजाम होगा यही, आरज़ू का तेरी, ए दिल
हौसला तू भी बनाए रख, ज़रा रुक तो सही

'निर्जन' क्या ख़ूब बनी जिंदगी तेरी इस नादां से?
चल करता जा पीछा, ना रुक, ज़रा रुक तो सही

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #दिल-ए-नादां #निर्जन

रविवार, अगस्त 14, 2016

असली स्वतंत्रता दिवस


















आज स्वतंत्रता दिवस है, पर,
दिल यह कहने को विवश है,
क्या यहाँ है सच्ची स्वतंत्रता?
हर पथ पर है बस परतंत्रता...

जन गण मन अधिनायक जय,
शायद यह है भी, या नहीं है?
परन्तु क्या ७० वर्षों बाद भी,
अपने देश की जय है? नहीं है...

बरसों बाद भी हर एक शख़्स,
परेशानियों से लड़ रहा है,
झूठी सामाजिक अराजकता से,
चुपचाप नाक़ाम भिड़ रहा है...

यहाँ की व्यवस्था बड़ी निराली है,
जो करती चाटुकारों की रखवाली है,
जो आँखों के रहते हुए भी अंधे हैं,
कान-ज़बां रखकर भी गूंगे-बहरे हैं...

विकास तो बख़ूबी हो रहा है,
पर मज़े उसके कौन ले रहा है?
और यदि नहीं हो रहा है, तो,
कौनसा कोई ज़िम्मेदारी ले रहा है...

यहाँ गलत कोई भी नहीं है, क्योंकि,
हर बाशिंदा यहाँ समझदार-सही है,
बस, अब बचा एक लम्बा इंतज़ार है,
उसका जो देश का सच्चा पालनहार है...

जो अपने साथ सबका ख़याल रखेगा,
जो किसी की भी नोक पर नहीं रहेगा,
अपनी बनाई सही नीतियों पर चलेगा,
और इस भारतवर्ष का भला करेगा...

वो व्यक्ति हम सबके भीतर ही है,
बस जगाना है अपने इमान को,
आग जलानी है अपने दिलों में,
बाहर निकलना है अपने बिलों से...

फिर यही आग मशाल बन जलेगी,
परवाज़ देगी अधूरे सपनो को 'निर्जन',
जो दफ़न हो गए हैं सड़ी राजनीति तले,
उस दिन होगा असली स्वतंत्रता दिवस...

#तुषारराजरस्तोगी #स्वतंत्रतादिवस #१५अगस्त #७०वर्ष #निर्जन #राजनीति

समस्त भारतवर्ष को तुषार राज रस्तोगी 'निर्जन' की तरफ़ से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

बुधवार, जुलाई 27, 2016

सुना है























सुना है कि बारिशों जैसी हो
कुछ कहो बरसती कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
सावन की बूंदों जैसी हो

सुना है कि गुलाब जैसी हो
कुछ कहो ज़रा तुम कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
शायर के ख़्वाबों जैसी हो

सुना है कि इश्क जैसी हो
कुछ कहो बहकती कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
रूबाई-ए-खय्याम जैसी हो

सुना है कि शर्म जैसी हो
कुछ कहो नाज़ुक कैसी हो 
मैंने यह सुना है दुनिया से
छुईमुई की डाली जैसी हो

सुना है कि आदत जैसी हो
कुछ कहो सआदत कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
बेहतरीन शराबों जैसी हो

सुना है कि चाँद जैसी हो
कुछ कहों कि कहां रहती हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
पूनम की चाँदनी जैसी हो

सुना है कि शेरनी जैसी हो
कुछ कहो गरज के वैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
रानी लक्ष्मीबाई के जैसी हो

जानता हूँ कि तुम कैसी हो
'निर्जन' की कल्पना जैसी हो
कुछ नहीं है सुनना दुनिया से
जीवन में प्राणों के जैसी हो

सआदत - Prosperity, Happiness, Good Fortune

#तुषारराजरस्तोगी #कल्पना #निर्जन #इश्क़ #मोहब्बत #जज़्बात #दुनिया #सुनाहै  #जीवन #प्राण

