ख्वाबों की दुनिया में बुने एक अलसाये मन के भाव, विचार, सोच, कहानियाँ, किस्से, कवितायेँ....|
सोमवार, नवंबर 13, 2017
शनिवार, नवंबर 11, 2017
अर्ज़ किया है
तिश्नगी अपनी दानिस्ता नाआश्ना 'निर्जन' हुआ
नुक्तादानी करके भी नाशिनास साबित हुआ
तिश्नगी : लालसा, अभिलाष
दानिस्ता : जानते हुए
नाआश्ना : अजनबी
नुक्तादानी : बुद्धिमानी
नाशिनास= अज्ञानी
#yqdidi #निर्जन #तुषाररस्तोगी #तमाशा_ए_जिंदगी #तिश्नगी #अजनबी #अज्ञानी
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नुक्तादानी करके भी नाशिनास साबित हुआ
तिश्नगी : लालसा, अभिलाष
दानिस्ता : जानते हुए
नाआश्ना : अजनबी
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नाशिनास= अज्ञानी
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गुरुवार, नवंबर 09, 2017
बुधवार, नवंबर 08, 2017
ये ज़मी गा रही है
ये ज़मीं नहीं हम गा रहे हैं ;)
Pleae Click Here To Listen
#romantic #amitkumar #bollywood #yehzameengaarahihai #tusharrastogi #tamashaezindagi #hindi #song
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[tusharrastogi] sings Yeh Zameen Gaa Rahi Hai by Amit Kumar, what an incredible voice on StarMaker!
StarMaker, breaking barriers with the universal language of music!
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शुक्रवार, नवंबर 03, 2017
अर्ज़ किया है
इश्क़ परखने का हुनर, हम बख़ूबी जानते हैं
कौन है आशिक़-ए-बुताँ, हम बख़ूबी जानते हैं
आशिक़-ए-बे-दिल के, बैत-ए-आशिक़ाना में
कौन है फ़र्द-ए-बशर, हम बख़ूबी जानते हैं
आशिक़-ए-बुताँ - beauty lover
आशिक़-ए-बे-दिल - heartless lover
बैत-ए-आशिक़ाना - temple of love
फ़र्द-ए-बशर - unique human being
कौन है आशिक़-ए-बुताँ, हम बख़ूबी जानते हैं
आशिक़-ए-बे-दिल के, बैत-ए-आशिक़ाना में
कौन है फ़र्द-ए-बशर, हम बख़ूबी जानते हैं
आशिक़-ए-बुताँ - beauty lover
आशिक़-ए-बे-दिल - heartless lover
बैत-ए-आशिक़ाना - temple of love
फ़र्द-ए-बशर - unique human being
#yqdidi #निर्जन #तुषाररस्तोगी #तमाशा_ए_जिंदगी #इश्क़ #उर्दूशायरी #आशिक़
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गुरुवार, नवंबर 02, 2017
शुक्रवार, सितंबर 22, 2017
ज़रा सोचें
मेरी एक फेसबुक मित्र ने यह व्यंग चित्र साँझा करते हुए इसका विरोध किया था और उनकी बात का समर्थन करते हुए मैं भी माता रानी का आहवान जोर से नहीं प्रेम और श्रद्धा के साथ करता हूँ। इसी के साथ राजू राजेश शुक्ल के बनाये इस व्यंग्य चित्र पर अपनी पुरज़ोर आपत्ति दर्ज करवाता हूँ और विरोध करता हूँ। मेरी बात शायद बहुत से लोगों को बुरी लग जाए, हो सकता है कई लोगों की जल जाए और वो राकेट बन जाएँ तथा कुछ लोग तो इस लेख के लिए मुझे धिक्कारने भी लग जायेंगे। शायद भाग्वाकरणी, धर्मांध और कट्टरवादी जैसी उपाधियों से सम्मानित भी करने लग जायेंगे। विपरीत राजनैतिक सोच वाले शायद यहाँ भी मोदी साहब को इस से जोड़ कर टीका टिपण्णी करने से बाज़ नहीं आयेंगे या अंधभक्त या कुछ और कहने लग जायेंगे तो कोई अचरज ना होग। आपने कबीरदास जी का ये दोहा तो पढ़ा-सुना ही होगा -
