गुरुवार, दिसंबर 27, 2012

शर्मा से शर्मना नहीं

परीक्षा में नक़ल करते एक छात्र को
अध्यापक ने पकड़ा
हाथों में जकड़ा
फिर घुर्रा कर कहा
बदमाश नकल करता है
शर्म नहीं आती
पढाई के वक्त मरता है
हाथों से कापी ली झपट
लिखने लग गए रपट
छात्र ने पहले अपना नाम
फिर अपने पिताजी का नाम
बतलाया
अध्यापक चूँकि था शर्मा
इसलिए
पीछे शर्मा लगाया
शर्मा सुनकर
पहले अध्यापक घबराये
फिर
मुस्कराए और बोले
अरे तो तुम्ही हो
उन शर्माजी के लाल
जिनके हैं
दो कारखाने
तीन फक्ट्रियां
और
चार हैं निजी अस्पताल
तुमने मुझे
पहले क्यों नहीं बताया
माफ़ी चाहूँगा बहुत
समय गंवाया
लो बेटा किये जाओ नक़ल
अब न दूँगा मैं कोई दखल
कुछ चाहियें तो बतला देना
हिचकिचाना नहीं
शर्मा होकर
शर्मा से शर्मना नहीं...


मंगलवार, दिसंबर 25, 2012

जब प्रथम दिवस का कर्म हुआ

हे जीवनदाता
जब तुम्हारे
कर्म को
ज्ञात मैं
करता हूँ
एक असीम
आनंद को
प्राप्त होता हूँ
क्योंकि
सोचता हूँ
गति ही
जीवन है
गतिविहीन जल भी
सड़ जाता है
ये, तो
जीवन है
इसका
ठहरना
रुकना
मेरे लिए
शायद
मरण की
तारिख
लेकर आएगा 

सोमवार, दिसंबर 24, 2012

अंदर से कुछ टूट रहा है

अंदर से कुछ टूट रहा है
अपनापन अब छूट रहा है
कहते थे जिनको हम अपना
रिश्ता हर वो मूक रहा है
हालातों की बलि वेदी पर
अरमानो का खून बहा है
मानवता की गरिमा कर छिन्न-भिन्न
इंसान रिश्तों पर थूक रहा है
दुखी ह्रदय से कहता है "निर्जन"
अश्रु बन यह फूट रहा है
अंदर से कुछ...

एहसास मर गए

आज कुछ और
एहसास मर गए
जो बचे थे अरमान
वो भी कुचल गए
दिल में जगे जज़्बात
चिता चढ गए
अब उम्मीद क्यों करें
किसी से 'निर्जन'
जो कहने को थे अपने
वो किनारा कर गए
आज कुछ और
एहसास मर गए

सृजनहार

हे सृजनहार
क्या तूने
मेरी स्मृतियों
का भी सृजन
किया था
या फिर, मुझे
कठपुतली को
एक वेष में
एक रूप में
बार बार
जीवन के
रंगमंच पर
एक सा अधूरा नाटक
करने को
छोड़ दिया
क्या टू
अपनी सभी
कठपुतलियों को
शरीर से नहीं
आत्मा से
भेदन करने को
छोड़ देता है
उस पीड़ा का
शायद तुझे
अहसास नहीं
तभी तो
एक बार नहीं
बारम्बार
सूली पर
लटकाया है
तूने मुझे
जबकि
येशु भी
एक बार ही
सूली पर
लटके थे
हे ईश्वर
मेरे पहले रंगमंच का
अनायास ही मिलना
फिर दूसरे का
जिसकी मुझे
मिलने की कोई
आशा नहीं थी
और न ही स्वप्न
मिला है
कुछ छिन्न-भिन्न सा 

शनिवार, दिसंबर 22, 2012

Victory or Defeat


















A poem again from my old school days written during the times of Kargil War. Enjoy!

Victory, Victory, Victory
An all round victory - says Atal
A moral victory - says Nawaz 
A marvellous triumph - says Technology
but behind this jubiliations, weeps 
Mankind - desperate in the utter defeat.

Ask the mother - 
Yesterday, with hopes of life in her lap, 
Today, nurses the bodies of dead.

Ask the innocent child - 
Yesterday, the spark of happiess, 
Today, alone in the chilly darkness of fear.

Ask the man whose loyalties pledged - 
Yesterday, a father, a brother, a husband, a son, 
Today, lies unknown, admist unknowns.

Can you return their laughter, their hopes, 
Their precious lives, those dreams you stole?
Wash the blood stains with acid or alcohol?
Wash the tears with perfumed Arabian Kohl ?