शुक्रवार, जुलाई 08, 2016

एक शब्द
















सनक और जूनून
वासना और प्यार
अभीप्सा और देखभाल
तुम्हारी ग़ैरहाज़िरी खल रही है
तुम्हारे बारे में सोच रहा हूँ
और सब से बहुत ही ज़्यादा
हर एक तर्क से परे
है यह सारी सोच
ये प्यार जो जलता है
आग से भी ज्यादा गर्म
तपिश इसकी है जो
ज्वालामुखी से ज्यादा
ये इबादत है जो
बंदिश नहीं है
ये दर्द है जो
कम नहीं होता
ये पीड़ा है जो
कभी जाती नहीं है
ये वफ़ादारी है जो
सच में अंधी है
ये विश्वास है जो
हर किसी प्रकार से भिन्न है
ये है डर की भावना
श्रद्धा के साथ
कि यह व्यक्ति
शायद मेरा हो सकता है
मेरी आत्मा का आत्मसमर्पण
मेरा दिल तुम्हारा है
हमेशा के लिए
यह सब कुछ
सदा के लिए
संचित है
एक शब्द में
जिसे तुम शायद ही
समझ पाती हो
लेकिन शायद
कभी किसी दिन
तुम समझ जाओगी
यह एक शब्द:
'मोहब्बत - प्यार - इश्क़'

अभीप्सा - Longing

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #एकशब्द #इश्क़ #प्यार #मोहब्बत #इबादत #समझ

बुधवार, जून 01, 2016

मोहब्बत हो ही गई है















जादू-अदा बा-ख़ुदा ख़ूब उसकी
बाग़-ए-इरम ज़िन्दगी होने लगी है

ऐतबार-ए-इश्क़ ऐसा है उसका
आलम-ए-दीवानगी होने लगी है 

नज़राना-ए-शोख़ी नज़र ख़ूब उसकी
अज़ीज़-ए-दिल उल्फ़त होने लगी है

गुल-ए-विसाल मासूमियत उसकी
दीवार-ए-ज़िन्दगी होने लगी है

हसरत थामे आँचल अब उसका
जानिब-ए-गुलिस्ताँ होने लगी है

चलते हैं साथ जिस रहगुज़र पर
अब जादा-ए-हस्ती होने लगी है

लुत्फ़-ए-तसव्वुर रहता है उसका
चाँदनी अब हर रात होने लगी है

फ़िराक़-ए-यार सोचते भी अब
दहशत सी दिल में होने लगी है

लगता है 'निर्जन' रूह्दारी करते
तुझको मोहब्बत हो ही गई है

बाग़-ए-इरम - जन्नत का बागीचा
ऐतबार-ए-इश्क़ - प्यार पर भरोसा
आलम-ए-दीवानगी - दीवाने की स्थिति
अज़ीज़-ए-दिल - दिल को प्रिय
गुल-ए-विसाल - मिलन का फूल
दीवार-ए-ज़िन्दगी - ज़िन्दगी का सहारा
जानिब-ए-गुलिस्ताँ  - गुलाबों के बागीचे की तरफ़
रहगुज़र - पथ
जादा-ए-हस्ती - ज़िन्दगी की राह
फ़िराक़-ए-यार - प्रियेतम से बिछड़ना
रूह्दारी - लुका छुपी

--- तुषार राज रस्तोगी 'निर्जन' ---

#इश्क़ #ग़ज़ल #तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #रूह्दारी #मोहब्बत

रविवार, मई 22, 2016

यही तुम हो...यही मैं हूँ


 
















इस जीवन में कुछ बातें हैं
में जिन्हें बयां नहीं कर सकता
इस जीवन में कुछ रेज़गी* हैं
क्योंकि, सब समान नहीं रहता
इस जीवन में कुछ सपने हैं!
और लोग जो उन्हें जीते हैं
इस जीवन में कुछ अपने हैं!
और लोग जो उन्हें खो देते हैं

यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
यदि, सिर्फ़ तुम भी देख पाते
यह दुनिया, वैसी, जैसी मेरे लिए है

यही मैं हूँ!
यही तुम हो!

इस जीवन में एक समय था,
जब कई बार मैं रोया था
इस जीवन में कभी दिल ने,
ज़िन्दगी अधमरी महसूस की थी
इस जीवन में कुछ चीज़ें हैं!
जो मैं कभी साबित नहीं कर सकता
इस जीवन में ऐसी भी चीज़ें हैं!
बहुत सी चीज़ें, जो सच भी हैं!

यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
यदि, सिर्फ़ तुम यह देख पाते,
यह दुनिया, हमारे चारों ओर,
बिलकुल भी खाली नहीं है!

यही मैं हूँ!
यही तुम हो!

इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जिन्हें ज़रुरत है...
इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जो खून बहाते हैं...
इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जिन से अभी मिलना बाक़ी है
इस जीवन में, ऐसे हालात भी हैं
जब तुम्हे बस लड़ना ही होगा!
इस जीवन में, ऐसे पल भी हैं,
जिनमें जो सही है बस
वही करना होगा...!

यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
और, यदि भरोसा है तुम्हे
तो तुम भी वो देख सकती हो
जो 'निर्जन' देखता है सदा!
आश्चर्य होता है कभी
कि यह दुनिया,
क्या से क्या हो सकती है?

यही तुम हो...
यही मैं हूँ...
यही ज़िन्दगी है...

 रेज़गी - परिवर्तन / Change

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #परिवर्तन #जीवन #सपने #दर्द #सच #शर्म #दुनिया #तुम #मैं #ज़िन्दगी

गुरुवार, मई 19, 2016

बातों बातों में













बातों बातों में ही सही
बात तो कहता है
'निर्जन' फ़क़त दिल के
हालात कहता है
नहीं मुमकिन नज़र से
खूं ज़रा सा बह जाए
ये तो शब्दों में
बयां-ए-जज़्बात कहता है
यूँ ही लग जाती है कभी
दिल की लगी दिल को
ये ख़ामोश बंद होठों से
बस एहसास कहता है

#बातोंबातोंमें #एहसास #जज़्बात #बसयूँही #तुषारराजरस्तोगी #निर्जन

बुधवार, अप्रैल 20, 2016

वो दुर्गा बनती रही

उसको ज़मी पर रौंदता
वहशीपन जब रगों में कौंधता

करती रही कोशिशें सभी
रोती बिलखती सिसकती तभी

वस्त्र कर उसके तार तार
अस्मिता पर करता रहा वो प्रहार

लड़-लड़ चलाये हाथ और लात
भिड़ती गई कुछ तो हो एहसास

चीखता रहा वो उस पर तब भी
चिचियती रही वो भयभीत सी

कलाई जकड़ निचोड़ दीं उसकी
मौन छटपटाती व्यथित नज़रें उसकी

जान जितनी बची थी डाल दी
मिटाने को कहानी उस काल की

जूँ तक ना रेंगी उसके कान पर
रोके रुका ना वो जंगली जानवर

गिड़गिड़ाती रही करहाती रही
अहम् को ठहरता रहा वो सही

चेहरे पर था उसके वो मारता
हवस को था अपनी वो सहारता

मुहं उसका हाथों से ढांपता
रोम रोम था उसका फिर काँपता

इससे पहले वो कुछ कह पाती ज़रा
ज़हर उसने था यौवन में उसके भरा

बेशर्मी कुकर्मी फिर उठ भी गया
लड़खड़ाता दरवाज़े तलक बढ़ता गया

छोड़ अधमरा अकेला नाज़ुक जां को
पटक कर दरवाज़ा वो चलता बना

बैठी सिकुड़ी कोने में वो जलती रही
एक आशा की लौ फिर भी बलती रही

शायद कोई आएगा मरहम ले हाथ में
लगाकर गले ले जायेगा उसे साथ में

टूटकर अधूरे सपनो में बिखरती रही
हर एक आहाट पर वो सिहरती रही

पीड़ा आंसू बन आँखों से छनती रही
तेज़ाब-इ-अश्क़ से वो दुर्गा बनती रही

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #रेप #बलात्कार #पीड़ा #नारी #सम्मान

रविवार, अप्रैल 10, 2016

एक कहानी


सुनो सुनो - एक कहानी
सच्ची सी थोड़ी, अच्छी सी
एक ठगने वाले लुच्चे की
सुनो सुनो - एक कहानी

हिन्द नाम के गोले पर
है एक अदभुत जंगल
जंगल के थोड़े से प्राणी
भैया हैं बहुत ही मेंटल

गत वर्ष वो पगलेट हुए
चुनकर लाये रंगा सियार
फ़र्ज़ी बातों की खाकर लातें
सर चढ़ा लिए किसको यार

बिना बात के बैठे-बैठे
ख़ुद का ही उल्लू बनाया
रंग लपेट ईमानदारी का
सियार मंद-मंद मुस्काया

खुजली वाला रंगा सियार
है सच में दुर्लभ कीड़ा
साल भर से बाँट रहा वो
नित नई असहनीय पीड़ा

सबको दे धोखा सियार ने
चंदे में टाका बहुत कमाया
युटीलाईज़ेशन कर चंदे का
अपना बेलबांड भर आया