कंकर पत्थर जोड़ कर, मस्जिद लई बनाये
ता चढ़ मुल्ला बांग दे, क्या बहिरा हुआ खुदाय
तो बांग देने की ये प्रथा यहाँ से शुरू हुई और देखा-देखि हिन्दूओं ने भी
मंदिरों में, पंडालों में, धर्म स्थलों में, गली मोहल्लों में
ध्वनिविस्तारक यंत्रों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। हालाँकि इनके प्रयोग
पर कोई आपत्तिजनक बात नहीं थी जब तक इनकी कर्णफोडू आवाज़ से आम जनता को किसी
तरह का कोई नुक्सान नहीं था परन्तु समय के साथ गली मोहल्लों के आवारा,
निकम्मों और नाकारा मुर्गों ने इन आयोजनों को अपनी बेहूदगी की बांग और टांग
दोनों देना शुरू कर डाला। हर एक त्यौहार होली, दिवाली, गणपति पूजन,
नवरात्रे आदि जैसे श्रद्धा के मौकों पर अपनी बेहयाई का नंगा नाच शुरू कर
दिया। तेज़ आवाज़ में डीजे बजने लगे, लाउडस्पीकर चलने लगे, छिछोरे गानों की
तर्ज़ पर भजन-गीत-संगीत बजने लगे और मदिरापान कर लफ़नडर नाचने लगे। यहाँ तक
की कुछ तो अपनी ख़ुद की फटी आवाज़ में माइक पर चिल्ला-चिल्ला कर जनता का खून
पीने लगे। तो भाई मैं तो इतना ही कहना चाहूँगा के खरबूज़े को देखकर ही
खरबूज़ा रंग बदलता है पर यदि किसी सड़े हुए खरबूज़े को देखकर रंग बदलोगे तो
तुम भी सड़ोगे ही मेह्कोगे नहीं। सनातन धर्म में हाथ जोड़ श्रद्धा और शांति
के साथ प्रार्थना करना सिखाया गया है चिल्ला चिल्ला कर आसमान सर पर उठाना
नहीं।
परन्तु एक बात तो सर्वव्याप्त और सर्वविदित है इंसान भले ही
इस कुकृत्य से विचलित हो जाये, आग बबूला हो जाएं, आपा खो दें परन्तु यह सब
आँखों के सामने होता देखते हुए भी प्रभु की स्थापित प्रतिमा के चेहरे पर
नितांत प्रसन्नता के भाव ही होते हैं। उनके होठों पर सदैव मुस्कान ही छलकती
रहती है और इतना सहकर भी उनके आशीर्वाद का हाथ सभी प्रकार के
झंडूपंचारिष्टों पर समान बना रहता है। फिर क्यों इनके जैसे कलाकार
अभिव्यक्ति की छूट की आड़ में ऐसे वाहियात व्यंग चित्र बनाकर ख़ुद अपने ही
धर्म का अपमान करने में लगे रहते हैं। एक तरफ़ तो घटिया मानसिकता वाले
सेक्युलर वादी/वामपंथी/दो कौड़ी के मानवाधिकारवादी/ छद्म दिखावेबाज़ देश और
धर्म दोनों की हर तरफ़ से ख़ूब बजाने पर तुले हुए हैं और उसपर छौंक लगाने का
काम ऐसे कलाकार करते हैं। धिक्कार है ऐसी मानसिकता पर जो मातारानी को इतना
असहाय दर्शाती है। मातारानी शक्ति की प्रतीक हैं। ऐसी छोटी-मोटी बातों से
यदि वो विचलित होने लग गईं तो उन्हें माँ दुर्गा कौन कहेगा। वो जगत जननी
हैं इससे ज्यादा पीड़ा और दर्द का एहसास तो माताएं प्रसव के समय बर्दाश्त