When vanity, greed and ambition don the mantle of righteousness
When leaders drunk with power
Forget their roots, their fellomen
When weeds of death cover the garden of life
There in every land, in every heart looms
The dark cloud, the black hand of 
Defeat, Defeat, only Defeat!

कोई तो आंसू पोछ दे

बधाई हो दिल्ली वालो....साउथ दिल्ली में अब विदेशी लड़की से गैंग रेप
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चलती बस में गैंग रेप पर इतने हो-हल्ले के बीच देश की राजधानी में एक विदेशी लड़की से गैंग रेप की वारदात हुई है। पीड़ित लड़की अफ्रीकी मूल की बताई जाती है। गैंग रेप की वारदात शुक्रवार रात साउथ दिल्ली में मालवीय नगर इलाके के हौजरानी में हुई। खबर मिलते ही दिल्ली पुलिस के आला अफसरों में हड़कंप मच गया।

रात को ही पीड़ित लड़की को मदन मोहन मालवीय हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। बताया जाता है कि युवती के प्राइवेट पार्ट्स में गहरी चोटें आई हैं। डीसीपी छाया शर्मा के मुताबिक, 'युवती से ठीक से बात नहीं हो पा रही है। उससे बात करने के बाद ही सही स्थिति का पता चलेगा। लड़की की भाषा समझने के लिए उसके साथियों को बुलाया गया है। वह यदि रेप का बयान देती है तो उसी हिसाब से ऐक्शन लिया जाएगा।'

अभी हाल में हुई इन घटनाओ के क्रम से दिल भर आया है और सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ के दिल्ली में यह क्या होता जा रहा है ? दिल्ली वालों की मानसिकता कहाँ जा रही है ? नारी का कोई अस्तित्व इन जैसे लोगों की नज़र में कुछ रह भी गया है या नहीं ? ऐसे दरिंदे समय आने पर अपनी भूक के लिए क्या अपनी माँ बहनों को छोड़ेंगे ? नारी का ऐसा अपमान ऐसा तिरस्कार कब तक होता रहेगा दिल्ली में ? प्रशासन मूक और बधिर बनी क्यों बैठी है ? यदि यह आज का कलयुग है तो आने वाला कल का कलयुग कैसा होगा ? क्या नारी दिल्ली जैसे शहर में सच में सुरक्षित है ?  इन्ही सवालों से जूझते हुए चंद पंक्तियाँ मेरे ज़हन में आई जो आपके समक्ष प्रस्तुत है | 

श्याम और श्वेत जैसे 
दिल्ली की नारी का जीवन 
हर तरफ से वीरान है  
रंग नहीं 
रौशनी नहीं  
बस धुंधला आसमान है 
ध्वनि नहीं 
शोर नहीं 
संगीत भी अनजान है    
मुस्कराहट नहीं 
धडकन नहीं 
हास भी तूफ़ान है  
पड़ी धरा पर है अकेली 
कितनी निष्प्रभ, कितनी गहरी 
दर्द में सिसकती रही 
रुदन सुनकर भी उसका 
आया अब कोई नहीं  
रोती रही 
बिलखती रही 
आया नहीं कोई पूछने 
काश आगे आये बढ़कर 
कोई तो आंसू पोछ दे 
कोई तो आंसू पोछ दे 

Friendship

This quote comes from my old school days diary. May be i must have noted it down in around 90's. 

Friendship is the only 'Ship' with which one can reach other's thoughts and dreams. It is a two way street; if it 's not fed from both sides, it will atrophy. To dissolve loneliness we need friends and to have friends we need humility. A friend is not an object to be possessed but a subject to be cherished.

गुरुवार, दिसंबर 20, 2012

जीवन आंकलन

एक २३ वर्षीय सुन्दर युवती
दिन के उजाले में
जिसकी आँखें सूर्य के समान चमकती हैं
जिसकी हंसी से
सारा जग रोशन हो जाता है
जिसके अनेकों दोस्त है
जिसे पागलों की तरह चाहने वाला
एक प्रेमी है
किसी दिन वो भी ब्याह के
एक बड़ी घर में जाने का सपना संजोये है
जिस तरह वो अपने पिता के घर में
उनके साये पली बढी है
एक दिन वो अपनी पढाई पूरी कर
अपनी मनपसंद नौकरी करना चाहती है
या फिर अपनी पढाई पूर्ण कर
एक सजीले नौजवान के साथ
अपना जीवन व्यतीत करना चाहती है
जिसके साथ वो सदा सुखी रहे खुश रहे
उसके खूबसूरत संतान हो
और वो उन्हें पूरे दिल से चाहे
समय बीतने के साथ वो दादी बने, पड़दादी बने
और जब अंतिम समय आये
तब वो शांति के साथ
अपने प्यारे जीवन साथी के पास लेटे हुए
पञ्च तत्व में विलीन हो जाये
यही एक स्त्री की संपूर्ण जिंदगी की सोच होती है

