जिंदगी रेत की तरह
हाथों से फिसल रही है
हर एक लम्हा बीत रहा है
तेरी यादों में
बिना जाने किस तरह
तुझको चाहूँ मैं
किस तरह से तेरी
उन सोई पलकों को
छु लूं मैं
सपने बदल रहे हैं यहाँ
तेरे साथ पाने को बेताब है रात
किसी सूखे दरख़्त के नीचे
छनते सूरज की गर्माहट
साँसों का हौले से आना जाना
एक कब्र खोद रहा हूँ मैं
अपने माज़ी की
तेरे साथ अपने मुस्तकबिल की
और खुद की भी
इतनी जल्द
इतनी तेज़ी से
कुछ पूर्वाभास
या मेरी किस्मत
या सब कुछ जो है
वो मतलब से है
ओझल कभी कुछ नहीं होता
अपना नामोनिशां छोड़े बिना
अपनी हथेलियों पर निराशा लिए
शायद अब नाच भी नहीं सकता
बिना नीचे गिराए उसे
नीचे जिंदगी के गलीचे पर
कहीं रिस कर
उनमें न समां जाये
पर तेरे हाथ में देखा है
मैंने
मेरी जिंदगी को सोकने के लिए
वो सफ़ेद तौलिया
और वो तेरी हंसी की आवाज़
जैसे कागज की चिड़ियाँ
चहक रही हों शाखों पर
और वो पेड उग रहा है
मेरे दिल से
ये एक एहसास
दम तोड़ रहा है
धीरे धीरे...
हाथों से फिसल रही है
हर एक लम्हा बीत रहा है
तेरी यादों में
बिना जाने किस तरह
तुझको चाहूँ मैं
किस तरह से तेरी
उन सोई पलकों को
छु लूं मैं
सपने बदल रहे हैं यहाँ
तेरे साथ पाने को बेताब है रात
किसी सूखे दरख़्त के नीचे
छनते सूरज की गर्माहट
साँसों का हौले से आना जाना
एक कब्र खोद रहा हूँ मैं
अपने माज़ी की
तेरे साथ अपने मुस्तकबिल की
और खुद की भी
इतनी जल्द
इतनी तेज़ी से
कुछ पूर्वाभास
या मेरी किस्मत
या सब कुछ जो है
वो मतलब से है
ओझल कभी कुछ नहीं होता
अपना नामोनिशां छोड़े बिना
अपनी हथेलियों पर निराशा लिए
शायद अब नाच भी नहीं सकता
बिना नीचे गिराए उसे
नीचे जिंदगी के गलीचे पर
कहीं रिस कर
उनमें न समां जाये
पर तेरे हाथ में देखा है
मैंने
मेरी जिंदगी को सोकने के लिए
वो सफ़ेद तौलिया
और वो तेरी हंसी की आवाज़
जैसे कागज की चिड़ियाँ
चहक रही हों शाखों पर
और वो पेड उग रहा है
मेरे दिल से
ये एक एहसास
दम तोड़ रहा है
धीरे धीरे...