करती हैं। यहाँ कलाकार ने माता के साथ नारी का भी मखौल बना कर रख दिया है।
यदि उन्होंने ज़रा सी फूँक भी मार दी तो समझो विश्व में प्रलय आ जाएगी। लगता
है ये महाशय चण्डिका और माँ काली को भूले बैठे हैं।
मेरे अनुसार
यहाँ देवी माँ के स्थान पर कोई प्रताड़ित साधारण मनुष्य होना चाहियें था और
देवी माँ उस पर अपना आशीर्वाद बनाते हुए मुस्कुरा रही हैं ऐसा होना चाहियें
था। मैं तो राजू से कहूँगा कि वो अपनी इस त्रुटी को सही करें और इस व्यंग
चित्र को इन्टरनेट और सभी जगहों से हटा लें। आप ख़ुद ही अपने आराध्य का ऐसे
अपमान क्यों कर रहे हैं? सवाल बस यही है - मातारानी ऐसी सोच वालों को
सद्बुद्धि प्रदान करें, ऐसी मेरी मनोकामना है, बाकी तो सब मोह-माया
है...ख़ुद की अक्ल लगाओ और ख़ुद ही जवाब पाओ। यदि आप समझदार हैं, तो समझे तो
ठीक समझे। नहीं समझे तो समय आने पर समझ जाओगे, और यदि समझने की गुंजाइश शेष
बची ही नही हो तो ज़ोर से बोलो जय माता दी - वो सबका भला करती हैं तुम्हारा
भी करेंगी।
#जय_माता_दी
#तुषाररस्तोगी
#क्रन्तिकारी_सनातन_विचारधारा
#क्रोधितविरोध
#हर_हर_हर_महादेव
#कट्टर_हिन्दू
#व्यंगचित्र_हटाओ
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चिप्पियाँ:
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धर्म,
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व्यंग चित्र,
हिन्दुत्त्व
शुक्रवार, अगस्त 11, 2017
एक शेर
उनके अलफ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला
इश्क़ उनसे है 'निर्जन' का यही अब फैसला
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे इश्क़ की इंतहा
हम अभी से क्या बताएं जो हमारे दिल में है
#वन्देमातरम #जीवन #तुषार #रस्तोगी #निर्जन #तमाशा_ए_जिंदगी #हिंदी #उर्दू #शायरी #इश्क़ #जज़्बात #वक्त #मोहब्बत #tamashaezindagi #tushar #rastogi #nirjan #life #hindi #urdu #shayari #YQbaba #YQdidi
बुधवार, जुलाई 26, 2017
उत्कंठा
मैं, हर कविता को, एक प्रेमी की तरह,
अपने साथ मुलाक़ात करने ले जाता हूँ,
अपने शयनकक्ष में, अपने बिस्तर पर...
बड़ी आतुरता सुकून से रसपान करता हूँ,
व्याकुल अतिलोलुप की भाँती तेज़ी से,
उसके चेहरे को छू हथेलियों से थामता हूँ...
शब्दों की दरारों को, गले लगाता हूँ,
भावनाओं की हर स्नेही और उष्ण सांस,
'निर्जन', के कानों को उग्र सुनाई देती है...
बदन की ख़ुशबू जैसे, मंद बहते पन्ने,
गुनाहगार, स्वादिष्ट हस्तलिपि की,
मिठाई को चाटते रसीले पापी होंठ...
कोमल जीवन के, स्वाद से भरपूर,
जो कभी किसी को, पर्याप्त नहीं मिलता,
बेहद सरल, स्पष्ट, शालीनतापूर्वक वर्णित...
अपने साथ मुलाक़ात करने ले जाता हूँ,
अपने शयनकक्ष में, अपने बिस्तर पर...
बड़ी आतुरता सुकून से रसपान करता हूँ,
व्याकुल अतिलोलुप की भाँती तेज़ी से,
उसके चेहरे को छू हथेलियों से थामता हूँ...