भ्रष्ट पुलिस की भ्रष्ट जेल में
अगले को जाना नहीं गंवारा
हाथ आई जंगल सत्ता पर है
अब तो एकाधिकार हमारा

चाहता तो देकर सबूत वो
जुगनू मौसा को फँसवाता
सबूतों का देकर वो फंदा
मौसा के गले में कसवाता

पर बचा लिया मौसा को
सुधरने का मौका बताया
जैसे लोमड़ी ताई को पहले
रुसवा होने से था बचाया

बूढ़े जानवर इस गोले के
समझाकर गए हैं गहरी बात
तुम नफरत करो बुराई से
ना देखो तुम बुरे की ज़ात

खुजली खुजली करते करते
खुजली की चुभ गई है फाँस
खुजा खुजा बंजर हुई धरती
अब कब उगेगी नई हरी घास ?

भैया पिछले एक वर्ष से
नाटक हो गया यह ख़ास
धूर्त सियार की ईमानदारी पर
टिक गई है सबकी आस

शिष्ट व्यवहार, मीठे वचनों से
इस सियार ने दिए हैं झंडे गाड़
कोई जिये या कोई मरे अब
इसकी बला से सब गए भाड़

कोटि कोटि नमन 'निर्जन' का
ऐसे सत्यानाशी सियार को यार
बदल दिया जिसने ख़ुद के ही 
वचनों-कसमें-वादों, का सार

धन्य हो गया गोला-ए-हिन्द
चरण धूलि से इनकी आज
ऐसे रंगे सियारों औ मूर्खों से
कौन बचाएगा हिन्द की लाज?

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #राजनीति #कहानी #व्यंग #रंगासियार #गोला #जंगल #मूर्ख

मंगलवार, मार्च 29, 2016

तू ही रहे साथ मेरे



















आह! दुनिया नहीं चाहती मैं, मैं बनकर रहूँ
वो जो चाहती है, कहती हैं, बन चुपचाप रहूँ
होठ भींच, रह ख़ामोश, ख़ुद से अनजान रहूँ
रहकर लाचार यूँ ही, मैं ख़ुद से पशेमान रहूँ

बनकर तमाशबीन मैं क्यों, ये असबाब सहूँ?
कहता हूँ ख़ुद से, जो हूँ जैसा हूँ वही ज़ात रहूँ
नहीं समझे हैं वो, कोशिशें उल्टी पड़ जाती हैं
मैं मजबूर नहीं, टूटना ऐसे मेरा मुमकिन नहीं

महसूस करता है हर लम्हा, दिल-ओ-दिमाग मेरा
ख़त्म हो रहा है मुझमें, धीमे-धीमे हर एहसास मेरा
दर्द से क्षत-विक्षत है, कहने को मज़बूत शरीर मेरा
चुका रहा है कीमत जुड़े रहने की, हर जज़्बात मेरा

दिल करता है कभी, लेट जाऊं और निकल जाऊं
ले आत्मा को साथ, ऊँचे नील-गगन में विचर जाऊं
पर समय अभी आया नहीं, तो जल्दी क्यों तर जाऊं
काज ज़िम्मे हैं कई जीवन में, छोड़ इन्हें किधर जाऊं

तो जब तक मुकम्मल ना हो जाएँ, सभी मस्लहत मेरे
तुम ही संभालो 'निर्जन', पल-पल उलझते लम्हात मेरे
उम्मीद छोटी सी, अमन पसंद ज़िन्दगी की है यारा मेरे
दूर रहे दुनिया मुझसे, फ़क़त एक तू ही रहे साथ मेरे

पशेमान - repentent, ashamed
तमाशबीन - spectator
असबाब - scene, stuff
मुकम्मल - complete
मस्लहत - policy
लम्हात -  moments


#तुषारराजरस्तोगी #दुनिया #बदलाव #अहसास #जज़्बात #निर्जन #मस्लहत #उम्मीद

सोमवार, मार्च 21, 2016

ऊपर टिकट कट जायेगा















पास आरई होली अब, बचकर तू कहाँ जायेगा
रंग जो तुझ पर लगाया, बोल क्या चिल्लाएगा?

घर तेरे आए हैं मेहमां, खातिर क्या करवाएगा
सूखता है गला, ऐ दोस्त बता क्या पिलवाएगा?