इसके विपरीत पीड़ित

एक २३ वर्षीय युवती
चांदनी में चमकती सर्द रात में
रुदन करते हुए
अपनी तरह टूटी हुई और
मिथ्या मुस्कराहट लिए
एक दम अकेली
कुछ अनजान दरिंदों के बीच
एक अनिश्चित मानसिकता के साथ
संघर्ष करती है
अब वो बड़ा घर एक खालीपन से
भर गया है
सपने चूर चूर हो गए हैं
समाज में दूसरों की मुस्कराहटों को देख
उससे अपनी पुरानी जिंदगी का एहसास होता है
अब कोई राजकुमार नहीं है
जिसे वो सब कुछ सौंपना चाहती थी
जो उससे छिन गया है
उसके वो सुन्दर बच्चे अब नहीं होंगे
अब उसका वो चकना चूर दिल
कभी जुड नहीं पायेगा
वह अपनी माँ से कभी कह नहीं पायेगी
के उनकी वो परिपूर्ण और निपुण बेटी
हमेशा के लिए कहीं खो गई
वह सदा के लिए समाप्त हो चुकी है
अब सिर्फ एक शव समान रह गई है
उन लोगों ने उससे सब कुछ छीन लिया
और अब वो एक परछाई है जो कभी वो हुआ करती थी
उससे सब कुछ छिन्न चुका है
उसकी मुस्कान, उसकी जवानी और उसकी संपूर्ण जिंदगी

बुधवार, दिसंबर 19, 2012

रात के कुछ लम्हे

रात के कुछ लम्हे हैं 
जिन्हें भुलाया नहीं है 
दफनाया भी नहीं है
जो छूट गए हैं 
माज़ी की यादों में
या छोड़ दिए हैं  
उन गुज़री राहों पर 
जिन पर साथ चले थे कभी 
किये थे कुछ कसमे वादे
भूल गए जो अब हम तुम ..

रात के कुछ लम्हे हैं 
जिन्हें बनाया नहीं है 
सजाया भी नहीं है
जो शामिल होंगे शायद 
कल की उन यादों में 
जो बन सितारे बिछ जायेंगे 
आने वाली रातों में 
जिन राहों पर साथ चलेंगे हम तुम 
लेकर नई आशाएं ...

बलात्कार

दिल्ली में घटित एक घिनोनी घटना पर मेरा रोष कुछ इस तरह ज़ाहिर हो रहा है ।

बलात्कार
एक दहशतपूर्ण शब्द
एक डरावना सच
पर जब यह किसी के साथ घटता है
तब और भी ज्यादा भयानक, दहशतपूर्ण और डरावना
बन जाता है

आप सबने इससे फिल्मों में होते देखा होगा
लड़का लड़की पार्टी में मिले
कुछ जाम छलके
दोनों नशे में धुत्त
लड़का लड़की को बहला कर ऊपर ले गया
लड़की नहीं चाहती थी
पर लड़के को इससे कोई मतलब नहीं था
उससे बस वही करना था जो वो चाहता था

मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहता
के ऐसा नहीं होता
क्योकि यह सब होता है
असलियत में भी
पर हर दफा यदि वो आपका कोई करीबी, दोस्त या मंगेतर हों तब ?
जो आपसे बदसुलूकी करता है
बलात्कार करता है

वो आपको अँधेरे में दबोच लेते हैं
गाडी में खीच लेते हैं
सड़क पर , बस में, कमरे में भीच लेते हैं
आपको अकेला पाकर
घात लगा कर आप पर हमला बोल देते हैं
क्योंकि भेडिये ऐसे ही शिकार करते हैं

फिर वो कोशिश करता है
आप वही सोचे जो वो चाह रहा है
वो आपको चूमता है गालों पर
वो आपको चूमता है गर्दन पर
फिर उसके अंदर का जानवर जाग जाता है
और वो सब कुछ करने लगता है
जो उससे नहीं करना चाहियें
क्योंकि जानवर ऐसा ही करते हैं
पर जबतक आपको समझ आता है
के यह हो क्या रहा है
तब तक बहुत देर हो चुकी होती है

आप चिल्लाती हैं
"नहीं नहीं!
ऐसा मत करो!
रुक जाओ!
मुझे यह नहीं चाहियें!
रुक जाओ!
पर
वो अपने हाथ से आपका मुंह बंद कर देता है
जिससे आपकी चीखें कोई सुन का सके
आप संघर्ष करती हो वो आपसे कहीं ज्यादा
ताकतवर है
वो जो चाहता है करता रहता है