शब्दों की दरारों को, गले लगाता हूँ,
भावनाओं की हर स्नेही और उष्ण सांस,
'निर्जन', के कानों को उग्र सुनाई देती है...
बदन की ख़ुशबू जैसे, मंद बहते पन्ने,
गुनाहगार, स्वादिष्ट हस्तलिपि की,
मिठाई को चाटते रसीले पापी होंठ...
कोमल जीवन के, स्वाद से भरपूर,
जो कभी किसी को, पर्याप्त नहीं मिलता,
बेहद सरल, स्पष्ट, शालीनतापूर्वक वर्णित...
#तुषाररस्तोगी #निर्जन #उत्कंठा #हिंदी #कविता #ज़िन्दगी
सोमवार, मार्च 27, 2017
मोहब्बत होने लगी है
लगता है मोहब्बत होने लगी है
ज़िन्दगी ये उनकी होने लगी है
चलते हैं साथ जिस रहगुज़र पर
जानिब-ए-गुलिस्ताँ होने लगी है
गुल-ऐ-विसाल है मुस्कान उनकी
उफ़! जादा-ए-हस्ती होने लगी है
इश्क़ में उनके असीर हो गया हूँ
तौबा नज़र भी उनकी होने लगी है
ख्वाबों में ही चाहे नींद मेरी अब
आगोश में उनके सोने लगी है
'निर्जन' है साहिल मंजिल वही है
ख़ुशबू में उनकी रूह खोने लगी है
लगता है मोहब्बत होने लगी है...
रहगुज़र - पथ
जानिब-ए-गुलिस्ताँ - गुलाबों के बगीचे की तरफ़
गुल-ऐ-विसाल - मिलन के फूल
जादा-ए-हस्ती - ज़िन्दगी की राह
असीर - बन्दी
आग़ोश - आलिंगन
#तुषाररस्तोगी
सोमवार, फ़रवरी 06, 2017
सन्देश सदा ही देता है
तृष्णा से बड़ा, कोई भोग कहाँ
सब पाने का लगा है, रोग यहाँ
अपने अपनों से क्या, बात करें
ख़ुदगर्ज़ हो गए, सब लोग यहाँ
पाषाणों में, जीवन को भरने की
कोशिश में, 'निर्जन' रहता है
हर पल जीवन, जी भर जीने का
सन्देश सदा ही देता है...
है अंत तुम्हारा, उस चिट्ठी में
जो है, ऊपर वाले की मुट्ठी में
अब मान भी जा, ज़िद पर ना आ
कोई रहा ना बाक़ी, इस मिट्टी में
फिर क्यों, लड़ने की चाहत में
तू पल-पल बलता रहता है?
हर पल जीवन, जी भर जीने का
सन्देश सदा ही देता है...
अब बाँध ज़रा, दिल को अपने
और थाम ज़रा, कल को अपने
अल्फ़ाज़ों को करके, मौन तेरे
और ढूंढ बचे यहां हैं, कौन तेरे
अब त्याग भी दे, इस अहम् को
जिसमें हर पल तू मरता रहता है
हर पल जीवन, जी भर जीने का
सन्देश सदा ही देता है...
#तुषाररस्तोगी #निर्जन #तमाशा-ए-ज़िन्दगी #हिंदी #कविता #सन्देश #जीवन #पीड़ा #तृष्णा #ख़ुदगार्ज़ #ज़िद #दिल #अल्फ़ाज़ #अहम्
गुरुवार, नवंबर 17, 2016
खुजली खांसी देश का दुश्मन
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
पी.एम्. और जनता - राज़ी
फिर भी ना माने - पाजी
पी.एम्. और जनता - राज़ी
फिर भी ना माने - पाजी
ये खुजली ना छोड़े, चल इसको फोड़े
ये बनने ना देगा देश को एक जुट मुकम्मल
देश को बेचे ना समझे
हाँ, ये देशद्रोही है समझे
देश के गद्दारों की ये
गोद में खेले
हाँ, मुंह जब भी खोले
ये, घटिया ही बोले
हो जाए खुजली - हां जी
ख़ुदा को प्यारा - वाह जी
तब होगी दिल्ली की, खाना आबादी
सुलझ जाएगी पल में देश की उलझन
खुजली खांसी देश का दुश्मन
हाय! हाय!