होली पर पव्वा पिला, तू जाने जां बन जायेगा 
प्यार से अध्धा मंगा, माशूक़ सी पप्पी पायेगा

आज पीकर जीने दे, तू ब्लैक डॉग खम्बा लगा
बन जायेगा तू ख़ुदा, दिल से जो पैग बनाएगा 

घर को चले जायेंगे, जब नशा सर चढ़ जायेगा
धन्नो कौन चलाएगा, ये फ़ैसला भी हो जायेगा

बर्फ, सोड़ा, पानी, चिप्स, कोक बढ़ाते हैं मज़ा
ये ना हों साथ तो दिल, यारों का दुःख जायेगा

बेवड़े की हालत निराली, पैरों पे चल ना पायेगा
नाले-गटर हैं कह रहे, तू मुझमें नहा कर जायेगा

झंडूगिरी कर कर के, हर दारुबाज़ इतराएगा
हरकतों से अपनी फिर, हुल्लड़ ख़ूब मचाएगा

होली पे इंग्लिश के मज़े, तू यार के घर ले रहा
कल को फिर से फक्कड़, देसी पर आ जायेगा

बोतल के ख़त्म होने का, ग़म तू ज़रा भी ना मना
ठेका है पप्पा का अपने, कोटा बहुत आ जायेगा

आज पी जितनी है पीनी, कल से 'निर्जन' छोड़ दे
जो हुआ डेली पैसेंजर, तो, लीवर तेरा सड़ जायेगा

अमृत समझ कर पीने वाले, बात इतनी मान जा
मौका है संभल जा, वर्ना, ऊपर टिकट कट जायेगा

#तुषारराजरस्तोगी #होली #दारू #दारुबाज़ #शिक्षा #हास्यरस #बर्फ #सोड़ा #पानी #चिप्स #निर्जन

रविवार, मार्च 13, 2016

आशिक़ बड़े महान













शादी एक संग कीजिये,
दूजी संग कर के प्यार
तीजी जो मिल जाए तो,
फिर नहीं चूकना यार...

...फिर नहीं चूकना यार,
चौथी ढूंढ कर रखना
मय भी देती नहीं मज़ा,
जब तीखा ना हो चखना...

...जब तीखा ना हो चखना,
भैया दिल को तुरत बताओ,
पंचामृत का इस जीवन में,
शुभ आचमन करवाओ...

...शुभ आचमन करवाओ,
जीवन में लो तुम अब ज्ञान,
सच्चा प्रेम एक संग करके, क्या
कहलाओगे आशिक़ बड़े महान

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #मोहब्बत #आशिक़ी #हास्यरस #हास्यव्यंग #ज्ञान

शनिवार, मार्च 05, 2016

समझा दिया



 












देखता हूँ, जब मैं, नज़रों में तेरी
दिखता है, उन में, अनुभव सदा

थामता हूँ, जब मैं, हाथों को तेरे
जान पाता, हूँ तब, ताक़त है क्या

छूता हूँ, जब मैं तेरी, कोमल त्वचा
बोध होता, है मुझे, सुभीता है क्या

सुनता हूँ मैं, जो तेरे, दिल की ध्वनि
अहसास होता, है मुझे, शक्ति है क्या

पुकारता हूँ, जब भी मैं, नाम तेरा
अपार खुशियाँ, साथ देती, हैं मेरा

चूमता हूँ, जब भी मैं, लबों को तेरे
दिल क्यों, उनमुक्त उड़ता है, बता?

आगोश में, होता हूँ मैं, जब भी तेरे
'निर्जन' का थम जाता है सारा जहाँ

सर झुकाकर, इश्क़ के,
सजदे में, हूँ मैं

क्या होती है इबादत?
उल्फ़त ने तेरी, समझा दिया...

सुभीता - comfort

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #इश्क़ #मोहब्बत #लम्हे  #उल्फ़त

Made Me Understood
---------------------------------------------------------
Whenever I peep into your eyes
I always see sentience

Whenever I hold your hands
I get to know what is strength

Whenever I touch your soft skin
I realize what is comfort

Whenever I listen to your heartbeat
Makes me realize what is vehemence

Whenever I call out your name
Measureless happiness acompany me

Whenever I kiss your lips
Tell me...! Why do the heart flies uninhibitedly?

Whenever I am in your embrace
Entire world of 'Nirjan' comes to a stanch

Bowing down for love
I pray for it

What is worship?
Your love made me understood that.

#tusharrajrastogi #nirjan #dearness #love #fondness #affection #passion #moments #embrace #kiss

रविवार, फ़रवरी 21, 2016

क्या अब ज़िन्दगी कुलबुलाने लगी है?