एक बार वो सब कुछ कर लेता है
वो आपको छोड देता है
आप किसी तरह उठ खड़ी होती हैं
अपने अस्त व्यस्त कपडे बिजली की तेज़ी से ठीक करती हैं
सांस लेने की कोशिश कर रही होती हैं
तभी
"अगर किसी से कुछ कहा तो आगे इससे भी बुरा होगा"

आप बाहर आती हैं
अपनी गाडी में बैठ कर
दुगनी तेज रफ़्तार के साथ
सीधा अपने घर पहुच जाती हैं
सबसे पहले झट से आप
अपने स्नान गृह में जाती हैं
और शोवर के नीचे खड़ी हो जाती हैं
जिससे आप उसकी गंध को अपने से
अलग कर सकें

घंटा भर नहाने के बाद आप
रोना शुरू करती हैं
आपको विश्वास नहीं होता
यह जो कुछ भी आपके साथ घटा
वो सच था या नहीं
आप अपने आप से कहती हैं
"कैसे! वो सबसे प्यारा इंसान था जिसे मैं जानती थी....आदि इत्यादि"
और आप एक शब्द भी नहीं बोल पाती

अगले दिन
वो आपको फिर मिलता है
स्कूल में, कॉलेज में, ऑफिस में
सड़क पर, बस में, बस स्टैंड पर
आपकी ओर देखकर मुस्कराता है
आँख मरता है
आप उससे आँख चुराकर, घबराकर
दूसरी दिशा में भागने की कोशिश करती हैं
वो आपका पीछा करता है
और आपका हाथ पकड़ लेता है और फिर
कसकर चिपटने की कोशिश करता है
आप चिल्लाती हैं, "दूर हटो! नहीं तो मैं सबको बता दूंगी!"
वो आपके कानो में कुछ घिनोने शब्द कहता है
"मुझे पता है, तुम्हे वो सब अच्छा लगा था"
आप फिर से चिल्लाती हैं,
"नहीं, नहीं, मुझे अच्छा नहीं लगा! तुमने मेरा बलात्कार किया है!"

आसपास सभी आप दोनों की तरफ देखने लगते हैं
वो आपको छोड कर भागने की कोशिश करता है
पर सभी लोग उससे पकड़ कर उसकी पिटाई और अच्छे से धुलाई कर देते हैं

आँखों में आंसू लिए,
नाक और गाल लाल किये, आप
धीरे से कहती हैं, "और मारो, और मारो, जान ले लो इसकी"
फिर सभी उसे दबोच कर, बेतहाशा उसकी पिटाई करते हैं
आप जोर जोर से रोते रोते
ज़मीन पर गिरते एक एक आंसू के साथ
आगे बढ़ जाती हैं

और तब वो पल आता है
जब आपको एहसास होता है
ये तो किसी के भी साथ हो सकता है
किसी भी लड़की के साथ
कोई भी लड़का
किसी भी पार्टी, सड़क या किसी भी जगह

अगर यह बात आप बीती की बजाये
जब बीती से सीख ली जाए
और सतर्क हो जाया जाये
तो ज्यादा बेहतर होगा
होगा के नहीं ?
वो आपको सोचना होगा
ज़रा सोचें ???

उसने सोचा न था


उसने सोचा न था
जो भी उस पल हुआ
वो चिल्लाती रही
वो रोती रही
छोड दो छोड दो
वो भडिया न रुका
वो भेडिया न थमा
वो पुकारती रही
मदद करो मदद करो
वो दरिंदे सभी
राक्षस थे कहीं
दू:शासन थे वो तो
वो बढते रहे
वो चढ़ते रहे
वो कहती रही
नहीं नहीं नहीं
उसने सोचा न था
जिंदगी थमेगी यूँही
उसने सोचा न था
इंसान गिर जायेगा
इतना भी कभी
वो खोती रही
उसने खोना जो था
खून में लथपथ थी वो
रात भर से यूँही
रक्त भी न थमा
वो भी बहता रहा
उसने सोचा न था
वो छोड कर के उसे
ऐसी हालत में ही
गायब हो गए
ऐसी धुंध में कहीं
सुबह जागी तो वो
पर कभी भूली नहीं
वो रात न थी
एक सूली थी वो
जिसपे झूली थी वो
जिंदगी साथ ले गई
एक दर्द दे गई
उम्र भर के लिए
उसने सोचा न था
उसने सोचा न था