मेरे देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी देश का दुश्मन
हाय! हाय!
मेरे देश का दुश्मन
हाय! हाय!
दैया रे दैया इसका हाल तो देखो
झूठे वादे कर, इसके सवाल तो देखो
अरे झांसे, धोखे, इसके बवाल तो देखो
अजी, कुछ बरसों में ऐसे
दाल कहाँ गलती है
अजी, कुछ बरसों में ऐसे
माल कहाँ मिलता है
सबको है मालूम, कैसे, कैसे
कैसे चंदे का ये माल जमा करता है
क्या हाल बताऊँ - अरे, हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ जी
सबूत दिखाऊं - अरे, हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ जी
पलटू है दोगला कैसा रंग गिरगिट सा बदले ऐसे
गद्दारों को ऐसे ही रुसवा करते हैं मियां खों खों
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
#तुषारराजरस्तोगी #खुजली #खांसी #पाजी #पैरोडी
रविवार, सितंबर 04, 2016
दिल-ए-नादां
दिल-ए-नादां देखता जा, ज़रा रुक तो सही
अभी इश्क़ होगा आबाद, ज़रा रुक तो सही
मजनू, महिवाल, फरहाद, सारे मरीज़-ए-इश्क़
आज होंगे सब कामयाब, ज़रा रुक तो सही
सजेगी डोली, महफ़िल-ए-हुस्न कद्रदां होंगे
ले देख, वो आई लैला, ज़रा रुक तो सही
सोहनी हो गई फ़िदा, मरहबा महिवाल पे
शीरीं का होगा फरहाद, ज़रा रुक तो सही
ले वो आए रेशमा-शेरा, डाल हाथ में हाथ
ये दोनों भी हैं बेपरवाह, ज़रा रुक तो सही
देख अंजाम होगा यही, आरज़ू का तेरी, ए दिल
हौसला तू भी बनाए रख, ज़रा रुक तो सही
'निर्जन' क्या ख़ूब बनी जिंदगी तेरी इस नादां से?
चल करता जा पीछा, ना रुक, ज़रा रुक तो सही
#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #दिल-ए-नादां #निर्जन
रविवार, अगस्त 14, 2016
असली स्वतंत्रता दिवस
आज स्वतंत्रता दिवस है, पर,
दिल यह कहने को विवश है,
क्या यहाँ है सच्ची स्वतंत्रता?
हर पथ पर है बस परतंत्रता...
जन गण मन अधिनायक जय,
शायद यह है भी, या नहीं है?
परन्तु क्या ७० वर्षों बाद भी,
अपने देश की जय है? नहीं है...
बरसों बाद भी हर एक शख़्स,
परेशानियों से लड़ रहा है,
झूठी सामाजिक अराजकता से,
चुपचाप नाक़ाम भिड़ रहा है...
यहाँ की व्यवस्था बड़ी निराली है,
जो करती चाटुकारों की रखवाली है,
जो आँखों के रहते हुए भी अंधे हैं,
कान-ज़बां रखकर भी गूंगे-बहरे हैं...
विकास तो बख़ूबी हो रहा है,
पर मज़े उसके कौन ले रहा है?
और यदि नहीं हो रहा है, तो,
कौनसा कोई ज़िम्मेदारी ले रहा है...
यहाँ गलत कोई भी नहीं है, क्योंकि,
हर बाशिंदा यहाँ समझदार-सही है,
बस, अब बचा एक लम्बा इंतज़ार है,
उसका जो देश का सच्चा पालनहार है...