इश्क़ की कलियाँ खिलने लगी हैं
ख़्वाबों की अखियाँ भरने लगी हैं  
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी संवरने लगी है?

हसरत के तारे जगमगाने लगे हैं
उमंगों को रौशन सजाने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी चमकने लगी है?

फूल और परिंदे भी थिरकने लगे हैं
नज़ारे ये दिलकश धड़कने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी गुनगुनाने लगी है?

आसमां में अरमां कई उड़ने लगे हैं
उम्मीदों के बादल मन भरने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है?

वादियों की धुन से प्यार होने लगा है
बहता ये नीर आत्मा भिगोने लगा है
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी समझाने लगी है?

बर्फीली हवाएं खूं में बहने लगी हैं
आग नसों में अब दहकने लगी है 
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी तड़पने लगी है?

चेहरे की चहक चहचहाने लगी है
उसकी ही कमी कसमसाने लगी है
कोई 'निर्जन' को तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी कुलबुलाने लगी है?

#तुषारराजरस्तोगी #प्यार #सपने #आरज़ू #कष्ट #विचार

Is it that, now the life is fidgeting?
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Love buds are beginning to bloom
Healing the dreamy eyes
Someone please let me know
Is it that, now the life is embellishing?

Stars of longing are beginning to twinkle
Lightning and decorating the emotions of passion
Someone please let me know
Is it that, now the life is shining?

Flowers and birds are beginning to jive
Entrancing views are palpitating
Someone please let me know
Is it that, now the life is humming?

Aspirations are now flying in the skies
Clouds of hopes are binding the soul
Someone please let me know
Is it that, now the life is smiling?

Falling in love with cadence of scenery
Running water moistens the soul
Someone please let me know
Is it that, now the life is explaining?

Winds of ardour are drifting in blood
Desire is now blazing in nerves
Someone please let me know
Is it that, now the life is agonizing?

Chirm of visage is now tweeting
Only her need is wriggling now
Someone please let 'Nirjan' know
Is it that, now the life is fidgeting?

#tusharrajrastogi #love #dreams #longing #agony #thoughts

शनिवार, फ़रवरी 13, 2016

तेरा इश्क़
















तेरा इश्क़, कमल का फूल है,
कोमल है, मगर अटल है।

तेरा इश्क़, वज्र की शक्ति है,
घातक है, मगर क्षम्य है।

तेरा इश्क़, रात का सपना है,
मृगतृष्णा है, मगर यथार्थ है।

तेरा इश्क़, ईश्वर का चुंबन है,
अदृश्य है, मगर प्रत्यक्ष है।

तेरा इश्क़, शिशु का सच है,
उद्दंड है, मगर विनम्र है।

तेरा इश्क़, जीवन का चलचित्र है,
कल्पना है, मगर ख़ूबसूरत है।

तेरा इश्क़, वादों का बंधन है,
अनुबंधित है, मगर शिथिल है।

तेरा इश्क़, आकांक्षा का संगम है,
विचार है, मगर मार्गदर्शक है।

तेरा इश्क़, 'निर्जन' की जुबां है,
ख़याल है, मगर सम्पूर्ण कविता है।

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #अभिव्यक्ति #कल्पना #निर्जन

Your Love
-------------------------------------------
Your Love, Is a Lotus Flower,
It's Tender, yet it's Firm.

Your Love, Is Power of Thunderbolt,
It's a Killer, yet it's Remissible.

Your Love, Is a Dream of Night,
It's a Grail, yet it's Real.

Your Love, Is Kiss of GOD,
It's Invisible, yet it's Evident.

Your Love, Is Truth of a Kid,
It's Impertinent, yet it's Humble.

Your Love, Is Movie of Life,
It's a Fairytale, yet it's Beautiful.

Your Love, Is a Bond of Promises,
It's Covenanted, yet it's Relaxed.

Your Love, Is Confluence of Intentions,
It's a Belief, yet it's a Cicerone.

Your Love, Is "Nirjan's" Language,
It's Abstract, yet it's Perfect Poem.