जो अपने साथ सबका ख़याल रखेगा,
जो किसी की भी नोक पर नहीं रहेगा,
अपनी बनाई सही नीतियों पर चलेगा,
और इस भारतवर्ष का भला करेगा...
वो व्यक्ति हम सबके भीतर ही है,
बस जगाना है अपने इमान को,
आग जलानी है अपने दिलों में,
बाहर निकलना है अपने बिलों से...
फिर यही आग मशाल बन जलेगी,
परवाज़ देगी अधूरे सपनो को 'निर्जन',
जो दफ़न हो गए हैं सड़ी राजनीति तले,
उस दिन होगा असली स्वतंत्रता दिवस...
#तुषारराजरस्तोगी #स्वतंत्रतादिवस #१५अगस्त #७०वर्ष #निर्जन #राजनीति
समस्त भारतवर्ष को तुषार राज रस्तोगी 'निर्जन' की तरफ़ से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
बुधवार, जुलाई 27, 2016
सुना है
सुना है कि बारिशों जैसी हो
कुछ कहो बरसती कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
सावन की बूंदों जैसी हो
सुना है कि गुलाब जैसी हो
कुछ कहो ज़रा तुम कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
शायर के ख़्वाबों जैसी हो
सुना है कि इश्क जैसी हो
कुछ कहो बहकती कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
रूबाई-ए-खय्याम जैसी हो
सुना है कि शर्म जैसी हो
कुछ कहो नाज़ुक कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
छुईमुई की डाली जैसी हो
सुना है कि आदत जैसी हो
कुछ कहो सआदत कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
बेहतरीन शराबों जैसी हो
सुना है कि चाँद जैसी हो
कुछ कहों कि कहां रहती हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
पूनम की चाँदनी जैसी हो
सुना है कि शेरनी जैसी हो
कुछ कहो गरज के वैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
रानी लक्ष्मीबाई के जैसी हो
जानता हूँ कि तुम कैसी हो
'निर्जन' की कल्पना जैसी हो
कुछ नहीं है सुनना दुनिया से
जीवन में प्राणों के जैसी हो
सआदत - Prosperity, Happiness, Good Fortune
#तुषारराजरस्तोगी #कल्पना #निर्जन #इश्क़ #मोहब्बत #जज़्बात #दुनिया #सुनाहै #जीवन #प्राण
शुक्रवार, जुलाई 08, 2016
एक शब्द
सनक और जूनून
वासना और प्यार
अभीप्सा और देखभाल
तुम्हारी ग़ैरहाज़िरी खल रही है
तुम्हारे बारे में सोच रहा हूँ
और सब से बहुत ही ज़्यादा
हर एक तर्क से परे
है यह सारी सोच
ये प्यार जो जलता है
आग से भी ज्यादा गर्म
तपिश इसकी है जो
ज्वालामुखी से ज्यादा
ये इबादत है जो
बंदिश नहीं है
ये दर्द है जो
कम नहीं होता
ये पीड़ा है जो
कभी जाती नहीं है
ये वफ़ादारी है जो
सच में अंधी है
ये विश्वास है जो
हर किसी प्रकार से भिन्न है
ये है डर की भावना
श्रद्धा के साथ
कि यह व्यक्ति
शायद मेरा हो सकता है
मेरी आत्मा का आत्मसमर्पण
मेरा दिल तुम्हारा है
हमेशा के लिए
यह सब कुछ
सदा के लिए
संचित है
एक शब्द में
जिसे तुम शायद ही
समझ पाती हो
लेकिन शायद
कभी किसी दिन
तुम समझ जाओगी
यह एक शब्द:
'मोहब्बत - प्यार - इश्क़'
अभीप्सा - Longing
#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #एकशब्द #इश्क़ #प्यार #मोहब्बत #इबादत #समझ
बुधवार, जून 01, 2016
मोहब्बत हो ही गई है
जादू-अदा बा-ख़ुदा ख़ूब उसकी
बाग़-ए-इरम ज़िन्दगी होने लगी है
ऐतबार-ए-इश्क़ ऐसा है उसका
आलम-ए-दीवानगी होने लगी है
नज़राना-ए-शोख़ी नज़र ख़ूब उसकी
अज़ीज़-ए-दिल उल्फ़त होने लगी है
गुल-ए-विसाल मासूमियत उसकी
दीवार-ए-ज़िन्दगी होने लगी है
हसरत थामे आँचल अब उसका
जानिब-ए-गुलिस्ताँ होने लगी है
चलते हैं साथ जिस रहगुज़र पर
अब जादा-ए-हस्ती होने लगी है
लुत्फ़-ए-तसव्वुर रहता है उसका
चाँदनी अब हर रात होने लगी है
फ़िराक़-ए-यार सोचते भी अब
दहशत सी दिल में होने लगी है
लगता है 'निर्जन' रूह्दारी करते
तुझको मोहब्बत हो ही गई है
बाग़-ए-इरम - जन्नत का बागीचा
ऐतबार-ए-इश्क़ - प्यार पर भरोसा
आलम-ए-दीवानगी - दीवाने की स्थिति
अज़ीज़-ए-दिल - दिल को प्रिय
गुल-ए-विसाल - मिलन का फूल
दीवार-ए-ज़िन्दगी - ज़िन्दगी का सहारा
जानिब-ए-गुलिस्ताँ - गुलाबों के बागीचे की तरफ़
रहगुज़र - पथ
जादा-ए-हस्ती - ज़िन्दगी की राह
फ़िराक़-ए-यार - प्रियेतम से बिछड़ना
रूह्दारी - लुका छुपी
--- तुषार राज रस्तोगी 'निर्जन' ---
#इश्क़ #ग़ज़ल #तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #रूह्दारी #मोहब्बत
रविवार, मई 22, 2016
यही तुम हो...यही मैं हूँ
इस जीवन में कुछ बातें हैं
में जिन्हें बयां नहीं कर सकता
इस जीवन में कुछ रेज़गी* हैं
क्योंकि, सब समान नहीं रहता
इस जीवन में कुछ सपने हैं!
और लोग जो उन्हें जीते हैं
इस जीवन में कुछ अपने हैं!
और लोग जो उन्हें खो देते हैं
यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
यदि, सिर्फ़ तुम भी देख पाते
यह दुनिया, वैसी, जैसी मेरे लिए है
यही मैं हूँ!
यही तुम हो!
इस जीवन में एक समय था,
जब कई बार मैं रोया था
इस जीवन में कभी दिल ने,
ज़िन्दगी अधमरी महसूस की थी
इस जीवन में कुछ चीज़ें हैं!
जो मैं कभी साबित नहीं कर सकता
इस जीवन में ऐसी भी चीज़ें हैं!
बहुत सी चीज़ें, जो सच भी हैं!
यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
यदि, सिर्फ़ तुम यह देख पाते,
यह दुनिया, हमारे चारों ओर,
बिलकुल भी खाली नहीं है!
यही मैं हूँ!
यही तुम हो!
इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जिन्हें ज़रुरत है...
इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जो खून बहाते हैं...
इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जिन से अभी मिलना बाक़ी है
इस जीवन में, ऐसे हालात भी हैं
जब तुम्हे बस लड़ना ही होगा!
इस जीवन में, ऐसे पल भी हैं,
जिनमें जो सही है बस
वही करना होगा...!
यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
और, यदि भरोसा है तुम्हे
तो तुम भी वो देख सकती हो
जो 'निर्जन' देखता है सदा!
आश्चर्य होता है कभी
कि यह दुनिया,
क्या से क्या हो सकती है?
यही तुम हो...
यही मैं हूँ...
यही ज़िन्दगी है...
रेज़गी - परिवर्तन / Change
#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #परिवर्तन #जीवन #सपने #दर्द #सच #शर्म #दुनिया #तुम #मैं #ज़िन्दगी
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