#tusharrajrastogi #love #expression #imaginativeness #nirjan

रविवार, जनवरी 17, 2016

सार्थक अर्थ















प्यार,

किसी ने पुछा मुझसे, क्या है प्यार?, किसे कहते हैं इश्क़?
क्या यह अच्छा है, या फिर, क्या यह बुरा है?
क्या यह ग़ज़ब का है, या फिर, क्या यह ख़राब है?
सच कहूँ तो, मालूम मुझे भी नही है
इसका क्या जवाब दूं, फिर भी,
अंततः जो समझा, बस इतना, कि
प्यार सभी भावनाओं में
सबसे सरल होकर भी
सबसे ज्यादा जटिल है

प्यार भावनापूर्ण सोच है
प्यार असामयिक भूख है
प्यार शुष्क प्यास है
प्यार मोह पाश है
प्यार अपरिमित व्यास है
प्यार असीमित व्योम है
प्यार करुनामय होम है
प्यार आसक्ति है
प्यार मुक्ति है
प्यार शक्ति है
प्यार भक्ति है
प्यार दयालु है
प्यार कठोर है
प्यार रसदार है
प्यार जीत है
प्यार हार है
प्यार अनोखा है
प्यार भयानक है
प्यार एक बीमारी है
प्यार एक इलाज है
प्यार एक व्यवहार है
प्यार बस प्यार है
प्यार दोस्ती है
प्यार बैर है
प्यार सार्थक है
प्यार व्यर्थ है
प्यार द्रोह है
प्यार विद्रोह है
प्यार मुश्किल है
प्यार सुखदायक है
प्यार शांतिदूत है

प्यार सच बुलवाता है
प्यार झूठ कहलाता है
प्यार सब समझाता है
प्यार सब उलझाता है
प्यार जीवन बनाता है
प्यार ज़िन्दगी ढहाता है
प्यार आँखें चमकाता है
प्यार कितना हंसाता है
प्यार उतना रुलाता है
प्यार दिल तोड़ जाता है
प्यार गले से लगाता है
प्यार दुनिया घुमाता है
प्यार नीचे गिराता है
प्यार मारा मारा फ़िराता है
प्यार श्रेष्ठता दर्शाता है
प्यार दुष्टता दर्शाता है
प्यार मुमकिन बनाता है
प्यार नामुमकिन बनाता है
प्यार में हर शय लायक है
प्यार में हर शय नालायक है
प्यार होशियार बनाता है
प्यार बेवक़ूफ़ बनाता है
प्यार ज्ञान बढ़ाता है
प्यार अंधा कर जाता है
प्यार प्रोत्साहित करता है
प्यार में डर लगता है
प्यार झगड़े बढ़ाता है
प्यार गले मिलवाता है

...और इस सब से ऊपर
प्यार हमेशा इसके लायक है, क्योंकि
प्यार बेहतर इंसान बनने की वजह है
जब भी आप किसी से प्यार करते हैं
तो फिर चाहे वो
बुरे वक़्त में साथ निभाने वाले दोस्त के लिए हो
अंत तक दिल की गहराई से चाहने वाले महबूब के लिए हो
बिना शर्त प्यार करने वाले अपनों के लिए हो, या
प्रभु के प्रति जटिल प्रेम भावना हो
वहां...इश्क़ करने के लिए कोई अर्थ नहीं होता
वहां चाहत का मतलब...सब कुछ होता है

कुछ फ़र्क नहीं पड़ता
प्रेम में कितना दर्द होता है
प्रेम में इंसान कितना रोता है
प्रेम आत्मपरीक्षण करता है
प्रेम आत्मविभाजन करता है
प्रेम सदा इसके योग्य है, क्योंकि
जो आपको मारता नहीं है,
वो आपको मज़बूत बनाता है
वक़्त बेशक़ कितना भी लग जाये
यदि आप प्यार के साथ जी रहे हैं, तो
आप एक बेहतर इंसान ही बनेंगे, क्योंकि
आप फिर गलतियाँ करने से
कोशिश करने से
चुनाव करने से
डरेंगे नहीं
और...सब से ऊपर
यदि आप किसी को चाहते हैं, तो
कोई फ़र्क नहीं पड़ता लोग क्या सोचते हैं
आप उसके लिए जान दे सकते हैं, लेकिन
आप उसके लिए, उसके साथ ज़िन्दगी जियेंगे भी
यही है...'निर्जन' के विचार से
चाहत, प्रेमभाव, मोहब्बत, पसंद, वफ़ा,
प्यार, वात्सल्य, प्रणय, सुभगता, प्रियतमा,
प्रीति, प्रेम, मुहब्बत, रुचि, स्नेह, इश्क़
...का सार्थक अर्थ...

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #प्यार #सार्थक #अर्थ #भावनाएं #सोच

शनिवार, जनवरी 09, 2016

हर लम्हा याद मैं करता हूँ



















बस यूँ ही बैठा-बैठा, अब
माज़ी को याद मैं, करता हूँ
गुज़रे दिनों की, यादों से
मैं आज भी, बातें करता हूँ

पुराने घर का, हर किस्सा
याद, आज फिर आता है
हिस्सा, एक उम्र का गुज़रा
जो अब ना, भूलने पाता है

फाटक का, वो दरवाज़ा
घर की याद, दिलाता है
गुज़रता हूँ, गली से जब
दिल मेरा, भर आता है

गुलिस्तां की, कलियों पर
फ़िदा दिल, हो जाता था
बड़े, दालान की रौनक़ में
दिल ये, खो जाता था

वो बारिश, जब भी होती थी
कोना-कोना, भीग जाता था
सौंधी मिटटी, की खुशबू से
आँगन वो, महक जाता था

सूरज भी, छिप छिप कर
अटखेलियां, करता था
किरणों के, झाँकने पर भी
कमरा आधा ही, भरता था

बड़ा कमरा था, बीचों बीच
याद बहुत वो, आता है
मेरी, शरारतों का नगमा
वो, हर्फ़े-हर्फ़ सुनाता है

कई रिश्तों की, दावतों का
अकेला ही, गवाह था वो
कई अपनों की, कहानी का
ख़ुदाया, ख़ैर-ख़्वाह था वो

बड़े कमरे के, भीतर ही
पाक एक कोठरी, भी थी
मेरे ख़ुदा से मेरी, रोज़ाना
जहाँ, गुफ़्तगू होती थी

उस बड़े घर के, बड़े दिल में
बड़ी सी, माँ की रसोई थी
जहाँ माँ ने मेरी, बड़े दिल से
अरमानो की लड़ी, पिरोई थी

बड़े ही चाव से, अम्मा वहां
लज़ीज़, अरमां पकाती थी
रूह भर जाती थी, अपनी
जब हाथों से, वो खिलाती थी

शाम को, छतों पर सब
मिलकर, पतंगें उड़ाते थे
कुछ पेंचे, लड़ाते थे
तो कुछ, आंखे भिड़ाते थे

अपनी तबियत, देख मलंग
पड़ोसन भी, शर्माती थी
चुपके से, झुकाकर नज़रें 
धीमे-धीमे, मुस्काती थी

छुट्टी के दिन, चौक में
क्रिकेट का मैच, होता था 
खेलना खेल, बहाना था
इश्क़ में, दिल कैच होता था 

खिड़की पर, खड़ी महबूबा
पोशीदा एक, राज़ होती थी
ना उड़ जाये, किल्ली अपनी
के बस वही, लाज होती थी 

हर एक मौसम, को चखना
दिल-ए-दस्तूर, होता था
हर ख़वाहिश, पूरी हो जाए
एक यही, फितूर होता था

हर मौके का, लुत्फ़ 'निर्जन'
मैंने तबियत से, उठाया था
हर एक मंज़र, चहकता था
पुराने घर का, सरमाया था 

उन बातें को, उन किस्सों को
आज भी, जी भर याद करता हूँ
बिछड़े आशियाने को अब भी
हर लम्हा याद मैं करता हूँ...

#तुषारराजरस्तोगी #लम्हे #यादें #बातें #पुरानाघर #अपनाघर

शनिवार, जनवरी 02, 2016

इमोशनल फूल













कुछ अपने हुए नामाकूल
टॉक्स हैं इनकी जैसे शूल
माइंड में मतलब की चूल
अक्ल से हैं ये बैल से लूल
करें प्यार का टैक्स वसूल

भाड़ में जाएँ नियम उसूल
अपनेपन की बात फ़िज़ूल
अपने अपनों को देते हूल
पराये अब लगते जो कूल
पैसा बन गया आज रसूल

हिस्ट्री-फ्यूचर में रहे हैं झूल
प्रेजेंट में ये करते है डरूल
हसरत इनकी उल जुलूल
'निर्जन' कहते हैं ये सब से   
नही हैं ये इमोशनल फूल

भैया अपन भी गए थे भूल
सब हैं अपने में ही मशगूल
चढ़ी आज जज्बातों पर धूल
जीवन जीने का नया ये रुल
प्रक्टिकैलिटी में है अनकूल

#तुषारराजरस्तोगी #प्रैक्टिकल #इमोशनल #फूल